शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बागी धडे़ ने आरोप लगाया है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा की अहम भूमिका रही है। उन्होंने ही डेरा प्रमुख को माफी दिलाई है। जस्टिस रणजीत सिंह की किताब में इस चीज का दावा है । सिंह साहिबानों को चंडीगढ़ बुलाकर दवाब बनाया गया। इसके बाद डेरा मुखी को माफी दलाई गई। साथ ही सिख परंपराओं का ध्यान नहीं रखा गया है। जबकि अकाली दल का कहना है कि यह सारी झूठी बयानबाजी है। पार्टी के सीनियर नेता व प्रवक्ता एडवोकेट अर्शदीप सिंह कलेर ने बागी ग्रुप के नेताओं से सवाल किया अगर ऐसी क्या मजबूरी थी कि जो उन्होंने साल 2017, 19, 22 और 24 चुनाव लड़े। इनमें से कुछ नेता डेरे में वोट मांगने गए थे। जब पार्टी और लीडरशिप ने विरोध किया तो इन्हें माफी मांगनी पड़ी और इन्हें तनखैया घोषित किया गया। उन्होंने कुछ नेताओं का नाम पर लेकर उनसे सवाल किया। किसी तरह का कोई ऐसा सबूत नहीं है इससे पहले अकाली दल के सीनियर नेता विरसा सिंह वल्टोहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जो राम रहीम काे माफी दी गई थी, वह उसका पहले दिन से ही विरोध करते आए हैं। उन्होंने कहा कि जो माफी संबंधी बातें कहीं जा रही है। सीएम हाउस में आने से जाने तक सबका रिकॉर्ड होता है। जसिस्ट रणजीत सिंह गिल की रिपोर्ट में इसका लिंक साबित नहीं हुआ है। अकाली दल से जो बाहर जाता है, वह इस तरह की बात करना शुरू कर देता है। अगर यह सही है तो यह नेता पहले बचाव क्यों करते रहे। अब श्री अकाल तख्त साहिब के पास चले गए, मामला जत्थेदार साहिब के पास है। वह विदेश में है। उनका जो भी फैसला आएगा उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञानी गुरबचन सिंह ने राम रहीम को माफी दी थी, उन्होंने ही वापस ली थी। वहीं, पद छोड़ते हुए उन्होंने इसके लिए माफी मांगी थी। साथ ही इसे अपनी सबसे बड़ी गलती बताया था। बागी ग्रुप की हताशा आई सामने वहीं,शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह ने कहा कि बागी ग्रुप किस तरह से हताश है यह उसकी बयानबाजी से ही पता चलता है। कुछ दिन पहले जो लोग कहते थे कि हम अकाल तख्त साहिब को समर्पित है। आज उस अकाल तख्त साहिब पर सवाल खड़ा कर दिया। जत्थेदार को बयान देने तो देते, जिस तरह झूठी बयानबाजी की गई। उससे पता चलता है केंद्रीय एजेंसियों के इशारे पर अकाली दल को तोड़ने वह बुरी तरफ फेल हुए है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में किसी तरह कोई जिक्र नहीं है। राम रहीम को जब भाजपा पैरोल देती है तो तो यह लोग कुछ नहीं बाेलते है। यह था सारा विवाद डेरा प्रमुख राम रहीम कई विवादों में रहे हैं। साल 2007 उनकी एक तस्वीर सामने आई थी। इसमें वह सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह वेशभूषा में थे। सिखों ने इस चीज का विरोध किया। फिर सिखों और डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों में हिंसक झड़पे तक हुईं। इस दौरान कई लोग जख्मी व एक व्यक्ति की जान तक की गई। साल 2015 में डेरे की तरफ से श्री अकाल तख्त से माफी मांग ली है। साथ ही माफी नामे में लिखा कि कि जो आरोप लगे हैं, ऐसा उन्होंने नहीं किया गया और भविष्य में ऐसा करने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें माफ कर दिया गया था। लेकिन इसका विरोध हुआ था। सिख संगठनों ने इसका विरोध किया था। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बागी धडे़ ने आरोप लगाया है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा की अहम भूमिका रही है। उन्होंने ही डेरा प्रमुख को माफी दिलाई है। जस्टिस रणजीत सिंह की किताब में इस चीज का दावा है । सिंह साहिबानों को चंडीगढ़ बुलाकर दवाब बनाया गया। इसके बाद डेरा मुखी को माफी दलाई गई। साथ ही सिख परंपराओं का ध्यान नहीं रखा गया है। जबकि अकाली दल का कहना है कि यह सारी झूठी बयानबाजी है। पार्टी के सीनियर नेता व प्रवक्ता एडवोकेट अर्शदीप सिंह कलेर ने बागी ग्रुप के नेताओं से सवाल किया अगर ऐसी क्या मजबूरी थी कि जो उन्होंने साल 2017, 19, 22 और 24 चुनाव लड़े। इनमें से कुछ नेता डेरे में वोट मांगने गए थे। जब पार्टी और लीडरशिप ने विरोध किया तो इन्हें माफी मांगनी पड़ी और इन्हें तनखैया घोषित किया गया। उन्होंने कुछ नेताओं का नाम पर लेकर उनसे सवाल किया। किसी तरह का कोई ऐसा सबूत नहीं है इससे पहले अकाली दल के सीनियर नेता विरसा सिंह वल्टोहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जो राम रहीम काे माफी दी गई थी, वह उसका पहले दिन से ही विरोध करते आए हैं। उन्होंने कहा कि जो माफी संबंधी बातें कहीं जा रही है। सीएम हाउस में आने से जाने तक सबका रिकॉर्ड होता है। जसिस्ट रणजीत सिंह गिल की रिपोर्ट में इसका लिंक साबित नहीं हुआ है। अकाली दल से जो बाहर जाता है, वह इस तरह की बात करना शुरू कर देता है। अगर यह सही है तो यह नेता पहले बचाव क्यों करते रहे। अब श्री अकाल तख्त साहिब के पास चले गए, मामला जत्थेदार साहिब के पास है। वह विदेश में है। उनका जो भी फैसला आएगा उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञानी गुरबचन सिंह ने राम रहीम को माफी दी थी, उन्होंने ही वापस ली थी। वहीं, पद छोड़ते हुए उन्होंने इसके लिए माफी मांगी थी। साथ ही इसे अपनी सबसे बड़ी गलती बताया था। बागी ग्रुप की हताशा आई सामने वहीं,शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह ने कहा कि बागी ग्रुप किस तरह से हताश है यह उसकी बयानबाजी से ही पता चलता है। कुछ दिन पहले जो लोग कहते थे कि हम अकाल तख्त साहिब को समर्पित है। आज उस अकाल तख्त साहिब पर सवाल खड़ा कर दिया। जत्थेदार को बयान देने तो देते, जिस तरह झूठी बयानबाजी की गई। उससे पता चलता है केंद्रीय एजेंसियों के इशारे पर अकाली दल को तोड़ने वह बुरी तरफ फेल हुए है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में किसी तरह कोई जिक्र नहीं है। राम रहीम को जब भाजपा पैरोल देती है तो तो यह लोग कुछ नहीं बाेलते है। यह था सारा विवाद डेरा प्रमुख राम रहीम कई विवादों में रहे हैं। साल 2007 उनकी एक तस्वीर सामने आई थी। इसमें वह सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह वेशभूषा में थे। सिखों ने इस चीज का विरोध किया। फिर सिखों और डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों में हिंसक झड़पे तक हुईं। इस दौरान कई लोग जख्मी व एक व्यक्ति की जान तक की गई। साल 2015 में डेरे की तरफ से श्री अकाल तख्त से माफी मांग ली है। साथ ही माफी नामे में लिखा कि कि जो आरोप लगे हैं, ऐसा उन्होंने नहीं किया गया और भविष्य में ऐसा करने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें माफ कर दिया गया था। लेकिन इसका विरोध हुआ था। सिख संगठनों ने इसका विरोध किया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अकाली नेता कुलवीर मान ने ये सारी वारदात आधे घंटे के बीच की। उनकी पत्नी रमनदीप कौर कुत्ते के लिए दूध लेने गई थी। जब आधे घंटे बाद वह घर लौटी तो एकदम उनके होश उड़ गए। उन्होंने देखा कि चार लाशें घर में बिखरी पड़ी हैं। रोने-चीखने की आवाज सुनकर पड़ोसी पहुंचे
घर में एक साथ चार लाशें देख रमनदीप कौर रोने-चिल्लाने लगी। उनकी आवाज सुनकर राम राज्य कॉलोनी के लोग पहुंचे और पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलने के बाद पुलिस पहुंची और जांच शुरू की। कनाडा से आई बेटी पर दागी 6 गोलियां
कुलवीर मान ने सबसे ज्यादा गोलियां अपनी 21 वर्षीय बेटी निमरत कौर पर दागीं। वह कुछ समय पहले कनाडा से अपने माता-पिता के साथ छुट्टियां काटने आई थी। कुलवीर ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से 3 गोलियां बेटी पर चलाईं। फिर बुजुर्ग मां पर 2 और कुत्ते को एक गोली मारकर उसका जीवन समाप्त कर डाला। अकाली नेता रहे हैं मान
कुलवीर मान अकाली नेता रहे हैं। बरनाला से अकाली दल के इंचार्ज कुलवंत सिंह कीतू से उनका गहरा नाता भी है। कुलवीर मान यूथ अकाली नेता के तौर पर शहर में सेवा दे चुके हैं। इसके अलावा मान काफी समय तक बाबा काला माहिर स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। समाजसेवी के तौर पर मान की शहर में अच्छी छवि थी। अंदर से लॉक किया गेट
कुलवीर ने वारदात से पहले कोठी के गेट को अंदर से लॉक कर लिया था। जब उनकी पत्नी दूध लेकर लौटी तो गेट अंदर से लॉक था। वह बार-बार घंटी बजाकर आवाज देती रही, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। तब उसने कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्ड की मदद ली। सिक्योरिटी गार्ड राजू ने दीवार फांद कर अंदर से मुख्य दरवाजा खोला। तब रमनदीप कौर अंदर दाखिल हुई। कुछ समय पहले ही खरीदी थी कोठी
कुलवीर मान पहले संघेटा रोड पर बाबा काला माहिर खेल स्टेडियम के पास रहते थे। थोड़े समय पहले ही उन्होंने 2 करोड़ रुपए की खर्च कर शहर के ठीकरीवाला रोड पर राम राज्य कॉलोनी में यह नई कोठी ली थी। उन्होंने कनाडा में रहकर पढ़ाई कर रही अपनी बेटी को भी कनाडा में घर लेकर दिया था। पुलिस बोली- डिप्रेशन में थे मान
बरनाला के DSP सिटी सतवीर सिह बैंस ने बताया है कि पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि कुलवीर सिंह मान डिप्रेशन में थे और इसकी वह दवाई भी ले रहे थे। थोड़े समय पहले ही उन्होंने सर्जरी भी करवाई थी। उन्हें नींद में भी दिक्कत थी। घर में लगे CCTV में वारदात कैद
DSP ने कहा कि घर में लगे CCTV कैमरे में दिख रहा है कि कुलवीर ने पहले अपनी बेटी को मारा। फिर अपनी मां और कुत्ते को मारा। इसके बाद खुद को गोली मारी। शवों को सिविल अस्पताल भेज दिया है। आज उनका पोस्टमॉर्टम होगा। कुलवीर की पत्नी के बयान के बाद पुलिस ने धारा 174 के तहत कार्रवाई शुरू की है।