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प्रयागराज में बच्चों के साथ ट्रेन के आगे कूदी मां:तीनों की हुई मौत, पति से झगड़ा हुआ था, मायके जाने की बात कहकर घर से निकली थी
प्रयागराज में बच्चों के साथ ट्रेन के आगे कूदी मां:तीनों की हुई मौत, पति से झगड़ा हुआ था, मायके जाने की बात कहकर घर से निकली थी प्रयागराज में पारिवारिक कलह से तंग आकर एक महिला अपने दो बच्चों के साथ ट्रेन के आगे कूद गई। इस घटना में तीनों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। उसने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। ससुर का कहना है कि वह मायके जाने की बात कहकर निकली थी। उसके बाद से उससे सम्पर्क नहीं हो पाया। घटना सोमवार को घूरपुर थाना क्षेत्र के जसरा रेलवे स्टेशन के पास की है। तीनों की मौत सारनाथ एक्सप्रेस की चपेट में आने से हुई है। सबसे पहले तीन तस्वीरें देखिए सुबह में पति से फोन पर हुआ था झगड़ा अंजना चित्रकूट की रहने वाली थी। उसकी शादी लालापुर थाना क्षेत्र के चिल्ला गौहानी गांव में टुनटुन से 2017 में हुई थी। टुनटुन मुंबई में रहकर नौकरी करता है। ससुर राम कैलाश यादव मुताबिक आज सुबह में किसी बात को लेकर फोन पर उसका पति से झगड़ा हुआ था। इस बात से बहू नाराज थी। वह मायके जाने की बात कहकर सुबह में 11 बजे घर से निकली थी। शाम को 5 बजे के करीब पुलिस ने फोन करके जसरा रेलवे स्टेशन पर लाश मिलने की सूचना दी। जिसके बाद वह घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने बहू अंजना और दोनों नातिन समीक्षा (5) और सुरक्षा (4) के शव की पहचान की।
SGPC चुनाव वोटर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई:2011 के चुनावों से आधी रह गई वोटरों की संख्या; कारण- पंथक जत्थेबंदियों से नाराजगी
SGPC चुनाव वोटर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई:2011 के चुनावों से आधी रह गई वोटरों की संख्या; कारण- पंथक जत्थेबंदियों से नाराजगी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के चुनावों के लिए पंजीकरण कराने की अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित है। इस बार पंजीकरण कराने वाले सिखों की संख्या 2011 में हुई चुनावों की तुलना में लगभग आधी रह गई है। गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा वोटर पंजीकरण की समय सीमा को तीन बार आगे बढ़ाने के बावजूद पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 50% से अधिक नहीं हो पा रही। बीती 25 जुलाई तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 27.87 लाख रही, जबकि 2011 में हुए पिछले SGPC चुनाव के दौरान लगभग 52 लाख मतदाता थे। SGPC चुनाव भारत सरकार द्वारा गठित गुरुद्वारा चुनाव आयोग की देखरेख में कराए जाते हैं। मतदाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया 21 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई थी। शुरुआत में, अंतिम तिथि 15 नवंबर 2023 निर्धारित थी। पंजीकरण की प्रक्रिया में वोटरों की दिलचस्पी को ना देखते हुए इसे 29 फरवरी 2024 तक और फिर 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया। अब एक बार फिर इसी अंतिम तारीख 31 जुलाई निर्धारित की गई। सिख विशेषज्ञों का मानना है कि ढीली प्रतिक्रिया SGPC से घटता विश्वास, मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया और विदेशों में पलायन के प्रभाव के कारण है। बीते समय में हुई घटनाओं से उभरे नहीं सिख तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि कई अप्रिय घटनाओं के बाद सिख मामलों में विश्वास की कमी हो गई है। जिसमें डेरा सिरसा के राम रहीम को माफी देना, इसके बाद बेअदबी की घटनाएं शामिल हैं। इनमें लोगों को अभी तक न्याय नहीं मिला। जिससे सिख निराश हो रहे हैं। SGPC सदस्य किरनजोत कौर का मानना है कि SGPC के कुछ गलत कदमों और कुछ नीतियों के अलावा सरकार द्वारा तैयार की गई मतदान पंजीकरण प्रक्रिया के चलते पंजीकरण कम हुआ है। सही से जानकारी सांझा नहीं की गई SGPC सदस्य किरनजोत कौर ने बताया कि प्रशासन द्वारा आयोजित किए जा रहे शिविरों के बारे में कोई प्रचार ही नहीं हुआ। वोटरों को यह नहीं पता था कि पंजीकरण कराने के लिए कहां जाएं। यह भी स्पष्ट नहीं था कि वे किस वार्ड से संबंधित हैं। जब वे कैंप में जाएंगे तो वार्डों में गड़बड़ी के कारण उनका आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। साथ ही, पंजीकरण प्रक्रिया समय के दौरान वोटर, चाहे वे बुजुर्ग हों या महिला, का खुद पहुंचना जरूरी था। बाद में, प्रशासन ने अपने पटवारियों और ब्लॉक-स्तरीय अधिकारियों को घर-घर जाकर मतदाताओं का पंजीकरण करने के लिए कहा। लेकिन उन पर पहले से ही काफी अधिक काम का बोझ है। दूसरी बात यह है कि पहले सिख युवाओं में उत्साह देखा गया था। अब, उनमें से बड़ी संख्या में लोग विदेश चले गए हैं। अकाली दल सबसे कम दिलचस्पी ले रहा है मौजूदा समय में सिख न तो SGPC से खुश हैं और न ही अकाली दल से। सिखों के लिए यही दो सबसे बड़ी धार्मिक संस्थाएं हैं। लेकिन अकाली दल ने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए कि उलटा असर हुआ। 2017 के बाद लोकसभा व विधानसभा चुनावों के परिणामों में जो हालात पैदा हुए, उसके बाद अकाली दल खुद ही इसमें सबसे कम रूचि ले रहा है। जबकि पहले अकाली दल के वर्कर वोट बनाने की प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग देते थे। जानें वोट बनवाने के लिए क्या है नियम SGPC चुनावों के लिए पंजीकरण करवाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के आवेदकों को ‘साबत सूरत’ (बिना बाल और दाढ़ी कोट) और 21 वर्ष से अधिक (21 अक्टूबर, 2023 तक) होना चाहिए। जो लोग अपने बाल काटते हैं, धूम्रपान करते हैं और तम्बाकू या शराब का सेवन करते हैं (पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लागू) या सिख पुरुष जो अपनी दाढ़ी काटते या कटवाते हैं, उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया जाता है।
Bharat Bandh: आज भारत बंद के बीच मायावती की पहली प्रतिक्रिया, कहा- ‘BJP और कांग्रेस…’
Bharat Bandh: आज भारत बंद के बीच मायावती की पहली प्रतिक्रिया, कहा- ‘BJP और कांग्रेस…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Bharat Bandh:</strong> दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है. इस ‘भारत बंद’ का समर्थन कई राजनीतिक दल कर रहे हैं. बीएसपी चीफ मायावती ने भी ‘भारत बंद’ का समर्थन करते हुए पहली प्रतिक्रिया दी है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>मायावती ने अपने सोशल मीडिया के जरिए लिखा, ‘बीएसपी का भारत बंद को समर्थन, क्योंकि भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के आरक्षण विरोधी षडयंत्र एवं इसे निष्प्रभावी बनाकर अन्ततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण 1 अगस्त 2024 को SC/ST के उपवर्गीकरण व इनमें क्रीमीलेयर सम्बंधी मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध इनमें रोष व आक्रोश.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>[tw]https://x.com/Mayawati/status/1826080020382494831[/tw]</p>
<p style=”text-align: justify;”>‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/samajwadi-party-leader-amarnath-maurya-hooliganism-video-viral-candidate-from-phoolpur-seat-ann-2765413″>सपा के टिकट पर लड़ा था लोकसभा का चुनाव, अब गुंडागर्दी का Video वायरल, नगर निगम कर्मचारियों को राइफल लेकर दौड़ाया</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कलह</strong><br />संगठन ने हाल में उच्चतम न्यायालय की सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले के प्रति विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा लिए गए फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण की रूपरेखा स्थापित की थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनएसीडीएओआर ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस फैसले को खारिज किया जाए क्योंकि यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है. संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि कोर्ट का फैसला आने के बाद एनडीए के सहयोगी दलों ने भी इसका विरोध किया था, जिसके बाद सरकार के ओर से आश्वासन दिया गया था. हालांकि इसके बाद भी चिराग पासवान की पार्टी ने बुधवार को भारत बंद का समर्थन करने का फैसला किया है.</p>