आगरा में ऑन डिमांड बनता था हर ब्रांड का नकली-घी:फोन पर ऑर्डर, अमूल-पतंजलि के नाम से सप्लाई; 1000 क्विंटल खपा चुके

आगरा में ऑन डिमांड बनता था हर ब्रांड का नकली-घी:फोन पर ऑर्डर, अमूल-पतंजलि के नाम से सप्लाई; 1000 क्विंटल खपा चुके

आगरा में 3 बीघा एरिया में फैक्ट्री बनाकर नकली देसी घी बनाई जा रही थी। फैक्ट्री के मालिक ऑन कॉल ऑर्डर लेते थे। फिर डिमांड के हिसाब से बड़े ब्रांड की पैकिंग में नकली घी सप्लाई करते थे। यहां 18 ब्रांड के नाम की पैकिंग की जाती थी। फैक्ट्री में काम करने वाले सिर्फ 5 लोग हैं। लेकिन मालिकों का संपर्क 5 राज्यों में है। एक साल में 1000 क्विंटल से ज्यादा नकली घी सप्लाई करने की बात सामने आई है। पढ़िए कैसे बनता था नकली घी, किन ब्रांड का और कहां-कहां होती थी सप्लाई, पूरी रिपोर्ट… प्राइम लोकेशन में चलती थी फैक्ट्री
ताजगंज में शमसाबाद रोड के पास मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के बीच में एक बड़ी जमीन में टीन शेड का गोदाम है। यहां पर सुबह सदर और ताजगंज पुलिस ने मिलकर छापा मारा। बड़ी मात्रा में नकली देसी घी बनता हुआ मिला। गोदाम में घुसने पर पहले घी के बड़े-बड़े ड्रम रखे मिले। इसके अलावा बॉयलर, पैकिंग मशीन रखी थीं। अंदर अमूल, पारस, पतंजलि समेत अन्य बड़े ब्रांड के घी की पैकिंग थी। इन डिब्बों और टिन में एक ही ड्रम से घी भरा जा रहा था। दूसरे गोदाम में रॉ मैटीरियल
गोदाम से आगे दूसरे गोदाम में पुलिस को नकली देसी घी बनाने का रॉ मैटीरियल मिला। इस गोदाम में बड़ी संख्या में रिफाइंड और वनस्पति घी रखा था। इसके अलावा रिफाइंड की करीब 400 खाली टिन भी रखी थीं।यूरिया और ऐसेंस भी मिला। तीसरे गोदाम में तैयार माल और रॉ मैटेरियल रखा था। एफएसडीए की टीम ने मौके से 13 सैंपल लिए हैं। इन्हें जांच के लिए लखनऊ भेजा जाएगा। बेरोजगार थे, इसलिए गलत काम करने लगे
पुलिस ने मौके से मैनेजर और चार कर्मचारियों को पकड़ा। मैनेजर ने बताया कि वो 6 माह से यहां पर नौकरी कर रहे हैं। जब पुलिस ने उससे पूछा कि गलत काम करने में डर नहीं लगा तो उसने कहा कि उसके पास कोई नौकरी नहीं थी, इसलिए यहां पर नौकरी करने लगा। ग्वालियर के रहने वाले हैं फर्म संचालक
मैनेजर ने पुलिस को बताया कि फर्म का लाइसेंस ग्वालियर में लिया गया है। इसके संचालक नीरज अग्रवाल, पंकज अग्रवाल और ब्रजेश अग्रवाल हैं। इनका मधु सुगंध के नाम पर अपना ब्रांड है। इस ब्रांड की आड़ में ही प्रमुख ब्रांड के नकली घी का गोरधंधा चल रहा था। वो अपने ब्रांड के एक्सपायरी घी को भी नकली घी में ही खपा देते हैं। ऑन डिमांड चलता है बिजनेस
मैनेजर ने बताया कि संचालक उनके मोबाइल पर ही ब्रांड के हिसाब से घी पैकिंग करने का ऑर्डर भेजते थे। उस ऑर्डर के हिसाब से ही वो लेवल चिपका कर पैकिंग कर देते थे। जिस डीलर को जिस ब्रांड के नकली घी की जरूरत होती थी, वो बस मोबाइल पर ऑर्डर देता था, उसके ऑर्डर के हिसाब से ही पैकिंग कर माल को ट्रक में लोड कर भेज दिया जाता था। एक साल से चल रही फैक्ट्री
पूछताछ में सामने आया है कि आगरा में नकली घी की फैक्ट्री करीब एक साल से चल रही थी। एक अनुमान के मुताबिक हर माह 100 क्विंटल नकली घी की सप्लाई होती थी। उस हिसाब से अब तक करीब 1000 क्विंटल नकली घी को बाजार में खपाया जा चुका है। मैनेजर के मोबाइल से पुलिस को वह डाटा मिला है जिनको नकली घी की सप्लाई की जा रही थी। उनकी डिमांड भी सामने आई है। मुनाफे के लिए सेहत से खिलवाड़
पूछताछ में सामने आया है कि नकली घी तैयार करने में करीब 200 रुपए प्रति किलो का खर्चा आता है। इसमें वनस्पति घी, रिफाइंड, पाम ऑयल, यूरिया और एसेंस मिलाया जाता है। सबको एक अनुपात में मिलकार बॉयलर में गर्म किया जाता था। इसके बाद इनको ड्रमों में भर लिया जाता था। इनकी आधा किलो, एक किलो, 5 और 15 किलो की पैकिंग की जाती थी। इसके बाद नकली घी को बाजार में डीलरों को साढे़ 350 रुपए किलो तक बेचा जाता था। डीलर इसे रिटेल में अलग-अलग ब्रांड के रेट के अनुसार, 550 से 650 रुपए तक में बेचते हैं। किडनी-लिवर हो सकते हैं खराब
नकली घी खाने से किडनी और लिवर खराब हो सकते हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. अजीत चाहर का कहना है कि लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से किडनी, लिवर खराब हो सकते हैं। पेट खराब होने, उल्टियां और पेट दर्द तो आम बात है। डॉ. सुनील बंसल का कहना है कि पाम ऑयल से वैसे कोई नुकसान नहीं है। बस यह सैचुरेटेड फैट होता है। लंबे समय तक खाने से कोलेस्टेरॉल बढ़ता है। इससे दिल और दिमाग संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं यूरिया के सेवन से (5 से 10 साल तक) लिवर और किडनी पर असर होता है। तुरंत प्रभाव में पेट खराब होता है। इन ब्रांडों के मिले हैं स्टीकर
अमूल प्योर घी, पतंजलि काउज घी, कृष्णा घी, मधुसूदन घी, अनिक, परम घी, माडर्न डेरीज, रीयल गोल्ड गाय घी, अमूल बटर, प्योर इट, भदावर देशी घी, रीयल गोल्ड, पारस, मधु सुगंध। यहां हो रही थी सप्लाई
मेरठ, जयपुर, प्रयागराज, बनारस, सिरसा हरियाणा, लखीमपुर, पूर्णिया बिहार, गाजीपुर, नजीबाबाद, रुद्रपुर उत्तराखंड, जम्मू, गाजीपुर, भरतपुर, ग्वालियर। —————————————— इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़े:- आगरा में पतंजलि-अमूल के नाम से नकली घी की फैक्ट्री :175 में तैयार कर 650 रुपए किलो बेचते आगरा में नकली देसी घी बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। लंबे समय से चल रही फैक्ट्री में पतंजलि और अमूल जैसे देश के 18 बड़े ब्रांड का स्टिकर लगाकर पैकिंग की जाती थी। इसके बाद इसे यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में सप्लाई कर दिया जाता था। नकली घी को बनाने में यूरिया, पॉम ऑयल और परफ्यूम जैसे सेहत के लिए नुकसानदायक सामान का इस्तेमाल किया जाता था। पुलिस ने फैक्ट्री से करीब 2500 किलो रॉ मटेरियल और नकली घी बरामद किया है। खाद्य विभाग की टीम मौके पर है। डिब्बों के सैंपल लिए जा रहे हैं। कई बड़ी कंपनियों के नाम के स्टिकर भी मिले हैं। मामला ताजगंज थाना क्षेत्र का है। पढ़ें पूरी खबर आगरा में 3 बीघा एरिया में फैक्ट्री बनाकर नकली देसी घी बनाई जा रही थी। फैक्ट्री के मालिक ऑन कॉल ऑर्डर लेते थे। फिर डिमांड के हिसाब से बड़े ब्रांड की पैकिंग में नकली घी सप्लाई करते थे। यहां 18 ब्रांड के नाम की पैकिंग की जाती थी। फैक्ट्री में काम करने वाले सिर्फ 5 लोग हैं। लेकिन मालिकों का संपर्क 5 राज्यों में है। एक साल में 1000 क्विंटल से ज्यादा नकली घी सप्लाई करने की बात सामने आई है। पढ़िए कैसे बनता था नकली घी, किन ब्रांड का और कहां-कहां होती थी सप्लाई, पूरी रिपोर्ट… प्राइम लोकेशन में चलती थी फैक्ट्री
ताजगंज में शमसाबाद रोड के पास मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के बीच में एक बड़ी जमीन में टीन शेड का गोदाम है। यहां पर सुबह सदर और ताजगंज पुलिस ने मिलकर छापा मारा। बड़ी मात्रा में नकली देसी घी बनता हुआ मिला। गोदाम में घुसने पर पहले घी के बड़े-बड़े ड्रम रखे मिले। इसके अलावा बॉयलर, पैकिंग मशीन रखी थीं। अंदर अमूल, पारस, पतंजलि समेत अन्य बड़े ब्रांड के घी की पैकिंग थी। इन डिब्बों और टिन में एक ही ड्रम से घी भरा जा रहा था। दूसरे गोदाम में रॉ मैटीरियल
गोदाम से आगे दूसरे गोदाम में पुलिस को नकली देसी घी बनाने का रॉ मैटीरियल मिला। इस गोदाम में बड़ी संख्या में रिफाइंड और वनस्पति घी रखा था। इसके अलावा रिफाइंड की करीब 400 खाली टिन भी रखी थीं।यूरिया और ऐसेंस भी मिला। तीसरे गोदाम में तैयार माल और रॉ मैटेरियल रखा था। एफएसडीए की टीम ने मौके से 13 सैंपल लिए हैं। इन्हें जांच के लिए लखनऊ भेजा जाएगा। बेरोजगार थे, इसलिए गलत काम करने लगे
पुलिस ने मौके से मैनेजर और चार कर्मचारियों को पकड़ा। मैनेजर ने बताया कि वो 6 माह से यहां पर नौकरी कर रहे हैं। जब पुलिस ने उससे पूछा कि गलत काम करने में डर नहीं लगा तो उसने कहा कि उसके पास कोई नौकरी नहीं थी, इसलिए यहां पर नौकरी करने लगा। ग्वालियर के रहने वाले हैं फर्म संचालक
मैनेजर ने पुलिस को बताया कि फर्म का लाइसेंस ग्वालियर में लिया गया है। इसके संचालक नीरज अग्रवाल, पंकज अग्रवाल और ब्रजेश अग्रवाल हैं। इनका मधु सुगंध के नाम पर अपना ब्रांड है। इस ब्रांड की आड़ में ही प्रमुख ब्रांड के नकली घी का गोरधंधा चल रहा था। वो अपने ब्रांड के एक्सपायरी घी को भी नकली घी में ही खपा देते हैं। ऑन डिमांड चलता है बिजनेस
मैनेजर ने बताया कि संचालक उनके मोबाइल पर ही ब्रांड के हिसाब से घी पैकिंग करने का ऑर्डर भेजते थे। उस ऑर्डर के हिसाब से ही वो लेवल चिपका कर पैकिंग कर देते थे। जिस डीलर को जिस ब्रांड के नकली घी की जरूरत होती थी, वो बस मोबाइल पर ऑर्डर देता था, उसके ऑर्डर के हिसाब से ही पैकिंग कर माल को ट्रक में लोड कर भेज दिया जाता था। एक साल से चल रही फैक्ट्री
पूछताछ में सामने आया है कि आगरा में नकली घी की फैक्ट्री करीब एक साल से चल रही थी। एक अनुमान के मुताबिक हर माह 100 क्विंटल नकली घी की सप्लाई होती थी। उस हिसाब से अब तक करीब 1000 क्विंटल नकली घी को बाजार में खपाया जा चुका है। मैनेजर के मोबाइल से पुलिस को वह डाटा मिला है जिनको नकली घी की सप्लाई की जा रही थी। उनकी डिमांड भी सामने आई है। मुनाफे के लिए सेहत से खिलवाड़
पूछताछ में सामने आया है कि नकली घी तैयार करने में करीब 200 रुपए प्रति किलो का खर्चा आता है। इसमें वनस्पति घी, रिफाइंड, पाम ऑयल, यूरिया और एसेंस मिलाया जाता है। सबको एक अनुपात में मिलकार बॉयलर में गर्म किया जाता था। इसके बाद इनको ड्रमों में भर लिया जाता था। इनकी आधा किलो, एक किलो, 5 और 15 किलो की पैकिंग की जाती थी। इसके बाद नकली घी को बाजार में डीलरों को साढे़ 350 रुपए किलो तक बेचा जाता था। डीलर इसे रिटेल में अलग-अलग ब्रांड के रेट के अनुसार, 550 से 650 रुपए तक में बेचते हैं। किडनी-लिवर हो सकते हैं खराब
नकली घी खाने से किडनी और लिवर खराब हो सकते हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. अजीत चाहर का कहना है कि लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से किडनी, लिवर खराब हो सकते हैं। पेट खराब होने, उल्टियां और पेट दर्द तो आम बात है। डॉ. सुनील बंसल का कहना है कि पाम ऑयल से वैसे कोई नुकसान नहीं है। बस यह सैचुरेटेड फैट होता है। लंबे समय तक खाने से कोलेस्टेरॉल बढ़ता है। इससे दिल और दिमाग संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं यूरिया के सेवन से (5 से 10 साल तक) लिवर और किडनी पर असर होता है। तुरंत प्रभाव में पेट खराब होता है। इन ब्रांडों के मिले हैं स्टीकर
अमूल प्योर घी, पतंजलि काउज घी, कृष्णा घी, मधुसूदन घी, अनिक, परम घी, माडर्न डेरीज, रीयल गोल्ड गाय घी, अमूल बटर, प्योर इट, भदावर देशी घी, रीयल गोल्ड, पारस, मधु सुगंध। यहां हो रही थी सप्लाई
मेरठ, जयपुर, प्रयागराज, बनारस, सिरसा हरियाणा, लखीमपुर, पूर्णिया बिहार, गाजीपुर, नजीबाबाद, रुद्रपुर उत्तराखंड, जम्मू, गाजीपुर, भरतपुर, ग्वालियर। —————————————— इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़े:- आगरा में पतंजलि-अमूल के नाम से नकली घी की फैक्ट्री :175 में तैयार कर 650 रुपए किलो बेचते आगरा में नकली देसी घी बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। लंबे समय से चल रही फैक्ट्री में पतंजलि और अमूल जैसे देश के 18 बड़े ब्रांड का स्टिकर लगाकर पैकिंग की जाती थी। इसके बाद इसे यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में सप्लाई कर दिया जाता था। नकली घी को बनाने में यूरिया, पॉम ऑयल और परफ्यूम जैसे सेहत के लिए नुकसानदायक सामान का इस्तेमाल किया जाता था। पुलिस ने फैक्ट्री से करीब 2500 किलो रॉ मटेरियल और नकली घी बरामद किया है। खाद्य विभाग की टीम मौके पर है। डिब्बों के सैंपल लिए जा रहे हैं। कई बड़ी कंपनियों के नाम के स्टिकर भी मिले हैं। मामला ताजगंज थाना क्षेत्र का है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर