हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने पर राज ठाकरे की सरकार को चेतावनी, ‘हम हिंदू हैं लेकिन…’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra News:</strong> महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी भाषा को क्लास 1 से 5 तक के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसे लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि महाराष्ट्र में पहली क्लास से हिंदी भाषा पढ़ाने की अनिवार्यता को हम नहीं चलने देंगे. स्कूल पाठ्यक्रम में जो हिंदी की किताबें हैं, उन्हें दुकानों में बिकने नहीं दिया जाएगा और स्कूलों में भी ये किताबें छात्रों में वितरित नहीं करने दी जाएंगी. इसका संज्ञान स्कूल प्रशासन को लेना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>MNS प्रमुख राज ठाकरे ने लिखा, ”मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि यह जबरदस्ती महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. सरकार द्वारा जो वर्तमान में हर जगह ‘हिंदीकरण’ की कोशिशें हो रही हैं, उन्हें हम इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे. हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है. वह इस देश की अन्य भाषाओं की तरह सिर्फ एक राज्यभाषा है. तो फिर महाराष्ट्र में पहली कक्षा से ही इसे क्यों पढ़ाया जाना चाहिए?” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अचानक दूसरी राज्यभाषा को थोपने की शुरुआत क्यों'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आगे कहा, ”आपका जो त्रिभाषा फॉर्मूला है, वह केवल सरकारी व्यवहारों तक ही सीमित रहना चाहिए, उसे शिक्षा तक नहीं लाना चाहिए. इस देश में भाषाई आधार पर राज्यों का गठन हुआ और वह इतने वर्षों से चला आ रहा है. लेकिन अब अचानक दूसरी राज्यभाषा को महाराष्ट्र पर थोपने की शुरुआत क्यों हो रही है?</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>भाषाई राज्यों के गठन के सिद्धांत का उल्लंघन-राज ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे ने कहा, ”हर भाषा सुंदर होती है और उसके निर्माण के पीछे एक लंबा इतिहास और परंपरा होती है और जो भाषा जिस राज्य की है, उसका सम्मान उस राज्य में होना ही चाहिए. जैसे महाराष्ट्र में मराठी भाषा का सम्मान अन्य भाषिकों द्वारा होना चाहिए, वैसे ही अन्य राज्यों में भी उस राज्य की भाषा का सभी भाषिकों द्वारा सम्मान होना चाहिए. यहां तक कि जो मराठी लोग अन्य राज्यों में रहते हैं, उन्हें भी उस राज्य की भाषा को अपनी भाषा माननी चाहिए. यह हमारा आग्रह है. लेकिन अगर आप इस देश की भाषाई परंपरा को ही कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं, तो वह हमें मंजूर नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हम हिंदू हैं लेकिन हिंदी नहीं- राज ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एमएनएस प्रमुख ने आगे कहा, ”हम हिंदू हैं लेकिन हिंदी नहीं हैं. अगर आप महाराष्ट्र पर हिंदीकरण का लेप चढ़ाने की कोशिश करेंगे, तो महाराष्ट्र में संघर्ष अनिवार्य है. इस पूरे घटनाक्रम को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार यह संघर्ष जानबूझकर उत्पन्न कर रही है. आगामी चुनावों में मराठी बनाम गैर-मराठी संघर्ष खड़ा कर उसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह सारी कवायद हो रही है. इस राज्य के गैर-मराठी भाषिकों को भी सरकार की इस साजिश को समझना चाहिए. सरकार को आपकी भाषा से कोई विशेष प्रेम नहीं है. वे केवल आपको भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिंदी भाषा की जबरदस्ती सिर्फ महाराष्ट्र में ही क्यों- राज ठाकरे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदी भाषा की यह जबरदस्ती सिर्फ महाराष्ट्र में ही क्यों? क्या आप यही हिंदी की अनिवार्यता दक्षिण के राज्यों में लागू करेंगे? और करके देखिए, वहां की सरकारें तुरंत विरोध में खड़ी हो जाएंगी. लेकिन महाराष्ट्र की सरकार और उसके घटक दल चुपचाप यह सब सहन कर लेते हैं, इसलिए यहां जबरदस्ती की जा रही है. बाकी राज्यों से हमें कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेगी</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे ने ये भी कहा, ”महाराष्ट्र के अन्य राजनीतिक दलों को भी अगर मराठी भाषा से थोड़ी भी निष्ठा है, तो उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए. आज भाषा थोपी जा रही है, कल कोई और जबरदस्ती की जाएगी.”</p>