लुधियाना सांस्कृतिक समागम (एलएसएस) सुनील कांत मुंजाल द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सांस्कृतिक संगठन, लुधियाना में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। एलएसएस सेरेंडिपिटी आर्ट्स द्वारा निर्मित थ्री दिवाज नामक एक शानदार संगीत कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। इस प्रदर्शन में प्रतिष्ठित गायिका उषा उत्थुप, शुभा मुदगल और अरुणा साईराम पहली बार एक साथ मंच साझा करेंगी, जिसका कार्यक्रम प्रशंसित तालवादक बिक्रम घोष द्वारा क्यूरेट किया गया है। क्यूरेटर बिक्रम घोष ने कहा कि थ्री दिवाज तीन महान आवाजों का एक रोमांचक संगम है। पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच… गायिका पदमश्री अरुणा साईराम ने कहा कि वह भले ही साउथ से हैं, लेकिन पंजाबी कल्चर को बहुत फॉलो करती हैं, क्योंकि पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच और खूबसूरत है। पंजाबी म्यूजिक, खाना और मेहमान नवाजी बहुत ही बेहतरीन है। इससे पहले अमृतसर और चंडीगढ़ में परफॉर्म करने का मौका मिला था, जिसका अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। मुझे पंजाबी फिल्में देखना भी बहुत पसंद है। गुरदास मान मेरे पसंदीदा पंजाबी गायक हैं। इस जुगलबंदी को लेकर बहुत उत्साहित हैं, क्योंकि हर किसी के गाने का तरीका एकदम जुदा है और हर कोई अपने-अपने अंदाज में ही मंच पर परफॉर्म करेगा। चेन्नई में बहुत ही अच्छी हिंदी सिखाई जाती है, जहां से सीखी इसलिए हिंदी में पकड़ मजबूत है। इस एक मंच में हम तीनों की अलग-अलग टीमें म्यूजिशियन की होंगी। ये संगीत उत्सव संगीत में विविधता की सुंदरता का एक शक्तिशाली प्रमाण साबित होगा। पारंपरिक कला को बढ़ावा दें… शास्त्रीय संगीत की जानी मानी गायिका पदमश्री शुभा मुदगल ने कहा कि 25 साल के बाद लुधियाना आकर बहुत अच्छा लग रहा है। आज भी भारतीय क्लासिकल संगीत सुनने वालों की संख्या कोई कम नहीं है। पहले जहां छोटे-छोटे जलसों में संगीत कार्यक्रम होते थे, वहीं आज बहुत बड़े-बड़े कॉन्सर्ट होते हैं। हालांकि हर कोई क्लासिकल का चाहने वाला नहीं हो सकता न ही किसी को फोर्स किया जा सकता है, लेकिन क्लासिकल ने आज भी अपनी जगह बनाई हुई है। पारंपरिक कला को बढ़ावा दिया जाए तो इसका चलन कभी कम नहीं होगा। इसके लिए समाज से स्वीकृति बहुत ज्यादा जरूरी है फिर चाहे क्लासिकल गायकी हो, गजल या फिर कव्वाली। मेरे लिए संगीत एक भाषा है, जिससे मैं जो बोलना चाहती हूं और बोलती हूं। पंजाब में दिलजीत दोसांझ को सुनना पसंद है, उन्होंने सबका दिल जीता हुआ है। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है, इसके जरिए आप लोगों के दिल में आसानी से जगह बना सकते हैं भारतीय इंडी पॉप और पार्श्वगायिका पदमभूषण उषा उत्थुप ने कहा कि मैं लुधियाना आकर बहुत खुश हूं। यहां आए हुए बहुत साल हो गए हैं, लेकिन मेरा देश और विदेश में सबसे बड़ा हिट गाना काली तेरी गुत्त ते परांदा तेरा लाल नी, 1969 में आसा सिंह मस्ताना का आज भी लोगों का पसंदीदा गाना है। संगीत बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। किसी भी गाने को क्लासिक होने में समय लगता है। एकजुट होकर कोई काम करने से सफलता जरूर हासिल होती है। 1969 में जब गाना शुरू किया तो माहौल बिल्कुल अलग था। मुझे खुशी है कि मैंने अपने ट्रेडिशनल पहनावे के साथ ही गानों का ट्रेंड बदला। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है। इससे आप सीधा लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। मुझे पंजाबी गायक गुरदास मान को सुनना बहुत पसंद है। लुधियाना सांस्कृतिक समागम (एलएसएस) सुनील कांत मुंजाल द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी सांस्कृतिक संगठन, लुधियाना में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। एलएसएस सेरेंडिपिटी आर्ट्स द्वारा निर्मित थ्री दिवाज नामक एक शानदार संगीत कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। इस प्रदर्शन में प्रतिष्ठित गायिका उषा उत्थुप, शुभा मुदगल और अरुणा साईराम पहली बार एक साथ मंच साझा करेंगी, जिसका कार्यक्रम प्रशंसित तालवादक बिक्रम घोष द्वारा क्यूरेट किया गया है। क्यूरेटर बिक्रम घोष ने कहा कि थ्री दिवाज तीन महान आवाजों का एक रोमांचक संगम है। पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच… गायिका पदमश्री अरुणा साईराम ने कहा कि वह भले ही साउथ से हैं, लेकिन पंजाबी कल्चर को बहुत फॉलो करती हैं, क्योंकि पंजाबी कल्चर बहुत ज्यादा रिच और खूबसूरत है। पंजाबी म्यूजिक, खाना और मेहमान नवाजी बहुत ही बेहतरीन है। इससे पहले अमृतसर और चंडीगढ़ में परफॉर्म करने का मौका मिला था, जिसका अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। मुझे पंजाबी फिल्में देखना भी बहुत पसंद है। गुरदास मान मेरे पसंदीदा पंजाबी गायक हैं। इस जुगलबंदी को लेकर बहुत उत्साहित हैं, क्योंकि हर किसी के गाने का तरीका एकदम जुदा है और हर कोई अपने-अपने अंदाज में ही मंच पर परफॉर्म करेगा। चेन्नई में बहुत ही अच्छी हिंदी सिखाई जाती है, जहां से सीखी इसलिए हिंदी में पकड़ मजबूत है। इस एक मंच में हम तीनों की अलग-अलग टीमें म्यूजिशियन की होंगी। ये संगीत उत्सव संगीत में विविधता की सुंदरता का एक शक्तिशाली प्रमाण साबित होगा। पारंपरिक कला को बढ़ावा दें… शास्त्रीय संगीत की जानी मानी गायिका पदमश्री शुभा मुदगल ने कहा कि 25 साल के बाद लुधियाना आकर बहुत अच्छा लग रहा है। आज भी भारतीय क्लासिकल संगीत सुनने वालों की संख्या कोई कम नहीं है। पहले जहां छोटे-छोटे जलसों में संगीत कार्यक्रम होते थे, वहीं आज बहुत बड़े-बड़े कॉन्सर्ट होते हैं। हालांकि हर कोई क्लासिकल का चाहने वाला नहीं हो सकता न ही किसी को फोर्स किया जा सकता है, लेकिन क्लासिकल ने आज भी अपनी जगह बनाई हुई है। पारंपरिक कला को बढ़ावा दिया जाए तो इसका चलन कभी कम नहीं होगा। इसके लिए समाज से स्वीकृति बहुत ज्यादा जरूरी है फिर चाहे क्लासिकल गायकी हो, गजल या फिर कव्वाली। मेरे लिए संगीत एक भाषा है, जिससे मैं जो बोलना चाहती हूं और बोलती हूं। पंजाब में दिलजीत दोसांझ को सुनना पसंद है, उन्होंने सबका दिल जीता हुआ है। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है, इसके जरिए आप लोगों के दिल में आसानी से जगह बना सकते हैं भारतीय इंडी पॉप और पार्श्वगायिका पदमभूषण उषा उत्थुप ने कहा कि मैं लुधियाना आकर बहुत खुश हूं। यहां आए हुए बहुत साल हो गए हैं, लेकिन मेरा देश और विदेश में सबसे बड़ा हिट गाना काली तेरी गुत्त ते परांदा तेरा लाल नी, 1969 में आसा सिंह मस्ताना का आज भी लोगों का पसंदीदा गाना है। संगीत बहुत ज्यादा शक्तिशाली है। किसी भी गाने को क्लासिक होने में समय लगता है। एकजुट होकर कोई काम करने से सफलता जरूर हासिल होती है। 1969 में जब गाना शुरू किया तो माहौल बिल्कुल अलग था। मुझे खुशी है कि मैंने अपने ट्रेडिशनल पहनावे के साथ ही गानों का ट्रेंड बदला। मुझे भाषाओं से बहुत प्यार है। इससे आप सीधा लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। मुझे पंजाबी गायक गुरदास मान को सुनना बहुत पसंद है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाबी सिंगर का शो कैंसिल होने पर दर्द छलका:बोले- देश सबका, किसी एक का नहीं, VHP-बजरंग दल हिंदू-सिख मुद्दा बना नफरत फैला रहे
पंजाबी सिंगर का शो कैंसिल होने पर दर्द छलका:बोले- देश सबका, किसी एक का नहीं, VHP-बजरंग दल हिंदू-सिख मुद्दा बना नफरत फैला रहे पंजाबी सिंगर रंजीत बावा का हिमाचल में शो कैंसिल होने पर दर्द छलका है। सिंगर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर नाराजगी जताई। रंजीत बावा ने कहा कि कुछ लोगों ने पॉलिटिक्स खेलकर हिंदू-सिख का मुद्दा बनाया। बावा ने कहा कि जिस गाने को लेकर मेरा विरोध किया जा रहा है, उसे मैं 4 साल पहले ही डिलीट कर चुका हूं। कलाकार लोगों के मनोरंजन के लिए होता है, लेकिन उनका विरोध करने वाले (विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल) नफरत का सबूत दे रहे हैं। यह देश सबका है, किसी एक का नहीं। बता दें कि बावा को नालागढ़ के रेडक्रॉस मेले में परफॉर्मेंस के लिए बुलाया गया था। हालांकि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इसका विरोध कर दिया। उनका कहना था कि बावा ने अपने गाने में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। उनके विरोध के बाद प्रशासन ने बावा का शो कैंसिल कर सिंगर कुलविंदर बिल्ला को बुला लिया। सिंगर रंजीत बावा की 5 अहम बातें 1. जोड़ना सीखो, तोड़ना नहीं
नालागढ़ शो कैंसिल करवाकर कुछ लोगों ने नफरत फैलाकर इस बात का सबूत दे दिया कि पॉलिटिक्स खेलकर हिंदू-सिख का मुद्दा बना लो। जोड़ना सीखो, तोड़ना नहीं चाहिए। यह देश सबका है, किसी एक का नहीं कि जब मर्जी विवाद खड़ा कर दो। 2. CM से गुजारिश, इन्हें थोड़ा समझाओ
मैं सीएम को गुजारिश करता हूं कि पिछले एक साल में मेरा हिमाचल में तीसरा शो कैंसिल हुआ है। हमें पंजाब में कोई कमी नहीं है, यहां बहुत शो हैं लेकिन बात ये है कि आप नफरत को बहुत ओवर कर रहे हो। आप इन लोगों को थोड़ा समझाओ, जो धर्म के नाम पर पॉलिटिक्स करते हैं। कलाकार मनोरंजन के लिए होता है। 3. हर बात पर हिंदू-सिख का मसला
हम सभी धर्मों का सत्कार करते हैं। मगर, कुछ लोग धर्म के नाम पर लड़ाई खत्म नहीं करना चाहते। हर बात पर हिंदू-सिख का मसला बना लेते हो। बहुत सारे फैंस के मैसेज आ रहे हैं। मगर, हम नहीं आ रहे क्योंकि आपके लोग ही इस मामले को खत्म नहीं करना चाहते। 4. चार साल पहले सॉन्ग रिमूव कर चुका
जिस सॉन्ग ‘मेरा की कसूर’ को लेकर विरोध हो रहा है, उसे रिमूव किए हुए 4 साल हो चुके हैं। इस बारे में वीडियो भी डालकर कहा था कि अगर किसी का दिल दुखा तो हम माफी चाहते हैं। आप अभी भी एक ही बात को लेकर धरना लगा रहे हो। 5. कलाकार भाइयों का भी साथ दो
धर्म जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं। कलाकार भाइयों का भी थोड़ा साथ दिया करो। मैं अरदास करता हूं कि रब लोगों को प्यार करना सिखाए और यह नफरत खत्म हो। कभी फिर सही, जल्दी यहां शो करने आएंगे। शो कैंसिल होने के बाद रंजीत बावा की पोस्ट… हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप रंजीत बावा ने पंजाबी गाना ‘मेरा की कसूर’ निकाला था। विश्व हिंदू परिषद का आरोप था कि गाने में हिंदू देवी देवताओं के प्रति अभद्र टिप्पणी की गई थी। जब बावा को रेडक्रॉस मेले में बुलाने का पता चला तो वह भड़क गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में बहुत कलाकार हैं, उनको मौका मिलना चाहिए। ऐसे लोगों को मौका क्यों दें, जो दूसरों की भावनाओं की कदर नहीं करते। उन्होंने SDM के जरिए डिप्टी कमिश्नर को मांग पत्र भेजा। जिसमें कहा कि बावा की जगह किसी दूसरे सिंगर को बुलाया जाए। अगर बावा मेले में आए तो वह इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद प्रशासन ने रंजीत बावा का शो कैंसिल कर दिया। उनकी जगह कुलविंदर बिल्ला को बुलाया गया। रंजीत बावा के खिलाफ डाली गई पोस्ट… ————– सिंगर रंजीत बावा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें- पंजाबी सिंगर रंजीत बावा का हिमाचल में शो कैंसिल:VHP-बजरंग दल ने किया था विरोध; बोले-गाने में हिंदुओं की भावनाएं आहत कीं मशहूर पंजाबी सिंगर रंजीत बावा का हिमाचल के रेडक्रॉस मेले में प्रोग्राम कैंसिल कर दिया गया है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल इसका लगातार विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि बावा ने अपने गाने से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। उनका कहना था कि जो लोग हमारे शिव भगवान, जनेऊ और गौ माता को लेकर टिप्पणी करते हैं, उन लोगों को कार्यक्रमों में घुसने नहीं दिया जाएगा। पूढ़ें पूरी खबर