उत्तराखंड के ‘फूलों की घाटी’ शीतकाल के लिए बंद, पर्यटकों की आमद रहा फायदेमंद

उत्तराखंड के ‘फूलों की घाटी’ शीतकाल के लिए बंद, पर्यटकों की आमद रहा फायदेमंद

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल है. फूलों की घाटी को शुक्रवार (1 नवंबर) को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया. फूलों की घाटी हर साल जून से अक्टूबर के बीच पर्यटकों के लिए खोला जाता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस घाटी की सौंदर्यता को निहारने हर साल बड़ी देश दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. &nbsp;इस साल घाटी में 19 हजार 436 पर्यटक पहुंचे, जिनमें से 330 विदेशी थे. पर्यटकों की आमद से पार्क प्रशासन को 39 लाख 39 हजार 250 रुपये की आय प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><img style=”display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;” src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/11/01/b6afc31c0fbcfa0451ed0a3698e778b61730454726623651_original.jpg” width=”473″ height=”266″ /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुष्पावती नदी के किनारे है घाटी</strong><br />फूलों की घाटी को ‘नंदन कानन’ भी कहा जाता है. यह भ्यूंडार घाटी में पुष्पावती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है. यह घाटी अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, अलग-अलग प्रकार के दुर्लभ फूलों और जैव विविधता के लिए जानी जाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां हर साल बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी, फोटोग्राफर और साहसिक पर्यटक पहुंचते हैं. यहां खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल और ऊंचे पहाड़ों की गोद में स्थित यह घाटी पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव का केंद्र बनती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’पर्यटकों की संख्या में इजाफा'</strong><br />घाटी के वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने बताया कि इस साल पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे पार्क को अच्छा राजस्व प्राप्त हुआ है. घाटी में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि न केवल पर्यटन को बढ़ावा देती है बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान करती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>हर साल पार्क प्रशासन की ओर से इसे 1 जून को आम जनता के लिए खोला जाता है और 31 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है. फूलों की घाटी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां दुर्लभ वन्य जीव और पौधों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इनमें हिमालयी भालू, मोनाल, कस्तूरी मृग और बर्फानी तेंदुआ जैसे वन्य जीव शामिल हैं. वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पार्क प्रशासन ने घाटी में पांच ट्रैप कैमरे भी लगाए हैं. ये कैमरे घाटी के महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाए गए हैं ताकि घाटी में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शीतकाल में होती है लंबी गश्त</strong><br />शीतकाल में घाटी के बंद होने के बाद भी वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए लंबी दूरी की गश्त जारी रहेगी. घाटी में बर्फबारी तक पार्क प्रशासन की रैकी टीम समय-समय पर निरीक्षण के लिए जाएगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन सुरक्षा उपायों के माध्यम से घाटी की जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद मिलती है. पार्क प्रशासन की यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फूलों की घाटी न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी प्रसिद्ध है. यहां खिलने वाले फूलों की लगभग 500 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी और कोबरा लिली जैसी दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पर्यटकों की आमद रहा फायदेमंद</strong><br />प्रकृति प्रेमियों के लिए यह घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां आने वाले पर्यटक कहते हैं कि घाटी का दृश्य उनकी स्मृतियों में हमेशा के लिए बस जाता है. इस साल बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना न केवल पार्क प्रशासन के लिए फायदेमंद रहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>घाटी में पर्यटकों की आवाजाही से स्थानीय व्यापारियों, होटलों, गाइड और यात्रा प्रबंधकों को भी काफी फायदा हुआ है. अब शीतकाल के दौरान घाटी में बर्फबारी होगी और प्रकृति अपने अलग ही रूप में सजकर अगले साल पर्यटकों का स्वागत करेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”यूपी में इस तारीख से बदलने लगेगा मौसम! तापमान में आएगी गिरावट, IMD वैज्ञानिक ने दी जानकारी” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-mein-thand-ka-mausam-imd-scientist-gave-date-for-change-in-weather-in-uttar-pradesh-2814572″ target=”_blank” rel=”noopener”>यूपी में इस तारीख से बदलने लगेगा मौसम! तापमान में आएगी गिरावट, IMD वैज्ञानिक ने दी जानकारी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News Today:</strong> उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल है. फूलों की घाटी को शुक्रवार (1 नवंबर) को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया. फूलों की घाटी हर साल जून से अक्टूबर के बीच पर्यटकों के लिए खोला जाता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस घाटी की सौंदर्यता को निहारने हर साल बड़ी देश दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. &nbsp;इस साल घाटी में 19 हजार 436 पर्यटक पहुंचे, जिनमें से 330 विदेशी थे. पर्यटकों की आमद से पार्क प्रशासन को 39 लाख 39 हजार 250 रुपये की आय प्राप्त हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><img style=”display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;” src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/11/01/b6afc31c0fbcfa0451ed0a3698e778b61730454726623651_original.jpg” width=”473″ height=”266″ /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पुष्पावती नदी के किनारे है घाटी</strong><br />फूलों की घाटी को ‘नंदन कानन’ भी कहा जाता है. यह भ्यूंडार घाटी में पुष्पावती नदी के दूसरे किनारे पर स्थित है. यह घाटी अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, अलग-अलग प्रकार के दुर्लभ फूलों और जैव विविधता के लिए जानी जाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां हर साल बड़ी संख्या में प्रकृति प्रेमी, फोटोग्राफर और साहसिक पर्यटक पहुंचते हैं. यहां खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल और ऊंचे पहाड़ों की गोद में स्थित यह घाटी पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव का केंद्र बनती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’पर्यटकों की संख्या में इजाफा'</strong><br />घाटी के वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने बताया कि इस साल पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे पार्क को अच्छा राजस्व प्राप्त हुआ है. घाटी में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि न केवल पर्यटन को बढ़ावा देती है बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान करती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>हर साल पार्क प्रशासन की ओर से इसे 1 जून को आम जनता के लिए खोला जाता है और 31 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है. फूलों की घाटी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां दुर्लभ वन्य जीव और पौधों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इनमें हिमालयी भालू, मोनाल, कस्तूरी मृग और बर्फानी तेंदुआ जैसे वन्य जीव शामिल हैं. वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पार्क प्रशासन ने घाटी में पांच ट्रैप कैमरे भी लगाए हैं. ये कैमरे घाटी के महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाए गए हैं ताकि घाटी में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शीतकाल में होती है लंबी गश्त</strong><br />शीतकाल में घाटी के बंद होने के बाद भी वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए लंबी दूरी की गश्त जारी रहेगी. घाटी में बर्फबारी तक पार्क प्रशासन की रैकी टीम समय-समय पर निरीक्षण के लिए जाएगी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन सुरक्षा उपायों के माध्यम से घाटी की जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद मिलती है. पार्क प्रशासन की यह पहल पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>फूलों की घाटी न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी प्रसिद्ध है. यहां खिलने वाले फूलों की लगभग 500 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी और कोबरा लिली जैसी दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पर्यटकों की आमद रहा फायदेमंद</strong><br />प्रकृति प्रेमियों के लिए यह घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां आने वाले पर्यटक कहते हैं कि घाटी का दृश्य उनकी स्मृतियों में हमेशा के लिए बस जाता है. इस साल बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना न केवल पार्क प्रशासन के लिए फायदेमंद रहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>घाटी में पर्यटकों की आवाजाही से स्थानीय व्यापारियों, होटलों, गाइड और यात्रा प्रबंधकों को भी काफी फायदा हुआ है. अब शीतकाल के दौरान घाटी में बर्फबारी होगी और प्रकृति अपने अलग ही रूप में सजकर अगले साल पर्यटकों का स्वागत करेगी.</p>
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