हरियाणा के करनाल में असंध विधानसभा से बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे जिले राम शर्मा की संपति में पिछले 5 सालों में भारी इजाफा हुआ है। पत्नियों की संपत्ति ने भी ध्यान खींचा है। कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर और योगेंद्र राणा जैसे उम्मीदवार भी करोड़ो की संपति के मालिक है। वहीं अगर हम करनाल विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक सुमिता सिंह की बात करें तो उनकी आय में गिरावट आई है, लेकिन वे अब भी करोड़पति हैं। जिले राम शर्मा की संपत्ति में बड़ा उछाल, पत्नी की आय में मामूली गिरावट बीजेपी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले जिले राम शर्मा की संपति पिछले 5 सालों में 6.92 लाख से बढ़कर 9.31 लाख हो गई है। जबकि उनकी पत्नी माया देवी की आय 4.99 लाख से घटकर 4.79 लाख हो गई है। शर्मा के पास 90 हजार रुपए नकद हैं और उनकी पत्नी माया देवी के पास 45 हजार रुपए नकद हैं। तीन बचत खातों में शर्मा के पास 70 हजार रुपए और माया देवी के बैंक खाते में 40 हजार रुपए जमा हैं। शर्मा के पास 13.60 लाख का सोना और माया देवी के पास 20.40 लाख का सोना है। चल संपत्ति में शर्मा के पास 40.20 लाख और माया देवी के पास 21.25 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति के मामले में शर्मा के पास 57 लाख रुपए की संपति है, और उन पर 11 लाख रुपए का कर्ज है। वीरेंद्र राठौर की पत्नी की संपत्ति दोगुनी से अधिक हुई वीरेंद्र राठौर की संपत्ति 2020-21 में 14.72 लाख थी, जो 2024-25 में मामूली बढ़कर 17 लाख हो गई। उनकी पत्नी नीतू की संपत्ति 5.85 लाख से बढ़कर 9.69 लाख हो गई है। वीरेंद्र राठौर पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। वीरेंद्र के पास 17.5 लाख का सोना और नीतू के पास 36.57 लाख का सोना है। चल संपत्ति के रूप में वीरेंद्र के पास 25.31 लाख और नीतू के पास 51 लाख रुपए हैं। अचल संपत्ति में वीरेंद्र के पास 55.86 लाख और नीतू के पास 2.50 करोड़ की संपत्ति है। दोनों पर कोई देनदारी नहीं है। योगेंद्र राणा और उनका परिवार करोड़ों की संपत्ति का मालिक योगेंद्र राणा की सालाना आय पिछले 5 सालों में 2.97 लाख से बढ़कर 5.88 लाख हो गई है, जबकि उनकी पत्नी अंजू की सालाना आय 2.43 लाख से बढ़कर 4.76 लाख हो गई है। उनके बेटे दक्षेंद्र की आय 2.90 लाख से 4.74 लाख और दूसरे बेटे युवराज की आय 12,560 से बढ़कर 2.90 लाख हो गई है। योगेंद्र जेपीएस राइस मिल के मालिक हैं और उनके बेटे युवराज के भी मिल में शेयर है। योगेंद्र के पास 100 ग्राम सोना और अंजू के पास 500 ग्राम सोने के गहने हैं। चल संपत्ति के रूप में योगेंद्र के पास 1.76 करोड़, अंजू के पास 45.66 लाख, दक्षेंद्र के पास 21.95 लाख और युवराज के पास 48.53 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति में योगेंद्र के पास 11.04 करोड़, अंजू के पास 16.04 करोड़, दक्षेंद्र और युवराज के पास 4.04 करोड़ की संपत्ति है। सुमिता सिंह की आय घटी, फिर भी करोड़पति बनीं पूर्व विधायक सुमिता सिंह की आय 4 साल पहले 2.48 लाख थी, जो 2022-23 में घटकर 1.95 लाख हो गई है। जबकि उनके पति जगदीप की आय 30.76 लाख से बढ़कर 78.23 लाख हो गई है। चल संपत्ति के रूप में सुमिता सिंह के पास 5.47 करोड़ और 19.38 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। अचल संपत्ति में सुमिता के पास 5.68 करोड़ और 61.46 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। उनके ऊपर किसी प्रकार का कर्ज नहीं है। हरियाणा के करनाल में असंध विधानसभा से बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे जिले राम शर्मा की संपति में पिछले 5 सालों में भारी इजाफा हुआ है। पत्नियों की संपत्ति ने भी ध्यान खींचा है। कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर और योगेंद्र राणा जैसे उम्मीदवार भी करोड़ो की संपति के मालिक है। वहीं अगर हम करनाल विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक सुमिता सिंह की बात करें तो उनकी आय में गिरावट आई है, लेकिन वे अब भी करोड़पति हैं। जिले राम शर्मा की संपत्ति में बड़ा उछाल, पत्नी की आय में मामूली गिरावट बीजेपी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले जिले राम शर्मा की संपति पिछले 5 सालों में 6.92 लाख से बढ़कर 9.31 लाख हो गई है। जबकि उनकी पत्नी माया देवी की आय 4.99 लाख से घटकर 4.79 लाख हो गई है। शर्मा के पास 90 हजार रुपए नकद हैं और उनकी पत्नी माया देवी के पास 45 हजार रुपए नकद हैं। तीन बचत खातों में शर्मा के पास 70 हजार रुपए और माया देवी के बैंक खाते में 40 हजार रुपए जमा हैं। शर्मा के पास 13.60 लाख का सोना और माया देवी के पास 20.40 लाख का सोना है। चल संपत्ति में शर्मा के पास 40.20 लाख और माया देवी के पास 21.25 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति के मामले में शर्मा के पास 57 लाख रुपए की संपति है, और उन पर 11 लाख रुपए का कर्ज है। वीरेंद्र राठौर की पत्नी की संपत्ति दोगुनी से अधिक हुई वीरेंद्र राठौर की संपत्ति 2020-21 में 14.72 लाख थी, जो 2024-25 में मामूली बढ़कर 17 लाख हो गई। उनकी पत्नी नीतू की संपत्ति 5.85 लाख से बढ़कर 9.69 लाख हो गई है। वीरेंद्र राठौर पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। वीरेंद्र के पास 17.5 लाख का सोना और नीतू के पास 36.57 लाख का सोना है। चल संपत्ति के रूप में वीरेंद्र के पास 25.31 लाख और नीतू के पास 51 लाख रुपए हैं। अचल संपत्ति में वीरेंद्र के पास 55.86 लाख और नीतू के पास 2.50 करोड़ की संपत्ति है। दोनों पर कोई देनदारी नहीं है। योगेंद्र राणा और उनका परिवार करोड़ों की संपत्ति का मालिक योगेंद्र राणा की सालाना आय पिछले 5 सालों में 2.97 लाख से बढ़कर 5.88 लाख हो गई है, जबकि उनकी पत्नी अंजू की सालाना आय 2.43 लाख से बढ़कर 4.76 लाख हो गई है। उनके बेटे दक्षेंद्र की आय 2.90 लाख से 4.74 लाख और दूसरे बेटे युवराज की आय 12,560 से बढ़कर 2.90 लाख हो गई है। योगेंद्र जेपीएस राइस मिल के मालिक हैं और उनके बेटे युवराज के भी मिल में शेयर है। योगेंद्र के पास 100 ग्राम सोना और अंजू के पास 500 ग्राम सोने के गहने हैं। चल संपत्ति के रूप में योगेंद्र के पास 1.76 करोड़, अंजू के पास 45.66 लाख, दक्षेंद्र के पास 21.95 लाख और युवराज के पास 48.53 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति में योगेंद्र के पास 11.04 करोड़, अंजू के पास 16.04 करोड़, दक्षेंद्र और युवराज के पास 4.04 करोड़ की संपत्ति है। सुमिता सिंह की आय घटी, फिर भी करोड़पति बनीं पूर्व विधायक सुमिता सिंह की आय 4 साल पहले 2.48 लाख थी, जो 2022-23 में घटकर 1.95 लाख हो गई है। जबकि उनके पति जगदीप की आय 30.76 लाख से बढ़कर 78.23 लाख हो गई है। चल संपत्ति के रूप में सुमिता सिंह के पास 5.47 करोड़ और 19.38 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। अचल संपत्ति में सुमिता के पास 5.68 करोड़ और 61.46 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। उनके ऊपर किसी प्रकार का कर्ज नहीं है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में झोटे के जन्मदिन पर केक काटा:CIRB हिसार के वैज्ञानिकों ने मिठाई बांटी, अब तक 22000 भैंसों को गभर्वती कर चुका हरियाणा के हिसार स्थित केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) में क्लोन मुर्रा झोटा “हिसार गौरव” का आज मंगलवार (10 दिसंबर) 10वां जन्मदिन मनाया गया। यह क्लोन झोटा CIRB द्वारा तैयार किया गया है, जो डेयरी क्षेत्र में शोध का उल्लेखनीय एक दशक का प्रतीक है। 11 दिसंबर 2015 को हिसार में जन्मे इस पीटी बुल 4354 के क्लोन का जन्म हुआ था। पिछले एक दशक में हिसार गौरव ने उच्च गुणवता वाले वीर्य की 22000 डोज का उत्पादन किया है, जिसका उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है। हिसार गौरव के सीमन से पैदा हुए 2 झोटों ने अभी तक 2 लाख से ज्यादा एआइ की डोज उपलब्ध करवाई है और इसकी झोटियों ने दूध उत्पादन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हासिल की है, जो की प्रति बयांत लगभग 300 से 600 लीटर दूध का उत्पादन किया है। हिसार गौरव का यह 10 वां जन्मदिन वैज्ञानिक समुदाय के लिए गौरवपूर्ण क्षण है जो उत्पादकता बढ़ाने और आजीविका में सुधार करने में विज्ञान की परिवर्तनकारी क्षमता को उजागर करता है। इसके सीमन से 45 प्रतिशत से अधिक गर्भाधान
ओपीयू-आईवीएफ में इसके सीमन का प्रयोग से न केवल एक स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट बछडे़ “वीर गौरव” का जन्म हुआ, बल्कि सफल परिणाम देने में इसकी विश्वसनीयता भी प्रदर्शित हुई। इस क्लोन से प्राप्त सीमन से मादा पशुओं का 45 प्रतिशत से अधिक गर्भाधान है, जोकि ब्रीडिंग बुल के बराबर है। हिसार गौरव की सीमन तकनीक का उपयोग करने वाले किसानों ने दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण सुधार की सूचना दी है, जो डेयरी अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में योगदान देता है। इसका वीर्य आनुवंशिक सुधार को बढ़ावा देने, पशुधन उत्पादकता बढ़ाने और पशुओं की अगली पीढ़ी में उच्च प्रजनन क्षमता, जैसे श्रेष्ठ गुणों के हस्तांतरण को सुनिश्चित करता है। पूरी विज्ञानिकों की टीम एकत्रित हुई और खुशियां मनाई
इस क्लोनिंग प्रोजेक्ट के पीआई डॉ. प्रेम सिंह यादव अपनी टीम के साथ कार्य कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा क्लोन पैदा किए जा सके। हर साल की तरह इस साल भी 10 दिसम्बर 2024 को हिसार गौरव का जन्मदिन के केक काट कर मनाया गया। इस अवसर पर संस्थान के पूर्व निर्देशक डॉ. आरके सेठी, फिजियोलॉजी के पूर्व अध्यक्ष डा. एस के जिंदल संस्थान के वर्तमान निदेशक डॉ. टीके दत्ता, डॉ. यशपाल शर्मा, प्रोजेक्ट के पीआइ डॉ. पीएस यादव व उनकी पूरी टीम सम्मिलित हुए और खुशियां बाटीं। संस्थान में क्लोनिंग की जागरूकता के लिए एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया, जिसमें हाइटैक डेयरी सिरसा के डेयरी मैनेजर व उनकी टीम और क्लोन सीमन प्रयोग करने वाले किसान भी सम्मिलित हुए। संस्थान के सभी वैज्ञानिक व कर्मचारी भी इस सेमिनार मे शामिल हुए ताकि क्लोंनिग से सम्बन्धित सही जानकारी किसानों तक पहुचाई जा सकें।
फरीदाबाद नहर में कूदकर युवक ने दी जान:रेस्क्यू कर शव खोजने में जुटी NDRF, दोस्त पर धक्का देने का आरोप
फरीदाबाद नहर में कूदकर युवक ने दी जान:रेस्क्यू कर शव खोजने में जुटी NDRF, दोस्त पर धक्का देने का आरोप हरियाणा के फरीदाबाद जिले से होकर गुजर रही आगरा नहर में बीती रात एक लगभग 19 वर्षीय धर्मेंद्र नाम का युवक डूब गया। जिसके शव की तलाश में अभी भी नहर में एनडीआरएफ की टीम द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन अभी तक नहर में कूद 19 वर्षीय युवक धर्मेंद्र का शव बरामद नहीं किया जा सका है। बचाने के लिए दोस्त ने भी लगाई छलांग जानकारी देते हुए धर्मेंद्र के परिजनों ने बताया कि बीती रात धर्मेंद्र घर पर था कि तभी उसके दोस्त दिनेश का उसके पास फोन आया, वह रात को घर से 12 बजे निकला था, लेकिन सुबह 4 बजे फोन कर धर्मेंद्र को बुलाने वाले दोस्त ने ही घर पर आकर सूचना दी कि धर्मेंद्र ने नहर में छलांग लगा दी है, जिसे बचाने के लिए वह भी खुद था, लेकिन वह धर्मेंद्र को नहीं बचा सका। फिलहाल मामले में अभी धर्मेंद्र के परिजन उसके दोस्त दिनेश पर ही धक्का देने का शक जता रहे है। देर रात से तलाश में जुटी एनडीआरएफ टीम नहर में धर्मेंद्र के डूबने की सूचना के मिलने के बाद मौके पर पुलिस टीम पहुंची, जिन्होंने एनडीआरएफ की टीम को सूचना दी। NDRF की टीम भी बीते रात से ही धर्मेंद्र के शव की तलाश में जुटी है, लेकिन अभी तक धर्मेंद्र के शव को बरामद नहीं किया जा सका है। थाना पल्ला से रणधीर ने बताया कि फिलहाल एनडीआरएफ के साथ सीआरएफ टीम, पुलिस टीम, राइडर्स टीम नहर के चक्कर लगा रही है। धर्मेंद्र के शव को तलाशने का प्रयास किया जा रहा है, प्रथम दृष्टि से यह आत्महत्या है। इंस्टा पर दोस्तों को किया सूचित, अंतिम दर्शन कर लो जानकारी के मुताबिक नहर में कूदते समय धर्मेंद्र काफी नशे में था। कूदने से पहले उसने अपने दोस्तों को इंस्टाग्राम पर फोन करके कहा था, यदि उसके दर्शन करने हैं, तो कर लो। वह नहर में कूदकर जान देने जा रहा है। इसके बाद इसके दोस्त बृजेश, अजय, धर्मेंद्र को समझाने के लिए मौके पर पहुंचे थे, लेकिन धर्मेंद्र ने उनके सामने ही नहर में छलांग लगा दी। उन्होंने भी नहर में छलांग लगाकर उसे बचाने का प्रयास किया, लेकिन वह उसे नहीं बचा पाए। वहीं सूत्रों से मेरी जानकारी के मुताबिक उसके नहर में कूदने की वजह प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है।
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने गिनाए कांग्रेस हार के कारण:बत्रा बोले- संगठन की कमी, सिटिंग-गैटिंग फार्मूला व ओवर कांफिडेंस से हारी
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने गिनाए कांग्रेस हार के कारण:बत्रा बोले- संगठन की कमी, सिटिंग-गैटिंग फार्मूला व ओवर कांफिडेंस से हारी हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुभाष बत्रा ने मंगलवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हार के कारण गिनवाए। वहीं कहा कि जनवरी के लास्ट या फरवरी की शुरूआत में हरियाणा में नगर निकाय चुनाव होने जा रहे हैं। अगर संगठन नहीं होगा तो कांग्रेस की यही दशा होने जा रही है। पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा ने कांग्रेस द्वारा विपक्ष का नेता नहीं चुने जाने पर कहा कि यह पार्टी का अंदरुनी मामला है। भाजपा अपनी सरकार कैसे चलानी है, किसानों को कोई सुविधा कैसे देनी है, प्रदेश की विकास की गति में तेजी को लाया जाए, उस पर तो विचार कम कर रहे हैं और कांग्रेस द्वारा सीएलपी का लीडर नहीं चुनने पर ज्यादा टिप्पणी देते हैं। चुन लिया जाएगा। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा काम तो कर रहे हैं, विधायकों का बहुमत उनके साथ है। सीएलपी का लीडर वही होता है, जिसके पास बहुमत के एमएलए होते हैं। पहले टिकटें उनके हिसाब से दी गई। जो कुछ भी सिस्टम कांग्रेस के अंदर है, वह भूपेंद्र हुड्डा के हिसाब से है। सुभाष बत्रा ने कहा कि “मेरे हिसाब से भूपेंद्र हुड्डा ही सीएलपी के लीडर दोबारा बनेंगे”। कोई ऐसा इश्यू नहीं है। संगठन की कमी का खामियाजा सीएलपी लीडर चुनने में देरी
सुभाष बत्रा ने सीएलपी लीडर चुनने में देरी होने के सवाल पर कहा कि “देरी का कारण यह नहीं हैं, देरी का कारण कुछ और है। जो मैं समझ पा रहा हूं। जैसा मैं समझ पा रहा हूं कि संगठन है ही नहीं। पीसीसी प्रेसिडेंट जिसकी लीडरशिप में चुनाव हुआ है, वह आज बादस्तुर कंटिन्यू कर रहा है।” उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो प्राथमिकता यह है कि संगठन बनाया जाए, जो पिछले 16 साल से संगठन है ही नहीं। बूथ व ब्लॉक लेवल की कोई कमेटी नहीं है। कांग्रेस हार के यह बताए कारण
पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा ने कहा कि वे पिछले वे 17 साल से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही है कि संगठन ही नहीं है। दूसरा कारण यह भी है कि 16 साल से ज्यादा एक दलित लीडरशिप की रहनुमाई में चुनाव करवाया है। सबकुछ करके ट्राई कर लिया, लेकिन इस दौरान कभी भी पार्टी पावर (सत्ता) में नहीं आई। इस पर मंथन की जरूरत है। सिटिंग-गैटिंग फार्मूला किसने लागू करवाया, इस पर मंथन की जरूरत है। कुछ एमएलए ऐसे थे, जो भगोड़े घोषित हो रखे थे और कुछ के खिलाफ ईडी-सीबीआई के मुकदमें थे। उनको भी सिटिंग-गैटिंग के फार्मूले से टिकट देनी पड़ी। कांग्रेस की हार के मुख्य कारण ये हैं। कुछ ओवर कांफिडेंस भी कांग्रेस को ले डूबा। कांग्रेस तो यह सोच रही थी कि हम तो 70 पार है और सरकार बनाने वाले हैं। सरकार बनाने के लिए बैंड-बाजे भी आ गए। बीजेपी अपनी सीटें 30 से ऊपर नहीं मान रही थी। इसलिए कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियां सकते में हैं। इसलिए भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा इस तरह के किसानों को लेकर उल्टे बयान दे रहे हैं।