संसद में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने केंद्रीय बजट पर तीखा हमला बोला। आरोप लगाया कि यह बजट गरीबों की अनदेखी और अमीरों को फायदा पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि बजट में महंगाई से जूझ रहे आम लोगों के लिए कोई राहत नहीं दी गई, जबकि अमीरों के हितों को प्राथमिकता दी गई है। इमरान ने मनरेगा के बजट में कटौती, महंगाई पर चुप्पी, और अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कमी पर सवाल उठाते हुए सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। गरीबों और मध्यम वर्ग की उपेक्षा इमरान प्रतापगढ़ी ने संसद में अपने भाषण में कहा कि बजट में महंगाई पर कोई चर्चा नहीं की गई, जबकि जनता महंगे पेट्रोल, डीजल और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से परेशान है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में दूध की कीमत 73 रुपए प्रति लीटर है, फिर भी सरकार महंगाई पर चुप्पी साधे हुए है। इमरान ने व्यंग्य करते हुए पूछा कि आखिर इस बजट में किसकी संतुष्टि है – आम जनता की या फिर उद्योगपति दोस्तों की? मनरेगा के बजट में कमी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिस योजना से करोड़ों मजदूरों के घरों में चूल्हा जलता है, उसके लिए भी सरकार ने सिर्फ 1 रुपए की बढ़ोतरी की। उन्होंने कहा, “क्या 40 लाख नए मतदाताओं में एक भी मनरेगा का मजदूर नहीं था?” अल्पसंख्यकों के लिए बजट में कटौती पर सवाल इमरान ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कटौती की कड़ी आलोचना की। उन्होंने बताया कि 2024-25 के बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए 3183 करोड़ रुपए की घोषणा हुई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 1868 करोड़ रुपए कर दिया गया। उन्होंने पूछा, “क्या इस कटौती से देश के अल्पसंख्यक संतुष्ट हुए या फिर सरकार?” इमरान प्रतापगढ़ी ने प्रधानमंत्री के उस बयान को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे मुसलमानों के एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरान देखना चाहते हैं। इमरान ने आरोप लगाया कि स्कॉलरशिप्स खत्म करके और अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में कटौती करके सरकार इस वादे से मुकर रही है। महंगाई और टैक्स पर तंज इमरान ने महंगाई और टैक्स के बोझ को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब गृहणियां सब्जी बनाने के लिए तेल डालती हैं, तो उनके आंसू भी उस तेल में गिरते हैं। उन्होंने जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने दूध, मक्खन और अंतिम संस्कार के सामान तक पर टैक्स लगा रखा है, फिर भी इसे मध्यम वर्ग का बजट बताया जा रहा है। संसद में गूंजे शुदमा पांडेय ‘धूमिल’ के शब्द इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने भाषण की शुरुआत शुदमा पांडेय ‘धूमिल’ के शब्दों से की – “एक आदमी रोटी बेलता है, एक आदमी रोटी खाता है, एक तीसरा आदमी भी है, जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है, वह सिर्फ रोटी से खेलता है। वह तीसरा आदमी कौन है? मेरे देश की संसद मौन है।” उन्होंने इन शब्दों के जरिए संकेत दिया कि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में गरीब और मध्यम वर्ग की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि कुछ विशेष वर्गों को ही लाभ पहुंचाया जा रहा है। संसद में सशक्त विपक्ष की भूमिका इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने भाषण के अंत में सरकार से मांग की कि वह गरीबों और मध्यम वर्ग के हितों की रक्षा करे और अमीरों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों को बदले। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार की नीतियों की कड़ी समीक्षा करता रहेगा और जनता की आवाज को संसद में बुलंद करता रहेगा। संसद में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने केंद्रीय बजट पर तीखा हमला बोला। आरोप लगाया कि यह बजट गरीबों की अनदेखी और अमीरों को फायदा पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा कि बजट में महंगाई से जूझ रहे आम लोगों के लिए कोई राहत नहीं दी गई, जबकि अमीरों के हितों को प्राथमिकता दी गई है। इमरान ने मनरेगा के बजट में कटौती, महंगाई पर चुप्पी, और अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कमी पर सवाल उठाते हुए सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। गरीबों और मध्यम वर्ग की उपेक्षा इमरान प्रतापगढ़ी ने संसद में अपने भाषण में कहा कि बजट में महंगाई पर कोई चर्चा नहीं की गई, जबकि जनता महंगे पेट्रोल, डीजल और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से परेशान है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में दूध की कीमत 73 रुपए प्रति लीटर है, फिर भी सरकार महंगाई पर चुप्पी साधे हुए है। इमरान ने व्यंग्य करते हुए पूछा कि आखिर इस बजट में किसकी संतुष्टि है – आम जनता की या फिर उद्योगपति दोस्तों की? मनरेगा के बजट में कमी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिस योजना से करोड़ों मजदूरों के घरों में चूल्हा जलता है, उसके लिए भी सरकार ने सिर्फ 1 रुपए की बढ़ोतरी की। उन्होंने कहा, “क्या 40 लाख नए मतदाताओं में एक भी मनरेगा का मजदूर नहीं था?” अल्पसंख्यकों के लिए बजट में कटौती पर सवाल इमरान ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कटौती की कड़ी आलोचना की। उन्होंने बताया कि 2024-25 के बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए 3183 करोड़ रुपए की घोषणा हुई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 1868 करोड़ रुपए कर दिया गया। उन्होंने पूछा, “क्या इस कटौती से देश के अल्पसंख्यक संतुष्ट हुए या फिर सरकार?” इमरान प्रतापगढ़ी ने प्रधानमंत्री के उस बयान को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे मुसलमानों के एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरान देखना चाहते हैं। इमरान ने आरोप लगाया कि स्कॉलरशिप्स खत्म करके और अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में कटौती करके सरकार इस वादे से मुकर रही है। महंगाई और टैक्स पर तंज इमरान ने महंगाई और टैक्स के बोझ को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब गृहणियां सब्जी बनाने के लिए तेल डालती हैं, तो उनके आंसू भी उस तेल में गिरते हैं। उन्होंने जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने दूध, मक्खन और अंतिम संस्कार के सामान तक पर टैक्स लगा रखा है, फिर भी इसे मध्यम वर्ग का बजट बताया जा रहा है। संसद में गूंजे शुदमा पांडेय ‘धूमिल’ के शब्द इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने भाषण की शुरुआत शुदमा पांडेय ‘धूमिल’ के शब्दों से की – “एक आदमी रोटी बेलता है, एक आदमी रोटी खाता है, एक तीसरा आदमी भी है, जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है, वह सिर्फ रोटी से खेलता है। वह तीसरा आदमी कौन है? मेरे देश की संसद मौन है।” उन्होंने इन शब्दों के जरिए संकेत दिया कि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में गरीब और मध्यम वर्ग की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि कुछ विशेष वर्गों को ही लाभ पहुंचाया जा रहा है। संसद में सशक्त विपक्ष की भूमिका इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने भाषण के अंत में सरकार से मांग की कि वह गरीबों और मध्यम वर्ग के हितों की रक्षा करे और अमीरों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों को बदले। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार की नीतियों की कड़ी समीक्षा करता रहेगा और जनता की आवाज को संसद में बुलंद करता रहेगा। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
इमरान प्रतापगढ़ी बोले- बजट में अमीरों को प्राथमिकता दी:संसद में कहा- अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में हुई कटौती, महंगाई पर सरकार चुप
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