अब 60 साल की उम्र में रिटायर होंगे डीजीपी:यूपी में अभी तक था 2 साल पद पर रहने का नियम; जानिए पूरी गाइडलाइन

अब 60 साल की उम्र में रिटायर होंगे डीजीपी:यूपी में अभी तक था 2 साल पद पर रहने का नियम; जानिए पूरी गाइडलाइन

प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए शासन ने गाइडलाइन को हरी झंडी दे दी। इसके अनुसार, डीजीपी के नियुक्ति के लिए न्यूनतम सीमा 6 महीने की तय की गई। दो साल तक डीजीपी तभी रहेगा, जब उसके रिटायरमेंट में दो साल बचे हों। नहीं तो रिटायर होते ही डीजीपी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। यानी सामान्य रूप से न्यूनतम दो साल की अवधि के लिए या 60 साल (रिटायरमेंट) तक, दोनों में से जो पहले हो, उसी समय तक डीजीपी रहेगा। पहले लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के नियम के मुताबिक, डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो साल तक रहता था। डीजीपी की नियुक्ति तभी की जाती थी, जब 6 महीने का कार्यकाल बचा हो। इसके बाद उसे डेढ़ साल का अपने आप एक्सटेंशन मिल जाता था। लेकिन, नई नियमावली में ऐसा नहीं है। अगर रिटायरमेंट के बाद भी डीजीपी को पद पर रखना है, तो इसके लिए केंद्र से सर्विस एक्सटेंशन लेना होगा। क्योंकि आईपीएस अफसर की सर्विस के संबंध में फैसला लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं होता। शासन की ओर से तैयार की गई नई गाइडलाइन में डीजीपी की नियुक्ति को पूरी तरह से निष्पक्ष बताने की कोशिश की गई है। गाइडलाइन में लिखा गया है, यह सुनिश्चित किया जा सके कि डीजीपी की नियुक्ति या चयन राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त है। डीजीपी के सिलेक्शन का पैमाना योग्यता होगी
डीजीपी के पद के लिए उन्हें ही उपयुक्त माना जाएगा, जो वेतन मैट्रिक्स के लेवल- 16 में राज्य संवर्ग में पुलिस महानिदेशक का पद धारण कर रहे हों। अगर कमेटी किसी भी अफसर को सूची में शामिल किए जाने के लिए उपयुक्त नहीं पाती है, वहां वेतन मैट्रिक्स के लेवल 15 में राज्य संवर्ग में अपर पुलिस महानिदेशक, जिनकी 30 साल की सेवा पूरी हो चुकी हो, उन्हें भी शामिल किया जा सकेगा। इस मापदंड में शामिल होने वाले जिन अफसरों का डीजीपी की वैकेंसी की डेट से 6 महीने से अधिक का कार्यकाल बचा होगा, उन्हें ही इसमें शामिल किया जाएगा। डीजीपी के चयन के लिए अच्छे रिकॉर्ड, अच्छी ख्याति और पुलिस बल का नेतृत्व करने के अनुभव के आधार पर किया जाएगा। फाइंडिंग कमेटी कम से कम तीन और अधिक से अधिक पांच अफसरों के नाम पैनल के लिए तय कर सकती है। डीजीपी के पद के लिए अधिकारियों के 10 साल का रिकार्ड देखा जाएगा। डीजीपी के चयन के समय समिति अधिकारियों के करियर, अनुभव, रणनीतिक और नेतृत्व को भी पैमाना मानेगी। ऐसे अधिकारियों के नामों पर विचार नहीं किया जाएगा, जो निलंबित हो या उसके खिलाफ अनुशासनात्मक आपराधिक कार्यवाही लंबित हो, जिसकी सत्यनिष्ठा प्रमाण-पत्र राज्य सरकार द्वारा रोक लिया गया हो, जो विगत पांच वर्षों के दौरान निंदा न की गई हो। केंद्रीय गृह विभाग द्वारा प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को कार्यमुक्त न करने की सूचना अगर पहले मिल जाती है, तो उसके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा। 60 साल की उम्र से ज्यादा नहीं रह सकेंगे डीजीपी
नियमावली के अनुसार, पूर्णकालिक डीजीपी वही बन सकेगा, जिसका कार्यकाल 6 महीने का बचा हो। वह अधिकतम 60 साल की उम्र पूरी करने तक ही डीजीपी के पद पर रह पाएगा। नई गाइडलाइन के तहत, राज्य सरकार डीजीपी को दो साल की अवधि पूरी होने से पहले भी हटा सकती है। ऐसा तब होगा जब अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के अधीन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई प्रारंभ की गई हो। या फिर किसी आपराधिक मामले में कोर्ट ने दोषी माना हो या भ्रष्टाचार से जुड़े किसी मामले में कोर्ट ने आरोप तय किए हो। अपनी ड्यूटी से असफल रहने वाले डीजीपी को भी हटा सकेंगे। नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए 3 महीने पहले शुरू होगी प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश शासन का गृह विभाग डीजीपी का पद खाली होने से 3 महीने पहले सिलेक्शन प्रक्रिया शुरू कर देगा। इसके लिए आईपीएस अधिकारियों की सीनियॉरिटी लिस्ट और एलिजबिलिटी की शर्तें पूरी करने वाले अधिकारियों की सूची तैयार की जाएगी। सीनियॉरिटी सूची के कुछ अधिकारी इस पात्रता सूची में शामिल नहीं हैं, तो इसका कारण जरूर बताया जाएगा। क्यों दो साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेंगे डीजीपी?
दरअसल, आईपीएस अखिल भारतीय सेवाओं में आता है। यानी केंद्र सरकार के अधीन होता है। आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति, रिटायरमेंट या एक्सटेंशन राज्य सरकार नहीं कर सकती। ऐसे में जो अधिकारी 60 साल की उम्र पूरी कर चुका होगा, उसने दो साल का कार्यकाल पूरा किया हो या न किया हो, वह डीजीपी नहीं रह सकेगा। अगर राज्य सरकार को लगेगा कि कार्यकाल बढ़ाना है तो वह केंद्र सरकार से सर्विस एक्सटेंशन के लिए पत्र लिखेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है। अब बोर्ड बनने का इंतजार
गाइडलाइन को मंजूरी मिलने के बाद बोर्ड बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया भी जल्द पूरी कर ली जाएगी। 11 से 13 नवंबर के बीच डीजीपी के चयन के लिए पहली बैठक भी बुलाई जाएगी। तो मई, 2025 में ही रिटायर हो जाएंगे प्रशांत कुमार
सरकार मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को अगर पूर्णकालिक डीजीपी बनाती है, तो वह मई तक ही डीजीपी रह सकते हैं। क्योंकि डीजीपी का कार्यकाल मई 2025 तक ही है। प्रशांत कुमार का कार्यकाल बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार से अनुरोध करना होगा। अगर केंद्र राज्य सरकार से सहमत हुआ, तभी कार्यकाल बढ़ेगा। नहीं तो जून में प्रदेश को फिर से नया डीजीपी मिलेगा। 3 लाख पुलिस फोर्स के पास 29 महीने से नहीं है परमानेंट DGP
प्रशांत कुमार यूपी पुलिस के चौथे कार्यवाहक DGP हैं। उत्तर प्रदेश के आखिरी स्थायी DGP मुकुल गोयल थे, जिन्हें शासन ने 11 मई 2022 को पद से हटा दिया था। इसके बाद, 12 मई 2022 को देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी ​​​​​​का ​जिम्मा सौंपा। वह 11 महीने इस पद पर रहे। इसके बाद डॉ. आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। वह 2 महीने ही पद रहे। 8 महीने पहले IPS विजय कुमार को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। मुकुल गोयल को DGP पद से हटाने के बाद UPSC में नए DGP के चयन का पैनल नहीं भेजा गया। लगातार कार्यवाहक DGP की तैनाती को योगी सरकार पर लेकर सवाल भी उठ रहे थे। योगी सरकार ने नए नियम लाकर इस पर विराम लगा दिया। यूपी के पास दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है। इसमें 3 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। लेकिन, पिछले 20 महीने से कार्यवाहक DGP के नेतृत्व में काम हो रहा है। ———————– ये खबर भी पढ़ें- योगी से बच्ची बोली- आप जैसा पीएम देश को मिले:सुनकर योगी मुस्कुराए, बोले- मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिले, मुझ जैसा नहीं योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में गोमती पुस्तक महोत्सव का इनॉगरेशन किया। उन्होंने बच्चों को किताबें और चॉकलेट दिए। इस दौरान एक बच्ची ने सीएम योगी ने कहा- आपके जैसा पीएम देश को मिलना चाहिए। यह सुनकर सीएम मुस्कुराने लगे। फिर उन्होंने कहा- देश को पीएम मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिलना चाहिए, मुझ जैसा नहीं। हालांकि, बच्ची ने पीएम की जगह सीएम बोल दिया था। पढ़ें पूरी खबर प्रदेश में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए शासन ने गाइडलाइन को हरी झंडी दे दी। इसके अनुसार, डीजीपी के नियुक्ति के लिए न्यूनतम सीमा 6 महीने की तय की गई। दो साल तक डीजीपी तभी रहेगा, जब उसके रिटायरमेंट में दो साल बचे हों। नहीं तो रिटायर होते ही डीजीपी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। यानी सामान्य रूप से न्यूनतम दो साल की अवधि के लिए या 60 साल (रिटायरमेंट) तक, दोनों में से जो पहले हो, उसी समय तक डीजीपी रहेगा। पहले लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के नियम के मुताबिक, डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो साल तक रहता था। डीजीपी की नियुक्ति तभी की जाती थी, जब 6 महीने का कार्यकाल बचा हो। इसके बाद उसे डेढ़ साल का अपने आप एक्सटेंशन मिल जाता था। लेकिन, नई नियमावली में ऐसा नहीं है। अगर रिटायरमेंट के बाद भी डीजीपी को पद पर रखना है, तो इसके लिए केंद्र से सर्विस एक्सटेंशन लेना होगा। क्योंकि आईपीएस अफसर की सर्विस के संबंध में फैसला लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं होता। शासन की ओर से तैयार की गई नई गाइडलाइन में डीजीपी की नियुक्ति को पूरी तरह से निष्पक्ष बताने की कोशिश की गई है। गाइडलाइन में लिखा गया है, यह सुनिश्चित किया जा सके कि डीजीपी की नियुक्ति या चयन राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त है। डीजीपी के सिलेक्शन का पैमाना योग्यता होगी
डीजीपी के पद के लिए उन्हें ही उपयुक्त माना जाएगा, जो वेतन मैट्रिक्स के लेवल- 16 में राज्य संवर्ग में पुलिस महानिदेशक का पद धारण कर रहे हों। अगर कमेटी किसी भी अफसर को सूची में शामिल किए जाने के लिए उपयुक्त नहीं पाती है, वहां वेतन मैट्रिक्स के लेवल 15 में राज्य संवर्ग में अपर पुलिस महानिदेशक, जिनकी 30 साल की सेवा पूरी हो चुकी हो, उन्हें भी शामिल किया जा सकेगा। इस मापदंड में शामिल होने वाले जिन अफसरों का डीजीपी की वैकेंसी की डेट से 6 महीने से अधिक का कार्यकाल बचा होगा, उन्हें ही इसमें शामिल किया जाएगा। डीजीपी के चयन के लिए अच्छे रिकॉर्ड, अच्छी ख्याति और पुलिस बल का नेतृत्व करने के अनुभव के आधार पर किया जाएगा। फाइंडिंग कमेटी कम से कम तीन और अधिक से अधिक पांच अफसरों के नाम पैनल के लिए तय कर सकती है। डीजीपी के पद के लिए अधिकारियों के 10 साल का रिकार्ड देखा जाएगा। डीजीपी के चयन के समय समिति अधिकारियों के करियर, अनुभव, रणनीतिक और नेतृत्व को भी पैमाना मानेगी। ऐसे अधिकारियों के नामों पर विचार नहीं किया जाएगा, जो निलंबित हो या उसके खिलाफ अनुशासनात्मक आपराधिक कार्यवाही लंबित हो, जिसकी सत्यनिष्ठा प्रमाण-पत्र राज्य सरकार द्वारा रोक लिया गया हो, जो विगत पांच वर्षों के दौरान निंदा न की गई हो। केंद्रीय गृह विभाग द्वारा प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को कार्यमुक्त न करने की सूचना अगर पहले मिल जाती है, तो उसके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा। 60 साल की उम्र से ज्यादा नहीं रह सकेंगे डीजीपी
नियमावली के अनुसार, पूर्णकालिक डीजीपी वही बन सकेगा, जिसका कार्यकाल 6 महीने का बचा हो। वह अधिकतम 60 साल की उम्र पूरी करने तक ही डीजीपी के पद पर रह पाएगा। नई गाइडलाइन के तहत, राज्य सरकार डीजीपी को दो साल की अवधि पूरी होने से पहले भी हटा सकती है। ऐसा तब होगा जब अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के अधीन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई प्रारंभ की गई हो। या फिर किसी आपराधिक मामले में कोर्ट ने दोषी माना हो या भ्रष्टाचार से जुड़े किसी मामले में कोर्ट ने आरोप तय किए हो। अपनी ड्यूटी से असफल रहने वाले डीजीपी को भी हटा सकेंगे। नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए 3 महीने पहले शुरू होगी प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश शासन का गृह विभाग डीजीपी का पद खाली होने से 3 महीने पहले सिलेक्शन प्रक्रिया शुरू कर देगा। इसके लिए आईपीएस अधिकारियों की सीनियॉरिटी लिस्ट और एलिजबिलिटी की शर्तें पूरी करने वाले अधिकारियों की सूची तैयार की जाएगी। सीनियॉरिटी सूची के कुछ अधिकारी इस पात्रता सूची में शामिल नहीं हैं, तो इसका कारण जरूर बताया जाएगा। क्यों दो साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेंगे डीजीपी?
दरअसल, आईपीएस अखिल भारतीय सेवाओं में आता है। यानी केंद्र सरकार के अधीन होता है। आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति, रिटायरमेंट या एक्सटेंशन राज्य सरकार नहीं कर सकती। ऐसे में जो अधिकारी 60 साल की उम्र पूरी कर चुका होगा, उसने दो साल का कार्यकाल पूरा किया हो या न किया हो, वह डीजीपी नहीं रह सकेगा। अगर राज्य सरकार को लगेगा कि कार्यकाल बढ़ाना है तो वह केंद्र सरकार से सर्विस एक्सटेंशन के लिए पत्र लिखेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है। अब बोर्ड बनने का इंतजार
गाइडलाइन को मंजूरी मिलने के बाद बोर्ड बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि यह प्रक्रिया भी जल्द पूरी कर ली जाएगी। 11 से 13 नवंबर के बीच डीजीपी के चयन के लिए पहली बैठक भी बुलाई जाएगी। तो मई, 2025 में ही रिटायर हो जाएंगे प्रशांत कुमार
सरकार मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को अगर पूर्णकालिक डीजीपी बनाती है, तो वह मई तक ही डीजीपी रह सकते हैं। क्योंकि डीजीपी का कार्यकाल मई 2025 तक ही है। प्रशांत कुमार का कार्यकाल बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार से अनुरोध करना होगा। अगर केंद्र राज्य सरकार से सहमत हुआ, तभी कार्यकाल बढ़ेगा। नहीं तो जून में प्रदेश को फिर से नया डीजीपी मिलेगा। 3 लाख पुलिस फोर्स के पास 29 महीने से नहीं है परमानेंट DGP
प्रशांत कुमार यूपी पुलिस के चौथे कार्यवाहक DGP हैं। उत्तर प्रदेश के आखिरी स्थायी DGP मुकुल गोयल थे, जिन्हें शासन ने 11 मई 2022 को पद से हटा दिया था। इसके बाद, 12 मई 2022 को देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी ​​​​​​का ​जिम्मा सौंपा। वह 11 महीने इस पद पर रहे। इसके बाद डॉ. आरके विश्वकर्मा को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। वह 2 महीने ही पद रहे। 8 महीने पहले IPS विजय कुमार को कार्यवाहक DGP बनाया गया था। मुकुल गोयल को DGP पद से हटाने के बाद UPSC में नए DGP के चयन का पैनल नहीं भेजा गया। लगातार कार्यवाहक DGP की तैनाती को योगी सरकार पर लेकर सवाल भी उठ रहे थे। योगी सरकार ने नए नियम लाकर इस पर विराम लगा दिया। यूपी के पास दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फोर्स है। इसमें 3 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। लेकिन, पिछले 20 महीने से कार्यवाहक DGP के नेतृत्व में काम हो रहा है। ———————– ये खबर भी पढ़ें- योगी से बच्ची बोली- आप जैसा पीएम देश को मिले:सुनकर योगी मुस्कुराए, बोले- मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिले, मुझ जैसा नहीं योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में गोमती पुस्तक महोत्सव का इनॉगरेशन किया। उन्होंने बच्चों को किताबें और चॉकलेट दिए। इस दौरान एक बच्ची ने सीएम योगी ने कहा- आपके जैसा पीएम देश को मिलना चाहिए। यह सुनकर सीएम मुस्कुराने लगे। फिर उन्होंने कहा- देश को पीएम मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिलना चाहिए, मुझ जैसा नहीं। हालांकि, बच्ची ने पीएम की जगह सीएम बोल दिया था। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर