भाजपा सांसद व एक्ट्रेस कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी की रिलीज अटक सकती है। दरअसल, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड ने साफ कर दिया है कि इस फिल्म को अभी तक सर्टिफिकेट ही जारी नहीं किया गया। जबकि फिल्म को रिलीज करने के लिए मात्र 6 दिन ही शेष बचे हैं। फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ एडवोकेट ईमान सिंह खारा की तरफ से याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में हुई। एडवोकेट ईमान सिंह खारा का कहना है कि कोर्ट में सेंसर बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल किया है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस फिल्म को अभी तक रिलीज के लिए सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया। जवाब के अनुसार फिल्म के खिलाफ कई शिकायतें हैं। शिकायतों को सुने जाने के बाद ही फिल्म को सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। एसजीपीसी ने सीन डिलीट करने की मांग रखी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य गुरचरण सिंह गरेवाल ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सूचना और प्रसारण मंत्री के साथ-साथ सेंसर बोर्ड को भी पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया कि हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। फिल्म का विरोध सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे कि इसमें कंगना रनोट हैं। हमारा रुख हमारे तर्क पर आधारित है। गुरुद्वारा कमेटी ने भी एक कानूनी नोटिस जारी किया था और कुछ सदस्यों ने अपनी रिट याचिका दायर करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। कंगना की फिल्म का प्रमोशन रोक दिया गया है, ये तो 6 सितंबर को ही पता चलेगा। कंगना अपनी फिल्म को प्रमोट करने के लिए बहुत कुछ करती हैंद्ध उनका कहना है कि उन्हें रेप और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। ये सब फिल्म प्रमोशन के स्टंट हैं, लेकिन अगर सेंसर बोर्ड ने यह (फिल्म को पास न करने का) फैसला किया है, तो यह एक अच्छी बात है, क्योंकि यह मामला सिर्फ सिखों से जुड़ा नहीं है, यह देश में सद्भाव की चिंताओं से भी जुड़ा है। कंगना का दावा, सेंसर वालों को आ रहीं धमकियां फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रोके जाने पर कंगना रनोट ने अपना एक वीडियो भी बीते दिन जारी किया था। जिस पर कंगना ने दावा किया है कि सेंसर वालों को धमकियां आ रही हैं, जिसके चलते फिल्म की रिलीज को रोका गया है। वीडियो में कंगना ने कहा- कई तरह की अफवाहें उड़ रही हैं कि हमारी फिल्म इमरजेंसी को सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है। इट इज नॉट ट्रू (ये सच नहीं है)। इनफैक्ट, हमारी फिल्म क्लीयर हो गई थी, लेकिन उसकी सर्टिफिकेशन रोक ली गई है। क्योंकि, बहुत ज्यादा धमकियां आ रही हैं, जान से मार देने की। सेंसर वालों को बहुत ज्यादा धमकियां आ रही हैं। तो हम पर ये प्रेशर है कि मिसेज गांधी की असेसिनेशन ना दिखाई जाए। भिंडरांवाला को ना दिखाएं। पंजाब रॉयट्स ना दिखाएं। आई डोंट नो (मुझे नहीं पता) फिर क्या दिखाएं। क्या हुआ कि फिल्म अचानक से ब्लैक-आउट हो जाती है। दिस इज अनब्लीवेबल टाइम फोर मी ( ये मेरे लिए अविश्वसनीय समय है)। आई एम वैरी सॉरी फॉर द स्टेट ऑफ थिंग्स इन दिस कंट्री (मुझे इस देश की स्थिति पर बहुत खेद है)। पंजाब सहित तेलंगाना भी बैन लगाने की तैयारी में पंजाब में विवाद के बाद आम आदमी पार्टी के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बीते दिन ही संकेत दिया था कि फिल्म को पंजाब में रिलीज के लिए रोका जा सकता है। पंजाब के अलावा तेलंगाना भी इस फिल्म की रिलीज पर बैन लगाने की तैयारी में है। दोनों राज्यों में सिख संगठन की मांग के बाद ही इस पर बैन लगाने पर विचार किया जा रहा है। कंगना सहित जी-स्टूडियो को भेजा जा चुका नोटिस इससे पहले SGPC प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी फिल्म अदाकारा कंगना रनोट के खिलाफ FIR की मांग कर चुके हैं। एडवोकेट धामी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा था कि कंगना रनोट अक्सर जानबूझकर सिखों की भावनाओं को भड़काने वाली बातें करती रही हैं। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचा रही है। सरकार को कंगना रनोट के खिलाफ फिल्म इमरजेंसी के जरिए सिखों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज करना चाहिए। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह भी फिल्म पर कड़े ऐतराज जता चुके हैं और फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा एसजीपीसी की तरफ से कंगना रनोट सहित फिल्म का ट्रेलर रिलीज करने वाले जी-स्टूडियो को भी नोटिस भेजा जा चुका है। सांसद सर्बजीत खालसा ने उठाया था मामला ये मामला सबसे पहले पंजाब के फरीदकोट से निर्वाचित सांसद सर्बजीत सिंह खालसा की तरफ से अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर उठाया गया था। सर्बजीत खालसा ने ब्रॉडकास्ट मंत्रालय से इस फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग रखी थी। उनकी तरफ से ऐतराज उठाए जाने के बाद ही ये मामला श्री अकाल तख्त साहिब व एसजीपीसी के ध्यान में आया था। फिल्म में दिखाया आतंकवाद का दौर, भिंडरांवाले का कैरेक्टर भी रखा कंगना ने कुछ दिन पहले इस फिल्म का ट्रेलर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था। जिसमें पंजाब में 1980 के दशक में आतंकवाद के दौर को भी दिखाया गया है। इसमें एक कैरेक्टर को जरनैल सिंह भिंडरांवाला भी बनाया गया है, जिसे कट्टरपंथी सिख संत के तौर पर देखते हैं। सर्बजीत खालसा का मानना है कि फिल्म में ब्लू स्टार ऑपरेशन को लेकर भी फिल्माया गया है, जो जरनैल सिंह भिंडरांवाला को खत्म करने के लिए ही चलाया गया था। भाजपा सांसद व एक्ट्रेस कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी की रिलीज अटक सकती है। दरअसल, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड ने साफ कर दिया है कि इस फिल्म को अभी तक सर्टिफिकेट ही जारी नहीं किया गया। जबकि फिल्म को रिलीज करने के लिए मात्र 6 दिन ही शेष बचे हैं। फिल्म इमरजेंसी के खिलाफ एडवोकेट ईमान सिंह खारा की तरफ से याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में हुई। एडवोकेट ईमान सिंह खारा का कहना है कि कोर्ट में सेंसर बोर्ड ने अपना जवाब दाखिल किया है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस फिल्म को अभी तक रिलीज के लिए सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया। जवाब के अनुसार फिल्म के खिलाफ कई शिकायतें हैं। शिकायतों को सुने जाने के बाद ही फिल्म को सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। एसजीपीसी ने सीन डिलीट करने की मांग रखी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य गुरचरण सिंह गरेवाल ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सूचना और प्रसारण मंत्री के साथ-साथ सेंसर बोर्ड को भी पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया कि हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। फिल्म का विरोध सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे कि इसमें कंगना रनोट हैं। हमारा रुख हमारे तर्क पर आधारित है। गुरुद्वारा कमेटी ने भी एक कानूनी नोटिस जारी किया था और कुछ सदस्यों ने अपनी रिट याचिका दायर करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। कंगना की फिल्म का प्रमोशन रोक दिया गया है, ये तो 6 सितंबर को ही पता चलेगा। कंगना अपनी फिल्म को प्रमोट करने के लिए बहुत कुछ करती हैंद्ध उनका कहना है कि उन्हें रेप और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। ये सब फिल्म प्रमोशन के स्टंट हैं, लेकिन अगर सेंसर बोर्ड ने यह (फिल्म को पास न करने का) फैसला किया है, तो यह एक अच्छी बात है, क्योंकि यह मामला सिर्फ सिखों से जुड़ा नहीं है, यह देश में सद्भाव की चिंताओं से भी जुड़ा है। कंगना का दावा, सेंसर वालों को आ रहीं धमकियां फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रोके जाने पर कंगना रनोट ने अपना एक वीडियो भी बीते दिन जारी किया था। जिस पर कंगना ने दावा किया है कि सेंसर वालों को धमकियां आ रही हैं, जिसके चलते फिल्म की रिलीज को रोका गया है। वीडियो में कंगना ने कहा- कई तरह की अफवाहें उड़ रही हैं कि हमारी फिल्म इमरजेंसी को सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है। इट इज नॉट ट्रू (ये सच नहीं है)। इनफैक्ट, हमारी फिल्म क्लीयर हो गई थी, लेकिन उसकी सर्टिफिकेशन रोक ली गई है। क्योंकि, बहुत ज्यादा धमकियां आ रही हैं, जान से मार देने की। सेंसर वालों को बहुत ज्यादा धमकियां आ रही हैं। तो हम पर ये प्रेशर है कि मिसेज गांधी की असेसिनेशन ना दिखाई जाए। भिंडरांवाला को ना दिखाएं। पंजाब रॉयट्स ना दिखाएं। आई डोंट नो (मुझे नहीं पता) फिर क्या दिखाएं। क्या हुआ कि फिल्म अचानक से ब्लैक-आउट हो जाती है। दिस इज अनब्लीवेबल टाइम फोर मी ( ये मेरे लिए अविश्वसनीय समय है)। आई एम वैरी सॉरी फॉर द स्टेट ऑफ थिंग्स इन दिस कंट्री (मुझे इस देश की स्थिति पर बहुत खेद है)। पंजाब सहित तेलंगाना भी बैन लगाने की तैयारी में पंजाब में विवाद के बाद आम आदमी पार्टी के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बीते दिन ही संकेत दिया था कि फिल्म को पंजाब में रिलीज के लिए रोका जा सकता है। पंजाब के अलावा तेलंगाना भी इस फिल्म की रिलीज पर बैन लगाने की तैयारी में है। दोनों राज्यों में सिख संगठन की मांग के बाद ही इस पर बैन लगाने पर विचार किया जा रहा है। कंगना सहित जी-स्टूडियो को भेजा जा चुका नोटिस इससे पहले SGPC प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी फिल्म अदाकारा कंगना रनोट के खिलाफ FIR की मांग कर चुके हैं। एडवोकेट धामी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा था कि कंगना रनोट अक्सर जानबूझकर सिखों की भावनाओं को भड़काने वाली बातें करती रही हैं। सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचा रही है। सरकार को कंगना रनोट के खिलाफ फिल्म इमरजेंसी के जरिए सिखों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज करना चाहिए। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह भी फिल्म पर कड़े ऐतराज जता चुके हैं और फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा एसजीपीसी की तरफ से कंगना रनोट सहित फिल्म का ट्रेलर रिलीज करने वाले जी-स्टूडियो को भी नोटिस भेजा जा चुका है। सांसद सर्बजीत खालसा ने उठाया था मामला ये मामला सबसे पहले पंजाब के फरीदकोट से निर्वाचित सांसद सर्बजीत सिंह खालसा की तरफ से अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पर उठाया गया था। सर्बजीत खालसा ने ब्रॉडकास्ट मंत्रालय से इस फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग रखी थी। उनकी तरफ से ऐतराज उठाए जाने के बाद ही ये मामला श्री अकाल तख्त साहिब व एसजीपीसी के ध्यान में आया था। फिल्म में दिखाया आतंकवाद का दौर, भिंडरांवाले का कैरेक्टर भी रखा कंगना ने कुछ दिन पहले इस फिल्म का ट्रेलर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था। जिसमें पंजाब में 1980 के दशक में आतंकवाद के दौर को भी दिखाया गया है। इसमें एक कैरेक्टर को जरनैल सिंह भिंडरांवाला भी बनाया गया है, जिसे कट्टरपंथी सिख संत के तौर पर देखते हैं। सर्बजीत खालसा का मानना है कि फिल्म में ब्लू स्टार ऑपरेशन को लेकर भी फिल्माया गया है, जो जरनैल सिंह भिंडरांवाला को खत्म करने के लिए ही चलाया गया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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1. डल्लेवाल पर राज्य सरकार ढिलाई ना बरते
जब पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को भर्ती करना ज्यादा उचित रहेगा। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। आपको हालात संभालने होंगे।” 2. डल्लेवाल का स्वस्थ रहना जरूरी है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “डल्लेवाल पब्लिक पर्सनालिटी हैं। उनके साथ किसानों के हित जुड़े हुए हैं। वो कहते हैं कि 700 किसानों की जिंदगी उनके जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए वो मेडिकल सहायता के लिए मना कर रहे हैं। सरकार के साथ उनके सैद्धांतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन प्रदर्शन के लिए डल्लेवाल का स्वस्थ रहना जरूरी है।” 3. हम कमेटी का गठन कर रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम एक कमेटी का गठन कर रहे हैं, यह प्रक्रिया है। आप किसानों को भरोसा दे सकते हैं। उनकी जो भी उचित मांगें हैं, उन्हें लेकर हम संबंधित पक्षों से बातचीत करेंगे।” 4. सीधे हमारे पास आएं किसान
जब पंजाब सरकार ने कहा कि हमने बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन किसानों ने बातचीत से मना कर दिया। इस पर अदालत ने कहा, “सरकार कह रही है कि किसानों को सीधे कोर्ट में अपनी बात रखने की इजाजत दी जाए। हमारे दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं। वे यहां सीधे आकर सुझाव या मांगें पेश कर सकते हैं या फिर अपना प्रतिनिधि भेज सकते हैं।” शंभू बॉर्डर खोलने के तुरंत आदेश से सुप्रीम कोर्ट इनकार कर चुका
13 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर तुरंत खोलने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पंजाब और हरियाणा सरकार किसानों को हाईवे छोड़कर किसी दूसरी जगह प्रदर्शन शिफ्ट करने या कुछ समय के लिए स्थगित करने के लिए मनाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने किसान नेता डल्लेवाल की सेहत पर भी चिंता जताई थी। कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह डल्लेवाल को फौरन मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाएं। डल्लेवाल से अनशन तुड़वाने के लिए कोई जबरदस्ती न की जाए। शंभू बॉर्डर का मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा, 6 पॉइंट में जानिए… सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले डल्लेवाल ने कहीं थी 3 अहम बातें… 1. आपने केंद्र से बातचीत कराने का प्रयास नहीं किया
मेरी भूख हड़ताल को 22 दिन हो चुके है। शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करते किसानों पर पुलिस ने अत्याचार किए। 40 किसान घायल हुए। किसानों और सरकारों के बीच विश्वास बहाली के लिए कमेटी ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए। केंद्र से बातचीत कराने का भी गंभीर प्रयास नहीं किया। 2. कमेटी इतनी देर बाद सक्रिय हुई
हमें संदेह था कि कमेटियां सिर्फ फॉर्मेलिटी के लिए बनाई जाती हैं। इसके बावजूद 4 नवंबर को आपसे मिले। मगर, कमेटी शंभू और खनौरी बॉर्डर पर नहीं आई। कमेटी इतनी देर बाद सक्रिय हुई। 3. आपसे बैठक करने में असमर्थ, केंद्र से बात करेंगे
हमें कमेटी से ऐसी असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं थी। मेरी मेडिकल स्थिति और शंभू बॉर्डर पर घायल किसानों की स्थिति को देखते हुए हमारे दोनों मोर्चों ने फैसला किया है कि हम आपसे बैठक करने में असमर्थ हैं। अब हमारी मांगों पर जो भी बातचीत होगी, वह केंद्र सरकार से ही होगी। शंभू बॉर्डर पर सल्फास निगलने वाले किसान की मौत
वहीं शंभू बॉर्डर पर 14 दिसंबर को सल्फास निगलने वाले किसान की मौत हो गई है। किसान रणजोध सिंह (57) लुधियाना जिले में खन्ना के गांव रतनहेड़ी का रहने वाला था। वह पिछले शुक्रवार को दिल्ली कूच वाले जत्थे में शामिल था। जब हरियाणा पुलिस ने जत्थे को आगे बढ़ने से रोक दिया तो रणजोध ने सल्फास निगल ली। जिसके बाद उसे पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार सुबह 3 बजे उसकी अस्पताल में मौत हो गई। 2 बच्चों के पिता, बेटी की शादी कर चुके थे
खुदकुशी करने वाले किसान रणजोध सिंह के परिवार में उनकी मां तेज कौर, बेटा सुखदीप सिंह, पत्नी कुलदीप कौर और पिता मेवा सिंह हैं। रणजोध के एक बेटी भी है, जिसकी वे शादी कर चुके हैं। उनके पिता प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का काम करते हैं। उनके साथ रणजोध सिंह भी कभी-कभी लोगों की जमीनों के सौदे करवा देते थे। उनके ताऊ के लड़के कमलदीप सिंह ने बताया कि पहले भी कई बार रणजोध किसान मोर्चे पर गए थे। पिछले करीब 6 दिन से वह मोर्चा के लंगर घर में सेवा कर रहे थे। वहीं से एक सेवादार ने फोन कर उनके सल्फास निगलने की सूचना दी। बहन की शादी, घर बनाने के लिए जमीन बेचनी पड़ी
चचेरे भाई कमलदीप ने बताया कि रणजोध के पास करीब साढ़े 6 किले जमीन थी। जिसे बहन की शादी और घर बनाने के लिए उन्हें बेचना पड़ा। इसके बाद उनका भाई गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया, जिसके इलाज पर भी काफी पैसे खर्च हो गए। मकान बनवाने के लिए भी कर्ज लिया था। इस समय रणजोध के ऊपर रिश्तेदारों और दोस्तों से लिया करीब 5 से 7 लाख का कर्ज है। कमलदीप का कहना है कि रणजोध ने अब तक लिया कर्जा नहीं लौटाया है। उनके घर का गुजर बसर भी कर्ज के सहारे ही चल रहा है। बेटा बोला- पिछले किसान आंदोलन में भी गए थे
रणजोध सिंह के बेटे सुखदीप सिंह ने बताया है कि पिछले किसान आंदोलन में भी रणजोध एक साल तक एक्टिव थे। इस बार के आंदोलन में भी वह 2 बार जा चुके थे। करीब 6 दिन पहले ही वह तीसरी बार शंभू बॉर्डर पर गए थे। शंभू बॉर्डर पर जाने से पहले रणजोध ने बताया था कि उन्होंने किसान नेता सरवण सिंह पंधेर के पास पहले जत्थे में जाने के लिए अपना नाम लिखवा दिया है। इसके बाद वह जत्थे में शामिल हो गए। रणजोध की मां तेज कौर ने बताया कि 8 दिसंबर को रणजोध शंभू बॉर्डर पर गया। उस वक्त वह सबसे मिलता हुआ गया। उसके पास कोई जमीन नहीं बची थी। फिर भी वह कहता जा रहा था कि उसने दिल्ली कूच करने वाले जत्थे में अपना नाम लिखवा दिया है। वह इस बार दिल्ली जाकर ही मानेगा। शुक्रवार को दिल्ली कूच करने वाले जत्थे का हिस्सा थे रणजोध सिंह
रणजोध सिंह शुक्रवार 14 दिसंबर को दिल्ली कूच करने वाले 101 किसानों के जत्थे में शामिल थे। उनका जत्था जब आगे बढ़ा तो हरियाणा पुलिस ने घग्गर नदी पर बने पुल पर रोक लिया। 40 मिनट तक पुलिस से बहस के बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसमें 10 किसान घायल हुए। इसके बाद कूच टाल दिया गया। जब किसान आगे नहीं जा पाए तो इसी दौरान जत्थे में शामिल रणजोध सिंह ने सल्फास निगल लिया। ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ आंदोलन से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… किसान नेता डल्लेवाल को मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा:मेडिकल एक्सपर्ट्स बोले- कैंसर मरीज भूखे नहीं रह सकते; सेल्फ डिस्ट्रक्शन की स्टेज में पहुंच चुके हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 23 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (70) को मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का खतरा है। डल्लेवाल पहले से ही कैंसर के मरीज हैं। अनशन से उनका ब्लड प्रेशर भी लो हो रहा है, जिससे हार्ट अटैक भी आ सकता है। पूरी खबर पढ़ें…
अबोहर में नाबालिग छात्रा ने किया सुसाइड:कक्षा 8 में पढ़ती थी, मोबाइल चलाने पर मां ने डांटा, खुद को किया कमरे में बंद
अबोहर में नाबालिग छात्रा ने किया सुसाइड:कक्षा 8 में पढ़ती थी, मोबाइल चलाने पर मां ने डांटा, खुद को किया कमरे में बंद अबोहर के सुभाष नगर निवासी और अजीमगढ के एक स्कूल में आठवीं में पढने वाली नाबालिग छात्रा ने आज दोपहर अज्ञात कारणों के चलते घर मे फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव को सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। थाना नंबर 2 की पुलिस मामले की जांच कर रही है 14 वर्षीय छात्रा सपना (काल्पिनक नाम) अबोहर के ही एक विद्यालय में आठवीं की छात्रा है और कल उसका पेपर था। आज सुबह घर में वह पढ़ाई करते समय फोन पर किसी से बात कर रही थी। जिस पर उसकी मां ने उसे उसे डांट दिया। इसी बात से नाराज होकर लडकी ने खुद को कमरे में बंद कर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जिसके बाद आनन फानन में परिजनों ने आसपास के लोगों की मदद से दरवजा खोला और उसे तुंरत सरकारी अस्पताल लेकर आए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत करार दे दिया। इधर सिटी टू की पुलिस मामले की जांच कर रही है।