योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर मऊ विधानसभा सीट को लेकर अड़ गए हैं। उन्होंने कहा- मैं अब्बास अंसारी के साथ खड़ा हूं। वह अगर कोर्ट जाते हैं तो उनका साथ दूंगा। अब्बास ने हमारी पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़ा था। अगर मऊ सदर सीट पर उपचुनाव हुआ तो नियम के अनुसार सुभासपा की सीट है, तो सुभासपा ही लड़ेगी। रविवार को अब्बास की विधायकी रद्द किए जाने पर राजभर ने कहा- सरकार ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। जो भी आदेश आते हैं, सरकार उनका पालन करती है। हम एनडीए के साथ हैं। लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजभर ने अखिलेश यादव पर तंज कसा। कहा- अखिलेश परेशान हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें फिर से सत्ता मिल जाए। जब सत्ता में थे, तब कुछ याद नहीं आया। इस पर एक मीडिया कर्मी ने कहा- अखिलेश कह रहे हैं कि महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति पर सोने की तलवार लगाई जाए। जवाब में राजभर ने कहा- न नौ मन गेहूं होई, न राधा गवने जईहे। राजभर ने कहा- सुभासपा बहराइच में 10 जून को सालार गाजी मेले की जगह अब सुहेलदेव शौर्य दिवस मनाएगी। इसमें सीएम योगी शामिल होंगे। दुर्भाग्य यह है कि जिस महापुरुष ने अक्रांताओं को हराया, उसके शौर्य को लोग भूल गए, जबकि पराजित के नाम पर मेला लगाया जाता रहा है। क्या फिर बगावत करेंगे राजभर? पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- जहां एक ओर वो एनडीए के साथ खड़े होने की बात कहते हैं। वहीं अब्बास के समर्थन में खुलेआम बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब सवाल उठने लगे हैं- क्या राजभर फिर किसी नई राह की ओर बढ़ रहे हैं या यह सिर्फ रणनीतिक दबाव की एक बिसात है? राजभर बगावत कर सकते हैं। उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है। वह 2019 में NDA से बगावत करके सपा के साथ चले गए थे। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल में राय दे सकते हैं… अब राजभर की 2 बड़ी बातें पढ़िए 1- कांग्रेस और सपा ने महापुरुषों को छुपाकर रखा राजभर ने कहा- जो महापुरुष देश के लिए लड़े, उन्हें कांग्रेस और सपा ने छुपाकर रखा। उन्हें नजरअंदाज किया गया। आज के समय में महाराजा सुहेलदेव, अहिल्याबाई होल्कर और बाबा साहेब अंबेडकर की चर्चा हो रही है। यह चर्चा कांग्रेस और सपा की सरकारों में नहीं होती थी। राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, भारत को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। अब उसी से आप समझिए कि कांग्रेस क्या चाहती है। अगर कांग्रेस चाहती, तो देश के महापुरुषों को सम्मान देती,लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ये लोग महापुरुषों के बारे में जानते ही नहीं हैं। 2- मैं सीना ठोंककर कहता हूं कि सुहेलदेव ने गाजी मियां को मार गिराया राजभर ने कहा- सपा ने बहराइच में अक्रांता की याद में मेला लगाया, उसी भूमि पर महाराजा सुहेलदेव के पराक्रम की स्मृति को क्यों भुला दिया? मैं सीना ठोंककर कहता हूं- बहराइच के नानपारा मैदान में 17 दिन युद्ध चला था। महाराजा सुहेलदेव ने सैयद सालार मसूद गाजी को मारकर वहीं दफन कर दिया। आप देखिए न, वहां आज भी मेला लगाया जाता है। अब सवाल-जवाब से जानिए राजभर ने क्या कुछ कहा- सवाल- जब से आकाश आनंद को बसपा का चीफ कोऑर्डिनेटर बनाया गया है, कुछ लोगों की बेचैनी बढ़ गई है? जवाब- जिन लोगों की निगाहें दलित वोट पर थीं, उनकी बेचैनी और बढ़ गई है। खासतौर पर सपा की। बुलंदशहर का वीडियो देखिए, सपा के नेताओं ने दलितों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है। एक तरफ वोट की बात करते हैं, दूसरी तरफ पीटते हैं। सवाल- नए डीजीपी भी अखिलेश के निशाने पर आ गए हैं।
जवाब- देखिए, सत्ता से बेदखल होने के बाद से अखिलेश परेशान हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें फिर से सत्ता मिल जाए। जब सत्ता में थे, तब कुछ याद नहीं आया। जब हमने महाराजा सुहेलदेव की चर्चा तेज की, तब उन्हें याद आया कि गोमती रिवर फ्रंट में महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति लगाई जाए। वही गोमती रिवर फ्रंट, जिसकी सीबीआई जांच चल रही है। 10 जून को सुहेलदेव शौर्य दिवस है मनाकर दिखाएं, तब जानें। सवाल- अखिलेश कह रहे हैं कि महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति पर सोने की तलवार लगाई जाए।
जवाब- न नौ मन गेहूं होई, न राधा गवने जईहे। (इसका मतलब यह है कि किसी काम को पूरा करने के लिए न तो पर्याप्त साधन होंगे और न ही वह काम पूरा होगा।) सवाल-आपसे पूछा गया कि आपकी पार्टी अब्बास अंसारी के साथ खड़ी है? आप NDA का हिस्सा हैं, तो मतभेद की स्थिति नहीं बनेगी?
जवाब- अब्बास कोर्ट जाते हैं तो उनका साथ दूंगा। हालांकि, अदालत एक महीने बंद है, इस लिए उन्हें अभी लंबा इंतजार करना होगा। सरकार ने इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं की। जो भी आदेश आते हैं, सरकार उनका पालन करती है। हम लोग सहयोगी दल हैं। सबकी अलग-अलग विचारधाराएं हैं, लेकिन कुछ बातें समाज हित में होती हैं, जिनके खिलाफ हमें मिलकर लड़ना है। अब्बास अंसारी हमारे सिंबल से चुनाव लड़े थे। सीट खाली हुई है। नियम के अनुसार, सुभासपा की सीट है, तो सुभासपा ही लड़ेगी। सवाल- ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराने को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। इस पर क्या कहेंगे? जवाब- देखिए, इस विषय को लेकर मैं मुख्यमंत्री से कई बार मिल चुका हूं। मैंने दो बार गृह मंत्री अमित शाह से भी इस सिलसिले में मुलाकात की। उन्हें बताया कि इन दोनों चुनावों में धन और बाहुबल हावी रहता है। इसलिए ये चुनाव जनता से सीधे कराए जाने चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री से भी मिलकर यह बात रखी है। देखिए, जब जनता चुनेगी तो धन और बाहुबल वाले लोग हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे। प्रस्ताव तैयार हो गया है, और इस हफ्ते दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल-ललितपुर में रिजवान जहीर को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था। इस पर क्या कहेंगे? जवाब-कुछ ‘जुगाड़ू लाल’ होते हैं, जो जुगाड़ बना लेते हैं। लेकिन जब सरकार को खबर लगती है, तो सरकार भी अपना काम करती है। सवाल-धीरेंद्र शास्त्री ने बलि प्रथा पर आपत्ति जताई है, इस पर क्या कहेंगे? जवाब-धीरेंद्र शास्त्री बलि पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं, लेकिन हम देख रहे हैं कि अलग-अलग धर्मों के लोग अब भी बलि चढ़ा रहे हैं। 2019 में NDA से अलग हुए थे राजभर ओम प्रकाश राजभर ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP के साथ गठबंधन किया था, जिसके बाद उनकी पार्टी के चार विधायक जीते और वे खुद योगी आदित्यनाथ सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बने।2019 में लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने उनकी अधिक मांगों को ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना शुरू की और BJP से अलग हो गए। 2019 के बाद राजभर ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन किया, जिसमें उनकी पार्टी को 18 सीटें दी गईं। इनमें से सुभासपा ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। इसमें अब्बास अंसारी की सीट भी शामिल थी। 2023 में राजभर ने फिर से BJP के साथ गठबंधन कर लिया और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बने। ———————– राजभर से जुड़ी हुई ये खबर भी पढ़ें- मऊ सीट पर भाजपा-सुभासपा में जंग:राजभर बोले- अब्बास मेरा विधायक, भाजपा का जवाब- दिल्ली करेगी फैसला हेट स्पीच में दोषी ठहराए गए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के बाद मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है। अब यहां उपचुनाव तय है। अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि इस सीट से सुभासपा मैदान में उतरेगी या भाजपा? दावा दोनों ही कर रहे हैं और तर्क भी अपने-अपने हैं। पढ़ें पूरी खबर योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर मऊ विधानसभा सीट को लेकर अड़ गए हैं। उन्होंने कहा- मैं अब्बास अंसारी के साथ खड़ा हूं। वह अगर कोर्ट जाते हैं तो उनका साथ दूंगा। अब्बास ने हमारी पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़ा था। अगर मऊ सदर सीट पर उपचुनाव हुआ तो नियम के अनुसार सुभासपा की सीट है, तो सुभासपा ही लड़ेगी। रविवार को अब्बास की विधायकी रद्द किए जाने पर राजभर ने कहा- सरकार ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। जो भी आदेश आते हैं, सरकार उनका पालन करती है। हम एनडीए के साथ हैं। लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजभर ने अखिलेश यादव पर तंज कसा। कहा- अखिलेश परेशान हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें फिर से सत्ता मिल जाए। जब सत्ता में थे, तब कुछ याद नहीं आया। इस पर एक मीडिया कर्मी ने कहा- अखिलेश कह रहे हैं कि महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति पर सोने की तलवार लगाई जाए। जवाब में राजभर ने कहा- न नौ मन गेहूं होई, न राधा गवने जईहे। राजभर ने कहा- सुभासपा बहराइच में 10 जून को सालार गाजी मेले की जगह अब सुहेलदेव शौर्य दिवस मनाएगी। इसमें सीएम योगी शामिल होंगे। दुर्भाग्य यह है कि जिस महापुरुष ने अक्रांताओं को हराया, उसके शौर्य को लोग भूल गए, जबकि पराजित के नाम पर मेला लगाया जाता रहा है। क्या फिर बगावत करेंगे राजभर? पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं- जहां एक ओर वो एनडीए के साथ खड़े होने की बात कहते हैं। वहीं अब्बास के समर्थन में खुलेआम बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। अब सवाल उठने लगे हैं- क्या राजभर फिर किसी नई राह की ओर बढ़ रहे हैं या यह सिर्फ रणनीतिक दबाव की एक बिसात है? राजभर बगावत कर सकते हैं। उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है। वह 2019 में NDA से बगावत करके सपा के साथ चले गए थे। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल में राय दे सकते हैं… अब राजभर की 2 बड़ी बातें पढ़िए 1- कांग्रेस और सपा ने महापुरुषों को छुपाकर रखा राजभर ने कहा- जो महापुरुष देश के लिए लड़े, उन्हें कांग्रेस और सपा ने छुपाकर रखा। उन्हें नजरअंदाज किया गया। आज के समय में महाराजा सुहेलदेव, अहिल्याबाई होल्कर और बाबा साहेब अंबेडकर की चर्चा हो रही है। यह चर्चा कांग्रेस और सपा की सरकारों में नहीं होती थी। राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, भारत को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। अब उसी से आप समझिए कि कांग्रेस क्या चाहती है। अगर कांग्रेस चाहती, तो देश के महापुरुषों को सम्मान देती,लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ये लोग महापुरुषों के बारे में जानते ही नहीं हैं। 2- मैं सीना ठोंककर कहता हूं कि सुहेलदेव ने गाजी मियां को मार गिराया राजभर ने कहा- सपा ने बहराइच में अक्रांता की याद में मेला लगाया, उसी भूमि पर महाराजा सुहेलदेव के पराक्रम की स्मृति को क्यों भुला दिया? मैं सीना ठोंककर कहता हूं- बहराइच के नानपारा मैदान में 17 दिन युद्ध चला था। महाराजा सुहेलदेव ने सैयद सालार मसूद गाजी को मारकर वहीं दफन कर दिया। आप देखिए न, वहां आज भी मेला लगाया जाता है। अब सवाल-जवाब से जानिए राजभर ने क्या कुछ कहा- सवाल- जब से आकाश आनंद को बसपा का चीफ कोऑर्डिनेटर बनाया गया है, कुछ लोगों की बेचैनी बढ़ गई है? जवाब- जिन लोगों की निगाहें दलित वोट पर थीं, उनकी बेचैनी और बढ़ गई है। खासतौर पर सपा की। बुलंदशहर का वीडियो देखिए, सपा के नेताओं ने दलितों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है। एक तरफ वोट की बात करते हैं, दूसरी तरफ पीटते हैं। सवाल- नए डीजीपी भी अखिलेश के निशाने पर आ गए हैं।
जवाब- देखिए, सत्ता से बेदखल होने के बाद से अखिलेश परेशान हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें फिर से सत्ता मिल जाए। जब सत्ता में थे, तब कुछ याद नहीं आया। जब हमने महाराजा सुहेलदेव की चर्चा तेज की, तब उन्हें याद आया कि गोमती रिवर फ्रंट में महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति लगाई जाए। वही गोमती रिवर फ्रंट, जिसकी सीबीआई जांच चल रही है। 10 जून को सुहेलदेव शौर्य दिवस है मनाकर दिखाएं, तब जानें। सवाल- अखिलेश कह रहे हैं कि महाराजा सुहेलदेव की मूर्ति पर सोने की तलवार लगाई जाए।
जवाब- न नौ मन गेहूं होई, न राधा गवने जईहे। (इसका मतलब यह है कि किसी काम को पूरा करने के लिए न तो पर्याप्त साधन होंगे और न ही वह काम पूरा होगा।) सवाल-आपसे पूछा गया कि आपकी पार्टी अब्बास अंसारी के साथ खड़ी है? आप NDA का हिस्सा हैं, तो मतभेद की स्थिति नहीं बनेगी?
जवाब- अब्बास कोर्ट जाते हैं तो उनका साथ दूंगा। हालांकि, अदालत एक महीने बंद है, इस लिए उन्हें अभी लंबा इंतजार करना होगा। सरकार ने इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं की। जो भी आदेश आते हैं, सरकार उनका पालन करती है। हम लोग सहयोगी दल हैं। सबकी अलग-अलग विचारधाराएं हैं, लेकिन कुछ बातें समाज हित में होती हैं, जिनके खिलाफ हमें मिलकर लड़ना है। अब्बास अंसारी हमारे सिंबल से चुनाव लड़े थे। सीट खाली हुई है। नियम के अनुसार, सुभासपा की सीट है, तो सुभासपा ही लड़ेगी। सवाल- ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराने को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। इस पर क्या कहेंगे? जवाब- देखिए, इस विषय को लेकर मैं मुख्यमंत्री से कई बार मिल चुका हूं। मैंने दो बार गृह मंत्री अमित शाह से भी इस सिलसिले में मुलाकात की। उन्हें बताया कि इन दोनों चुनावों में धन और बाहुबल हावी रहता है। इसलिए ये चुनाव जनता से सीधे कराए जाने चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री से भी मिलकर यह बात रखी है। देखिए, जब जनता चुनेगी तो धन और बाहुबल वाले लोग हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे। प्रस्ताव तैयार हो गया है, और इस हफ्ते दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल-ललितपुर में रिजवान जहीर को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा था। इस पर क्या कहेंगे? जवाब-कुछ ‘जुगाड़ू लाल’ होते हैं, जो जुगाड़ बना लेते हैं। लेकिन जब सरकार को खबर लगती है, तो सरकार भी अपना काम करती है। सवाल-धीरेंद्र शास्त्री ने बलि प्रथा पर आपत्ति जताई है, इस पर क्या कहेंगे? जवाब-धीरेंद्र शास्त्री बलि पर रोक लगाने की बात कर रहे हैं, लेकिन हम देख रहे हैं कि अलग-अलग धर्मों के लोग अब भी बलि चढ़ा रहे हैं। 2019 में NDA से अलग हुए थे राजभर ओम प्रकाश राजभर ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP के साथ गठबंधन किया था, जिसके बाद उनकी पार्टी के चार विधायक जीते और वे खुद योगी आदित्यनाथ सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बने।2019 में लोकसभा चुनाव से पहले BJP ने उनकी अधिक मांगों को ठुकरा दिया। इसके बाद उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना शुरू की और BJP से अलग हो गए। 2019 के बाद राजभर ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन किया, जिसमें उनकी पार्टी को 18 सीटें दी गईं। इनमें से सुभासपा ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। इसमें अब्बास अंसारी की सीट भी शामिल थी। 2023 में राजभर ने फिर से BJP के साथ गठबंधन कर लिया और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बने। ———————– राजभर से जुड़ी हुई ये खबर भी पढ़ें- मऊ सीट पर भाजपा-सुभासपा में जंग:राजभर बोले- अब्बास मेरा विधायक, भाजपा का जवाब- दिल्ली करेगी फैसला हेट स्पीच में दोषी ठहराए गए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के बाद मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है। अब यहां उपचुनाव तय है। अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि इस सीट से सुभासपा मैदान में उतरेगी या भाजपा? दावा दोनों ही कर रहे हैं और तर्क भी अपने-अपने हैं। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
अब्बास की सीट पर राजभर अड़े, बोले-मेरी पार्टी ही लड़ेगी:मैं उनके साथ खड़ा हूं, कोर्ट जाते हैं तो साथ दूंगा….क्या फिर बगावत करेंगे?
