अलीगढ़ और बरेली के मुस्लिम इलाकों में शिव मंदिर मिले:बरेली में शिवलिंग, मूर्तियां गायब; अलीगढ़ में कपाट खुले, शिवलिंग की पूजा की गई

अलीगढ़ और बरेली के मुस्लिम इलाकों में शिव मंदिर मिले:बरेली में शिवलिंग, मूर्तियां गायब; अलीगढ़ में कपाट खुले, शिवलिंग की पूजा की गई

यूपी के 2 शहरों के मुस्लिम इलाकों में मंदिर मिले हैं। अलीगढ़ और बरेली में इन मंदिरों के मिलने के बाद हंगामा हुआ। पहले अलीगढ़ के मंदिर की बात। यहां बुधवार को 49 साल पुराना शिव मंदिर की सफाई की गई। यहां पुराना शिवलिंग मिला है। बरेली में हिंदू परिवार ने 250 साल पुराने एक मंदिर पर मुस्लिमों के कब्जे का दावा किया है। हिंदू संगठन ने यहां डीएम से हस्तक्षेप की मांग की। आरोप है कि 40 साल पहले तक यहां पूजा होती थी। मगर उसके बाद मंदिर का शिवलिंग और मूर्तियों को धीरे-धीरे गायब कर दिया गया। अब 1-1 करके दोनों मामले समझिए… अलीगढ़ : मुस्लिम बहुल इलाका, 49 साल पुराने मंदिर में सफाई हुई सराय रहमान इलाके में बुधवार को जब मंदिर होने की सूचना हिंदू संगठनों को मिली तो करणी सेना, बजरंग दल समेत विभिन्न हिंदूवादी संगठन के समर्थक मौके पर पहुंच गए। मंदिर खोलने की मांग शुरू कर दी। मामले की जानकारी मिलने पर बन्नादेवी इंस्पेक्टर पंकज मिश्रा समेत फोर्स भी मौके पर पहुंच गई और लोगों से बातचीत कर उन्हें शांत कराया। पुलिस ने मंदिर के दरवाजे खुलवाए। इसके बाद हिंदुओं ने मौके पर मंदिर की साफ सफाई की और यहां पर पूजा अर्चना भी शुरू कर दी है। अब पुलिस से सुरक्षा की मांग की गई है। आरोप- मूर्तियों को तोड़ा गया करणी सेना ने प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है। उनका कहना है कि सालों से इस मंदिर पर कब्जा करके रखा गया था और पूजा अर्चना नहीं हो रही है। मंदिर के अंदर की मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है और कई मूर्तियां तोड़ दी गई हैं। इसलिए इस मामले की जांच की जाए और मंदिर को सुरक्षा भी दी जाए। बन्नादेवी थाना प्रभारी पंकज मिश्रा ने बताया कि मंदिर की साफ सफाई करके उसे खुलवा दिया गया है। लोगों को शांत कराया गया है। बरेली : मंदिर 250 साल पुराना होने का दावा, हिंदू पक्ष ने शिवलिंग गायब कर दिया राकेश ने कहा- 1950 तक मंदिर में पूजा हुई
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया- 5 पीढ़ियों पहले ये मंदिर बनाया गया था। 1905 में गंगा महारानी के मंदिर को लिखापढ़ी में लाया गया। 1950 तक मंदिर में पूजा भी होती रही। मंदिर के पुजारी ने एक समिति को मंदिर का एक कमरा किराए पर दे दिया। समिति ने मंदिर में वाहिद अली नाम के चौकीदार को रख लिया। धीरे-धीरे वाहिद अली ने मंदिर में लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। जब कोई जाता था तो वह मंदिर में ताले डाल देता था। धीरे-धीरे मंदिर में जाने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया। आरोप है कि मंदिर के चौकीदार वाहिद अली ने मंदिर की प्रतिमाओं को भी खुर्द बुर्द कर दिया। वाहिद अली का कहना है यहां कभी भी मंदिर नहीं था। मंदिर के सभी दस्तावेज जिलाधिकारी को सौंपे
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने अपने दस्तावेज दिखाते हुए मंदिर पर कब्जे की बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खत्म कर दिया है। अब उसे गंगा महारानी के मंदिर पर वाहिद अली ने कब्जा कर रखा है और वो पूरे परिवार के साथ मंदिर में रहता है। मुस्लिम आबादी बढ़ने से मंदिर में नहीं जा पाते हिंदू
राकेश सिंह के मुताबिक, सभी सरकारी कागजों में वहां पर गंगा महारानी का मंदिर अंकित है। लेकिन वाहिद अली ने दबंगई दिखाते हुए उस पर कब्जा कर लिया। इस मंदिर में एक दूधिया शिवलिंग था और भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार था। चांदी की मूर्तियां भी थी।आज से दो ढाई सौ साल पहले राकेश सिंह के वंशजों ने ही इस जगह को बसाया था। पहले यहां बहुत कम आबादी थी। सन 1800 में रेलवे लाइन भी उनकी जमीन पर ही निकली थी। और उसे पहले से ये मंदिर मौजूद था। धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और उन लोगों का दबदबा हो गया। अब यहां पर हिंदुओं के मकान कम है और मुस्लिमों के मकान ज्यादा है। सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग राकेश सिंह का परिवार गंगा महारानी के मंदिर होने का दावा कर रहा है। वही मुस्लिम समुदाय उनके इन दावे को खारिज कर रहा है, जबकि राकेश सिंह के पास जो कागज मौजूद है। उसमें साफ तौर पर अंकित किया हुआ है कि जिस मकान पर वाहिद अली अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। दरअसल वह प्राचीन गंगा महारानी का मंदिर है। अब राकेश सिंह और उनके परिवार और सनातन से जुड़े स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। ताकि एक बार फिर गंगा महारानी का मंदिर वाहिद अली के चंगुल से आजाद हो जाए। राकेश सिंह और उनके परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनका कहना है कि मंदिर के अस्तित्व को बचाने और इसे कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकारी कार्रवाई जरूरी है। मंदिर के समर्थन में अब हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। वे गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात कर मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने और पूजा-अर्चना को फिर से शुरू कराने की मांग करेंगे। यूपी के 2 शहरों के मुस्लिम इलाकों में मंदिर मिले हैं। अलीगढ़ और बरेली में इन मंदिरों के मिलने के बाद हंगामा हुआ। पहले अलीगढ़ के मंदिर की बात। यहां बुधवार को 49 साल पुराना शिव मंदिर की सफाई की गई। यहां पुराना शिवलिंग मिला है। बरेली में हिंदू परिवार ने 250 साल पुराने एक मंदिर पर मुस्लिमों के कब्जे का दावा किया है। हिंदू संगठन ने यहां डीएम से हस्तक्षेप की मांग की। आरोप है कि 40 साल पहले तक यहां पूजा होती थी। मगर उसके बाद मंदिर का शिवलिंग और मूर्तियों को धीरे-धीरे गायब कर दिया गया। अब 1-1 करके दोनों मामले समझिए… अलीगढ़ : मुस्लिम बहुल इलाका, 49 साल पुराने मंदिर में सफाई हुई सराय रहमान इलाके में बुधवार को जब मंदिर होने की सूचना हिंदू संगठनों को मिली तो करणी सेना, बजरंग दल समेत विभिन्न हिंदूवादी संगठन के समर्थक मौके पर पहुंच गए। मंदिर खोलने की मांग शुरू कर दी। मामले की जानकारी मिलने पर बन्नादेवी इंस्पेक्टर पंकज मिश्रा समेत फोर्स भी मौके पर पहुंच गई और लोगों से बातचीत कर उन्हें शांत कराया। पुलिस ने मंदिर के दरवाजे खुलवाए। इसके बाद हिंदुओं ने मौके पर मंदिर की साफ सफाई की और यहां पर पूजा अर्चना भी शुरू कर दी है। अब पुलिस से सुरक्षा की मांग की गई है। आरोप- मूर्तियों को तोड़ा गया करणी सेना ने प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है। उनका कहना है कि सालों से इस मंदिर पर कब्जा करके रखा गया था और पूजा अर्चना नहीं हो रही है। मंदिर के अंदर की मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है और कई मूर्तियां तोड़ दी गई हैं। इसलिए इस मामले की जांच की जाए और मंदिर को सुरक्षा भी दी जाए। बन्नादेवी थाना प्रभारी पंकज मिश्रा ने बताया कि मंदिर की साफ सफाई करके उसे खुलवा दिया गया है। लोगों को शांत कराया गया है। बरेली : मंदिर 250 साल पुराना होने का दावा, हिंदू पक्ष ने शिवलिंग गायब कर दिया राकेश ने कहा- 1950 तक मंदिर में पूजा हुई
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने बताया- 5 पीढ़ियों पहले ये मंदिर बनाया गया था। 1905 में गंगा महारानी के मंदिर को लिखापढ़ी में लाया गया। 1950 तक मंदिर में पूजा भी होती रही। मंदिर के पुजारी ने एक समिति को मंदिर का एक कमरा किराए पर दे दिया। समिति ने मंदिर में वाहिद अली नाम के चौकीदार को रख लिया। धीरे-धीरे वाहिद अली ने मंदिर में लोगों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। जब कोई जाता था तो वह मंदिर में ताले डाल देता था। धीरे-धीरे मंदिर में जाने वाले लोगों का आवागमन पूरी तरह से बंद हो गया। आरोप है कि मंदिर के चौकीदार वाहिद अली ने मंदिर की प्रतिमाओं को भी खुर्द बुर्द कर दिया। वाहिद अली का कहना है यहां कभी भी मंदिर नहीं था। मंदिर के सभी दस्तावेज जिलाधिकारी को सौंपे
गंगा महारानी के मंदिर को बनाने वाले परिवार के वंशज राकेश सिंह ने अपने दस्तावेज दिखाते हुए मंदिर पर कब्जे की बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब मंदिर का अस्तित्व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खत्म कर दिया है। अब उसे गंगा महारानी के मंदिर पर वाहिद अली ने कब्जा कर रखा है और वो पूरे परिवार के साथ मंदिर में रहता है। मुस्लिम आबादी बढ़ने से मंदिर में नहीं जा पाते हिंदू
राकेश सिंह के मुताबिक, सभी सरकारी कागजों में वहां पर गंगा महारानी का मंदिर अंकित है। लेकिन वाहिद अली ने दबंगई दिखाते हुए उस पर कब्जा कर लिया। इस मंदिर में एक दूधिया शिवलिंग था और भगवान भोलेनाथ का पूरा परिवार था। चांदी की मूर्तियां भी थी।आज से दो ढाई सौ साल पहले राकेश सिंह के वंशजों ने ही इस जगह को बसाया था। पहले यहां बहुत कम आबादी थी। सन 1800 में रेलवे लाइन भी उनकी जमीन पर ही निकली थी। और उसे पहले से ये मंदिर मौजूद था। धीरे धीरे यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती गई और उन लोगों का दबदबा हो गया। अब यहां पर हिंदुओं के मकान कम है और मुस्लिमों के मकान ज्यादा है। सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग राकेश सिंह का परिवार गंगा महारानी के मंदिर होने का दावा कर रहा है। वही मुस्लिम समुदाय उनके इन दावे को खारिज कर रहा है, जबकि राकेश सिंह के पास जो कागज मौजूद है। उसमें साफ तौर पर अंकित किया हुआ है कि जिस मकान पर वाहिद अली अपना कब्जा जमाए बैठे हैं। दरअसल वह प्राचीन गंगा महारानी का मंदिर है। अब राकेश सिंह और उनके परिवार और सनातन से जुड़े स्थानीय लोगों ने योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने की मांग की है। ताकि एक बार फिर गंगा महारानी का मंदिर वाहिद अली के चंगुल से आजाद हो जाए। राकेश सिंह और उनके परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनका कहना है कि मंदिर के अस्तित्व को बचाने और इसे कब्जे से मुक्त कराने के लिए सरकारी कार्रवाई जरूरी है। मंदिर के समर्थन में अब हिंदू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं। वे गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात कर मंदिर को कब्जे से मुक्त कराने और पूजा-अर्चना को फिर से शुरू कराने की मांग करेंगे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर