उत्तराखंड में निकाय चुनाव का रास्ता साफ, ओबीसी आरक्षण लागू करने को मिली मंजूरी

उत्तराखंड में निकाय चुनाव का रास्ता साफ, ओबीसी आरक्षण लागू करने को मिली मंजूरी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand Nikay Chunav 2025:</strong> उत्तराखंड में लंबे समय से रुके हुए निकाय चुनावों का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है. राज्यपाल ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है. यह निर्णय राज्य सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर कई अड़चनें सामने आ रही थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी संशोधन को लेकर एक अध्यादेश तैयार किया था. इस अध्यादेश को विधि विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद राजभवन को भेजा गया. राज्यपाल की विधि टीम ने कुछ कानूनी पहलुओं का हवाला देते हुए इसे रोक लिया था और शासन के विधि विभाग से इस पर राय मांगी थी. विधि विभाग ने इस अध्यादेश को मंजूरी देने की सिफारिश की, जिसके बाद राज्यपाल ने इस पर अपनी स्वीकृति दे दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजभवन की मंजूरी के बाद अब सरकार के पास ओबीसी आरक्षण को लागू करने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है. यह प्रक्रिया उत्तराखंड में पहली बार एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-education-news-central-government-statement-more-than-11-7-lakh-children-did-not-attend-school-most-in-uttar-pradesh-2839897″><strong>शिक्षा के क्षेत्र में इस पैमाने पर यूपी फिसड्डी, केंद्र के आंकड़ों में सामने आया सच, संसद में बयान जारी</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>अध्यादेश को मंजूरी मिलने के साथ ही अब सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकायों में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा. राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम स्थानीय स्वशासन में पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के अनुसार, इस महीने के अंत तक निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है. सरकार ने चुनावी प्रक्रिया को समय पर पूरा करने के लिए सभी तैयारियां शुरू कर दी हैं. निर्वाचन आयोग ने भी संकेत दिए हैं कि अधिसूचना जारी होते ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश पारित होने के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की देरी को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया, जिससे स्थानीय निकाय चुनाव में देरी हुई. दूसरी ओर, भाजपा ने इसे पिछड़े वर्गों के हित में एक ऐतिहासिक कदम बताया है. गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर पहले भी कई विवाद और कानूनी अड़चनें सामने आ चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि आरक्षण को लागू करने के लिए एक विस्तृत अध्ययन और आयोग की रिपोर्ट आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसके आधार पर अब आरक्षण लागू किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड के सियासी दलों के लिए जरूरी हैं ये चुनाव</strong><br />उत्तराखंड के स्थानीय निकाय चुनाव राज्य के विकास और राजनीतिक दलों की जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. ओबीसी आरक्षण लागू होने से पिछड़े वर्गों के नेताओं को राजनीतिक मंच पर आने का एक बड़ा अवसर मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल से अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. निर्वाचन आयोग ने संकेत दिया है कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे. सभी प्रमुख राजनीतिक दल अब अपने उम्मीदवारों के चयन और चुनाव प्रचार की रणनीतियों पर काम कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ओबीसी आरक्षण लागू होने से समाज के पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल की जा रही है. इसके जरिए इन वर्गों के प्रतिनिधियों को राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का मौका मिलेगा. यह पहल सामाजिक न्याय के साथ-साथ समावेशी विकास को भी बढ़ावा देगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>निकाय चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सरकार और निर्वाचन आयोग ने मिलकर व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं. अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इन चुनावों के जरिए उत्तराखंड की स्थानीय राजनीति में कौन से नए चेहरे और बदलाव सामने आते हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand Nikay Chunav 2025:</strong> उत्तराखंड में लंबे समय से रुके हुए निकाय चुनावों का रास्ता आखिरकार साफ हो गया है. राज्यपाल ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है. यह निर्णय राज्य सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर कई अड़चनें सामने आ रही थीं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी संशोधन को लेकर एक अध्यादेश तैयार किया था. इस अध्यादेश को विधि विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद राजभवन को भेजा गया. राज्यपाल की विधि टीम ने कुछ कानूनी पहलुओं का हवाला देते हुए इसे रोक लिया था और शासन के विधि विभाग से इस पर राय मांगी थी. विधि विभाग ने इस अध्यादेश को मंजूरी देने की सिफारिश की, जिसके बाद राज्यपाल ने इस पर अपनी स्वीकृति दे दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजभवन की मंजूरी के बाद अब सरकार के पास ओबीसी आरक्षण को लागू करने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है. यह प्रक्रिया उत्तराखंड में पहली बार एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट के आधार पर की जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-education-news-central-government-statement-more-than-11-7-lakh-children-did-not-attend-school-most-in-uttar-pradesh-2839897″><strong>शिक्षा के क्षेत्र में इस पैमाने पर यूपी फिसड्डी, केंद्र के आंकड़ों में सामने आया सच, संसद में बयान जारी</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>अध्यादेश को मंजूरी मिलने के साथ ही अब सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर निकायों में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा. राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम स्थानीय स्वशासन में पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सूत्रों के अनुसार, इस महीने के अंत तक निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है. सरकार ने चुनावी प्रक्रिया को समय पर पूरा करने के लिए सभी तैयारियां शुरू कर दी हैं. निर्वाचन आयोग ने भी संकेत दिए हैं कि अधिसूचना जारी होते ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश पारित होने के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की देरी को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया, जिससे स्थानीय निकाय चुनाव में देरी हुई. दूसरी ओर, भाजपा ने इसे पिछड़े वर्गों के हित में एक ऐतिहासिक कदम बताया है. गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर पहले भी कई विवाद और कानूनी अड़चनें सामने आ चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि आरक्षण को लागू करने के लिए एक विस्तृत अध्ययन और आयोग की रिपोर्ट आवश्यक है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसके आधार पर अब आरक्षण लागू किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उत्तराखंड के सियासी दलों के लिए जरूरी हैं ये चुनाव</strong><br />उत्तराखंड के स्थानीय निकाय चुनाव राज्य के विकास और राजनीतिक दलों की जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. ओबीसी आरक्षण लागू होने से पिछड़े वर्गों के नेताओं को राजनीतिक मंच पर आने का एक बड़ा अवसर मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यपाल से अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. निर्वाचन आयोग ने संकेत दिया है कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए हर संभव उपाय किए जाएंगे. सभी प्रमुख राजनीतिक दल अब अपने उम्मीदवारों के चयन और चुनाव प्रचार की रणनीतियों पर काम कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ओबीसी आरक्षण लागू होने से समाज के पिछड़े वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल की जा रही है. इसके जरिए इन वर्गों के प्रतिनिधियों को राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का मौका मिलेगा. यह पहल सामाजिक न्याय के साथ-साथ समावेशी विकास को भी बढ़ावा देगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>निकाय चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सरकार और निर्वाचन आयोग ने मिलकर व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं. अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इन चुनावों के जरिए उत्तराखंड की स्थानीय राजनीति में कौन से नए चेहरे और बदलाव सामने आते हैं.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राजस्थान हाई कोर्ट ने आसाराम को दी 17 दिनों की पैरोल, एयर एंबुलेंस जाएंगे महाराष्ट्र