हरियाणा में इंद्री विधानसभा में इनेलो-बीएसपी के सांझा उम्मीदवार सुरेंद्र उड़ाना की एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिखाई दे रहा है। इंद्री सीट पर सुरेंद्र उड़ाना समीकरण बिगाड़ने का काम करते नजर आ रहे है। भाजपा से रामकुमार कश्यप, कांग्रेस से राकेश कंबोज और इनेलो-बीएसपी से सुरेंद्र उड़ाना चुनावी मैदान में है। सुरेंद्र उड़ाना, बीजेपी में प्रदेश युवा मीडिया कॉर्डिनेटर रहे है और बीजेपी में टिकट के प्रबल दावेदार रहे। पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज पर भी टिकट मांग रहे थे। बीजेपी ने रामकुमार कश्यप को टिकट थमाया। कर्णदेव कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गए और सुरेंद्र उड़ाना इनेलो-बीएसपी से टिकट लेकर आ गए। SC व ओबीसी सहित जाट वोटर पर हो रही पकड़ मजबूत राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी की मांने तो सुरेंद्र उड़ाना का अच्छा वोट बैंक है और बसपा में आने के बाद SC वोर्टर में भी अच्छी पकड़ बन गई है। वहीं मौजूदा समय में इनेलो बसपा का गठबंधन है तो जाट समुदाय में भी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। वहीं दूसरी और कर्णदेव कंबोज के कांग्रेस में शामिल होने से बीजेपी यहां पर थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। इसके अतिरिक्त एंटी इंकंबेंसी भी लोगों के बीच है। सैनी की माने तो रामकुमार कश्यप, विधायक रहते हुए भी अपने समाज के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। जिसके चलते कश्यप समाज भी यह कहते आया था कि रामकुमार कश्यप ने समाज के लिए कुछ नहीं किया, वह नाराजगी भी लोगों के बीच नजर आ रही है। कांग्रेस के राकेश कंबोज भी मैदान में अच्छी स्थिति में बताए जा रहे है और सुरेंद्र उड़ाना भी बढ़िया पोजिशन पर है। ऐसे में जनता 5 अक्तूबर को किसकी झोली में वोट डालती है वह 8 अक्तूबर को पता चलेगा। 10 साल से बीजेपी, उससे पहले थी इनेलो और कांग्रेस इंद्री के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाली जाए तो यहां पर 4 बार कांग्रेस का विधायक बना है। 1967 में प्रसन्नी देवी लगातार तीन बार विधायक बनी थी। 1977 में जनता पार्टी के देश राज विधायक बने। 1982 और 1987 में लोकदल से लछमन को विधायक की कमान सौंपी। 1991 में जानकी देवी हरियाणा विकास पार्टी की विधायक बनी। ये दूसरी विधायक थी। 1996 और 2000 में आजाद उम्मीदवार भीम सैन को जनता ने विधायक की कमान दी। 2005 में कांग्रेस की टिकट पर राकेश कंबोज चुनाव लड़े और विधायक बने। 2009 में इनेलो के अशोक कश्यप विधायक बने। 2014 में कर्णदेव कंबोज और 2019 में रामकुमार कश्यप विधायक बने। राकेश कंबोज और रामकुमार कश्यप एक बार फिर मैदान में है और सुरेंद्र उड़ाना दोनों प्रत्याशियों को टक्कर देते नजर आ रहे है। हरियाणा में इंद्री विधानसभा में इनेलो-बीएसपी के सांझा उम्मीदवार सुरेंद्र उड़ाना की एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिखाई दे रहा है। इंद्री सीट पर सुरेंद्र उड़ाना समीकरण बिगाड़ने का काम करते नजर आ रहे है। भाजपा से रामकुमार कश्यप, कांग्रेस से राकेश कंबोज और इनेलो-बीएसपी से सुरेंद्र उड़ाना चुनावी मैदान में है। सुरेंद्र उड़ाना, बीजेपी में प्रदेश युवा मीडिया कॉर्डिनेटर रहे है और बीजेपी में टिकट के प्रबल दावेदार रहे। पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज पर भी टिकट मांग रहे थे। बीजेपी ने रामकुमार कश्यप को टिकट थमाया। कर्णदेव कंबोज कांग्रेस में शामिल हो गए और सुरेंद्र उड़ाना इनेलो-बीएसपी से टिकट लेकर आ गए। SC व ओबीसी सहित जाट वोटर पर हो रही पकड़ मजबूत राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी की मांने तो सुरेंद्र उड़ाना का अच्छा वोट बैंक है और बसपा में आने के बाद SC वोर्टर में भी अच्छी पकड़ बन गई है। वहीं मौजूदा समय में इनेलो बसपा का गठबंधन है तो जाट समुदाय में भी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। वहीं दूसरी और कर्णदेव कंबोज के कांग्रेस में शामिल होने से बीजेपी यहां पर थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। इसके अतिरिक्त एंटी इंकंबेंसी भी लोगों के बीच है। सैनी की माने तो रामकुमार कश्यप, विधायक रहते हुए भी अपने समाज के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। जिसके चलते कश्यप समाज भी यह कहते आया था कि रामकुमार कश्यप ने समाज के लिए कुछ नहीं किया, वह नाराजगी भी लोगों के बीच नजर आ रही है। कांग्रेस के राकेश कंबोज भी मैदान में अच्छी स्थिति में बताए जा रहे है और सुरेंद्र उड़ाना भी बढ़िया पोजिशन पर है। ऐसे में जनता 5 अक्तूबर को किसकी झोली में वोट डालती है वह 8 अक्तूबर को पता चलेगा। 10 साल से बीजेपी, उससे पहले थी इनेलो और कांग्रेस इंद्री के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाली जाए तो यहां पर 4 बार कांग्रेस का विधायक बना है। 1967 में प्रसन्नी देवी लगातार तीन बार विधायक बनी थी। 1977 में जनता पार्टी के देश राज विधायक बने। 1982 और 1987 में लोकदल से लछमन को विधायक की कमान सौंपी। 1991 में जानकी देवी हरियाणा विकास पार्टी की विधायक बनी। ये दूसरी विधायक थी। 1996 और 2000 में आजाद उम्मीदवार भीम सैन को जनता ने विधायक की कमान दी। 2005 में कांग्रेस की टिकट पर राकेश कंबोज चुनाव लड़े और विधायक बने। 2009 में इनेलो के अशोक कश्यप विधायक बने। 2014 में कर्णदेव कंबोज और 2019 में रामकुमार कश्यप विधायक बने। राकेश कंबोज और रामकुमार कश्यप एक बार फिर मैदान में है और सुरेंद्र उड़ाना दोनों प्रत्याशियों को टक्कर देते नजर आ रहे है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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इनेलो-बसपा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी:रानियां से अभय के छोटे बेटे को टिकट, बहादुरगढ़ से नफे राठी की पत्नी उम्मीदवार
इनेलो-बसपा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी:रानियां से अभय के छोटे बेटे को टिकट, बहादुरगढ़ से नफे राठी की पत्नी उम्मीदवार हरियाणा में इनेलो-बसपा गठबंधन ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट की घोषणा कर दी है। इनेलो की तरफ से जारी लिस्ट में 7 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नाम शीला राठी का है। वह इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की पत्नी हैं। कुछ महीने पहले नफे सिंह राठी की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला को रानियां से उम्मीदवार बनाया गया है। 2019 के चुनाव में यहां से उनके दादा रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय विधायक बने थे। अर्जुन इनेलो की यूथ विंग की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2019 में कुरुक्षेत्र सीट से चुनाव लड़ा था और हार मिली थी। कलायत से रामपाल माजरा को टिकट दिया गया है। माजरा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वह यहां से 3 बार विधायक रहे चुके हैं। उमेद लोहान को नारनौंद से उम्मीदवार बनाया गया है। वह चौटाला परिवार से बरसों से जुड़े हैं। चौटाला परिवार में फूट के बाद वह JJP के साथ चले गए थे। जजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 2019 में बाहर कर दिया। इसके बाद कांग्रेस में शामिल हुए। अभय चौटाला के कहने पर दोबारा इनेलो के साथ आ गए। उनकी अभय चौटाला के करीबियों में गिनती होती है। शेर सिंह बड़शामी को लाडवा से उम्मीदवार बनाया है। वह याहं से विधायक भी रह चुके हैं। JBT भर्ती घोटाले में पूर्व सीएम ओपी चौटाला के साथ बड़शामी को 10 साल की सजा हुई थी। करीब साढ़े चार साल पहले उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिल गई। इससे पहले, इनेलो-बसपा गठबंधन की पहली लिस्ट में 4 उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी। बसपा की तरफ से जारी लिस्ट में जगाधरी से दर्शन लाल खेड़ा, असंध से गोपाल सिंह राणा, नारायणगढ़ से हरबिलास सिंह और अटेली से ठाकुर अत्तर लाल को उम्मीदवार बनाया गया था। इनेलो-बसपा उम्मीदवारों के बारे में जानिए… हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़ी अहम जानकारियां