यूपी के 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर यानी 3 दिन बाद उपचुनाव होना है। इसे लेकर पोस्टर वार जारी है। रविवार को भाजपा मुख्यालय के बाहर समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की होर्डिंग लगाई गई। इसमें नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। ये होर्डिंग एक बीजेपी कार्यकर्ता ने लगवाई है। होर्डिंग में मुलायम सिंह यादव के साथ उनकी छोटी बहू और बीजेपी नेता अपर्णा यादव की तस्वीर भी है। इस होर्डिंग को बीजेपी कार्यकर्ता चौधरी विवेक बलियान ने लगवाया है। होर्डिंग पर लिखा है- श्रद्धेय नेताजी को 85वीं जयंती पर शत-शत नमन। इस पोस्टर से राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे के बाद पोस्टर पॉलिटिक्स तेज हो गई है। सपा के तमाम नेताओं ने पोस्टर लगाए थे। लेकिन अब नेताजी का पोस्टर बीजेपी दफ्तर के बाहर लगाए जाने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है। सपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस पर नाराजगी भी जताई है। वहीं, बीजेपी ने इसे अपर्णा यादव की व्यक्तिगत श्रद्धांजलि बताया है। उपाध्यक्ष बनाए जाने से थीं नाराज दरअसल, अभी नेताजी की छोटी बहू अपर्णा यादव बीजेपी में हैं और सरकार ने उन्होंने 3 सितंबर को उत्तर प्रदेश महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था। लेकिन वह नाराज हो गई थीं। उनका कहना था कि पारिवारिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक कद को देखते हुए उपाध्यक्ष का पद उनके लिए बहुत छोटा है। 8 दिन बाद 11 सितंबर को अपर्णा ने महिला आयोग के उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर लिया। उनके साथ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक भी महिला आयोग के कार्यालय पहुंचीं थीं। कार्यभार संभालने के बाद अपर्णा ने मीडिया से बात की। अपर्णा ने कहा था- पीएम परशुराम, मैं अर्जुन कहा था- मैं नाराज नहीं हूं। मैंने सिर्फ अपनी बात रखी। पीएम मोदी और सीएम योगी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। भाजपा संगठन एक परिवार है। प्रधानमंत्री परशुराम हैं। पहले मैं एकलव्य थी। अब अर्जुन हूं। परिवार में अपनी बात कहने का मतलब यह नहीं कि कोई नाराज है। भाजपा बड़ा परिवार है। मैं समझती हूं कि संगठन और सरकार ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है। शाह-योगी के समझाने पर मानीं अपर्णा अपर्णा की नाराजगी की बात सामने आने पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपर्णा से फोन पर बात की थी। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह अपर्णा को मनाने उनके घर पहुंचे। इसके बाद, मंगलवार को सीएम योगी से अपर्णा और उनके पति प्रतीक ने मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो शाह-योगी के समझाने पर अपर्णा पदभार संभालने को तैयार हुईं। शाह ने अपर्णा को आश्वासन दिया कि उन्हें भविष्य में अहम जिम्मेदारियां मिलेंगी। सीएम ने भी उन्हें कार्यभार ग्रहण करने की सलाह दी थी। अपर्णा को पद देने की 3 वजह 1- उपचुनाव में भाजपा अपर्णा का इस्तेमाल करेगी
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद भाजपा अब किसी हालत में उपचुनाव नहीं हारना चाहती है। भाजपा सपा को उसके मजबूत गढ़ में करहल में हारने के लिए पूरा जोर लगा रही है। अखिलेश के इस्तीफा देने की वजह से यह सीट खाली हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव और उससे पहले विधानसभा चुनाव में अपर्णा ने भाजपा के लिए प्रचार तो किया, लेकिन उन सीटों पर नहीं गईं, जहां से यादव परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे थे। तब तक अपर्णा के पास कोई पद भी नहीं था। इसीलिए अपर्णा को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। 2- अपर्णा को दूर नहीं जाने देना चाहती भाजपा
अपर्णा 3 साल पहले सपा छोड़कर भाजपा में तो आ गईं, लेकिन अपने परिवार से दूर नहीं हुईं। लगातार चाचा शिवपाल यादव के करीब रहीं। अखिलेश, डिंपल या परिवार के किसी अन्य सदस्य पर कभी गलत बयान नहीं दिया। इसी बीच, लोकसभा चुनाव में सपा के अच्छे प्रदर्शन और भाजपा में अपनी उपेक्षा के चलते अपर्णा के बारे में कहा जाने लगा था कि वह घर वापसी कर सकती हैं। इसीलिए भाजपा ने उन्हें महिला आयोग में पद देकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। 3- महिलाओं के मुद्दे पर सपा को घेरने की रणनीति
अयोध्या और कन्नौज में हुए रेप कांड को लेकर भाजपा और खुद सीएम योगी सपा पर हमलावर हैं। यही वजह है कि 4 साल बाद महिला आयोग का गठन करके मुलायम परिवार की बहू को ही पद दे दिया। इससे भाजपा को सपा पर हमला करने में ज्यादा आसानी रहेगी। क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है- अपर्णा को पता है कि अब सपा में उन्हें वह सम्मान नहीं मिलेगा। फिलहाल उनका राजनीतिक भविष्य भाजपा में ही सुरक्षित है, इसलिए वह भाजपा से अलग नहीं होना चाहती। 2017 में सपा के टिकट से हार गई थीं अपर्णा अपर्णा को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाए जाने से पहले तीन सालों के दौरान तमाम तरह की अटकलें चलती रहीं। पहले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने के कयास लगे। इसके बाद निकाय चुनाव में मेयर उम्मीदवार बनाने के चर्चे हुए। फिर लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई गई। लेकिन हर मौके पर उन्हें निराशा हाथ लगी। यही वजह है, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अपर्णा अखिलेश यादव और उनके पूरे परिवार के खिलाफ बोलने से बचती नजर आईं। अपर्णा कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव का आशीर्वाद लेने जाती रहीं। भाजपा में रहते हुए भी वह कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव के घर गईं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। हालांकि, 2017 में सपा ने लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से अपर्णा यादव को टिकट दिया था। डिंपल यादव ने उनका प्रचार भी किया था। हालांकि तब वह भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं। कौन हैं अपर्णा यादव?
अपर्णा मुलायम सिंह की छोटी बहू हैं। वह विधानसभा चुनाव- 2022 से पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। अपर्णा 2022 विधानसभा चुनाव में लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से भाजपा का टिकट भी मांग रही थीं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था। अपर्णा मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा का जन्म 1 जनवरी, 1990 को हुआ था। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक मीडिया कंपनी में थे। सपा की सरकार में वह सूचना आयुक्त भी रहे। अपर्णा की मां अंबी बिस्ट अधिकारी हैं। अपर्णा की स्कूली पढ़ाई लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट से हुई है। …………………………………. यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले- योगी घर से आईना देखकर नहीं निकलते:अम्बेडकरनगर में कहा- दिल्ली और लखनऊ के इंजन टकरा रहे, नारे भी टकरा रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अंबेडकरनगर में चुनावी रैली की। अंबेडकरनगर की कटेहरी में कहा- सीएम चुनावी रैलियों में सपा के खिलाफ कई आरोप लगा रहे हैं। कहते हैं सपा माफियाओं का गढ़ है, वहां सब गुंडे ही गुंडे हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि सीएम खुद घर से निकलते वक्त आईने में अपना चेहरा नहीं देखते। पढ़ें पूरी खबर.. यूपी के 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर यानी 3 दिन बाद उपचुनाव होना है। इसे लेकर पोस्टर वार जारी है। रविवार को भाजपा मुख्यालय के बाहर समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की होर्डिंग लगाई गई। इसमें नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। ये होर्डिंग एक बीजेपी कार्यकर्ता ने लगवाई है। होर्डिंग में मुलायम सिंह यादव के साथ उनकी छोटी बहू और बीजेपी नेता अपर्णा यादव की तस्वीर भी है। इस होर्डिंग को बीजेपी कार्यकर्ता चौधरी विवेक बलियान ने लगवाया है। होर्डिंग पर लिखा है- श्रद्धेय नेताजी को 85वीं जयंती पर शत-शत नमन। इस पोस्टर से राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे के बाद पोस्टर पॉलिटिक्स तेज हो गई है। सपा के तमाम नेताओं ने पोस्टर लगाए थे। लेकिन अब नेताजी का पोस्टर बीजेपी दफ्तर के बाहर लगाए जाने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है। सपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस पर नाराजगी भी जताई है। वहीं, बीजेपी ने इसे अपर्णा यादव की व्यक्तिगत श्रद्धांजलि बताया है। उपाध्यक्ष बनाए जाने से थीं नाराज दरअसल, अभी नेताजी की छोटी बहू अपर्णा यादव बीजेपी में हैं और सरकार ने उन्होंने 3 सितंबर को उत्तर प्रदेश महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था। लेकिन वह नाराज हो गई थीं। उनका कहना था कि पारिवारिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक कद को देखते हुए उपाध्यक्ष का पद उनके लिए बहुत छोटा है। 8 दिन बाद 11 सितंबर को अपर्णा ने महिला आयोग के उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर लिया। उनके साथ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक भी महिला आयोग के कार्यालय पहुंचीं थीं। कार्यभार संभालने के बाद अपर्णा ने मीडिया से बात की। अपर्णा ने कहा था- पीएम परशुराम, मैं अर्जुन कहा था- मैं नाराज नहीं हूं। मैंने सिर्फ अपनी बात रखी। पीएम मोदी और सीएम योगी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। भाजपा संगठन एक परिवार है। प्रधानमंत्री परशुराम हैं। पहले मैं एकलव्य थी। अब अर्जुन हूं। परिवार में अपनी बात कहने का मतलब यह नहीं कि कोई नाराज है। भाजपा बड़ा परिवार है। मैं समझती हूं कि संगठन और सरकार ने मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी है। शाह-योगी के समझाने पर मानीं अपर्णा अपर्णा की नाराजगी की बात सामने आने पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपर्णा से फोन पर बात की थी। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह अपर्णा को मनाने उनके घर पहुंचे। इसके बाद, मंगलवार को सीएम योगी से अपर्णा और उनके पति प्रतीक ने मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो शाह-योगी के समझाने पर अपर्णा पदभार संभालने को तैयार हुईं। शाह ने अपर्णा को आश्वासन दिया कि उन्हें भविष्य में अहम जिम्मेदारियां मिलेंगी। सीएम ने भी उन्हें कार्यभार ग्रहण करने की सलाह दी थी। अपर्णा को पद देने की 3 वजह 1- उपचुनाव में भाजपा अपर्णा का इस्तेमाल करेगी
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के बाद भाजपा अब किसी हालत में उपचुनाव नहीं हारना चाहती है। भाजपा सपा को उसके मजबूत गढ़ में करहल में हारने के लिए पूरा जोर लगा रही है। अखिलेश के इस्तीफा देने की वजह से यह सीट खाली हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव और उससे पहले विधानसभा चुनाव में अपर्णा ने भाजपा के लिए प्रचार तो किया, लेकिन उन सीटों पर नहीं गईं, जहां से यादव परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे थे। तब तक अपर्णा के पास कोई पद भी नहीं था। इसीलिए अपर्णा को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। 2- अपर्णा को दूर नहीं जाने देना चाहती भाजपा
अपर्णा 3 साल पहले सपा छोड़कर भाजपा में तो आ गईं, लेकिन अपने परिवार से दूर नहीं हुईं। लगातार चाचा शिवपाल यादव के करीब रहीं। अखिलेश, डिंपल या परिवार के किसी अन्य सदस्य पर कभी गलत बयान नहीं दिया। इसी बीच, लोकसभा चुनाव में सपा के अच्छे प्रदर्शन और भाजपा में अपनी उपेक्षा के चलते अपर्णा के बारे में कहा जाने लगा था कि वह घर वापसी कर सकती हैं। इसीलिए भाजपा ने उन्हें महिला आयोग में पद देकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। 3- महिलाओं के मुद्दे पर सपा को घेरने की रणनीति
अयोध्या और कन्नौज में हुए रेप कांड को लेकर भाजपा और खुद सीएम योगी सपा पर हमलावर हैं। यही वजह है कि 4 साल बाद महिला आयोग का गठन करके मुलायम परिवार की बहू को ही पद दे दिया। इससे भाजपा को सपा पर हमला करने में ज्यादा आसानी रहेगी। क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है- अपर्णा को पता है कि अब सपा में उन्हें वह सम्मान नहीं मिलेगा। फिलहाल उनका राजनीतिक भविष्य भाजपा में ही सुरक्षित है, इसलिए वह भाजपा से अलग नहीं होना चाहती। 2017 में सपा के टिकट से हार गई थीं अपर्णा अपर्णा को महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाए जाने से पहले तीन सालों के दौरान तमाम तरह की अटकलें चलती रहीं। पहले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने के कयास लगे। इसके बाद निकाय चुनाव में मेयर उम्मीदवार बनाने के चर्चे हुए। फिर लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई गई। लेकिन हर मौके पर उन्हें निराशा हाथ लगी। यही वजह है, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अपर्णा अखिलेश यादव और उनके पूरे परिवार के खिलाफ बोलने से बचती नजर आईं। अपर्णा कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव का आशीर्वाद लेने जाती रहीं। भाजपा में रहते हुए भी वह कई मौकों पर चाचा शिवपाल यादव के घर गईं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। हालांकि, 2017 में सपा ने लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से अपर्णा यादव को टिकट दिया था। डिंपल यादव ने उनका प्रचार भी किया था। हालांकि तब वह भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं। कौन हैं अपर्णा यादव?
अपर्णा मुलायम सिंह की छोटी बहू हैं। वह विधानसभा चुनाव- 2022 से पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। अपर्णा 2022 विधानसभा चुनाव में लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से भाजपा का टिकट भी मांग रही थीं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था। अपर्णा मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा का जन्म 1 जनवरी, 1990 को हुआ था। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक मीडिया कंपनी में थे। सपा की सरकार में वह सूचना आयुक्त भी रहे। अपर्णा की मां अंबी बिस्ट अधिकारी हैं। अपर्णा की स्कूली पढ़ाई लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट से हुई है। …………………………………. यह खबर भी पढ़ें… अखिलेश बोले- योगी घर से आईना देखकर नहीं निकलते:अम्बेडकरनगर में कहा- दिल्ली और लखनऊ के इंजन टकरा रहे, नारे भी टकरा रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अंबेडकरनगर में चुनावी रैली की। अंबेडकरनगर की कटेहरी में कहा- सीएम चुनावी रैलियों में सपा के खिलाफ कई आरोप लगा रहे हैं। कहते हैं सपा माफियाओं का गढ़ है, वहां सब गुंडे ही गुंडे हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि सीएम खुद घर से निकलते वक्त आईने में अपना चेहरा नहीं देखते। पढ़ें पूरी खबर.. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर