हरियाणा की राजनीति में हमेशा से अहम दखल रखने वाले अहीरवाल बेल्ट में आज भी बीजेपी का ही दबदबा कायम है। 3 लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों से घिरी इस बेल्ट में 10 सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली। इसी के जरिए बीजेपी 2 लोकसभा सीटें भी जीतने में कामयाब रही। खास बात ये है कि भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर अहीर कैंडिडेट राव दान सिंह को उतारकर भी कांग्रेस महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर बढ़त नहीं बना पाई। हैरानी की बात ये है कि महेंद्रगढ़ विधानसभा से राव दान सिंह खुद MLA होने के बावजूद 4840 वोट से चौधरी धर्मबीर सिंह से पिछड़ गए। दूसरी तरफ इस बार के लोकसभा चुनाव में रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर वोटर्स का मूड जरूर कुछ बदला दिखा, लेकिन यहां भी दो विधानसभा क्षेत्रों रेवाड़ी और बावल में बीजेपी को ही लीड मिली हैं। इसी तरह गुरुग्राम जिले में चारों सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम फहराया। हालांकि सोहना सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह को सबसे कम सिर्फ 6111 वोटों की लीड मिल पाई। बादशाहपुर और गुरुग्राम विधानसभा सीट पर लीड का मार्जिन 1 लाख को क्रॉस कर गया। वहीं रेवाड़ी जिले की कोसली विधानसभा सीट पर बीजेपी मात्र दो वोटों से पिछड़ गई है। दरअसल, अहीरवाल यानी 3 जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में कुल 11 सीटें है। 2019 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इन सभी सीटों पर बढ़त मिली थी। वहीं 6 माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में 8 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद जीतने में कामयाब रहे थे। 2014 के चुनाव से पहले ये इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 2014 में मोदी लहर के बाद हुए तीनों चुनाव में अहीरवाल ने एक तरफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अहीरवाल ऐसा इलाका है, जिसकी बदलौत ही दोनों बार बीजेपी प्रदेश सरकार में सत्तासीन हुई। 2 बीजेपी और एक सीट कांग्रेस ने जीती अहीरवाल में 3 लोकसभा सीटें गुरुग्राम, भिवानी-महेंद्रगढ़ और रोहतक लोकसभा सीट आती है। लगातार तीसरी बार भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम सीट को बीजेपी ने जीता। वहीं रोहतक सीट इस बार कांग्रेस के खाते में चली गई। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में रोहतक लोकसभा सीट कांग्रेस के हाथ से सिर्फ इसलिए निकल गई थी, क्योंकि अहीरवाल की कोसली विधानसभा सीट ने एक तरफा बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा के पक्ष में वोटिंग करते हुए 75 हजार की लीड दे दी। जिसकी वजह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे चुनाव हार गए। वहीं इस बार इसके बिल्कुल उलट हो गया। कोसली विधानसभा सीट से कांग्रेस ने 2 वोट से बढ़त बनाई और दीपेंद्र चुनाव जीत गए। श्रुति की टिकट काट दान सिंह को दी, फिर भी नहीं मिली बढ़त भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने इस बार श्रुति चौधरी की टिकट काटकर अहीर चेहरे राव दान सिंह पर दांव खेला। कांग्रेस को उम्मीद थी कि भिवानी के जाट वोटर्स का साथ मिलने के बाद महेंद्रगढ़ के अहीर वोटर्स राव दान सिंह के प्रत्याशी बनाने से उनके पाले में आ जाएंगे, लेकिन जब परिणाम आए तो बिल्कुल उल्ट तस्वीर नजर आई। यहां चारों हल्कों में बीजेपी को 44 हजार 598 वोट की बढ़त मिली। हरियाणा की राजनीति में हमेशा से अहम दखल रखने वाले अहीरवाल बेल्ट में आज भी बीजेपी का ही दबदबा कायम है। 3 लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों से घिरी इस बेल्ट में 10 सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली। इसी के जरिए बीजेपी 2 लोकसभा सीटें भी जीतने में कामयाब रही। खास बात ये है कि भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर अहीर कैंडिडेट राव दान सिंह को उतारकर भी कांग्रेस महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर बढ़त नहीं बना पाई। हैरानी की बात ये है कि महेंद्रगढ़ विधानसभा से राव दान सिंह खुद MLA होने के बावजूद 4840 वोट से चौधरी धर्मबीर सिंह से पिछड़ गए। दूसरी तरफ इस बार के लोकसभा चुनाव में रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर वोटर्स का मूड जरूर कुछ बदला दिखा, लेकिन यहां भी दो विधानसभा क्षेत्रों रेवाड़ी और बावल में बीजेपी को ही लीड मिली हैं। इसी तरह गुरुग्राम जिले में चारों सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम फहराया। हालांकि सोहना सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह को सबसे कम सिर्फ 6111 वोटों की लीड मिल पाई। बादशाहपुर और गुरुग्राम विधानसभा सीट पर लीड का मार्जिन 1 लाख को क्रॉस कर गया। वहीं रेवाड़ी जिले की कोसली विधानसभा सीट पर बीजेपी मात्र दो वोटों से पिछड़ गई है। दरअसल, अहीरवाल यानी 3 जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ में कुल 11 सीटें है। 2019 को लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इन सभी सीटों पर बढ़त मिली थी। वहीं 6 माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में 8 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद जीतने में कामयाब रहे थे। 2014 के चुनाव से पहले ये इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन 2014 में मोदी लहर के बाद हुए तीनों चुनाव में अहीरवाल ने एक तरफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अहीरवाल ऐसा इलाका है, जिसकी बदलौत ही दोनों बार बीजेपी प्रदेश सरकार में सत्तासीन हुई। 2 बीजेपी और एक सीट कांग्रेस ने जीती अहीरवाल में 3 लोकसभा सीटें गुरुग्राम, भिवानी-महेंद्रगढ़ और रोहतक लोकसभा सीट आती है। लगातार तीसरी बार भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम सीट को बीजेपी ने जीता। वहीं रोहतक सीट इस बार कांग्रेस के खाते में चली गई। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में रोहतक लोकसभा सीट कांग्रेस के हाथ से सिर्फ इसलिए निकल गई थी, क्योंकि अहीरवाल की कोसली विधानसभा सीट ने एक तरफा बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा के पक्ष में वोटिंग करते हुए 75 हजार की लीड दे दी। जिसकी वजह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे चुनाव हार गए। वहीं इस बार इसके बिल्कुल उलट हो गया। कोसली विधानसभा सीट से कांग्रेस ने 2 वोट से बढ़त बनाई और दीपेंद्र चुनाव जीत गए। श्रुति की टिकट काट दान सिंह को दी, फिर भी नहीं मिली बढ़त भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट की बात करें तो यहां पर कांग्रेस ने इस बार श्रुति चौधरी की टिकट काटकर अहीर चेहरे राव दान सिंह पर दांव खेला। कांग्रेस को उम्मीद थी कि भिवानी के जाट वोटर्स का साथ मिलने के बाद महेंद्रगढ़ के अहीर वोटर्स राव दान सिंह के प्रत्याशी बनाने से उनके पाले में आ जाएंगे, लेकिन जब परिणाम आए तो बिल्कुल उल्ट तस्वीर नजर आई। यहां चारों हल्कों में बीजेपी को 44 हजार 598 वोट की बढ़त मिली। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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