जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मंगलवार को सहारनपुर में योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का मतलब समझाया। भास्कर से कहा- बटेंगे तो कटेंगे का सही मतलब है, वोट बंट जाएगा तो सही नहीं होगा। उन्होंने मुस्लिम नेता तौकीर रजा के लिए कहा- वो अभी भी उसी युग में जी रहे हैं, जब तलवार के दम पर राज किया था। यह सब इस देश में चलने वाला नहीं…। बांग्लादेश हिंसा पर उन्होंने कहा- भारत एक हिंदू राष्ट्र है, इसलिए बांग्लादेश के हिंदू भारत की तरफ देख रहे हैं। धर्म के नाम पर सियासत करने वाली पार्टियां हिंदुओं को बांट रही हैं। पॉलिटिकल दलों को सोचना चाहिए कि समाज के टुकड़े आखिर क्यों कर रहे हैं? पढ़िए जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से हुई पूरी बातचीत… सवाल : बंटेंगे तो कटेंगे जैसे बयान को कैसे देखते हैं?
जवाब : वो राजनीतिक मामला है। हर राजनीतिक दल को वोट की जरूरत होती है। बटेंगे-कटेंगे का सही मतलब है कि वोट बंट जाएंगे तो ठीक नहीं होगा। वोट हमें दो। ये उसका आशय है। सवाल : मस्जिदों में मंदिर तलाश किए जा रहे हैं, ये कितना सही है?
जवाब : आप मस्जिदों में मंदिर ढूंढने की बात कर रहे हैं। लेकिन जिस समय मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों में परिवर्तित किया गया। उस समय के हालात की कल्पना कीजिए। वो भी एक समय था। अगर किसी मस्जिद के बारे में ऐसा कोई इतिहास और प्रमाण मिलता है तो उसके बारे में चर्चा करनी चाहिए। चर्चा करके सुधार कर लेना चाहिए। इतनी ही तो बात है। सवाल : बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात खराब हैं, मारकाट मची हुई है। क्या भारत को मदद नहीं करनी चाहिए?
जवाब : पूरे विश्व से क्या अपेक्षा करते हैं? सबसे बड़ी अपेक्षा तो भारत से हैं। क्योंकि, भारत हिंदू राष्ट्र है। भारत में हिंदू बहुतायत में रहते हैं। भारतीयों की मातृ भूमि, पितृ भूमि भारत है। तो ऐसे में बांग्लादेश के हिंदू भारत की सरकार और यहां के हिंदुओं से अपेक्षा कर रहे हैं, इसीलिए भारत को इस पर निर्णय लेने की जरूरत है। सवाल : धर्म के नाम पर सियासत की जा रही है, क्या देश में विखंडन नहीं होगा?
जवाब : विखंडन ही तो हो रहा है। धर्म के नाम पर उतने लोग अलग नहीं है। जितने जाति के नाम पर हैं। जितना पार्टियों के नाम पर हो गए हैं। एक पार्टी दूसरी से और दूसरी पार्टी तीसरी पार्टी से लड़ रही है। एक-दूसरे के विरुद्ध षड़यंत्र कर रही हैं। ऐसी परिस्थिति में समाज राजनीतिक दलों के कारण बिखर रहा है। राजनीतिक दलों को इस बारे में विचार करना होगा। हम समाज को टुकड़े-टुकड़े में क्यों बाट रहे हैं? सवाल : गऊ-गंगा और गायत्री के लिए क्या कहेंगे?
जवाब : गऊ-गंगा-गायत्री की हालत ये है कि गाय को काटकर, बोटी-बोटी किया जा रहा है। पैकेट में बंद करके बेचा जा रहा है। गंगा छोटे-छोटे टुकड़े में बांध दी गई हैं। गंगा के सम्मान पर भी आंच है। गायत्री के नाम पर धारा-30 लिख दी गई है कि हिंदू अपने धर्म की बड़ाई ही नहीं कर सकता। तो ऐसी परिस्थिति में गायत्री भी नहीं हैं। गऊ-गंगा-गायत्री की हालत खराब है। ये दुख की बात है। कहा जा रहा है कि ये हिंदुओं का देश है। सवाल : गऊ-गंगा-गायत्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्या आपका संघर्ष पूरा होगा?
जवाब : हमारा संकल्प निश्चित रूप से पूरा होगा। क्योंकि हमारा ये संकल्प व्यक्तिगत नहीं है। ये पूरे हिंदू समाज का संकल्प है। लंबे समय से इसके लिए संघर्ष भी चल रहा है। अब हिंदुओं ने बहुत कड़ा निर्णय ले लिया है। वो गऊ मतदाता बन रहे हैं। अब उन्हीं पार्टी और प्रत्याशियों को वोट देंगे जो शपथपूर्वक घोषणा करेंगे कि हम जीतने पर गऊ माता की प्राण-प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कार्य करेंगे। सभी राजनीतिक दलों को जब लगेगा कि हमारा वोट कट रहा है तो वे गाय के प्रति श्रद्धा दिखाना शुरू करेंगे। सवाल : तौकीर रजा मुस्लिमों को भड़काने वाले विवादित बयान दे रहे हैं, इससे माहौल खराब हो रहा है?
जवाब : कभी-कभी गलतफहमी भी हो जाती है। वो गलतफहमी में जी रहे हैं। जैसे किसी समय इस देश में ऐसा कुछ हुआ होगा। हम आए और तलवार का जोर दिखाया, हमने शासन कर लिया। उसी युग में उनका दिमाग जी रहा है। अब ऐसा होने वाला नहीं है। इसलिए उनकी बातें व्यर्थ हो रही हैं। वो और ज्यादा समस्या में पड़ रहे हैं। वो प्यार से मोहब्बत से यहां रहते तो कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन वो यहां आंख दिखाकर रहना चाहेंगे तो वो संभव नहीं है। सवाल : देश में बीजेपी के सरकार को किस प्रकार से देखते हैं?
जवाब : बीजेपी हो या कांग्रेस की सरकार। ये सरकारें उसी रंग से चल रही है। आजादी के बाद से हिंदुओं की भावनाओं को कहां समझा गया है। उसमें वामपंथी भी शामिल हैं। हिंदुओं की मूल भावना थी, आजादी से पहले से कि गाय की रक्षा हो। कहां हो रही है गाय की रक्षा? हिंदुओं की मूल भावनाएं हमारे शास्त्रों के अध्ययन की। हमारी बातें ही नहीं सुनी जा रही हैं। यहां चीख-चीखकर इमारत कह रही है कि यहां हिंदू स्थान है। वहां पर भी दूसरे लोगों को मौका दिया गया है। बैरिकेडिंग लगाकर हमको रोक दिया जाता है। सवाल : श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने आप नहीं गए, ऐसा क्यों?
जवाब : जब मंदिर पूरी तरह से बन जाता है, तब प्राण प्रतिष्ठा होती है। ध्वजा और कलश चढ़ाने पर ही पूजा होती है। जब शिखर बनेगा तभी कलश चढ़ेगा और तभी ध्वजा स्थापित होगी। ये पूजा होगी या नहीं होगी। वही तो प्रतिष्ठा है। ध्वजा अभी तक फहराई ही नहीं गई। बिना ध्वजा फहराए कहीं पर भी प्रतिष्ठा नहीं होती है। जब मंदिर निर्माण कार्य पूरा होगा तो स्वाभाविक रूप से ये सब होगा। वही प्रतिष्ठा होगी। ………………………….. यह भी पढ़ें : बदायूं जामा मस्जिद में नीलकंठ मंदिर का दावा: हिंदू पक्ष बोला- सर्वे से क्यों डर रहे, मुस्लिम पक्ष का जवाब- सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश यूपी में संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद असल में नीलकंठ महादेव का मंदिर है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने सर्वे की मांग रखी तो मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया कि ये सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश है। पढ़िए पूरी खबर… जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मंगलवार को सहारनपुर में योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का मतलब समझाया। भास्कर से कहा- बटेंगे तो कटेंगे का सही मतलब है, वोट बंट जाएगा तो सही नहीं होगा। उन्होंने मुस्लिम नेता तौकीर रजा के लिए कहा- वो अभी भी उसी युग में जी रहे हैं, जब तलवार के दम पर राज किया था। यह सब इस देश में चलने वाला नहीं…। बांग्लादेश हिंसा पर उन्होंने कहा- भारत एक हिंदू राष्ट्र है, इसलिए बांग्लादेश के हिंदू भारत की तरफ देख रहे हैं। धर्म के नाम पर सियासत करने वाली पार्टियां हिंदुओं को बांट रही हैं। पॉलिटिकल दलों को सोचना चाहिए कि समाज के टुकड़े आखिर क्यों कर रहे हैं? पढ़िए जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से हुई पूरी बातचीत… सवाल : बंटेंगे तो कटेंगे जैसे बयान को कैसे देखते हैं?
जवाब : वो राजनीतिक मामला है। हर राजनीतिक दल को वोट की जरूरत होती है। बटेंगे-कटेंगे का सही मतलब है कि वोट बंट जाएंगे तो ठीक नहीं होगा। वोट हमें दो। ये उसका आशय है। सवाल : मस्जिदों में मंदिर तलाश किए जा रहे हैं, ये कितना सही है?
जवाब : आप मस्जिदों में मंदिर ढूंढने की बात कर रहे हैं। लेकिन जिस समय मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों में परिवर्तित किया गया। उस समय के हालात की कल्पना कीजिए। वो भी एक समय था। अगर किसी मस्जिद के बारे में ऐसा कोई इतिहास और प्रमाण मिलता है तो उसके बारे में चर्चा करनी चाहिए। चर्चा करके सुधार कर लेना चाहिए। इतनी ही तो बात है। सवाल : बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात खराब हैं, मारकाट मची हुई है। क्या भारत को मदद नहीं करनी चाहिए?
जवाब : पूरे विश्व से क्या अपेक्षा करते हैं? सबसे बड़ी अपेक्षा तो भारत से हैं। क्योंकि, भारत हिंदू राष्ट्र है। भारत में हिंदू बहुतायत में रहते हैं। भारतीयों की मातृ भूमि, पितृ भूमि भारत है। तो ऐसे में बांग्लादेश के हिंदू भारत की सरकार और यहां के हिंदुओं से अपेक्षा कर रहे हैं, इसीलिए भारत को इस पर निर्णय लेने की जरूरत है। सवाल : धर्म के नाम पर सियासत की जा रही है, क्या देश में विखंडन नहीं होगा?
जवाब : विखंडन ही तो हो रहा है। धर्म के नाम पर उतने लोग अलग नहीं है। जितने जाति के नाम पर हैं। जितना पार्टियों के नाम पर हो गए हैं। एक पार्टी दूसरी से और दूसरी पार्टी तीसरी पार्टी से लड़ रही है। एक-दूसरे के विरुद्ध षड़यंत्र कर रही हैं। ऐसी परिस्थिति में समाज राजनीतिक दलों के कारण बिखर रहा है। राजनीतिक दलों को इस बारे में विचार करना होगा। हम समाज को टुकड़े-टुकड़े में क्यों बाट रहे हैं? सवाल : गऊ-गंगा और गायत्री के लिए क्या कहेंगे?
जवाब : गऊ-गंगा-गायत्री की हालत ये है कि गाय को काटकर, बोटी-बोटी किया जा रहा है। पैकेट में बंद करके बेचा जा रहा है। गंगा छोटे-छोटे टुकड़े में बांध दी गई हैं। गंगा के सम्मान पर भी आंच है। गायत्री के नाम पर धारा-30 लिख दी गई है कि हिंदू अपने धर्म की बड़ाई ही नहीं कर सकता। तो ऐसी परिस्थिति में गायत्री भी नहीं हैं। गऊ-गंगा-गायत्री की हालत खराब है। ये दुख की बात है। कहा जा रहा है कि ये हिंदुओं का देश है। सवाल : गऊ-गंगा-गायत्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्या आपका संघर्ष पूरा होगा?
जवाब : हमारा संकल्प निश्चित रूप से पूरा होगा। क्योंकि हमारा ये संकल्प व्यक्तिगत नहीं है। ये पूरे हिंदू समाज का संकल्प है। लंबे समय से इसके लिए संघर्ष भी चल रहा है। अब हिंदुओं ने बहुत कड़ा निर्णय ले लिया है। वो गऊ मतदाता बन रहे हैं। अब उन्हीं पार्टी और प्रत्याशियों को वोट देंगे जो शपथपूर्वक घोषणा करेंगे कि हम जीतने पर गऊ माता की प्राण-प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए कार्य करेंगे। सभी राजनीतिक दलों को जब लगेगा कि हमारा वोट कट रहा है तो वे गाय के प्रति श्रद्धा दिखाना शुरू करेंगे। सवाल : तौकीर रजा मुस्लिमों को भड़काने वाले विवादित बयान दे रहे हैं, इससे माहौल खराब हो रहा है?
जवाब : कभी-कभी गलतफहमी भी हो जाती है। वो गलतफहमी में जी रहे हैं। जैसे किसी समय इस देश में ऐसा कुछ हुआ होगा। हम आए और तलवार का जोर दिखाया, हमने शासन कर लिया। उसी युग में उनका दिमाग जी रहा है। अब ऐसा होने वाला नहीं है। इसलिए उनकी बातें व्यर्थ हो रही हैं। वो और ज्यादा समस्या में पड़ रहे हैं। वो प्यार से मोहब्बत से यहां रहते तो कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन वो यहां आंख दिखाकर रहना चाहेंगे तो वो संभव नहीं है। सवाल : देश में बीजेपी के सरकार को किस प्रकार से देखते हैं?
जवाब : बीजेपी हो या कांग्रेस की सरकार। ये सरकारें उसी रंग से चल रही है। आजादी के बाद से हिंदुओं की भावनाओं को कहां समझा गया है। उसमें वामपंथी भी शामिल हैं। हिंदुओं की मूल भावना थी, आजादी से पहले से कि गाय की रक्षा हो। कहां हो रही है गाय की रक्षा? हिंदुओं की मूल भावनाएं हमारे शास्त्रों के अध्ययन की। हमारी बातें ही नहीं सुनी जा रही हैं। यहां चीख-चीखकर इमारत कह रही है कि यहां हिंदू स्थान है। वहां पर भी दूसरे लोगों को मौका दिया गया है। बैरिकेडिंग लगाकर हमको रोक दिया जाता है। सवाल : श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने आप नहीं गए, ऐसा क्यों?
जवाब : जब मंदिर पूरी तरह से बन जाता है, तब प्राण प्रतिष्ठा होती है। ध्वजा और कलश चढ़ाने पर ही पूजा होती है। जब शिखर बनेगा तभी कलश चढ़ेगा और तभी ध्वजा स्थापित होगी। ये पूजा होगी या नहीं होगी। वही तो प्रतिष्ठा है। ध्वजा अभी तक फहराई ही नहीं गई। बिना ध्वजा फहराए कहीं पर भी प्रतिष्ठा नहीं होती है। जब मंदिर निर्माण कार्य पूरा होगा तो स्वाभाविक रूप से ये सब होगा। वही प्रतिष्ठा होगी। ………………………….. यह भी पढ़ें : बदायूं जामा मस्जिद में नीलकंठ मंदिर का दावा: हिंदू पक्ष बोला- सर्वे से क्यों डर रहे, मुस्लिम पक्ष का जवाब- सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश यूपी में संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि जामा मस्जिद असल में नीलकंठ महादेव का मंदिर है। मंगलवार को जिला कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने सर्वे की मांग रखी तो मुस्लिम पक्ष ने जवाब दिया कि ये सिर्फ माहौल बिगाड़ने की कोशिश है। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर