अमृतसर की एक नाबालिग लड़की दो महीने पहले घर छोड़कर एक लड़के के साथ चली गई थी, फिर उसने चंडीगढ़ जाकर निकाह किया और हाइकोर्ट से माता पिता के खिलाफ सिक्योरिटी की मांग की। लड़की के माता-पिता ने लड़के और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद आज जब लड़की मेडिकल करवाने पहुंची तो वहां उसके माता पिता भी आए। जहां पर लड़के और लड़की वालों के बीच झगड़ा हुआ, पुलिस ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया। माता-पिता का आरोप- लड़की को किया जा रहा गुमराह लड़की के माता-पिता का आरोप है कि उनकी बेटी 17 साल 4 महीने की नाबालिग लड़की है जो कि नगकलां निवासी रोहित के साथ दो महीने पहले चली गई थी। रोहित और उसके परिवार वाले उसे बहला फुसला कर गुमराह करके ले गए। उनकी बेटी नाबालिग है इसीलिए लड़के और उसके पिता पर पर्चा दर्ज करवाया गया था। जिसके बाद उन्हें जेल हो गई और फिर दोनों ही जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा कि आज कोर्ट में उनकी सुनवाई थी जिसके बाद लड़की को थाने भेजा गया, जहां से उसे मेडिकल करवाने के लिए सिविल अस्पताल लाए थे। यहां पर लड़के वाले भी तकरीबन 10 लड़कों को साथ लेकर आए और उनके साथ हाथापाई की। लड़की के माता पिता का कहना है कि उनकी बेटी को वापस किया जाए। उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाए कि उन्हें जबरदस्ती बाहर निकाला जा रहा है। माता-पिता कर रहे थे जबरदस्ती शादी इस मामले में लड़की ने बताया कि उसके मात पिता जब वह 16 साल की थी, तो उसकी जबरदस्ती शादी कर रहे थे जिसके बाद वह अपनी मर्जी से रोहित के साथ गई है। उसने कहा कि उन्होंने चंडीगढ़ में निकाह करवाया है और उनके वकील के पास सारे कागजात मौजूद हैं। लड़की के मुताबिक वह अपने ससुराल ही रहना चाहती है और लड़के के साथ ही जाना चाहती है। उसे अपने माता पिता से खतरा है। इस मामले में एडवोकेट जगजीत सिंह का कहना है कि लड़की को पुलिस प्रोटेक्शन मिली हुई है। वह लड़की का मेडिकल करवाने पहुंचे तो यहां मामला बेहद गंभीर था जिसके बाद उन्होंने लोकल थाने में फोन किया और मामले को शांत करवाया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से लड़की को प्रोटेक्शन दी गई है, इसीलए वह साथ आए हैं। वहीं पुलिस अधिकारी का कहना है कि लड़की का मेडिकल उसकी मर्जी से ही होगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल के लिए लड़की के साथ सिर्फ एक आदमी को ही अंदर जाने के लिए कहा गया था, जिसके बाद हंगामा हुआ। अब सब ठीक है, मामले की जांच चल रही है जल्दी ही उचित कार्रवाई की जाएगी। अमृतसर की एक नाबालिग लड़की दो महीने पहले घर छोड़कर एक लड़के के साथ चली गई थी, फिर उसने चंडीगढ़ जाकर निकाह किया और हाइकोर्ट से माता पिता के खिलाफ सिक्योरिटी की मांग की। लड़की के माता-पिता ने लड़के और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद आज जब लड़की मेडिकल करवाने पहुंची तो वहां उसके माता पिता भी आए। जहां पर लड़के और लड़की वालों के बीच झगड़ा हुआ, पुलिस ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया। माता-पिता का आरोप- लड़की को किया जा रहा गुमराह लड़की के माता-पिता का आरोप है कि उनकी बेटी 17 साल 4 महीने की नाबालिग लड़की है जो कि नगकलां निवासी रोहित के साथ दो महीने पहले चली गई थी। रोहित और उसके परिवार वाले उसे बहला फुसला कर गुमराह करके ले गए। उनकी बेटी नाबालिग है इसीलिए लड़के और उसके पिता पर पर्चा दर्ज करवाया गया था। जिसके बाद उन्हें जेल हो गई और फिर दोनों ही जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने कहा कि आज कोर्ट में उनकी सुनवाई थी जिसके बाद लड़की को थाने भेजा गया, जहां से उसे मेडिकल करवाने के लिए सिविल अस्पताल लाए थे। यहां पर लड़के वाले भी तकरीबन 10 लड़कों को साथ लेकर आए और उनके साथ हाथापाई की। लड़की के माता पिता का कहना है कि उनकी बेटी को वापस किया जाए। उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाए कि उन्हें जबरदस्ती बाहर निकाला जा रहा है। माता-पिता कर रहे थे जबरदस्ती शादी इस मामले में लड़की ने बताया कि उसके मात पिता जब वह 16 साल की थी, तो उसकी जबरदस्ती शादी कर रहे थे जिसके बाद वह अपनी मर्जी से रोहित के साथ गई है। उसने कहा कि उन्होंने चंडीगढ़ में निकाह करवाया है और उनके वकील के पास सारे कागजात मौजूद हैं। लड़की के मुताबिक वह अपने ससुराल ही रहना चाहती है और लड़के के साथ ही जाना चाहती है। उसे अपने माता पिता से खतरा है। इस मामले में एडवोकेट जगजीत सिंह का कहना है कि लड़की को पुलिस प्रोटेक्शन मिली हुई है। वह लड़की का मेडिकल करवाने पहुंचे तो यहां मामला बेहद गंभीर था जिसके बाद उन्होंने लोकल थाने में फोन किया और मामले को शांत करवाया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से लड़की को प्रोटेक्शन दी गई है, इसीलए वह साथ आए हैं। वहीं पुलिस अधिकारी का कहना है कि लड़की का मेडिकल उसकी मर्जी से ही होगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल के लिए लड़की के साथ सिर्फ एक आदमी को ही अंदर जाने के लिए कहा गया था, जिसके बाद हंगामा हुआ। अब सब ठीक है, मामले की जांच चल रही है जल्दी ही उचित कार्रवाई की जाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ 7 फरवरी को रिलीज होगी:पूरी फिल्म, कोई कट नहीं, भारत में नहीं दिखाई जाएगी, जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर आधारित
दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ 7 फरवरी को रिलीज होगी:पूरी फिल्म, कोई कट नहीं, भारत में नहीं दिखाई जाएगी, जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर आधारित पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ की नई चर्चित फिल्म “पंजाब-95” अगले महीने 7 फरवरी को रिलीज होगी। इस बात की जानकारी खुद दिलजीत दोसांझ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है। फिल्म की रिलीज की जानकारी देते हुए दिलजीत ने लिखा- फुल मूवी, नो कट्स। हालांकि यह फिल्म इंडिया में रिलीज नहीं हो रही है। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 120 कट लगाने के लिए कहे थे, लेकिन फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और खालड़ा के परिवार के लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिस कारण फिल्म की रिलीज इंडिया में रोक दी गई है। इस फिल्म को रिलीज होने के लिए करीब 1 साल का इंतजार करना पड़ा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने पहले फिल्म में 120 कट्स की मांग की थी, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था। दिलजीत की पोस्ट से साफ है कि यह फिल्म अब बिना कट्स के रिलीज हो रही है। यह फिल्म मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है और आतंकवाद के दौर को दर्शाती है। कट्स का खालड़ा के परिवार ने किया था विरोध बीते साल जब इस फिल्म की रिलीज को रोका गया तो जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा ने सेंसर बोर्ड की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनके पति के जीवन पर बनी एक सच्ची बायोपिक है, जिसे उनके परिवार की सहमति से बनाया गया और इसे बिना किसी कट के रिलीज किया जाना चाहिए। परमजीत कौर खालड़ा ने यह भी बताया था कि लगभग चार साल पहले उनके परिवार ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी थी और निर्देशक हनी त्रेहन को फिल्म बनाने की अनुमति दी थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दिलजीत दोसांझ को जसवंत सिंह खालड़ा की भूमिका निभाने के लिए चुना गया था और इस चयन से परिवार पूरी तरह संतुष्ट था। उन सिखों की कहानी, जिन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारा गया जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने खुलासा किया कि उस दौर में हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया गया, फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया और उनके शवों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया। श्मशान घाटों से फर्जी मुठभेड़ों का लिया था आंकड़ा खालड़ा ने पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही इन गुमशुदगी और हत्याओं को उजागर किया था। उन्होंने उस समय में अमृतसर के श्मशान घाटों का दौरा कर यह जानकारी जुटाई कि वहां 6,000 से अधिक शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया गया था। यह जानकारी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी साझा की, जिससे भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल खड़े हुए। परिवार का आरोप- हिरासत में लेकर की हत्या खालड़ा को सिखों के हकों के लिए लड़ने का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था। परिवार का आरोप है कि 6 सितंबर 1995 को पुलिस ने खालड़ा का उनके घर से अपहरण कर लिया। इसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जिसके बाद, जसवंत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दी और कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था।
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पंजाब में 2 दिन का सरकारी अवकाश:जम्मू-कश्मीर निवासी कर्मचारियों को मतदान के लिए दिया समय, आज और 1 अक्तूबर को छुट्टी पंजाब के सरकारी विभागों में काम करने वाले जम्मू-कश्मीर निवासियों को 2 दिनों की छुट्टी का ऐलान किया गया है। वह 25 सितंबर यानी आज और 1 अक्टूबर यानी आने वाले मंगलवार को सवेतन अवकाश की घोषणा की है। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि वह जम्मू कश्मीर जाकर अपना मतदान कर सकें। पंजाब सरकार द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत है तो उसे मतदान करने के लिए छुट्टी दी गई है। आगे कहा गया है कि पंजाब सरकार के कार्यालयों, बोर्डों, निगमों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत है। वह मतदान हेतु अपना मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत करके 25 सितम्बर 2024 और 1 अक्टूबर 2024 (मतदान चरण के आधार पर) को सक्षम प्राधिकारी से विशेष अवकाश प्राप्त किया जा सकता है।
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किसान आंदोलन पर कंगना के बयान का विरोध:पंधेर बोले- बयान जारी करने की जगह कार्रवाई करे; खुद माफी मांगने को कहे भाजपा सांसद व बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट के किसान आंदोलन को दिए विवादित बयान पर पंजाब में विवाद थम नहीं रहा है। हालांकि भाजपा मीडिया सेल ने खुद बयान जारी कर कंगना रनोट के बयान से पल्ला झाड़ा है। लेकिन पंजाब के किसान इस पर भी मानने को तैयार नहीं हैं। शंभू बॉर्डर पर डटे किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सरवन सिंह पंधेर ने कंगना रनोट को खुद माफी मांगने के लिए कहा है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का कहना है- मैं शंभू बॉर्डर से बोल रहा हूं। भाजपा पार्टी ने नेशनल लेवल पर कंगना रनोट के बयान पर किनारा कर लिया है। लेकिन, कंगना रनोट भाजपा की एमपी है, उस पर अनुशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए। अगर भाजपा ये मानती है कि ये बयान उचित नहीं है, गलत दिया गया बयान है। तो उन्हें कंगना रनोट पर अनुशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें बोलना चाहिए कि कंगना रनोट इस बयान पर खुद माफी मांगे और कंगना रनोट को खुद माफी मांगनी चाहिए। एसकेएम कर चुकी प्रदर्शन का ऐलान राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन उगराहां पहले ही कंगना के बयान का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि अपनी सांसद के किसान विरोधी बयान के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी होगी। कंगना रनोट भी जब तक माफी नहीं मांगती, देश भर में उनका विरोध किया जाएगा। वहीं, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कंगना रनोट की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी भी कर चुके विरोध कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी कंगना के इस बयान का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना था कि भाजपा सरकार का पूरा मंत्र किसानों को बदनाम करने में जुटा है। किसानों को रेपिस्ट और विदेशी ताकतों का नुमाइंदा कहना शर्मानाक है। ये स्वीकार्य नहीं है। भाजपा सरकार किसानों से किए वादे पूरे करने में नाकाम रही है। किसान आंदोलन में रेप व हत्याएं हुई एक्ट्रेस और सांसद कंगना रनोट ने कहा है कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। किसान बिल को वापस ले लिया गया वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। कंगना की फिल्म इमरजेंसी भी विवादों में कंगना के बयान से पहले उनकी फिल्म इमरजेंसी भी विवादों में चल रही है। इसके लिए कंगना का पंजाब व अन्य राज्यों में पहले से ही विरोध चल रहा है। कंगना की ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगाई गई इमरजेंसी पर बनाई गई है। फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होगी। पंजाब के निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इसमें सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की। इसके अलावा श्री अकाल तख्त साहिब और एसजीपीसी ने भी इस फिल्म का विरोध किया। आरोप है कि कंगना की इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है। कंगना को सिर कलम करने की धमकी ईसाई से सिख बने विक्की थॉमस की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। जिसमें फिल्म इमरजेंसी के लिए कंगना को धमकी दी गई है। वायरल वीडियो में विक्की थॉमस धमकाते हुए कह रहा है- ”इतिहास को बदला नहीं जा सकता। अगर आतंकवादी दिखाया गया तो अंजाम के लिए तैयार हो जाना। जिसकी फिल्म कर रही है, उसकी क्या सेवा होगी। सतवंत सिंह और बेअंत सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गोलियां बरसाने वाले) कौन थे, वे रोल भी करने के लिए तैयार हो जाना। ये मैं दिल से बोल रहा हूं, क्योंकि उंगली जो हमारी तरफ करता है, वे उंगली ही झटका (काट) देते हैं हम। वो संत (जरनैल सिंह भिंडरांवाला) के लिए हम अपना सिर कटवा भी देंगे। अगर सिर कटवा सकते हैं तो काट भी सकते हैं।”