करनाल में एक रुपया शगुन- एक जोड़ी कपड़ों में विवाह:लड़का आस्ट्रेलिया में करता है जॉब; लड़की भी एमकॉम तक पढ़ी लिखी

करनाल में एक रुपया शगुन- एक जोड़ी कपड़ों में विवाह:लड़का आस्ट्रेलिया में करता है जॉब; लड़की भी एमकॉम तक पढ़ी लिखी

हरियाणा के करनाल में दहेज प्रथा जैसी बुराई पर करारा प्रहार करते हुए कैमला गांव में हुई शादी में एक अनोखी मिसाल पेश की गई। मास्टर नरेंद्र सिंह की बेटी सपना उर्फ सिल्की की शादी गांव डाबरथला निवासी सुभाष चंद के बेटे अशोक कुमार के साथ हुई। इस विवाह में शगुन में केवल एक रुपया दिया गया, वहीं दुल्हन को भी एक जोड़ी कपड़े में विदा किया गया। शादी की पूरे क्षेत्र में चर्चा है। 16 जनवरी की शाम को परिणय सूत्र में बंधे सपना और अशोक दोनों ही पोस्ट ग्रेजुएट हैं। सपना ने एम.कॉम किया हुआ है और अपने घर के स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसी स्कूल में पिछले एक वर्ष से टीचिंग कार्य कर रही थीं। वहीं, अशोक ने एमबीए की शिक्षा ली है और वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक कंपनी में कार्यरत हैं। लड़के वालों ने दहेज लेने से किया मना सपना के पिता मास्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे परिवार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है, लेकिन लड़के वालों ने रिश्ते की शुरुआत में ही दहेज लेने से मना कर दिया था। उनकी इस सोच ने हमें बहुत प्रभावित किया। हर परिवार को इस तरह का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। मास्टर नरेंद्र सिंह का मानना है कि यदि सभी लोग इस सोच को अपनाएं, तो बेटियों के परिवार पर आर्थिक बोझ कम होगा और दहेज प्रथा को समाप्त किया जा सकेगा। दहेज के खिलाफ सामाजिक जागरूकता की जरूरत सपना के चचेरे भाई कुलदीप ने बताया कि माता-पिता अपनी बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ते और अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दहेज देते हैं। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन अब इसे खत्म करने की जरूरत है। सपना के ससुराल वालों ने सिर्फ एक रुपया लिया। हमें गर्व है कि हमें ऐसी सोच रखने वाला परिवार मिला। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़ा-लिखा समाज ही ऐसी सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे सकता है। यह शादी दहेज प्रथा के खिलाफ एक छोटा लेकिन मजबूत प्रयास है, ताकि अन्य लोग भी इस तरह की पहल करें और बेटियों की शादी के समय अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचें। रिश्तेदारों ने भी की सराहना इस शादी में शामिल होने पहुंचे नरेंद्र के रिश्तेदार रंगी राम ने नरेंद्र सिंह और सुभाष चंद के परिवार की सराहना की। उन्होंने कहा कि दहेज जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए हर परिवार को इस प्रकार की सोच अपनानी चाहिए। मैंने भी अपनी तीन बेटियों की शादी में कोई दहेज नहीं दिया। मेरे दो दामाद बेल्जियम में हैं, और उन्होंने भी एक पैसे की मांग नहीं की। दहेज एक सामाजिक बुराई है और इसे केवल जागरूकता के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। समाज को नई दिशा रिश्तेदारों ने कहा कि यह शादी न केवल दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत कदम है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी है। दोनों परिवारों ने यह साबित किया है कि सच्चा रिश्ता सिर्फ आपसी सम्मान और समझदारी पर आधारित होता है, न कि आर्थिक लेन-देन पर। ऐसी शादियों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव की लहर पैदा होगी और दहेज जैसी कुप्रथा के खात्मे की ओर हम एक बड़ा कदम बढ़ा सकते हैं। हरियाणा के करनाल में दहेज प्रथा जैसी बुराई पर करारा प्रहार करते हुए कैमला गांव में हुई शादी में एक अनोखी मिसाल पेश की गई। मास्टर नरेंद्र सिंह की बेटी सपना उर्फ सिल्की की शादी गांव डाबरथला निवासी सुभाष चंद के बेटे अशोक कुमार के साथ हुई। इस विवाह में शगुन में केवल एक रुपया दिया गया, वहीं दुल्हन को भी एक जोड़ी कपड़े में विदा किया गया। शादी की पूरे क्षेत्र में चर्चा है। 16 जनवरी की शाम को परिणय सूत्र में बंधे सपना और अशोक दोनों ही पोस्ट ग्रेजुएट हैं। सपना ने एम.कॉम किया हुआ है और अपने घर के स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उसी स्कूल में पिछले एक वर्ष से टीचिंग कार्य कर रही थीं। वहीं, अशोक ने एमबीए की शिक्षा ली है और वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक कंपनी में कार्यरत हैं। लड़के वालों ने दहेज लेने से किया मना सपना के पिता मास्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे परिवार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है, लेकिन लड़के वालों ने रिश्ते की शुरुआत में ही दहेज लेने से मना कर दिया था। उनकी इस सोच ने हमें बहुत प्रभावित किया। हर परिवार को इस तरह का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। मास्टर नरेंद्र सिंह का मानना है कि यदि सभी लोग इस सोच को अपनाएं, तो बेटियों के परिवार पर आर्थिक बोझ कम होगा और दहेज प्रथा को समाप्त किया जा सकेगा। दहेज के खिलाफ सामाजिक जागरूकता की जरूरत सपना के चचेरे भाई कुलदीप ने बताया कि माता-पिता अपनी बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ते और अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दहेज देते हैं। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, लेकिन अब इसे खत्म करने की जरूरत है। सपना के ससुराल वालों ने सिर्फ एक रुपया लिया। हमें गर्व है कि हमें ऐसी सोच रखने वाला परिवार मिला। उन्होंने यह भी कहा कि पढ़ा-लिखा समाज ही ऐसी सकारात्मक सोच को बढ़ावा दे सकता है। यह शादी दहेज प्रथा के खिलाफ एक छोटा लेकिन मजबूत प्रयास है, ताकि अन्य लोग भी इस तरह की पहल करें और बेटियों की शादी के समय अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचें। रिश्तेदारों ने भी की सराहना इस शादी में शामिल होने पहुंचे नरेंद्र के रिश्तेदार रंगी राम ने नरेंद्र सिंह और सुभाष चंद के परिवार की सराहना की। उन्होंने कहा कि दहेज जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए हर परिवार को इस प्रकार की सोच अपनानी चाहिए। मैंने भी अपनी तीन बेटियों की शादी में कोई दहेज नहीं दिया। मेरे दो दामाद बेल्जियम में हैं, और उन्होंने भी एक पैसे की मांग नहीं की। दहेज एक सामाजिक बुराई है और इसे केवल जागरूकता के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। समाज को नई दिशा रिश्तेदारों ने कहा कि यह शादी न केवल दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत कदम है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी है। दोनों परिवारों ने यह साबित किया है कि सच्चा रिश्ता सिर्फ आपसी सम्मान और समझदारी पर आधारित होता है, न कि आर्थिक लेन-देन पर। ऐसी शादियों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव की लहर पैदा होगी और दहेज जैसी कुप्रथा के खात्मे की ओर हम एक बड़ा कदम बढ़ा सकते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर