मैनपुरी की करहल सीट को सपा अपना मजबूत गढ़ मानती है। दो दिन पहले तक इस सीट पर एकतरफा चुनाव दिखाई दे रहा था। लेकिन, 24 अक्टूबर को भाजपा ने जैसे ही अनुजेश यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। सीट चर्चा में आ गई। भाजपा ने यहां ‘यादव कार्ड’ खेलकर खुद को मजबूत मुकाबले में खड़ा कर दिया है। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं। करहल में अब सपा बनाम भाजपा नहीं, बल्कि यादव बनाम यादव की लड़ाई होगी। लेकिन, वोटर्स का इमोशनल कनेक्शन अभी भी सपा के साथ है। भाजपा ने यहां पूरी ताकत झोंक रखी है। अखिलेश यादव ने खुद कमान संभाल रखी है। तेज प्रताप यादव के नामांकन के दौरान वह मौजूद रहे। इसके बाद चुनावी जनसभा करने पहुंचे। मैनपुरी सांसद डिंपल यादव भी तेज प्रताप यादव के लिए लगातार कैंपेनिंग कर रही हैं। साफ मैसेज दिया जा रहा है- हमारी सीट थी, हमारा परिवार है, और हमें ही जीतना है। करहल में क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? माहौल किसके पक्ष में है और क्यों है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। करहल के समीकरण 4 पॉइंट में समझिए… 1. 3 सितंबर को सीएम योगी ने यहां जनसभा की। जनसभा के 51 दिन बाद भाजपा ने प्रत्याशी का ऐलान किया। इससे पहले भाजपा नेता योजनाओं का प्रचार-प्रसार करते हुए वोटर्स को साधते दिखाई दिए। लेकिन, प्रत्याशी की स्थिति साफ नहीं होने पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा। सीएम की जनसभा का भी असर नहीं रहा। 2. अखिलेश यादव पहले साइलेंट रहे। मंगेश यादव एनकाउंटर जैसे मुद्दों से माहौल बनाते रहे। फिर, चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही वह एक्टिव हुए। जिस सीट से विधायक थे, वहां प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया और खुद मोर्चा संभालने करहल पहुंच गए। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट बनता दिखा। 3. सपा ने उपचुनाव के लिए पहले ही प्रत्याशियों को हरी झंडी दिखा दी थी। तेज प्रताप यादव लगातार लोगों से मिलते-जुलते रहे। सम्मेलन और छोटी-छोटी जनसभा भी की। 4. भाजपा इस सीट पर अंतिम बार 22 साल पहले 2002 में जीती थी। 2007 से लगातार सपा इस सीट पर काबिज है। 1993 से 2002 तक भी सपा का इस सीट पर कब्जा रहा। 28 दिन में बदला करहल का माहौल हमने 28 दिन पहले करहल सीट पर ग्राउंड रिपोर्ट की, तब यहां नेता कैंपेनिंग तो कर रहे थे। लेकिन, लोगों में उपचुनाव को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई दी। चुनाव तारीखों की घोषणा, प्रत्याशियों के ऐलान, फिर नामांकन और जनसभा ने माहौल बदल दिया। अब जगह-जगह पोस्टर बैनर लगे दिखाई दिए। सड़कों पर पार्टी के प्रचार वाहन दौड़ रहे हैं। लोगों में भी चुनाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। अब जानते हैं लोगों ने क्या कुछ कहा… लोकेशन की बात करें तो करहल मैनपुरी मुख्यालय से करीब 28 किमी दूर स्थित ग्रामीण क्षेत्र है। यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। सैफई से सटा होने के कारण सैफई परिवार का यहां पर सीधा प्रभाव है। हमने यहां करीब 100 लोगों से बात की। इनमें से ज्यादातर लोगों की प्रतिक्रिया एक जैसी रही। सबसे पहले हम करहल बाजार में पहुंचे। यहां पर अनिल कुमार से मुलाकात हुई। उनका कहना था कि सपा मजबूत है। अनुजेश के भाजपा में आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यादव समाज अखिलेश यादव के साथ है। करहल में विकास केवल सपा ने कराया है। मैनपुरी में चौराहे पर केवल मूर्तियां लगाई गई हैं, यही भाजपा का विकास है। युवा बेरोजगार है। किसान आवारा गोवंश से परेशान हैं। 15 किलोमीटर दूर हम बुझिया गांव पहुंचे। गांव के बाहर हमें जर्मन सिंह मिले। उनका कहना था कि सपा मजबूत है, लेकिन अनुजेश प्रताप के आने से असर पडे़गा। यादवों के वोट कटेंगे। अच्छी फाइट होगी। इसके बाद हम मुख्य बाजार से करीब दो किमी आगे पहुंचे। यहां पर फोटो स्टेट की दुकान चलाने वाले दिव्यांग शील रतन बौद्ध से मिले। शील रतन ने कहा – हम तो विकास को लेकर वोट करेंगे। यहां पर सपा ने ही विकास कराया है। भाजपा का कोई विकास नहीं दिखता। जो विकास है, वो भाजपा नेताओं के घर में है। शील रतन बौद्ध ने कहा- अनुजेश के भाजपा में आने से कोई फर्क नहीं पडे़गा। समय आने पर पता चल जाएगा, कौन कितने पानी में है। भाजपा के शासन में आम आदमी परेशान है। महंगाई बड़ा मुद्दा है। आज रसोई गैस 900 रुपए पहुंच गई, सब्सिडी केवल 26 रुपए आती है। उदयवीर कश्यप ने कहा- भाजपा की योजनाएं बहुत अच्छी हैं। यहां भाजपा जीतेगी, क्योंकि लोगों तक सरकार की योजनाएं पहुंची हैं। कानून व्यवस्था भी अच्छी हुई है। करहल बाजार का हाल जानने के बाद हम वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर बासख गांव में पहुंचे। गांव की आधी सड़क बनी थी तो आधी टूटी थी। गांव में घुसते ही एक घर के बाहर कुछ लोग बैठे थे। यहां पर चुनाव को लेकर चर्चा हो रही थी। हम भी उनके बीच में पहुंच गए। ‘सैफई मेडिकल कॉलेज हमारे लिए वरदान’ हरीराम कश्यप ने बताया कि गांव में 860 वोटर हैं। यहां पर सपा ही मजबूत दिख रही है। इसका कारण है कि गांव में सपा के टाइम में ही काम हुए हैं। सबसे बड़ी समस्या इलाज की थी। नेताजी ने सैफई में मेडिकल कॉलेज बनाकर सबसे बड़ा काम किया। अब इलाज के लिए आगरा नहीं जाना पड़ता। उदयवीर कश्यप का कहना है कि इस बार भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर होगी। करहल में यादव ज्यादा हैं तो भाजपा ने सैफई परिवार के यादव को टिकट देकर अच्छा किया है। इससे यादवों का वोट भी मिलेगा। इस बार यादवों के गढ़ में सेंध लगेगी। किला ढहेगा। लोग सुशासन और कानून व्यवस्था पर भाजपा को वोट देंगे। अब जानते हैं वो कौन से फैक्टर हैं, जो चुनाव का रुख बदल सकते हैं… 1. भाजपा ने 2002 का फॉर्मूला चला है। अगर यह हिट हुआ तो रिजल्ट बदल सकते हैं। दरअसल, 22 साल पहले विधानसभा चुनाव भी ‘यादव बनाम यादव’ में हुआ। तब सपा के टिकट पर अनिल यादव और भाजपा के टिकट पर सोबरन सिंह यादव चुनावी मैदान में थे। सोबरन सिंह यादव सपा छोड़कर भाजपा में आए थे। वह इस सीट पर सपा की कमजोरी और ताकत दोनों से ही वाकिफ थे। मुलायम सिंह यादव से लेकर शिवपाल यादव तक ने अनिल यादव को जिताने के लिए करहल में दिन रात एक कर दिया, लेकिन यादव वोट बैंक भाजपा के सोबरन यादव की तरफ शिफ्ट हो गया और भाजपा को यहां से जीत मिली। हालांकि, जीत का मार्जिन 952 वोट था। 2. करहल में मुद्दों से ज्यादा कास्ट फैक्टर काम करता है। सपा यादव वोट बैंक के अलावा मुस्लिम और एससी वोटर्स को अपना मानती है। भाजपा ने यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बहनोई अनुजेश प्रताप को उतारा है। इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य और ठाकुर वोट बैंक को साधने के लिए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को जिम्मेदारी है। ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को ग्राउंड पर उतारा है। 3. करहल, बरनाहल, रठौरा, जसवंतपुर, गढ़िया, भदौलपुर, डालीपुर, नवाटेढ़ा, शाहांपुरा में सपा मजबूत स्थिति में है। यही वो क्षेत्र हैं, जहां से सपा को रिकॉर्ड वोट मिलते हैं। ऐसे में अनुजेश प्रताप के भाजपा में आने से बरनाहल, नवाटेढ़ा सपा को नुकसान हो सकता है। घिरोर में अनुजेश का प्रभाव होने के चलते यहां पर भाजपा और मजबूत होगी। 4. बसपा ने डॉ. अवनीश शाक्य को मैदान में उतारा है। करहल में करीब 80 हजार शाक्य वोटर हैं, जिसे सपा अपना वोटर मानती है। लेकिन, शाक्य प्रत्याशी उतार बसपा सपा को नुकसान पहुंचा सकती है। 5. अनुजेश प्रताप सिंह की पत्नी संध्या यादव 2015 से 2020 तक मैनुपरी से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। भाजपा इसका भी फायदा लेकर सपा का गणित गड़बड़ाने की कोशिश करेगी। 6. आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने भी यहां अपना कैंडिडेट उतारा है। ऐसे में दलित वोट बैंक अगर बसपा और चंद्रशेखर की तरफ शिफ्ट होता है, तब इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। अब जानते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय… मैनपुरी के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज कुमार ने बताया- इस बार करहल में चुनाव रोचक होगा। सपा यहां पर मजबूत स्थिति में है, मगर अनुजेश के आने से नुकसान तो होगा। भाजपा को इसका फायदा मिलेगा। भाजपा ने अखिलेश यादव के खिलाफ प्रो. एसपी सिंह बघेल को उतारकर चुनाव मजबूती से लड़ा था। इस बार भी भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोडे़गी। राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु त्रिपाठी ने कहा- भाजपा ने यादव बेल्ट में अनुजेश को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। पहले ये माना जा रहा था कि सपा एक तरफा लीड ले लेगी, लेकिन अब मुकाबला रोचक होगा। अनुजेश का भी उस क्षेत्र में प्रभाव है। इस चुनाव में सपा के आगे पिछले चुनाव की तरह जीत का बड़ा अंतर बनाए रखना चुनौती होगा। क्या कहते हैं सपा और भाजपा के नेता… भाजपा के मंडल अध्यक्ष कलपेंद्र भारती ने कहा- अनुजेश प्रताप सैफई परिवार से जुडे़ होने से पहले भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। सपा का गढ़ होने से पहले ये अनुजेश प्रताप का गढ़ है। यहां से उनके बाबा और माताजी विधायक रह चुकी हैं। भाजपा की बड़ी जीत होगी। हम हर घर-घर जाएंगे, लोगों को सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों को बताएंगे। बसपा के शाक्य प्रत्याशी उतारने से भाजपा पर कोई असर नहीं पडे़गा। सपा के जिला महासचिव रामलाल बाथम ने कहा- करहल विधानसभा में सपा का कोई मुकाबला नहीं है। मुलायम सिंह जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का विकास कार्य जनता के बीच में हैं। भाजपा लोगों को राशन के नाम पर बहलाने की कोशिश कर रही है। सपा सुशासन, चिकित्सा, शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा कराने के लिए लगी है। तेज प्रताप यादव पहले मैनपुरी के सांसद रहे हैं। उन्होंने बहुत विकास कार्य कराया। उनका मृदुल स्वभाव आज भी लोगों को याद है। उनकी एक लाख वोट से ज्यादा की जीत होगी। लोकसभा चुनाव में करहल से सपा को रिकॉर्ड वोट मिले अब जानते हैं पिछले तीन चुनाव का रिजल्ट ……………………………………… यह खबर भी पढ़ें ‘संजय निषाद ने टिकट के बदले शोषण किया’: दावेदार बोले- मझवां सीट पर उप चुनाव में किया था वादा; दिल्ली बुलाकर 10 लाख लिए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद पर टिकट के बदले शोषण किए जाने का आरोप लगा है। मामला मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट से जुड़ा है। जहां निषाद पार्टी के हरिशंकर बिंद और उनकी पत्नी पुष्पलता ने संजय निषाद पर धोखा देने का आरोप लगाया है। पढ़ें पूरी खबर… मैनपुरी की करहल सीट को सपा अपना मजबूत गढ़ मानती है। दो दिन पहले तक इस सीट पर एकतरफा चुनाव दिखाई दे रहा था। लेकिन, 24 अक्टूबर को भाजपा ने जैसे ही अनुजेश यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। सीट चर्चा में आ गई। भाजपा ने यहां ‘यादव कार्ड’ खेलकर खुद को मजबूत मुकाबले में खड़ा कर दिया है। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं। करहल में अब सपा बनाम भाजपा नहीं, बल्कि यादव बनाम यादव की लड़ाई होगी। लेकिन, वोटर्स का इमोशनल कनेक्शन अभी भी सपा के साथ है। भाजपा ने यहां पूरी ताकत झोंक रखी है। अखिलेश यादव ने खुद कमान संभाल रखी है। तेज प्रताप यादव के नामांकन के दौरान वह मौजूद रहे। इसके बाद चुनावी जनसभा करने पहुंचे। मैनपुरी सांसद डिंपल यादव भी तेज प्रताप यादव के लिए लगातार कैंपेनिंग कर रही हैं। साफ मैसेज दिया जा रहा है- हमारी सीट थी, हमारा परिवार है, और हमें ही जीतना है। करहल में क्या राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं? क्या यहां बड़ा उलटफेर होगा? माहौल किसके पक्ष में है और क्यों है? ये जानने दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची। करहल के समीकरण 4 पॉइंट में समझिए… 1. 3 सितंबर को सीएम योगी ने यहां जनसभा की। जनसभा के 51 दिन बाद भाजपा ने प्रत्याशी का ऐलान किया। इससे पहले भाजपा नेता योजनाओं का प्रचार-प्रसार करते हुए वोटर्स को साधते दिखाई दिए। लेकिन, प्रत्याशी की स्थिति साफ नहीं होने पर ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा। सीएम की जनसभा का भी असर नहीं रहा। 2. अखिलेश यादव पहले साइलेंट रहे। मंगेश यादव एनकाउंटर जैसे मुद्दों से माहौल बनाते रहे। फिर, चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही वह एक्टिव हुए। जिस सीट से विधायक थे, वहां प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया और खुद मोर्चा संभालने करहल पहुंच गए। यह सपा के लिए प्लस पॉइंट बनता दिखा। 3. सपा ने उपचुनाव के लिए पहले ही प्रत्याशियों को हरी झंडी दिखा दी थी। तेज प्रताप यादव लगातार लोगों से मिलते-जुलते रहे। सम्मेलन और छोटी-छोटी जनसभा भी की। 4. भाजपा इस सीट पर अंतिम बार 22 साल पहले 2002 में जीती थी। 2007 से लगातार सपा इस सीट पर काबिज है। 1993 से 2002 तक भी सपा का इस सीट पर कब्जा रहा। 28 दिन में बदला करहल का माहौल हमने 28 दिन पहले करहल सीट पर ग्राउंड रिपोर्ट की, तब यहां नेता कैंपेनिंग तो कर रहे थे। लेकिन, लोगों में उपचुनाव को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई दी। चुनाव तारीखों की घोषणा, प्रत्याशियों के ऐलान, फिर नामांकन और जनसभा ने माहौल बदल दिया। अब जगह-जगह पोस्टर बैनर लगे दिखाई दिए। सड़कों पर पार्टी के प्रचार वाहन दौड़ रहे हैं। लोगों में भी चुनाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। अब जानते हैं लोगों ने क्या कुछ कहा… लोकेशन की बात करें तो करहल मैनपुरी मुख्यालय से करीब 28 किमी दूर स्थित ग्रामीण क्षेत्र है। यहां लोगों का मुख्य पेशा खेती और पशुपालन है। सैफई से सटा होने के कारण सैफई परिवार का यहां पर सीधा प्रभाव है। हमने यहां करीब 100 लोगों से बात की। इनमें से ज्यादातर लोगों की प्रतिक्रिया एक जैसी रही। सबसे पहले हम करहल बाजार में पहुंचे। यहां पर अनिल कुमार से मुलाकात हुई। उनका कहना था कि सपा मजबूत है। अनुजेश के भाजपा में आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यादव समाज अखिलेश यादव के साथ है। करहल में विकास केवल सपा ने कराया है। मैनपुरी में चौराहे पर केवल मूर्तियां लगाई गई हैं, यही भाजपा का विकास है। युवा बेरोजगार है। किसान आवारा गोवंश से परेशान हैं। 15 किलोमीटर दूर हम बुझिया गांव पहुंचे। गांव के बाहर हमें जर्मन सिंह मिले। उनका कहना था कि सपा मजबूत है, लेकिन अनुजेश प्रताप के आने से असर पडे़गा। यादवों के वोट कटेंगे। अच्छी फाइट होगी। इसके बाद हम मुख्य बाजार से करीब दो किमी आगे पहुंचे। यहां पर फोटो स्टेट की दुकान चलाने वाले दिव्यांग शील रतन बौद्ध से मिले। शील रतन ने कहा – हम तो विकास को लेकर वोट करेंगे। यहां पर सपा ने ही विकास कराया है। भाजपा का कोई विकास नहीं दिखता। जो विकास है, वो भाजपा नेताओं के घर में है। शील रतन बौद्ध ने कहा- अनुजेश के भाजपा में आने से कोई फर्क नहीं पडे़गा। समय आने पर पता चल जाएगा, कौन कितने पानी में है। भाजपा के शासन में आम आदमी परेशान है। महंगाई बड़ा मुद्दा है। आज रसोई गैस 900 रुपए पहुंच गई, सब्सिडी केवल 26 रुपए आती है। उदयवीर कश्यप ने कहा- भाजपा की योजनाएं बहुत अच्छी हैं। यहां भाजपा जीतेगी, क्योंकि लोगों तक सरकार की योजनाएं पहुंची हैं। कानून व्यवस्था भी अच्छी हुई है। करहल बाजार का हाल जानने के बाद हम वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर बासख गांव में पहुंचे। गांव की आधी सड़क बनी थी तो आधी टूटी थी। गांव में घुसते ही एक घर के बाहर कुछ लोग बैठे थे। यहां पर चुनाव को लेकर चर्चा हो रही थी। हम भी उनके बीच में पहुंच गए। ‘सैफई मेडिकल कॉलेज हमारे लिए वरदान’ हरीराम कश्यप ने बताया कि गांव में 860 वोटर हैं। यहां पर सपा ही मजबूत दिख रही है। इसका कारण है कि गांव में सपा के टाइम में ही काम हुए हैं। सबसे बड़ी समस्या इलाज की थी। नेताजी ने सैफई में मेडिकल कॉलेज बनाकर सबसे बड़ा काम किया। अब इलाज के लिए आगरा नहीं जाना पड़ता। उदयवीर कश्यप का कहना है कि इस बार भाजपा और सपा में कड़ी टक्कर होगी। करहल में यादव ज्यादा हैं तो भाजपा ने सैफई परिवार के यादव को टिकट देकर अच्छा किया है। इससे यादवों का वोट भी मिलेगा। इस बार यादवों के गढ़ में सेंध लगेगी। किला ढहेगा। लोग सुशासन और कानून व्यवस्था पर भाजपा को वोट देंगे। अब जानते हैं वो कौन से फैक्टर हैं, जो चुनाव का रुख बदल सकते हैं… 1. भाजपा ने 2002 का फॉर्मूला चला है। अगर यह हिट हुआ तो रिजल्ट बदल सकते हैं। दरअसल, 22 साल पहले विधानसभा चुनाव भी ‘यादव बनाम यादव’ में हुआ। तब सपा के टिकट पर अनिल यादव और भाजपा के टिकट पर सोबरन सिंह यादव चुनावी मैदान में थे। सोबरन सिंह यादव सपा छोड़कर भाजपा में आए थे। वह इस सीट पर सपा की कमजोरी और ताकत दोनों से ही वाकिफ थे। मुलायम सिंह यादव से लेकर शिवपाल यादव तक ने अनिल यादव को जिताने के लिए करहल में दिन रात एक कर दिया, लेकिन यादव वोट बैंक भाजपा के सोबरन यादव की तरफ शिफ्ट हो गया और भाजपा को यहां से जीत मिली। हालांकि, जीत का मार्जिन 952 वोट था। 2. करहल में मुद्दों से ज्यादा कास्ट फैक्टर काम करता है। सपा यादव वोट बैंक के अलावा मुस्लिम और एससी वोटर्स को अपना मानती है। भाजपा ने यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बहनोई अनुजेश प्रताप को उतारा है। इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य और ठाकुर वोट बैंक को साधने के लिए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को जिम्मेदारी है। ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को ग्राउंड पर उतारा है। 3. करहल, बरनाहल, रठौरा, जसवंतपुर, गढ़िया, भदौलपुर, डालीपुर, नवाटेढ़ा, शाहांपुरा में सपा मजबूत स्थिति में है। यही वो क्षेत्र हैं, जहां से सपा को रिकॉर्ड वोट मिलते हैं। ऐसे में अनुजेश प्रताप के भाजपा में आने से बरनाहल, नवाटेढ़ा सपा को नुकसान हो सकता है। घिरोर में अनुजेश का प्रभाव होने के चलते यहां पर भाजपा और मजबूत होगी। 4. बसपा ने डॉ. अवनीश शाक्य को मैदान में उतारा है। करहल में करीब 80 हजार शाक्य वोटर हैं, जिसे सपा अपना वोटर मानती है। लेकिन, शाक्य प्रत्याशी उतार बसपा सपा को नुकसान पहुंचा सकती है। 5. अनुजेश प्रताप सिंह की पत्नी संध्या यादव 2015 से 2020 तक मैनुपरी से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। भाजपा इसका भी फायदा लेकर सपा का गणित गड़बड़ाने की कोशिश करेगी। 6. आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने भी यहां अपना कैंडिडेट उतारा है। ऐसे में दलित वोट बैंक अगर बसपा और चंद्रशेखर की तरफ शिफ्ट होता है, तब इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। अब जानते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय… मैनपुरी के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज कुमार ने बताया- इस बार करहल में चुनाव रोचक होगा। सपा यहां पर मजबूत स्थिति में है, मगर अनुजेश के आने से नुकसान तो होगा। भाजपा को इसका फायदा मिलेगा। भाजपा ने अखिलेश यादव के खिलाफ प्रो. एसपी सिंह बघेल को उतारकर चुनाव मजबूती से लड़ा था। इस बार भी भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोडे़गी। राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु त्रिपाठी ने कहा- भाजपा ने यादव बेल्ट में अनुजेश को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। पहले ये माना जा रहा था कि सपा एक तरफा लीड ले लेगी, लेकिन अब मुकाबला रोचक होगा। अनुजेश का भी उस क्षेत्र में प्रभाव है। इस चुनाव में सपा के आगे पिछले चुनाव की तरह जीत का बड़ा अंतर बनाए रखना चुनौती होगा। क्या कहते हैं सपा और भाजपा के नेता… भाजपा के मंडल अध्यक्ष कलपेंद्र भारती ने कहा- अनुजेश प्रताप सैफई परिवार से जुडे़ होने से पहले भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। सपा का गढ़ होने से पहले ये अनुजेश प्रताप का गढ़ है। यहां से उनके बाबा और माताजी विधायक रह चुकी हैं। भाजपा की बड़ी जीत होगी। हम हर घर-घर जाएंगे, लोगों को सरकार की जन कल्याणकारी नीतियों को बताएंगे। बसपा के शाक्य प्रत्याशी उतारने से भाजपा पर कोई असर नहीं पडे़गा। सपा के जिला महासचिव रामलाल बाथम ने कहा- करहल विधानसभा में सपा का कोई मुकाबला नहीं है। मुलायम सिंह जी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का विकास कार्य जनता के बीच में हैं। भाजपा लोगों को राशन के नाम पर बहलाने की कोशिश कर रही है। सपा सुशासन, चिकित्सा, शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा कराने के लिए लगी है। तेज प्रताप यादव पहले मैनपुरी के सांसद रहे हैं। उन्होंने बहुत विकास कार्य कराया। उनका मृदुल स्वभाव आज भी लोगों को याद है। उनकी एक लाख वोट से ज्यादा की जीत होगी। लोकसभा चुनाव में करहल से सपा को रिकॉर्ड वोट मिले अब जानते हैं पिछले तीन चुनाव का रिजल्ट ……………………………………… यह खबर भी पढ़ें ‘संजय निषाद ने टिकट के बदले शोषण किया’: दावेदार बोले- मझवां सीट पर उप चुनाव में किया था वादा; दिल्ली बुलाकर 10 लाख लिए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद पर टिकट के बदले शोषण किए जाने का आरोप लगा है। मामला मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट से जुड़ा है। जहां निषाद पार्टी के हरिशंकर बिंद और उनकी पत्नी पुष्पलता ने संजय निषाद पर धोखा देने का आरोप लगाया है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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