देश में सनातन बोर्ड के लिए आवाज उठाकर कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर सुर्खियों में हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बात करके, धर्म संसद करके वह संतों का समर्थन जुटा रहे हैं। मुस्लिम और हिंदुओं के बीच खाई बढ़ाने के आरोपों पर वह कहते हैं- वक्फ बोर्ड की तरह जमीन हथियाने के लिए नहीं, हम मंदिरों को बचाने के लिए सनातन बोर्ड चाहते हैं। हम अपने मंदिर भी नहीं बचा सकते। क्या देश में मुगलों का शासन है। देवकी नंदन ने कहा- प्रयागराज में अखाड़ा महाकुंभ की व्यवस्थाएं करते हैं। हम यही चाहते हैं कि महाकुंभ में सिर्फ सनातनियों को ही प्रवेश मिले। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर कहते हैं- विपक्ष अगर संभल जा रहा है, तो उन्हें बांग्लादेश के हिंदुओं पर भी बात करनी चाहिए। पढ़िए सनातन धर्म, महाकुंभ और संभल हिंसा पर देवकी नंदन ठाकुर क्या कहते हैं… सवाल : सनातन बोर्ड बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब : बोर्ड का उद्देश्य सनातन परम्पराओं को सुरक्षित रखना होगा। फिर वह गो सेवा हो, मंदिर व्यवस्था हो या बच्चों में संस्कार के रूप में हो। मंदिरों में अव्यवस्था हो रही है, क्योंकि हर किसी का व्यवसायीकरण नहीं हो सकता है। कुछ चीजों को सिर्फ धर्म की दृष्टि से देखना होगा। सवाल : बोर्ड बन जाने से सनातनियों की रक्षा कैसे होगी?
जवाब : धर्म की दृष्टि क्या होगी? यह हमारे धर्माचार्य डिसाइड करेंगे। मैं कुछ नहीं हूं…हमारे शंकराचार्य और धर्माचार्य इसे आगे बढ़ाएंगे। वही यह सनातन बोर्ड संचालित करेंगे। सवाल : आप कहते हैं कि वक्फ जमीन कब्जा करता है, सनातन बोर्ड क्या करेगा?
जवाब : हम जमीन हथियाने के लिए नहीं, बल्कि बचाने के लिए बोर्ड की मांग कर रहे हैं। हम देश में ही एक और पाकिस्तान नहीं बनना चाहते हैं। हमारे मंदिर भी किसी के अंडर में ना हो जाएं और उसे भी कोई नोटिस ना दे, इसके लिए सनातन बोर्ड चाहिए। क्या अब हम अपने मंदिर भी नहीं बचा सकते। मुगलों का शासन है क्या, देश में। सवाल : महाकुंभ का आयोजन हो रहा, व्यवस्थाओं पर क्या कहेंगे?
जवाब : महाकुंभ में सिर्फ सनातनियों का ही प्रवेश होना चाहिए, हम यही मांग करते हैं। सवाल : धर्म संसद करके, हिंदू और मुस्लिमों के बीच क्या खाई नहीं खड़ी हो रही?
जवाब : आप किस खाई की बात करते हैं। क्या वक्फ बोर्ड मैंने बनाया है, कॉलेज और एयरपोर्ट को नोटिस मैं भेज रहा हूं। 1500 साल पुराना मंदिर मेरा है क्या? आप सब करते चले जाइए, हम आवाज भी उठाएं तो खाई खोद रहे हैं। वह भाई हैं, वह हमारे ही घर में चोरी कर रहे हैं और हम आवाज भी न उठाएं। सवाल : धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा का विरोध हुआ…क्या हिंदू जागृत होगा?
जवाब : यात्राओं का विषय नहीं है, बात तो अब सनातन बोर्ड की हो रही है। मैं इस बोर्ड को बनाने की मांग करता हूं, जिसको समर्थन करना है, कर सकता है। सवाल : संभल हिंसा पर क्या कहेंगे? राहुल वहां जा रहे, बांग्लादेश पर कुछ भी बोलते?
जवाब : अगर विपक्ष के लोग संभल की घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त करने जा रहे हैं, तो बांग्लादेश की भी घटना पर बोले…आवाज उठाएं। वह वहां नहीं जा सकते हैं, क्योंकि वह दूसरा देश है। 6 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर
देवकी नंदन ठाकुर का जन्म 12 सितंबर, 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के ओहावा गांव के एक ब्राह्मण परिवार से हैं। पिता राजवीर शर्मा और माता अनसुईया देवी ने उनका नाम देवकी प्रसाद शर्मा रखा था। देवकी नंदन ने बताया, जब वो थोड़े बड़े हुए तब उनके गांव तक टेंपो तक नहीं जाती थी। बस पकड़ने के लिए उन्हें और उनके परिवार को 6 किमी तक पैदल चल कर जाना पड़ता था। देवकी नंदन की मां श्रीमद्भागवत गीता में काफी विश्वास रखती थींं। उनके अलावा उनके 4 भाई और 2 बहनें भी हैं। 6 साल की उम्र में वह घर छोड़कर वृंदावन पहुंचे और ब्रज के रासलीला संस्थान ने उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। रासलीला में उन्होंने भगवान कृष्ण और भगवान राम की भूमिका निभाई। श्रीकृष्ण यानी ठाकुरजी की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने खूब चर्चाएं बटोरीं। 13 साल में कंठस्थ कर लिया श्रीमद्भागवत पुराण, गुरु ने दिया नाम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवकी नंदन को 13 साल की उम्र में ही श्रीमद्भागवत पुराण कंठस्थ हो गई थी। इसके साथ ही उन्होंने निंबार्क संप्रदाय के अनुयायी के रूप में गुरु-शिष्य की परंपरा के तौर पर दीक्षा ली। देवकी नंदन ठाकुर महाराज गुरु आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी ने इनका नाम देवकी नंदन ठाकुर महाराज रखा। उनकी प्रतिभा और बोलने की कला के कारण इन्हें श्रीमद्भागवत पुराण के वाचन का कार्य सौंपा गया। 18 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के शाहदरा में श्रीराम मंदिर में श्रीमद्भागवत महापुराण के उपदेश दिए। इसके बाद उन्होंने कई जगहों पर श्रीकृष्ण और राम कथा का वाचन किया। धीरे-धीरे उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने लगी। साल 2001 के बाद से वह मलेशिया, थाईलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे, हांगकांग जैसे देशों में भी प्रवचन कर चुके हैं। उनका विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट भी है। 2015 में योगी ने यूपी रत्न अवॉर्ड दिया
देवकी नंदन के धर्मार्थ कार्यों के लिए साल 2015 में उन्हें उत्तर प्रदेश रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। CM योगी आदित्यनाथ ने खुद ये अवॉर्ड उन्हें दिया था। श्री ब्राह्मण महासंघ ने उन्हें अचार्यिंद्र के पद के साथ सम्मानित किया है।
—————————- ये भी पढ़ें… ‘ज्ञानवापी चैप्टर वक्फ बोर्ड की देन’:वाराणसी में देवकीनंदन बोले- मंदिर सरकार के अधीन, तभी ये दुर्दशा, प्रसाद में चर्बी खाकर चुप बैठें? वाराणसी में रविवार को कथावाचक देवकी नंदन ने कहा- जब हम आजाद हुए, उसके बाद मुस्लिम धर्म के लिए इस्लामिक नाम से पाकिस्तान बना दिया गया। ज्ञानवापी चैप्टर वक्फ बोर्ड की देन है। अगर वक्फ बोर्ड नहीं होता, तो बाबा विश्वनाथ के लिए इतनी लंबी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती…(पढ़ें पूरी खबर) देश में सनातन बोर्ड के लिए आवाज उठाकर कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर सुर्खियों में हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बात करके, धर्म संसद करके वह संतों का समर्थन जुटा रहे हैं। मुस्लिम और हिंदुओं के बीच खाई बढ़ाने के आरोपों पर वह कहते हैं- वक्फ बोर्ड की तरह जमीन हथियाने के लिए नहीं, हम मंदिरों को बचाने के लिए सनातन बोर्ड चाहते हैं। हम अपने मंदिर भी नहीं बचा सकते। क्या देश में मुगलों का शासन है। देवकी नंदन ने कहा- प्रयागराज में अखाड़ा महाकुंभ की व्यवस्थाएं करते हैं। हम यही चाहते हैं कि महाकुंभ में सिर्फ सनातनियों को ही प्रवेश मिले। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर कहते हैं- विपक्ष अगर संभल जा रहा है, तो उन्हें बांग्लादेश के हिंदुओं पर भी बात करनी चाहिए। पढ़िए सनातन धर्म, महाकुंभ और संभल हिंसा पर देवकी नंदन ठाकुर क्या कहते हैं… सवाल : सनातन बोर्ड बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
जवाब : बोर्ड का उद्देश्य सनातन परम्पराओं को सुरक्षित रखना होगा। फिर वह गो सेवा हो, मंदिर व्यवस्था हो या बच्चों में संस्कार के रूप में हो। मंदिरों में अव्यवस्था हो रही है, क्योंकि हर किसी का व्यवसायीकरण नहीं हो सकता है। कुछ चीजों को सिर्फ धर्म की दृष्टि से देखना होगा। सवाल : बोर्ड बन जाने से सनातनियों की रक्षा कैसे होगी?
जवाब : धर्म की दृष्टि क्या होगी? यह हमारे धर्माचार्य डिसाइड करेंगे। मैं कुछ नहीं हूं…हमारे शंकराचार्य और धर्माचार्य इसे आगे बढ़ाएंगे। वही यह सनातन बोर्ड संचालित करेंगे। सवाल : आप कहते हैं कि वक्फ जमीन कब्जा करता है, सनातन बोर्ड क्या करेगा?
जवाब : हम जमीन हथियाने के लिए नहीं, बल्कि बचाने के लिए बोर्ड की मांग कर रहे हैं। हम देश में ही एक और पाकिस्तान नहीं बनना चाहते हैं। हमारे मंदिर भी किसी के अंडर में ना हो जाएं और उसे भी कोई नोटिस ना दे, इसके लिए सनातन बोर्ड चाहिए। क्या अब हम अपने मंदिर भी नहीं बचा सकते। मुगलों का शासन है क्या, देश में। सवाल : महाकुंभ का आयोजन हो रहा, व्यवस्थाओं पर क्या कहेंगे?
जवाब : महाकुंभ में सिर्फ सनातनियों का ही प्रवेश होना चाहिए, हम यही मांग करते हैं। सवाल : धर्म संसद करके, हिंदू और मुस्लिमों के बीच क्या खाई नहीं खड़ी हो रही?
जवाब : आप किस खाई की बात करते हैं। क्या वक्फ बोर्ड मैंने बनाया है, कॉलेज और एयरपोर्ट को नोटिस मैं भेज रहा हूं। 1500 साल पुराना मंदिर मेरा है क्या? आप सब करते चले जाइए, हम आवाज भी उठाएं तो खाई खोद रहे हैं। वह भाई हैं, वह हमारे ही घर में चोरी कर रहे हैं और हम आवाज भी न उठाएं। सवाल : धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा का विरोध हुआ…क्या हिंदू जागृत होगा?
जवाब : यात्राओं का विषय नहीं है, बात तो अब सनातन बोर्ड की हो रही है। मैं इस बोर्ड को बनाने की मांग करता हूं, जिसको समर्थन करना है, कर सकता है। सवाल : संभल हिंसा पर क्या कहेंगे? राहुल वहां जा रहे, बांग्लादेश पर कुछ भी बोलते?
जवाब : अगर विपक्ष के लोग संभल की घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त करने जा रहे हैं, तो बांग्लादेश की भी घटना पर बोले…आवाज उठाएं। वह वहां नहीं जा सकते हैं, क्योंकि वह दूसरा देश है। 6 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर
देवकी नंदन ठाकुर का जन्म 12 सितंबर, 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के ओहावा गांव के एक ब्राह्मण परिवार से हैं। पिता राजवीर शर्मा और माता अनसुईया देवी ने उनका नाम देवकी प्रसाद शर्मा रखा था। देवकी नंदन ने बताया, जब वो थोड़े बड़े हुए तब उनके गांव तक टेंपो तक नहीं जाती थी। बस पकड़ने के लिए उन्हें और उनके परिवार को 6 किमी तक पैदल चल कर जाना पड़ता था। देवकी नंदन की मां श्रीमद्भागवत गीता में काफी विश्वास रखती थींं। उनके अलावा उनके 4 भाई और 2 बहनें भी हैं। 6 साल की उम्र में वह घर छोड़कर वृंदावन पहुंचे और ब्रज के रासलीला संस्थान ने उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। रासलीला में उन्होंने भगवान कृष्ण और भगवान राम की भूमिका निभाई। श्रीकृष्ण यानी ठाकुरजी की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने खूब चर्चाएं बटोरीं। 13 साल में कंठस्थ कर लिया श्रीमद्भागवत पुराण, गुरु ने दिया नाम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवकी नंदन को 13 साल की उम्र में ही श्रीमद्भागवत पुराण कंठस्थ हो गई थी। इसके साथ ही उन्होंने निंबार्क संप्रदाय के अनुयायी के रूप में गुरु-शिष्य की परंपरा के तौर पर दीक्षा ली। देवकी नंदन ठाकुर महाराज गुरु आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी ने इनका नाम देवकी नंदन ठाकुर महाराज रखा। उनकी प्रतिभा और बोलने की कला के कारण इन्हें श्रीमद्भागवत पुराण के वाचन का कार्य सौंपा गया। 18 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के शाहदरा में श्रीराम मंदिर में श्रीमद्भागवत महापुराण के उपदेश दिए। इसके बाद उन्होंने कई जगहों पर श्रीकृष्ण और राम कथा का वाचन किया। धीरे-धीरे उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने लगी। साल 2001 के बाद से वह मलेशिया, थाईलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे, हांगकांग जैसे देशों में भी प्रवचन कर चुके हैं। उनका विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट भी है। 2015 में योगी ने यूपी रत्न अवॉर्ड दिया
देवकी नंदन के धर्मार्थ कार्यों के लिए साल 2015 में उन्हें उत्तर प्रदेश रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। CM योगी आदित्यनाथ ने खुद ये अवॉर्ड उन्हें दिया था। श्री ब्राह्मण महासंघ ने उन्हें अचार्यिंद्र के पद के साथ सम्मानित किया है।
—————————- ये भी पढ़ें… ‘ज्ञानवापी चैप्टर वक्फ बोर्ड की देन’:वाराणसी में देवकीनंदन बोले- मंदिर सरकार के अधीन, तभी ये दुर्दशा, प्रसाद में चर्बी खाकर चुप बैठें? वाराणसी में रविवार को कथावाचक देवकी नंदन ने कहा- जब हम आजाद हुए, उसके बाद मुस्लिम धर्म के लिए इस्लामिक नाम से पाकिस्तान बना दिया गया। ज्ञानवापी चैप्टर वक्फ बोर्ड की देन है। अगर वक्फ बोर्ड नहीं होता, तो बाबा विश्वनाथ के लिए इतनी लंबी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर