एक घंटे तक बंद मकान में जलते रहे ‘दादा’:ताला तोड़कर परिचित अंदर घुसे तब जाकर बुझी आग; रिटायर एयर फोर्स ऑफिसर के मौत की कहानी

एक घंटे तक बंद मकान में जलते रहे ‘दादा’:ताला तोड़कर परिचित अंदर घुसे तब जाकर बुझी आग; रिटायर एयर फोर्स ऑफिसर के मौत की कहानी

‘दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद मै घर के बाहर नहाकर निकली और बाल सुखाने लगी तो ‘दादा जी’ के कमरे की खिड़की से धुआं उठते देखा। बगल के रोशनदान से भी धुआं आ रहा था। मैंने दादा जी (दयाशंकर गुप्ता) को फोन किया। उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। मोहल्ले के लोग जुट गए थे पर घर के बाहर और हर तरफ से ताला बंद होने की वजह से कोई अंदर नहीं जा पाया और दादा जी करीब एक घंटे तक अंदर जलते रहे।’ ये बातें रिटायर एयर फोर्स के अफसर दयाशंकर गुप्ता के घर के सामने रहने वाले पवन गुप्ता की पत्नी बबिता ने कही। बताया- दादाजी अंदर एक घंटे तक जलते रहे, कोई उनकी मदद नहीं कर सका। क्योंकि, सब तरफ ताले बंद थे। 15 दिसंबर की शाम उन्होंने मेरे बेटे को दुकान पर बुलाकर टॉफी दी थी। उसके बाद फिर हमारी कोई मुलाकात नहीं हुई थी। सारनाथ थानाक्षेत्र के शिव विहार कालोनी में रहने वाले दयाशंकर गुप्ता साल 2002 में नौसेना से मेडिकल वारंट ऑफिसर के पद से रिटायर हुए थे। वो बेंगलुरु में पोस्टेड थे। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटे अरविंद गुप्ता और राजेश गुप्ता परिवार के साथ बेंगलुरु में ही रहते हैं और वहीं जॉब करते हैं। जबकि मनीषा की शादी पुणे और छोटी बेटी शशिकला की शादी वाराणसी के ही लालपुर में हुई है। 16 दिसंबर की शाम उनके कमरे में शार्ट सर्किट से आग लगी। उसी में वो जिंदा जल गए। इस घटना के बाद जहां घर पहुंची बेटी शशिकला बिलख रही थी और भाइयों से वीडियो कॉलिंग पर जल्द से जल्द घर आने की गुहार लगा रही थी। वहीं मोहल्ले वाले स्तब्ध थे। दयाशंकर मिलनसार थे और रोजाना अपने घर में स्थित खुद के मेडिकल स्टोर में सुबह 10 बजे से ढाई बजे दिन तक बैठते थे। ऐसे में हमने दयाशंकर गुप्ता के साथ 16 दिसंबर को क्या हुआ ? और उनका स्वभाव कैसा था ? इन सब विषयों पर मोहल्ले वालों और उनकी बेटी शशिकला से बात की। पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले घर के सामने रहने वाली बबिता मौर्या से बातचीत… ढाई बजे दुकान बंद करके सोने गए थे दादा जी
दयाशंकर गुप्ता का मकान शिव विहार कालोनी में है। दो मंजिला इस मकान में वो अकेले रहते हैं। जिसमें आगे 6 दुकानें हैं। जिसमें से एक में उनका खुद का मेडिकल स्टोर है। इसका एक दरवाजा घर में है। वो दोपहर में दुकान बंद करके घर में सोने चले जाते थे। अगल-बगल के दुकानदारों ने बताया की रोज की तरह आज भी दयशंकर जी दोपहर दो बजे के बाद सोने चले गए थे। चार बजे निकलते देखा धुंआ
दयाशंकर के मकान के सामने रहने वाले पवन मौर्या की पत्नी बबिता मौर्या ने दैनिक भास्कर से बात की और बताया- मै नहाकर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अपने बाल घर के बाहर दरवाजे पर सुखा रही थी। उसी समय मैंने देखा कि दादा जी (दयाशंकर गुप्ता) के कमरे से धुआं निकल रहा है। इस पर हमें कोई अनहोनी की आशंका हुई तो हमने फौरन दादाजी के मोबाइल पर कॉल किया पर वह स्विच ऑफ था। कई आवाज दी पर कोई नहीं बोला
धुआं तेज हुआ तो हमने दादा जी को आवाज देना शुरू कर दी। मोहल्ले वालों की भीड़ लग गई पर सब मजबूर थे क्योंकि मेन गेट पर ताला बंद था। इस पर मैंने अपने पति पवन मौर्या को कॉल करके सारी बात बताई। उन्होंने फिर दादा जी के परिचितों को फोन किया। इधर मोहल्ले के लोगों ने खिड़की और रोशनदान से पानी फेंकना शुरू कर दिया था क्योंकि अंदर आग दिखाई दे रही थी। एक घंटे बाद तोड़ा गया ताला
बबिता ने बताया- इधर धीरे-धीरे समय बीत रहा था। अंदर से आवाजें आने लगी थीं। एक घंटा बीतने के बाद उनके परिचित आये जिन्होंने ताला तोड़ा। उसके बाद मोहल्ले के लोग अंदर गए और पानी सीधे कमरे में फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस आ गयी थी पर फायर सर्विस से कोई नहीं आया था। लोगों ने ताला टूटने के आधे घंटे में आग बुझा दी। फायर ब्रिगेड आया तो आग बुझ चुकी थी। मिलनसार और अच्छे स्वभाव के थे दादा जी, बेटे को देते थे चॉकलेट
बबिता की आंखें दयशंकर गुप्ता को याद कर नम हो गई थीं। अपने आंसू छुपाते हुए बोलीं की मेरे बेटे को बहुत प्यार करते थे। उसे हमेशा टॉफी देना और प्यार करना उनकी आदत में शुमार था। 15 दिसंबर की शाम में भी मै मार्किट गई थी बेटे को लेकर लौट रही थी तो वो दुकान पर थे। उन्होंने उसे बुलाकर टॉफी दी और दुलारा था। तबियत नहीं ठीक है शाम में जाना है शुगर की जांच कराने
मोहल्ले की एक बुजुर्ग महिला रामदेई ने बताया- अचानक धुआं उठने लगा तो मोहल्ले के लड़के इस तरफ भाग के आये। यहां दयाशंकर के मकान में आग लगी थी। जिनसे मेरी दोपहर दो बजे बात हुई थी। उन्होंने कहा था ‘कल्लू की मैं माई संझा के दवा लेने आना। तबीयत कुछ ठीक नहीं है। शाम में शुगर टेस्ट करवाने भी जाना है। लेकिन दोपहर तीन बजे से निकलते धुएं ने जब 4 बजे विकराल रूप लिया तो लोगों को जानकारी हुई। चिता की तरह जल रहे थे। अब मृतक की बेटी शशिकला से बातचीत; जिसमें उसने बताया कि कुछ दिन पहले ही उन्हें लेने आयी थी पर उन्होंने मना कर दिया था। दोपहर 3 बजे के बाद आया छोटी भाभी का फोन
शशिकला दयशंकर की तीसरे नंबर की संतान हैं। उन्होंने बताया मां हीरावती देवी का देहांत हो चुका है। शशिकला ने बताया पिता जी साल 2002 में रिटायर हुए और मेरी शादी 2003 में लालपुर इलाके में हुई। आज दोपहर 3 बजे के बाद फोन आया मेरी छोटी भाभी का बैंगलुरु से की घर जाइये डैडी को कुछ हो गया है। मौके पर पुलिस मौजूद है। यहां पुलिस ने अंदर नहीं घुसने दिया
शशिकला ने बताया- यहां आयी तो घर के बाहर बहुत भीड़ थी। अंदर गई तो पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया। कहा अभी बाहर ही रहिये। पिता जी की चोट आयी है। कुछ देर बाद जब बड़े अधिकारी आये तो हम अंदर गए तो पता चला की उनकी डेथ हो गई है। यह कहकर शशिकला रोने लगी। हम फिट कही नहीं जाना
शशिकला ने बताया- पिता जी को कई बार भाई लोग बेंगलुरु ले जाने के लिए कहते रहे लेकिन वो तैयार नहीं हुए। 9 दिसंबर को मै आयी थी तो मैंने भी कहा था पिता जी चलिए हमारे साथ कुछ दिन रहिये। पर वो बोले हम एकदम फिट हैं। हमें कहीं नहीं जाना। यहीं रहेंगे। आज होगा पोस्टमॉर्टम
पुलिस के अनुसार, उनके दोनों बेटे अरविंद और राजेश आज दोपहर 12 बजे के बाद वाराणसी पहुंचेंगे। उनके आने के बाद शव मोर्चरी से निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाएगा। जिसके बाद शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा। भाइयों से वीडियो काल पर बिलखती रही बहन
मौके पर पहुंची शशिकला अपने भाइयों अरविंद और राजेश से वीडियो काल पर बात कर बिलख उठी। शशिकला ने कहा- भैया जल्दी आ जाओ डैडी को पता नहीं क्या हो गया है। इसके बाद जब शव एम्बुलेंस से भेजा जाने लगा तो स्वयं मदद कर शशिकला ने बॉडी बैग को एम्बुलेंस में रखा। इधर पूरे मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है। …… ये पढ़ें : वाराणसी में रिटायर एयरफोर्स अफसर जिंदा जला:हीटर की चिंगारी से कंबल ने पकड़ी आग; घर पर चलाते थे मेडिकल स्टोर वाराणसी में सोमवार को एयरफोर्स के रिटायर्ड अफसर की घर के कमरे में जिंदा जलकर मौत हो गई। हादसा कमरे में जल रहे हीटर में शार्ट सर्किट से हुआ, जिसके बाद कंबल ने आग पकड़ ली। आग ने पूरे घर को चपेट में ले लिया। कमरे के अंदर सो रहे बुजुर्ग भी चपेट में आ गए। आग की लपटें देखकर आसपास के लोगों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक सब जलकर राख हो गया। आसपास के लोगों ने आग बुझाई। फायर ब्रिगेड भी रेस्क्यू में जुट गई। एडीसीपी वरुणा सरवणन टी, एसीपी सारनाथ मौके पर हैं। पुलिस अधिकारियों ने परिजनों से पूरा घटनाक्रम जाना। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मामला सारनाथ थाना क्षेत्र का है। पढ़ें पूरी खबर ‘दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद मै घर के बाहर नहाकर निकली और बाल सुखाने लगी तो ‘दादा जी’ के कमरे की खिड़की से धुआं उठते देखा। बगल के रोशनदान से भी धुआं आ रहा था। मैंने दादा जी (दयाशंकर गुप्ता) को फोन किया। उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। मोहल्ले के लोग जुट गए थे पर घर के बाहर और हर तरफ से ताला बंद होने की वजह से कोई अंदर नहीं जा पाया और दादा जी करीब एक घंटे तक अंदर जलते रहे।’ ये बातें रिटायर एयर फोर्स के अफसर दयाशंकर गुप्ता के घर के सामने रहने वाले पवन गुप्ता की पत्नी बबिता ने कही। बताया- दादाजी अंदर एक घंटे तक जलते रहे, कोई उनकी मदद नहीं कर सका। क्योंकि, सब तरफ ताले बंद थे। 15 दिसंबर की शाम उन्होंने मेरे बेटे को दुकान पर बुलाकर टॉफी दी थी। उसके बाद फिर हमारी कोई मुलाकात नहीं हुई थी। सारनाथ थानाक्षेत्र के शिव विहार कालोनी में रहने वाले दयाशंकर गुप्ता साल 2002 में नौसेना से मेडिकल वारंट ऑफिसर के पद से रिटायर हुए थे। वो बेंगलुरु में पोस्टेड थे। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटे अरविंद गुप्ता और राजेश गुप्ता परिवार के साथ बेंगलुरु में ही रहते हैं और वहीं जॉब करते हैं। जबकि मनीषा की शादी पुणे और छोटी बेटी शशिकला की शादी वाराणसी के ही लालपुर में हुई है। 16 दिसंबर की शाम उनके कमरे में शार्ट सर्किट से आग लगी। उसी में वो जिंदा जल गए। इस घटना के बाद जहां घर पहुंची बेटी शशिकला बिलख रही थी और भाइयों से वीडियो कॉलिंग पर जल्द से जल्द घर आने की गुहार लगा रही थी। वहीं मोहल्ले वाले स्तब्ध थे। दयाशंकर मिलनसार थे और रोजाना अपने घर में स्थित खुद के मेडिकल स्टोर में सुबह 10 बजे से ढाई बजे दिन तक बैठते थे। ऐसे में हमने दयाशंकर गुप्ता के साथ 16 दिसंबर को क्या हुआ ? और उनका स्वभाव कैसा था ? इन सब विषयों पर मोहल्ले वालों और उनकी बेटी शशिकला से बात की। पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले घर के सामने रहने वाली बबिता मौर्या से बातचीत… ढाई बजे दुकान बंद करके सोने गए थे दादा जी
दयाशंकर गुप्ता का मकान शिव विहार कालोनी में है। दो मंजिला इस मकान में वो अकेले रहते हैं। जिसमें आगे 6 दुकानें हैं। जिसमें से एक में उनका खुद का मेडिकल स्टोर है। इसका एक दरवाजा घर में है। वो दोपहर में दुकान बंद करके घर में सोने चले जाते थे। अगल-बगल के दुकानदारों ने बताया की रोज की तरह आज भी दयशंकर जी दोपहर दो बजे के बाद सोने चले गए थे। चार बजे निकलते देखा धुंआ
दयाशंकर के मकान के सामने रहने वाले पवन मौर्या की पत्नी बबिता मौर्या ने दैनिक भास्कर से बात की और बताया- मै नहाकर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अपने बाल घर के बाहर दरवाजे पर सुखा रही थी। उसी समय मैंने देखा कि दादा जी (दयाशंकर गुप्ता) के कमरे से धुआं निकल रहा है। इस पर हमें कोई अनहोनी की आशंका हुई तो हमने फौरन दादाजी के मोबाइल पर कॉल किया पर वह स्विच ऑफ था। कई आवाज दी पर कोई नहीं बोला
धुआं तेज हुआ तो हमने दादा जी को आवाज देना शुरू कर दी। मोहल्ले वालों की भीड़ लग गई पर सब मजबूर थे क्योंकि मेन गेट पर ताला बंद था। इस पर मैंने अपने पति पवन मौर्या को कॉल करके सारी बात बताई। उन्होंने फिर दादा जी के परिचितों को फोन किया। इधर मोहल्ले के लोगों ने खिड़की और रोशनदान से पानी फेंकना शुरू कर दिया था क्योंकि अंदर आग दिखाई दे रही थी। एक घंटे बाद तोड़ा गया ताला
बबिता ने बताया- इधर धीरे-धीरे समय बीत रहा था। अंदर से आवाजें आने लगी थीं। एक घंटा बीतने के बाद उनके परिचित आये जिन्होंने ताला तोड़ा। उसके बाद मोहल्ले के लोग अंदर गए और पानी सीधे कमरे में फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस आ गयी थी पर फायर सर्विस से कोई नहीं आया था। लोगों ने ताला टूटने के आधे घंटे में आग बुझा दी। फायर ब्रिगेड आया तो आग बुझ चुकी थी। मिलनसार और अच्छे स्वभाव के थे दादा जी, बेटे को देते थे चॉकलेट
बबिता की आंखें दयशंकर गुप्ता को याद कर नम हो गई थीं। अपने आंसू छुपाते हुए बोलीं की मेरे बेटे को बहुत प्यार करते थे। उसे हमेशा टॉफी देना और प्यार करना उनकी आदत में शुमार था। 15 दिसंबर की शाम में भी मै मार्किट गई थी बेटे को लेकर लौट रही थी तो वो दुकान पर थे। उन्होंने उसे बुलाकर टॉफी दी और दुलारा था। तबियत नहीं ठीक है शाम में जाना है शुगर की जांच कराने
मोहल्ले की एक बुजुर्ग महिला रामदेई ने बताया- अचानक धुआं उठने लगा तो मोहल्ले के लड़के इस तरफ भाग के आये। यहां दयाशंकर के मकान में आग लगी थी। जिनसे मेरी दोपहर दो बजे बात हुई थी। उन्होंने कहा था ‘कल्लू की मैं माई संझा के दवा लेने आना। तबीयत कुछ ठीक नहीं है। शाम में शुगर टेस्ट करवाने भी जाना है। लेकिन दोपहर तीन बजे से निकलते धुएं ने जब 4 बजे विकराल रूप लिया तो लोगों को जानकारी हुई। चिता की तरह जल रहे थे। अब मृतक की बेटी शशिकला से बातचीत; जिसमें उसने बताया कि कुछ दिन पहले ही उन्हें लेने आयी थी पर उन्होंने मना कर दिया था। दोपहर 3 बजे के बाद आया छोटी भाभी का फोन
शशिकला दयशंकर की तीसरे नंबर की संतान हैं। उन्होंने बताया मां हीरावती देवी का देहांत हो चुका है। शशिकला ने बताया पिता जी साल 2002 में रिटायर हुए और मेरी शादी 2003 में लालपुर इलाके में हुई। आज दोपहर 3 बजे के बाद फोन आया मेरी छोटी भाभी का बैंगलुरु से की घर जाइये डैडी को कुछ हो गया है। मौके पर पुलिस मौजूद है। यहां पुलिस ने अंदर नहीं घुसने दिया
शशिकला ने बताया- यहां आयी तो घर के बाहर बहुत भीड़ थी। अंदर गई तो पुलिस ने अंदर जाने से रोक दिया। कहा अभी बाहर ही रहिये। पिता जी की चोट आयी है। कुछ देर बाद जब बड़े अधिकारी आये तो हम अंदर गए तो पता चला की उनकी डेथ हो गई है। यह कहकर शशिकला रोने लगी। हम फिट कही नहीं जाना
शशिकला ने बताया- पिता जी को कई बार भाई लोग बेंगलुरु ले जाने के लिए कहते रहे लेकिन वो तैयार नहीं हुए। 9 दिसंबर को मै आयी थी तो मैंने भी कहा था पिता जी चलिए हमारे साथ कुछ दिन रहिये। पर वो बोले हम एकदम फिट हैं। हमें कहीं नहीं जाना। यहीं रहेंगे। आज होगा पोस्टमॉर्टम
पुलिस के अनुसार, उनके दोनों बेटे अरविंद और राजेश आज दोपहर 12 बजे के बाद वाराणसी पहुंचेंगे। उनके आने के बाद शव मोर्चरी से निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा जाएगा। जिसके बाद शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा। भाइयों से वीडियो काल पर बिलखती रही बहन
मौके पर पहुंची शशिकला अपने भाइयों अरविंद और राजेश से वीडियो काल पर बात कर बिलख उठी। शशिकला ने कहा- भैया जल्दी आ जाओ डैडी को पता नहीं क्या हो गया है। इसके बाद जब शव एम्बुलेंस से भेजा जाने लगा तो स्वयं मदद कर शशिकला ने बॉडी बैग को एम्बुलेंस में रखा। इधर पूरे मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ है। …… ये पढ़ें : वाराणसी में रिटायर एयरफोर्स अफसर जिंदा जला:हीटर की चिंगारी से कंबल ने पकड़ी आग; घर पर चलाते थे मेडिकल स्टोर वाराणसी में सोमवार को एयरफोर्स के रिटायर्ड अफसर की घर के कमरे में जिंदा जलकर मौत हो गई। हादसा कमरे में जल रहे हीटर में शार्ट सर्किट से हुआ, जिसके बाद कंबल ने आग पकड़ ली। आग ने पूरे घर को चपेट में ले लिया। कमरे के अंदर सो रहे बुजुर्ग भी चपेट में आ गए। आग की लपटें देखकर आसपास के लोगों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक सब जलकर राख हो गया। आसपास के लोगों ने आग बुझाई। फायर ब्रिगेड भी रेस्क्यू में जुट गई। एडीसीपी वरुणा सरवणन टी, एसीपी सारनाथ मौके पर हैं। पुलिस अधिकारियों ने परिजनों से पूरा घटनाक्रम जाना। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मामला सारनाथ थाना क्षेत्र का है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर