यूपी में आज 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू होगी, जो शाम को 5 बजे तक चलेगी। 3 हजार 718 पोलिंग बूथ पर 34.35 लाख वोटर वोट डालेंगे। इनमें 15.88 लाख महिलाएं और 18.46 लाख पुरुष वोटर हैं। पहले 13 नवंबर को उपचुनाव होने थे, लेकिन त्योहारों के चलते इलेक्शन कमीशन ने डेट बदल दी थी। सभी 9 सीटों पर वोटिंग के लिए 5 हजार 151 EVM, 5 हजार 171 बैलट यूनिट और 5 हजार 524 वीवी-पैट का इस्तेमाल किया जाएगा। सभी जगह सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है। मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। क्योंकि जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से 4 सीटें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, अंबेडकरनगर की कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और प्रयागराज की फूलपुर भाजपा ने जीती थीं। मिर्जापुर की मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। कानपुर की सीसामऊ सीट में सपा विधायक को जेल हो गई, जिसके चलते यह सीट खाली हुई। बाकी 8 सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीत सांसद बन गए। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहे हैं। अब जनता अपना नया विधायक चुनेगी। 2027 चुनाव का टेस्ट
इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट भी माना जा रहा है। क्योंकि इसके बाद प्रदेश में (मिल्कीपुर को छोड़कर) कोई चुनाव नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सपा मजबूत पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, भाजपा रिकवरी मोड में नजर आ रही है। भाजपा ने 8 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, एक सीट मीरापुर से रालोद चुनावी मैदान में है। बसपा पहली बार उपचुनाव लड़ रही है। असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं। सीएम योगी और अखिलेश ने कीं 13-13 जनसभाएं
चुनाव के नतीजे यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 की राजनीतिक दशा और दिशा तय करेंगे। यही वजह है कि सीएम योगी हों या सपा मुखिया अखिलेश यादव, दोनों ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी ने 5 दिन में 13 जनसभाएं और 2 रोड शो किए। अखिलेश यादव ने 13 जनसभाएं और एक रोड शो किया। इसके अलावा पार्टी के स्टार प्रचारक पूरी ताकत से इन 9 सीटों पर प्रचार करने पहुंचे। दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। सपा से डिंपल यादव, शिवपाल यादव, लोकसभा चुनाव में जीते आदित्य यादव और इकरा हसन भी प्रचार करने पहुंचे। भाजपा की स्ट्रैटजी: सपा की सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस
भाजपा ने सभी सीटों पर वोटिंग की अधिसूचना जारी होने से पहले ही चुनावी जनसभा की। पहले अयोध्या की मिल्कीपुर में भी उपचुनाव होना था, लेकिन सपा सांसद अवधेश प्रसाद से जुड़े कोर्ट केस के चलते यह टल गया। सीएम योगी ने कटेहरी और मिल्कीपुर का में चार-चार बार दौरा किया। इसके अलावा योगी कानपुर की सीसामऊ और मैनपुरी की करहल सीट पर तीन-तीन बार पहुंचे। सीसामऊ में योगी ने रोड शो तक किया। भाजपा की स्ट्रैटजी की बात करें, तो प्रत्याशियों के चयन के लिए खूब मंथन किया गया। नामांकन के अंतिम दिन से ठीक पहले कैंडिडेट की लिस्ट जारी हुई। इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम करहल सीट से अनुजेश यादव का रहा। वह अखिलेश यादव के रिश्ते में बहनोई लगते हैं। यहां चुनाव अब यादव VS यादव का है। पार्टी ने 2002 का फॉर्मूला अपनाया। सीसामऊ में इरफान सोलंकी को 2017 में टक्कर देने वाले प्रत्याशी को टिकट दिया गया। इसी तरह कुंदरकी में भी कैंडिडेट रिपीट किया गया। योगी का ‘बंटोगे तो कटोगे’ VS अखिलेश का जुड़ेंगे तो जीतेंगे
उपचुनाव में रैलियों के दौरान सीएम योगी ने बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया। लेकिन, इस नारे को मुद्दा बनाते हुए अखिलेश यादव की ओर से नया नारा निकला- जुड़ेंगे तो जीतेंगे। अब इन नारों में कौन सबसे ज्यादा हिट रहा, यह चुनाव इसका भी रिजल्ट तय करेगा। अखिलेश का बयान- बुलडोजर गैराज में खड़ा हो गया
यह बयान अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिया। उपचुनाव में योगी ने कहीं भी बुलडोजर का जिक्र नहीं किया। हालांकि, वह माफिया और गुंडाराज के नाम पर सपा पर हमलावर दिखाई दिए। हर उपचुनाव में योगी की मेहनत रंग लाई
यूपी में जब-जब उपचुनाव हुआ, सीएम योगी ने प्रचार की कमान संभाली। नतीजा यह हुआ कि भाजपा और सहयोगी दलों ने काफी कमाल किया। गोला गोकर्णनाथ में तत्कालीन विधायक अरविंद गिरि के निधन से सीट रिक्त हुई, तो 2022 में योगी के प्रचार की बदौलत अमन गिरि यहां से जीतने में सफल हुए। मई, 2023 में छानबे सीट पर उपचुनाव में अपना दल (सोनेलाल) की रिंकी कोल और स्वार टांडा में अपना दल (एस) के शफीक अंसारी चुनाव जीते। इन दोनों के लिए भी योगी ने खूब मेहनत की। रामपुर में आकाश सक्सेना, ददरौल से उपचुनाव में अरविंद सिंह की जीत भी योगी की मेहनत का ही नतीजा है। लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी योगी ने भाजपा प्रत्याशी ओपी श्रीवास्तव के लिए प्रचार-प्रसार किया। ओपी श्रीवास्तव भी इस सीट से जीतकर विधायक बने। तीन हॉट सीटें, जिन पर सभी की निगाहें 1.पहली बार चुनावी मैदान में नसीम सोलंकी कानपुर की सीसामऊ सीट पर 22 सालों से सोलंकी परिवार का कब्जा रहा। नसीम सोलंकी पहली बार सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के सुरेश अवस्थी से है। सुरेश अवस्थी ने 2017 में इरफान सोलंकी को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन, चुनाव हार गए थे। यहां कुल 2 लाख 71 हजार 42 मतदाता हैं। चुनाव के लिए 275 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। मुस्लिम बहुल इस इलाके में मतदान प्रतिशत पर सबसे बड़ा फैक्टर होगा। 2. फूफा अनुजेश यादव के सामने तेज प्रताप मैनपुरी की करहल सीट पर भाजपा अंतिम बार 2002 में जीती थी। यहां अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव चुनावी मैदान में हैं। वहीं भाजपा के टिकट पर अनुजेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वह धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं। मेन मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच है। करहल में 3 लाख 82 हजार 483 वोटर हैं। यहां 444 पोलिंग बूथ पर वोटिंग होगी। पिछले तीन चुनाव में यहां 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग होती रही है। 3. मुस्लिम बहुल सीट पर पहली जीत की तलाश में रामवीर सिंह मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम वोटर हैं। यहां तीन चुनाव हार चुके भाजपा के रामवीर सिंह पहली जीत की तलाश में हैं। वहीं सपा से तीन बार विधायक रह चुके हाजी रिजवान चुनावी मैदान में हैं। यह चुनाव दोनों का पॉलिटिकल करियर तय करेगा। कुंदरकी में 3 लाख 84 हजार 673 वोटर हैं, जो 436 पोलिंग बूथ पर मतदान करने पहुंचेंगे। यहां 2022 चुनाव में रिकॉर्ड 71.7 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। अब एक नजर बाकी बची 5 सीटों पर 4. फूलपुर में युवा बनाम अनुभवी में फाइट प्रयागराज की फूलपुर सीट पर युवा बनाम अनुभवी की लड़ाई होने जा रही है। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे हैं। उनका यहां पहला चुनाव है, जबकि सपा के मुस्तफा सिद्दीकी उम्र और राजनीति दोनों में उनके सुपर सीनियर हैं। फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है। यहां 435 पोलिंग बूथ पर 4 लाख 7 हजार 944 वोटर मतदान करेंगे। 5. दो महिलाओं के बीच विरासत की जंग भाजपा और सपा दोनों ने महिला कैंडिडेट उतारे हैं। सुचिस्मिता मौर्य पूर्व विधायक रामचन्द्र मौर्या की बहू हैं, जबकि डॉ. ज्योति बिंद पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी हैं। बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतार मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में एक बार निषाद पार्टी, एक बार भाजपा और एक बार बसपा ने जीत दर्ज की है। यहां 442 पोलिंग बूथ पर 3 लाख 99 हजार 633 वोटर वोटिंग करेंगे। 6. लालजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर, धर्मराज को जीत की तलाश अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने यहां 1996, 2002 और 2007 में बसपा के टिकट से विधायक रहे धर्मराज निषाद को टिकट दी है। वह वोटरों से कमबैक कराने की आस में हैं। इस सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। यहां 425 पोलिंग बूथ पर 4 लाख 1 हजार 165 वोटर वोटिंग करेंगे। 7. खैर में राजनीतिक विरासत के लिए लड़ाई जाट लैंड कही जाने वाली अलीगढ़ की खैर रिजर्व सीट है। यहां 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर चुनावी मैदान में हैं। सपा ने बसपा और कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन को टिकट दिया है। बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं। मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच मानी जा रही है। दोनों के बीच राजनीतिक विरासत संभालने की जंग भी है। यहां 4 लाख 2 हजार 819 वोटर हैं, जो 426 पोलिंग बूथ पर मतदान करने पहुंचेंगे। यूपी में आज 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू होगी, जो शाम को 5 बजे तक चलेगी। 3 हजार 718 पोलिंग बूथ पर 34.35 लाख वोटर वोट डालेंगे। इनमें 15.88 लाख महिलाएं और 18.46 लाख पुरुष वोटर हैं। पहले 13 नवंबर को उपचुनाव होने थे, लेकिन त्योहारों के चलते इलेक्शन कमीशन ने डेट बदल दी थी। सभी 9 सीटों पर वोटिंग के लिए 5 हजार 151 EVM, 5 हजार 171 बैलट यूनिट और 5 हजार 524 वीवी-पैट का इस्तेमाल किया जाएगा। सभी जगह सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है। मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। क्योंकि जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से 4 सीटें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, अंबेडकरनगर की कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सपा के पास थीं। 5 पर NDA ने जीत दर्ज की थी। इनमें अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद और प्रयागराज की फूलपुर भाजपा ने जीती थीं। मिर्जापुर की मझवां निषाद पार्टी और मीरापुर रालोद ने जीती थी। कानपुर की सीसामऊ सीट में सपा विधायक को जेल हो गई, जिसके चलते यह सीट खाली हुई। बाकी 8 सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीत सांसद बन गए। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहे हैं। अब जनता अपना नया विधायक चुनेगी। 2027 चुनाव का टेस्ट
इस उपचुनाव को 2027 विधानसभा चुनाव का टेस्ट भी माना जा रहा है। क्योंकि इसके बाद प्रदेश में (मिल्कीपुर को छोड़कर) कोई चुनाव नहीं है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सपा मजबूत पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, भाजपा रिकवरी मोड में नजर आ रही है। भाजपा ने 8 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, एक सीट मीरापुर से रालोद चुनावी मैदान में है। बसपा पहली बार उपचुनाव लड़ रही है। असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर की पार्टी के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं। सीएम योगी और अखिलेश ने कीं 13-13 जनसभाएं
चुनाव के नतीजे यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 की राजनीतिक दशा और दिशा तय करेंगे। यही वजह है कि सीएम योगी हों या सपा मुखिया अखिलेश यादव, दोनों ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। योगी ने 5 दिन में 13 जनसभाएं और 2 रोड शो किए। अखिलेश यादव ने 13 जनसभाएं और एक रोड शो किया। इसके अलावा पार्टी के स्टार प्रचारक पूरी ताकत से इन 9 सीटों पर प्रचार करने पहुंचे। दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। सपा से डिंपल यादव, शिवपाल यादव, लोकसभा चुनाव में जीते आदित्य यादव और इकरा हसन भी प्रचार करने पहुंचे। भाजपा की स्ट्रैटजी: सपा की सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस
भाजपा ने सभी सीटों पर वोटिंग की अधिसूचना जारी होने से पहले ही चुनावी जनसभा की। पहले अयोध्या की मिल्कीपुर में भी उपचुनाव होना था, लेकिन सपा सांसद अवधेश प्रसाद से जुड़े कोर्ट केस के चलते यह टल गया। सीएम योगी ने कटेहरी और मिल्कीपुर का में चार-चार बार दौरा किया। इसके अलावा योगी कानपुर की सीसामऊ और मैनपुरी की करहल सीट पर तीन-तीन बार पहुंचे। सीसामऊ में योगी ने रोड शो तक किया। भाजपा की स्ट्रैटजी की बात करें, तो प्रत्याशियों के चयन के लिए खूब मंथन किया गया। नामांकन के अंतिम दिन से ठीक पहले कैंडिडेट की लिस्ट जारी हुई। इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम करहल सीट से अनुजेश यादव का रहा। वह अखिलेश यादव के रिश्ते में बहनोई लगते हैं। यहां चुनाव अब यादव VS यादव का है। पार्टी ने 2002 का फॉर्मूला अपनाया। सीसामऊ में इरफान सोलंकी को 2017 में टक्कर देने वाले प्रत्याशी को टिकट दिया गया। इसी तरह कुंदरकी में भी कैंडिडेट रिपीट किया गया। योगी का ‘बंटोगे तो कटोगे’ VS अखिलेश का जुड़ेंगे तो जीतेंगे
उपचुनाव में रैलियों के दौरान सीएम योगी ने बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया। लेकिन, इस नारे को मुद्दा बनाते हुए अखिलेश यादव की ओर से नया नारा निकला- जुड़ेंगे तो जीतेंगे। अब इन नारों में कौन सबसे ज्यादा हिट रहा, यह चुनाव इसका भी रिजल्ट तय करेगा। अखिलेश का बयान- बुलडोजर गैराज में खड़ा हो गया
यह बयान अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिया। उपचुनाव में योगी ने कहीं भी बुलडोजर का जिक्र नहीं किया। हालांकि, वह माफिया और गुंडाराज के नाम पर सपा पर हमलावर दिखाई दिए। हर उपचुनाव में योगी की मेहनत रंग लाई
यूपी में जब-जब उपचुनाव हुआ, सीएम योगी ने प्रचार की कमान संभाली। नतीजा यह हुआ कि भाजपा और सहयोगी दलों ने काफी कमाल किया। गोला गोकर्णनाथ में तत्कालीन विधायक अरविंद गिरि के निधन से सीट रिक्त हुई, तो 2022 में योगी के प्रचार की बदौलत अमन गिरि यहां से जीतने में सफल हुए। मई, 2023 में छानबे सीट पर उपचुनाव में अपना दल (सोनेलाल) की रिंकी कोल और स्वार टांडा में अपना दल (एस) के शफीक अंसारी चुनाव जीते। इन दोनों के लिए भी योगी ने खूब मेहनत की। रामपुर में आकाश सक्सेना, ददरौल से उपचुनाव में अरविंद सिंह की जीत भी योगी की मेहनत का ही नतीजा है। लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी योगी ने भाजपा प्रत्याशी ओपी श्रीवास्तव के लिए प्रचार-प्रसार किया। ओपी श्रीवास्तव भी इस सीट से जीतकर विधायक बने। तीन हॉट सीटें, जिन पर सभी की निगाहें 1.पहली बार चुनावी मैदान में नसीम सोलंकी कानपुर की सीसामऊ सीट पर 22 सालों से सोलंकी परिवार का कब्जा रहा। नसीम सोलंकी पहली बार सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के सुरेश अवस्थी से है। सुरेश अवस्थी ने 2017 में इरफान सोलंकी को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन, चुनाव हार गए थे। यहां कुल 2 लाख 71 हजार 42 मतदाता हैं। चुनाव के लिए 275 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। मुस्लिम बहुल इस इलाके में मतदान प्रतिशत पर सबसे बड़ा फैक्टर होगा। 2. फूफा अनुजेश यादव के सामने तेज प्रताप मैनपुरी की करहल सीट पर भाजपा अंतिम बार 2002 में जीती थी। यहां अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव चुनावी मैदान में हैं। वहीं भाजपा के टिकट पर अनुजेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वह धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं। मेन मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच है। करहल में 3 लाख 82 हजार 483 वोटर हैं। यहां 444 पोलिंग बूथ पर वोटिंग होगी। पिछले तीन चुनाव में यहां 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग होती रही है। 3. मुस्लिम बहुल सीट पर पहली जीत की तलाश में रामवीर सिंह मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर 60% मुस्लिम वोटर हैं। यहां तीन चुनाव हार चुके भाजपा के रामवीर सिंह पहली जीत की तलाश में हैं। वहीं सपा से तीन बार विधायक रह चुके हाजी रिजवान चुनावी मैदान में हैं। यह चुनाव दोनों का पॉलिटिकल करियर तय करेगा। कुंदरकी में 3 लाख 84 हजार 673 वोटर हैं, जो 436 पोलिंग बूथ पर मतदान करने पहुंचेंगे। यहां 2022 चुनाव में रिकॉर्ड 71.7 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। अब एक नजर बाकी बची 5 सीटों पर 4. फूलपुर में युवा बनाम अनुभवी में फाइट प्रयागराज की फूलपुर सीट पर युवा बनाम अनुभवी की लड़ाई होने जा रही है। भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल पूर्व सांसद केशरी देवी पटेल के बेटे हैं। उनका यहां पहला चुनाव है, जबकि सपा के मुस्तफा सिद्दीकी उम्र और राजनीति दोनों में उनके सुपर सीनियर हैं। फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है। यहां 435 पोलिंग बूथ पर 4 लाख 7 हजार 944 वोटर मतदान करेंगे। 5. दो महिलाओं के बीच विरासत की जंग भाजपा और सपा दोनों ने महिला कैंडिडेट उतारे हैं। सुचिस्मिता मौर्य पूर्व विधायक रामचन्द्र मौर्या की बहू हैं, जबकि डॉ. ज्योति बिंद पूर्व विधायक डॉ. रमेश बिंद की बेटी हैं। बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतार मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में एक बार निषाद पार्टी, एक बार भाजपा और एक बार बसपा ने जीत दर्ज की है। यहां 442 पोलिंग बूथ पर 3 लाख 99 हजार 633 वोटर वोटिंग करेंगे। 6. लालजी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर, धर्मराज को जीत की तलाश अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने यहां 1996, 2002 और 2007 में बसपा के टिकट से विधायक रहे धर्मराज निषाद को टिकट दी है। वह वोटरों से कमबैक कराने की आस में हैं। इस सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। यहां 425 पोलिंग बूथ पर 4 लाख 1 हजार 165 वोटर वोटिंग करेंगे। 7. खैर में राजनीतिक विरासत के लिए लड़ाई जाट लैंड कही जाने वाली अलीगढ़ की खैर रिजर्व सीट है। यहां 6 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां भाजपा ने पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर चुनावी मैदान में हैं। सपा ने बसपा और कांग्रेस में रह चुकीं डॉक्टर चारू कैन को टिकट दिया है। बसपा से पहल सिंह और आजाद समाज पार्टी से नितिन कुमार चोटेल मैदान में हैं। मेन फाइट भाजपा और सपा के बीच मानी जा रही है। दोनों के बीच राजनीतिक विरासत संभालने की जंग भी है। यहां 4 लाख 2 हजार 819 वोटर हैं, जो 426 पोलिंग बूथ पर मतदान करने पहुंचेंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर