यूपी ATS को आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल से पूछताछ में कई खुलासे हुए है। आतंकी हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ चुका है। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा-13 से उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गया था। इस चुनाव में उसने आम आदमी पार्टी से टिकट मांगा था। लेकिन ऐन वक्त पर पार्टी को पता चला था कि वो एक आतंकवादी रह चुका है। इसके अलावा पूर्व में भी विधानसभा चुनाव और नगर पालिका समेत कई चुनाव लडे़, लेकिन जीत नहीं सका। पीओके और अफगानिस्तान में ली थी आतंकी ट्रेनिंग
यूपी ATS ने आतंकी से नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि आतंकी ने 1989 से 1991 तक अधिकृत कश्मीर (पीओके) व अफगानिस्तान जाकर आतंकवाद की ट्रेनिंग ली थी। वहीं उसने ग्रेनेड का इस्तेमाल करना सीखा। उसके बाद 1991 में वो देवबंद में पहुंचा और गलत नाम और पते पर रहा। वह करीब दो साल तक देवबंद में रहा। 1993 में किया था बम ब्लास्ट
1993 में दशहत फैलाने को आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल ने देवबंद के रेती चौक पर तैनात पुलिसकर्मियों पर हेंड ग्रेनेड फेंका था। देवबंद आने से पहले आतंकी पाकिस्तान और गोवा भी गया था। वहां कुछ दिनों के लिए रहा था। पूछताछ में सामने आया कि उसका जम्मू-कश्मीर में कई बार भारतीय सेना के साथ भी मुठभेड़ हुई। लेकिन वो सेना की पकड़ में नहीं आ सका। फर्जी कागज लगाकर ली थी कोर्ट से जमानत
1993 में हुए बम ब्लास्ट के बाद पुलिस ने आतंकी को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था। लेकिन एक साल बाद यानी 1994 में आतंकी ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का आधार बनाकर कोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। जिसके आधार पर कोर्ट ने उसे दस्तावेजों के आधार पर जमानत दे दी थी। जमानत पर बाहर आने के बाद आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल फरार हो गया था। बाद में जांच हुई तो दस्तावेज फर्जी निकले। कोर्ट ने आतंकी के खिलाफ वारंट जारी किए थे। इसी साल मई में कोर्ट ने स्थायी वारंट जारी किए थे। हमले में घायल हुए थे पुलिसकर्मी
26 अगस्त 1993 को सैय्यद मुन्नवर हुसैन ने थाना देवबंद में FIR लिखवाई थी। उन्होंने बताया कि अज्ञात अपराधी ने मोहल्ला यूनियन तिराहा कस्बा देवबंद पर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों पर जान से मारने की नीयत से ग्रेनेड फेंका। ड्यूटी पर तैनात सिपाही कन्हेया लाल, अर्जुमन अली घायल हुए हैं। इनके अलावा जय प्रकाश पुत्र मनफूल सैनी निवासी मोहल्ला पठानपुरा, कस्बा व थाना देवबंद, सुखबीर पुत्र रूपलाल निवासी कस्बा व थाना देवबंद भी घायल हुए थे। मामले में नजीर अहमद वानी उर्फ मुस्ताक अहमद का नाम सामने आया था। तब इसे 26 मई1994 को फर्जी दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में प्रकाश मे आया कि वो आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहीद्दीन का सक्रिय सदस्य था। जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कस्बा देवबंद में रह रहा था, जिसने आमजन मे भय व आंतक की भावना बैठाने के लिए ग्रेनेड फेंका था। यूपी ATS को आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल से पूछताछ में कई खुलासे हुए है। आतंकी हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव का चुनाव लड़ चुका है। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा-13 से उसने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और हार गया था। इस चुनाव में उसने आम आदमी पार्टी से टिकट मांगा था। लेकिन ऐन वक्त पर पार्टी को पता चला था कि वो एक आतंकवादी रह चुका है। इसके अलावा पूर्व में भी विधानसभा चुनाव और नगर पालिका समेत कई चुनाव लडे़, लेकिन जीत नहीं सका। पीओके और अफगानिस्तान में ली थी आतंकी ट्रेनिंग
यूपी ATS ने आतंकी से नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि आतंकी ने 1989 से 1991 तक अधिकृत कश्मीर (पीओके) व अफगानिस्तान जाकर आतंकवाद की ट्रेनिंग ली थी। वहीं उसने ग्रेनेड का इस्तेमाल करना सीखा। उसके बाद 1991 में वो देवबंद में पहुंचा और गलत नाम और पते पर रहा। वह करीब दो साल तक देवबंद में रहा। 1993 में किया था बम ब्लास्ट
1993 में दशहत फैलाने को आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल ने देवबंद के रेती चौक पर तैनात पुलिसकर्मियों पर हेंड ग्रेनेड फेंका था। देवबंद आने से पहले आतंकी पाकिस्तान और गोवा भी गया था। वहां कुछ दिनों के लिए रहा था। पूछताछ में सामने आया कि उसका जम्मू-कश्मीर में कई बार भारतीय सेना के साथ भी मुठभेड़ हुई। लेकिन वो सेना की पकड़ में नहीं आ सका। फर्जी कागज लगाकर ली थी कोर्ट से जमानत
1993 में हुए बम ब्लास्ट के बाद पुलिस ने आतंकी को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था। लेकिन एक साल बाद यानी 1994 में आतंकी ने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने का आधार बनाकर कोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। जिसके आधार पर कोर्ट ने उसे दस्तावेजों के आधार पर जमानत दे दी थी। जमानत पर बाहर आने के बाद आतंकी नजीर अहमद उर्फ मुस्तफा बानी उर्फ जावेद इकबाल फरार हो गया था। बाद में जांच हुई तो दस्तावेज फर्जी निकले। कोर्ट ने आतंकी के खिलाफ वारंट जारी किए थे। इसी साल मई में कोर्ट ने स्थायी वारंट जारी किए थे। हमले में घायल हुए थे पुलिसकर्मी
26 अगस्त 1993 को सैय्यद मुन्नवर हुसैन ने थाना देवबंद में FIR लिखवाई थी। उन्होंने बताया कि अज्ञात अपराधी ने मोहल्ला यूनियन तिराहा कस्बा देवबंद पर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों पर जान से मारने की नीयत से ग्रेनेड फेंका। ड्यूटी पर तैनात सिपाही कन्हेया लाल, अर्जुमन अली घायल हुए हैं। इनके अलावा जय प्रकाश पुत्र मनफूल सैनी निवासी मोहल्ला पठानपुरा, कस्बा व थाना देवबंद, सुखबीर पुत्र रूपलाल निवासी कस्बा व थाना देवबंद भी घायल हुए थे। मामले में नजीर अहमद वानी उर्फ मुस्ताक अहमद का नाम सामने आया था। तब इसे 26 मई1994 को फर्जी दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में प्रकाश मे आया कि वो आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहीद्दीन का सक्रिय सदस्य था। जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कस्बा देवबंद में रह रहा था, जिसने आमजन मे भय व आंतक की भावना बैठाने के लिए ग्रेनेड फेंका था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर