यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब है। सरकारी अस्पतालों में 38% डॉक्टर, 46% नर्स की कमी है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्राइमरी स्तर पर स्थिति और भी खराब है। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट-2024 में हुआ है। कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला खुलासा एम्बुलेंस सर्विस को लेकर हुआ। प्राइवेट कंपनी को सौंपी गई यह सर्विस ठीक तरीके से नहीं चल रही है। इसके आंकड़ों पर संदेह जताया गया है। हमीरपुर, जालौन, कानपुर नगर, सहारनपुर और उन्नाव में 148 पुरुष मरीजों को इलाज के लिए महिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। झांसी मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर को आग लगने से 10 बच्चे जिंदा जल गए। CAG रिपोर्ट में बताया गया कि आग से रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। 75 जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ दो जिला अस्पताल के पास मुख्य अग्निशमन अधिकारी से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) है। समय पर नहीं पहुंच रही 108 एम्बुलेंस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की CAG रिपोर्ट 2021 की है। तब सुरेश खन्ना चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे। वहीं, आशुतोष टंडन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री थे। सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुआ है कि एम्बुलेंस सेवा 108 तय समय अवधि में मरीजों तक नहीं पहुंच रही है। 108 सेवा संचालित करने वाली फर्म ने कॉन्ट्रैक्ट की शर्त का भी पालन नहीं किया है। शर्त के अनुसार सभी एम्बुलेंस को रोज पांच चक्कर (ट्रिप) लगाने हैं और 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी है। यूपी के पूर्व के 45 जिलों में 49,309 ट्रिप, पश्चिमी के 26 जिलों में 15,562 ट्रिप किए। CAG ने माना है कि इसे पूरा नहीं किया गया है। पूर्व के पांच जिलों में 67,018 और पश्चिमी के दो जिलों में 5,219 किलोमीटर की कमी थी। करार हुआ था कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिकतम 15 मिनट के अंदर एम्बुलेंस पहुंच जानी चाहिए। सीएजी ने बताया कि पूर्वी जिले में 1,86,277 कॉल में से 38.46% कॉल में एम्बुलेंस पहुंचने में औसत 11 मिनट की देरी हुई, जबकि पश्चिम के 90,481 कॉल में से 29.47% में औसत 9 मिनट की देरी से एम्बुलेंस मरीज तक पहुंची। सबसे ज्यादा देरी से पूर्वी यूपी के जिलों में पहुंच रही एम्बुलेंस एम्बुलेंस पहुंचने में सबसे ज्यादा देरी यूपी के पूर्वी जिलों में हो रही है। यहां अधिकतम 3.23 घंटे की और पश्चिम यूपी के जिलों में अधिकतम 1.56 घंटे की देरी से भी एम्बुलेंस पहुंची है, जबकि इसे 15 मिनट में पहुंच जाना चाहिए। सीएजी ने ये भी खुलासा किया है कि पहुंचाए गए केस में से सिर्फ 25 से 50 फीसदी केस का ही वैरिफिकेशन अस्पतालों ने किया है, जबकि नियमानुसार सभी केस का होना चाहिए। 27.6 करोड़ रुपए की दवाइयां एक्सपायर हुईं सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड के स्टोर में 27.06 करोड़ रुपए की दवाइयां एक्सपायर हुईं। इतनी बड़ी संख्या में दवाइयां एक्सपायर होने का मुख्य कारण स्टोर रूम की ओर से दवाइयां अस्वीकार करना, दवाइयों की मांग नहीं करना, दवाइयों की कम खपत और कोविड-19 के दौरान सामान्य रोगियों की संख्या में कमी है। इतना ही नहीं सीएजी ने यह भी खुलासा किया है कि 16 जिला अस्पतालों में से केवल जालौन, कानपुर नगर और सहारनपुर के जिला अस्पतालों में सभी दवाइयां अलग-अलग अवधि में उपलब्ध थी। बाकी जिला अस्पतालों में दवाइयां पर्याप्त उपलब्ध नहीं थीं। जिला अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था पूरी नहीं है। प्रदेश में पीएचसी पर पानी, बिजली और शौचालय भी नहीं सीएजी ने कुशीनगर, जालौन, उन्नाव, हमीरपुर में अस्पताल बिल्डिंग के नमूने लेकर उनकी जांच की। इसमें बुनियादी ढांचे में रखरखाव की कमी उजागर हुई। 53 प्रतिशत स्वास्थ्य इकाइयों में नमी, सीलन थी। अधिकांश उप केंद्रों के भवन जर्जर मिले। जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वार्ड और बेड की कमी मिली। 26 फीसदी अस्पतालों में इंजेक्शन, ड्रैसिंग रूम नहीं थे। 29 प्रतिशत पीएचसी में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी। 21 फीसदी पीएची में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं थे। 21 फीसदी पीएचसी में बिजली भी नहीं थी। सीएजी ने खुलासा किया है कि 107 जिला अस्पतालों में से ओपीडी, इमरजेंसी वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी की उपलब्धता 86% अस्पताल में ही है। जिला अस्पतालों में मातृत्व सेवा देने के लिए आवश्यक सुविधा का अभाव मिला। आवश्यक सेवा पर्याप्त, लेकिन रखरखाव में कमी सीएजी ने पाया है कि 107 जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन, आहार, लांड्री, जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और सफाई की व्यवस्था 100 फीसदी थी। लेकिन रिकार्ड के रखरखाव और लांड्री सेवा की निगरानी में कमी थी। 45 फीसदी पीएचसी में भर्ती की सुविधा नहीं सीएजी ने खुलासा किया है कि 909 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 45 फीसदी में मरीज को वार्ड में भर्ती करने की सुविधा नहीं थी। 55 फीसदी सीएचसी केवल दिन में ही चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं। सीएजी ने खुलासा किया है कि प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ सेवा के लिए 38% डॉक्टर, 46 % नर्स और 28 प्रतिशत पैरामेडिक्स स्टाफ की कमी थी। आयोगों ने भर्ती में ज्यादा समय लिया, जिस कारण पद खाली हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना हो रहा जैव अपशिष्ट निस्तारण सीएजी ने उजागर किया है कि 71 फीसदी स्वास्थ्य इकाइयों में जैव अपशिष्ट का निस्तारण (ऑर्गेनिक वेस्ट का डिस्पोजल) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लाइसेंस के बिना हो रहा है। कोई भी अस्पताल पंजीकरण एवं विनियमन अधिनियम 2010 के तहत रजिस्टर्ड नहीं था। एक्सरे मशीन का लाइसेंस भी नहीं 16 में से चार जिला अस्पताल और दो राजकीय मेडिकल कॉलेजों के पास एक्सरे मशीनों के संचालन के लिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (Atomic Energy Regulatory Board) का लाइसेंस नहीं था। —————- ये भी पढ़ें… झांसी में यूं ही जिंदा नहीं जले 10 नवजात:भाजपा नेता की कंपनी वार्ड बॉय से करा रही इलेक्ट्रीशियन का काम; वायरिंग में घटिया तार का इस्तेमाल 15 नवंबर की रात झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जल गए। बाद में 7 और बच्चों की जान चली गई। अब अफसर इस लापरवाही को हादसा बताने में लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सच जानने के लिए वहां 5 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। डॉक्टर और कर्मचारियों से हिडन कैमरे पर बात की। एक-एक सबूत जुटाए। जो सामने निकलकर आया, उसके मुताबिक यह हादसा नहीं है, बल्कि सरकारी सिस्टम ने मासूमों की जान ली है। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब है। सरकारी अस्पतालों में 38% डॉक्टर, 46% नर्स की कमी है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्राइमरी स्तर पर स्थिति और भी खराब है। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट-2024 में हुआ है। कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला खुलासा एम्बुलेंस सर्विस को लेकर हुआ। प्राइवेट कंपनी को सौंपी गई यह सर्विस ठीक तरीके से नहीं चल रही है। इसके आंकड़ों पर संदेह जताया गया है। हमीरपुर, जालौन, कानपुर नगर, सहारनपुर और उन्नाव में 148 पुरुष मरीजों को इलाज के लिए महिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। झांसी मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर को आग लगने से 10 बच्चे जिंदा जल गए। CAG रिपोर्ट में बताया गया कि आग से रोकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। 75 जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ दो जिला अस्पताल के पास मुख्य अग्निशमन अधिकारी से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) है। समय पर नहीं पहुंच रही 108 एम्बुलेंस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की CAG रिपोर्ट 2021 की है। तब सुरेश खन्ना चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे। वहीं, आशुतोष टंडन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री थे। सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुआ है कि एम्बुलेंस सेवा 108 तय समय अवधि में मरीजों तक नहीं पहुंच रही है। 108 सेवा संचालित करने वाली फर्म ने कॉन्ट्रैक्ट की शर्त का भी पालन नहीं किया है। शर्त के अनुसार सभी एम्बुलेंस को रोज पांच चक्कर (ट्रिप) लगाने हैं और 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी है। यूपी के पूर्व के 45 जिलों में 49,309 ट्रिप, पश्चिमी के 26 जिलों में 15,562 ट्रिप किए। CAG ने माना है कि इसे पूरा नहीं किया गया है। पूर्व के पांच जिलों में 67,018 और पश्चिमी के दो जिलों में 5,219 किलोमीटर की कमी थी। करार हुआ था कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिकतम 15 मिनट के अंदर एम्बुलेंस पहुंच जानी चाहिए। सीएजी ने बताया कि पूर्वी जिले में 1,86,277 कॉल में से 38.46% कॉल में एम्बुलेंस पहुंचने में औसत 11 मिनट की देरी हुई, जबकि पश्चिम के 90,481 कॉल में से 29.47% में औसत 9 मिनट की देरी से एम्बुलेंस मरीज तक पहुंची। सबसे ज्यादा देरी से पूर्वी यूपी के जिलों में पहुंच रही एम्बुलेंस एम्बुलेंस पहुंचने में सबसे ज्यादा देरी यूपी के पूर्वी जिलों में हो रही है। यहां अधिकतम 3.23 घंटे की और पश्चिम यूपी के जिलों में अधिकतम 1.56 घंटे की देरी से भी एम्बुलेंस पहुंची है, जबकि इसे 15 मिनट में पहुंच जाना चाहिए। सीएजी ने ये भी खुलासा किया है कि पहुंचाए गए केस में से सिर्फ 25 से 50 फीसदी केस का ही वैरिफिकेशन अस्पतालों ने किया है, जबकि नियमानुसार सभी केस का होना चाहिए। 27.6 करोड़ रुपए की दवाइयां एक्सपायर हुईं सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड के स्टोर में 27.06 करोड़ रुपए की दवाइयां एक्सपायर हुईं। इतनी बड़ी संख्या में दवाइयां एक्सपायर होने का मुख्य कारण स्टोर रूम की ओर से दवाइयां अस्वीकार करना, दवाइयों की मांग नहीं करना, दवाइयों की कम खपत और कोविड-19 के दौरान सामान्य रोगियों की संख्या में कमी है। इतना ही नहीं सीएजी ने यह भी खुलासा किया है कि 16 जिला अस्पतालों में से केवल जालौन, कानपुर नगर और सहारनपुर के जिला अस्पतालों में सभी दवाइयां अलग-अलग अवधि में उपलब्ध थी। बाकी जिला अस्पतालों में दवाइयां पर्याप्त उपलब्ध नहीं थीं। जिला अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था पूरी नहीं है। प्रदेश में पीएचसी पर पानी, बिजली और शौचालय भी नहीं सीएजी ने कुशीनगर, जालौन, उन्नाव, हमीरपुर में अस्पताल बिल्डिंग के नमूने लेकर उनकी जांच की। इसमें बुनियादी ढांचे में रखरखाव की कमी उजागर हुई। 53 प्रतिशत स्वास्थ्य इकाइयों में नमी, सीलन थी। अधिकांश उप केंद्रों के भवन जर्जर मिले। जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वार्ड और बेड की कमी मिली। 26 फीसदी अस्पतालों में इंजेक्शन, ड्रैसिंग रूम नहीं थे। 29 प्रतिशत पीएचसी में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी। 21 फीसदी पीएची में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं थे। 21 फीसदी पीएचसी में बिजली भी नहीं थी। सीएजी ने खुलासा किया है कि 107 जिला अस्पतालों में से ओपीडी, इमरजेंसी वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, डायग्नोस्टिक और पैथोलॉजी की उपलब्धता 86% अस्पताल में ही है। जिला अस्पतालों में मातृत्व सेवा देने के लिए आवश्यक सुविधा का अभाव मिला। आवश्यक सेवा पर्याप्त, लेकिन रखरखाव में कमी सीएजी ने पाया है कि 107 जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन, आहार, लांड्री, जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन और सफाई की व्यवस्था 100 फीसदी थी। लेकिन रिकार्ड के रखरखाव और लांड्री सेवा की निगरानी में कमी थी। 45 फीसदी पीएचसी में भर्ती की सुविधा नहीं सीएजी ने खुलासा किया है कि 909 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 45 फीसदी में मरीज को वार्ड में भर्ती करने की सुविधा नहीं थी। 55 फीसदी सीएचसी केवल दिन में ही चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं। सीएजी ने खुलासा किया है कि प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ सेवा के लिए 38% डॉक्टर, 46 % नर्स और 28 प्रतिशत पैरामेडिक्स स्टाफ की कमी थी। आयोगों ने भर्ती में ज्यादा समय लिया, जिस कारण पद खाली हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बिना हो रहा जैव अपशिष्ट निस्तारण सीएजी ने उजागर किया है कि 71 फीसदी स्वास्थ्य इकाइयों में जैव अपशिष्ट का निस्तारण (ऑर्गेनिक वेस्ट का डिस्पोजल) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लाइसेंस के बिना हो रहा है। कोई भी अस्पताल पंजीकरण एवं विनियमन अधिनियम 2010 के तहत रजिस्टर्ड नहीं था। एक्सरे मशीन का लाइसेंस भी नहीं 16 में से चार जिला अस्पताल और दो राजकीय मेडिकल कॉलेजों के पास एक्सरे मशीनों के संचालन के लिए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (Atomic Energy Regulatory Board) का लाइसेंस नहीं था। —————- ये भी पढ़ें… झांसी में यूं ही जिंदा नहीं जले 10 नवजात:भाजपा नेता की कंपनी वार्ड बॉय से करा रही इलेक्ट्रीशियन का काम; वायरिंग में घटिया तार का इस्तेमाल 15 नवंबर की रात झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 नवजात जिंदा जल गए। बाद में 7 और बच्चों की जान चली गई। अब अफसर इस लापरवाही को हादसा बताने में लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सच जानने के लिए वहां 5 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। डॉक्टर और कर्मचारियों से हिडन कैमरे पर बात की। एक-एक सबूत जुटाए। जो सामने निकलकर आया, उसके मुताबिक यह हादसा नहीं है, बल्कि सरकारी सिस्टम ने मासूमों की जान ली है। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Bihar News: सीवान के मशहूर डॉक्टर के बेटे पर रोहतक में ठगी का मामला दर्ज, क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी का आरोप
Bihar News: सीवान के मशहूर डॉक्टर के बेटे पर रोहतक में ठगी का मामला दर्ज, क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर लाखों की धोखाधड़ी का आरोप <p style=”text-align: justify;”><strong>Case Filed On Siwan Medical Student:</strong> बिहार में सीवान के मेडिकल छात्र और मशहूर डॉक्टर इन्द्रमोहन कुमार के पुत्र अनुराग पर रोहतक में अपने ही दोस्त और मेडिकल छात्र से 63 लाख 50 हज़ार की धोखाधड़ी करने का मामले सामने आया है. अनुराग के दोस्त कृष के पिता राजकुमार ने मेडिकल छात्र अनुराग पर क्रिप्टोकरेंसी के नाम करीब 63 लाख 50 हज़ार रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला सांपला रोहतक में दर्ज करा दिया. हालांकि इस मामले में अनुराग के पिता का कहना है कि उनके बेटे को फंसाया जा रहा है, उसने कृष से कोई रुपये नहीं लिए हैं. वहीं डॉक्टर का पुत्र अनुराग फरार है और पुलिस उसको तलाश कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोहतक पुलिस अनुराग को कर रही तलाश</strong> </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में रोहतक हरियाणा की अदालत में अग्रिम जमानत के संबंध में सुनवाई भी हुई थी, जिसमें अदालत ने कठोर रुख अपनाते हुए जमानत याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता अनुराग के अधिवक्ता अ‌द्वैत सिंह सिरोही ने गिरफ़्तारी पर स्टे देने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने सुनवाई की तारीख 27 सितंबर तक बढ़ा दी. 3 सितंबर को ही बिहार के सिवान में दिल्ली न्यू बोर्न हॉस्पिटल के मालिक और मशहूर डॉक्टर इन्द्रमोहन कुमार के पुत्र अनुराग के विरुद्ध ठगी का मामला थाना सांपला रोहतक में दर्ज हुआ था, जिसके बाद से ही आरोपी फरार है और पुलिस उसको तलाश कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बताया जाता है कि कृष एमबीबीएस फाइनल ईयर का छात्र है और अनुराग फर्स्ट ईयर का. कृष के पिता राजकुमार का कहना है कि अनुराग ने रुपयों को क्रिप्टोकरंसी में बदलने के नाम पर (तीन से चार बार) धोखा देकर मेरे बेटे से करीब 63 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए. उसने बताया कि मेरा एक ऑफिस है और पूरा सिस्टम वहीं लगा हुआ है. हालांकि जब कृष और उसके पिता को पता चला कि उनके साथ ठगी हुई है तो उन्होंने अनुराग से अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए. जब 63 लाख 50 हजार नहीं मिले तो इन लोगों ने थाने में अनुराग के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं आरोपी अनुराग के पिता डॉक्टर इन्द्रमोहन कुमार का कहना है कि उनके बेटे झूठा आरोप लगाया जा रहा है, उसने कृष से कोई रुपये नहीं लिए हैं. उल्टे अनुराग से ही 1 करोड़ मांगे जा रहे थे, 5 दिनों तक अनुराग को बंधक बनाया गया. अनुराग के पिता डॉक्टर इंद्रमोहन का कहना है कि हमलोग अनुसूचित जाति से आते हैं. मेरे लड़के को पिछले कई महीनों से परेशान किया जा रहा था. उससे क्रिप्टो करेंसी में रुपये इन्वेस्ट करने के लिए दबाव बनाए जा रहे थे. वो लोग कहते थे कि तुम्हारे पिता डॉक्टर हैं. उनके पास पैसा है, उनसे 1 कड़ोर रुपये मांग कर लाओ. जो लोग आरोप लगा रहे है वह लोग सीवान में मेरी क्लिनिक पर रेकी कर के गए और मेरे बेटे से दूसरे के फोन से बात कर बोले कि क्या हुआ अपने पापा से रुपये मांगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जब मेरा बेटा अनुराग बोला कि नहीं अभी नहीं हो पाएगा तो उनलोगों ने जाति सूचक शब्द का प्रयोग करते हुए भद्दी-भद्दी गालियां दीं, जिसके बाद से मेरा पूरा परिवार डरा-सहमा है. डॉक्टर इंद्रमोहन ने कहा कि हमलोगों ने सीवान के SC-ST थाने में उनलोगों के खिलाफ 18 अगस्त को ही मामला दर्ज करा दिया था, जिसके बाद उन लोगों ने अपने बचाव के लिए मेरे बेटे पर सितंबर महीने में केस दर्ज करवा दिया. अभी भी मेरे ऊपर मामले को कम्परमाइ करने के लिए ऊपरी लेबल से दबाव बनाए जा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या अनुराग ने अपने दोस्त के अकाउंट में मंगाए रुपये?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अनुराग के पिता का ये भी कहना है कि उनके बेटे के अकाउंट में कोई रुपये नहीं आए हैं. जबकि कृष का कहना है कि अनुराग ने अपने दोस्तों के अकाउंट में पैसा मंगाया था. जब अनुराग के एक दोस्त उत्कर्ष से पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि अनुराग ने 15 जुलाई को उसके अकाउंट में 7 लाख रुपये मंगाए थे. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है, अनुराग के पिता को भरोसा के उनके बेटे को रोहतक हरियाणा की अदालत से गिरफ्तारी पर स्टे ऑर्डर मिल जाएगा. अब पूरे मामले कौन किसे फंसा रहा है, ये तो पुलिस की तफ्तीश के बाद ही पता चलेगा.</p>
यूपी में केशव-पाठक को ही दुखड़ा क्यों सुना रहे नेता?:जातीय वोट बैंक बचाने की चिंता या कुछ और…मुलाकातों और बयानबाजी के कई सियासी मायने
यूपी में केशव-पाठक को ही दुखड़ा क्यों सुना रहे नेता?:जातीय वोट बैंक बचाने की चिंता या कुछ और…मुलाकातों और बयानबाजी के कई सियासी मायने यूपी की भाजपा सरकार से असंतुष्ट एनडीए की सहयोगी सुभासपा और निषाद पार्टी के नेता उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से मुलाकात कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के विधायक और सांसद भी सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करते हुए पत्र वायरल कर रहे हैं। चर्चा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा के बीच खींचतान चल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है, उससे संदेश जा रहा है कि योगी सरकार को अपने ही लोग सड़क से सदन तक घेरने में लगे हैं। वहीं, कुछ जानकार मानते हैं कि ये सब भाजपा और सहयोगी दल के नेता अपना जातीय वोट बैंक बचाने के लिए कर रहे हैं। मुलाकातों के दौर के बीच यह बड़ा सवाल
बड़ा सवाल ये है कि भाजपा या सहयोगी दल के नेताओं को किसी मुद्दे पर कोई चिंता है, तो वे इसके समाधान के लिए सीएम योगी से क्यों नहीं मिलते। क्या इन नेताओं की दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात इत्तफाक है या फिर इनके बीच कोई नई केमिस्ट्री बन रही है। अफसरों से खफा हैं संजय निषाद, पाठक से की मुलाकात
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने 22 जुलाई को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से उनके आवास पर मुलाकात की। पाठक की ओर से एक्स पर मुलाकात की फोटो भी जारी की गई। इस मुलाकात के बाद संजय निषाद ने मीडिया से बातचीत में व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। संजय निषाद ने अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी भी जाहिर की। एक दिन पहले केशव से भी मिले थे संजय निषाद
संजय निषाद ने मंगलवार रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। मुलाकात के मुद्दे पर संजय निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि आगे ऐसा न हो। विपक्ष अभी भी संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का भ्रम फैला रहा है। राजभर भी दोनों डिप्टी सीएम से मिले थे
सुभासपा अध्यक्ष और प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी बुधवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक राजभर भी निगम, आयोग और बोर्ड में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। राजभर ने 22 जुलाई की रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी। राजभर की केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक से मुलाकात को भी भविष्य की राजनीति के मद्देनजर गंभीर माना जा रहा है। डिप्टी सीएम से ही संवाद क्यों?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एनडीए के घटक दलों को यूपी सरकार से कोई समस्या है तो वह सीधे सीएम योगी से मुलाकात कर अपनी बात क्यों नहीं रखते हैं। यह संभव है कि अगर वह सीधे सीएम से बात कर समस्या बताएं तो समाधान निकल सकता है। सवाल यह भी है कि सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल के नेता डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक से ही मुलाकात क्यों करते हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विवाद और तनाव के बीच सहयोगी दलों की बारी-बारी से दोनों डिप्टी सीएम से मुलाकात किसी केमिस्ट्री का संदेश दे रही है। सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल को पत्र लिखा
मिश्रिख सांसद जयप्रकाश रावत ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को शिकायती पत्र लिखा है। इसमें रावत ने आरोप लगाया कि सीतापुर के डीएफओ ने 20 जुलाई को वृक्षारोपण अभियान की जानकारी उन्हें नहीं दी। इसके चलते वह राज्यपाल की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने राज्यपाल से डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने भी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की थी। विधायक का पत्र भी वायरल
बुलंदशहर सदर से भाजपा विधायक प्रदीप कुमार चौधरी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र लिखा है। चौधरी ने काली नदी पर अवैध कब्जे और सफाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। विधायक ने बताया कि मामले में सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिलाधिकारी ने भी जिले के प्रभारी मंत्री अरुण सक्सेना के सामने कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। चौधरी का यह पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। भाजपा नेतृत्व के लिए चुनौती
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में उपजी राजनीतिक खींचतान खत्म नहीं हो रही है। सांसद और विधायक मुखर होने लगे हैं। जानकार मानते हैं कि सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो विधानसभा की दस सीटों पर होने वाले उप चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा। समय रहते बयानबाजी और खींचतान नहीं रोकी गई तो ये जिलों तक फैल जाएगी। ऐसे में भाजपा के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने इस समस्या का तुरंत और स्थायी समाधान करने की चुनौती है। दिसंबर 2019 में भी मुखर हुए थे विधायक
भाजपा के कई विधायक 17 दिसंबर, 2019 को भी विधानसभा में योगी सरकार के खिलाफ मुखर हुए थे। सीएम योगी की गैर मौजूदगी में भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा कर धरना दिया था। उस दौरान सदन में मौजूद सरकार के अधिकांश तत्कालीन मंत्री सदन छोड़कर दाएं-बाएं हो गए थे। तत्कालीन उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने विधानसभा पहुंचकर मामला संभाला था। सूत्र बताते हैं कि उस घटनाक्रम से पहले भी भाजपा विधायकों की इसी तरह सरकार से असंतुष्ट मंत्रियों से मुलाकात हुई थी। आगे क्या? विपक्ष सदन में घेरेगा, उठाएगा सवाल
यूपी विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होना है। सत्र 2 अगस्त तक चलेगा। एकजुट दिख रहा विपक्ष पेपर लीक, बाढ़ और दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने वाले मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। वहीं, सत्तापक्ष में बयानबाजी योगी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है। विपक्ष उन मुद्दों को भी उठाएगा, जिन पर भाजपा सरकार के अपने नेता या सहयोगी दल सवाल उठा रहे हैं। ये भी पढ़े… राजभर सीएम की मीटिंग में नहीं गए…केशव से मिलने पहुंचे:सरकार में खींचतान के बीच अब मंत्रियों में गुटबाजी के संकेत यूपी में सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही है। मामला अब मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी तक पहुंच गया है। सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें पंचायती राजमंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। पूरी खबर पढ़ें…
BJP नेता सुधांशु त्रिवेदी और स्मृति ईरानी पर भड़के संजय सिंह, कहा, ‘मानहानि का मुकदमा कराऊंगा’
BJP नेता सुधांशु त्रिवेदी और स्मृति ईरानी पर भड़के संजय सिंह, कहा, ‘मानहानि का मुकदमा कराऊंगा’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Chunav 2025:</strong> आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सोमवार को बीजेपी पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी खुद स्वीकार चुके हैं कि केंद्र सरकार ने रोहिंग्याओं को बक्करवाला में बसाया. फिर भी बीजेपी आप नेताओं पर झूठे आरोप लगा रही है. संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस भी बांग्लादेशियों के मामले में आप को क्लीन चिट दे चुकी है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों का आधार कार्ड मामले में पुलिस ने आप विधायक महेंद्र गोयल को आरोपी नहीं, गवाह के तौर पर नोटिस दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आप सांसद ने कहा कि स्मृति ईरानी और सुधांशु त्रिवेदी ने महेंद्र गोयल और जय भगवान पर झूठा आरोप लगाया है. दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया जाएगा. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश में 10 साल 8 महीने से प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री बीजेपी का है. पूरे देश में बीजेपी वालों ने बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को बसाने का काम किया. चुनावी फायदे के लिए सीमा की सुरक्षा को तार-तार कर बीजेपी ने भारत माता को धोखा दिया है. आप सांसद ने प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> और गृहमंत्री <a title=”अमित शाह” href=”https://www.abplive.com/topic/amit-shah” data-type=”interlinkingkeywords”>अमित शाह</a> को भी निशाने पर लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आम आदमी पार्टी का बीजेपी पर निशाना</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि गौतम अडानी को बांग्लादेश में हजारों करोड़ का बिजली ठेका दिलवाने के लिए भारत की सुरक्षा से समझौता करने का काम हुआ. बीजेपी वालों ने घुसपैठ के लिए भारतीय सीमा खोल दिया. प्रधानमंत्री मोदी देश की बिजली से हिंदुओं पर अत्याचार करने वाले बांग्लादेशियों का घर रोशन कर रहे हैं. संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अडानी बांग्लादेश से हजारों करोड़़ रुपये कमा रहा है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की सरगना शेख हसीना कहां हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मानहानि का मुकदमा करेंगे संजय सिंह</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आप सांसद ने कहा कि बीजेपी सरकार ने अब तक एक भी बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं भगाया. उन्होंने कहा कि सीमा की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है. संजय सिंह ने बीजेपी नेता स्मृति ईरानी और सुधांशु त्रिवेदी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि विपक्ष की सरकार के खिलाफ आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी देश प्रेमी है. बीजेपी के आरोपों का जवाब जनता देगी. उम्मीद करता हूं कि झूठ का खुलासा जल्द होगा. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
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