करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म देखी। उनके साथ असंध से विधायक योगेंद्र राणा और अन्य भाजपा नेता भी मौजूद थे। खट्टर ने ये फिल्म सुपर मॉल में देखी। साबरमती रिपोर्ट मूवी देखने के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि साबरमती रिपोर्ट मूवी जब से रिलीज हुई है। तब से इसकी चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने मुझे भी सजेस्ट किया था कि यह मूवी देखनी चाहिए और आज मैं यह मूवी देखने के लिए आया हूं। गोधरा कांड हुआ था, उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट को छुपाया गया था, लेकिन मीडिया से जुड़े एक पत्रकार ने गोधरा कांड की सच्चाई को सबके सामने लाने का काम किया। कुछ षड्यंत्रकारियों ने गोधरा कांड की रिपोर्ट को छुपाया, अब गोधरा कांड की रिपोर्ट को सबके सामने लाया जा रहा है, यह आंखें खोलने वाला विषय है। गोधरा कांड में किस तरह से कार सेवकों की बोगी के अंदर आग लगाई गई थी। जो वृतांत दिखाया गया है वह एक सनसनीखेज मामला है। इस मूवी को लेकर चर्चा जरूरी होती होगी कि उस वक्त के समय में किस तरह से षड्यंत्र रचा गया था। इसके पीछे राजनीतिक लोगों का भी मानस रहा होगा। यह मूवी पत्रकारिता से जुड़ा हुआ विषय भी है, इसलिए पत्रकारों को भी यह मूवी देखनी चाहिए। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के पानीपत आगमन को लेकर कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए पीएम बीमा योजना की शुरुआत होगी। करनाल में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म देखी। उनके साथ असंध से विधायक योगेंद्र राणा और अन्य भाजपा नेता भी मौजूद थे। खट्टर ने ये फिल्म सुपर मॉल में देखी। साबरमती रिपोर्ट मूवी देखने के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि साबरमती रिपोर्ट मूवी जब से रिलीज हुई है। तब से इसकी चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने मुझे भी सजेस्ट किया था कि यह मूवी देखनी चाहिए और आज मैं यह मूवी देखने के लिए आया हूं। गोधरा कांड हुआ था, उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट को छुपाया गया था, लेकिन मीडिया से जुड़े एक पत्रकार ने गोधरा कांड की सच्चाई को सबके सामने लाने का काम किया। कुछ षड्यंत्रकारियों ने गोधरा कांड की रिपोर्ट को छुपाया, अब गोधरा कांड की रिपोर्ट को सबके सामने लाया जा रहा है, यह आंखें खोलने वाला विषय है। गोधरा कांड में किस तरह से कार सेवकों की बोगी के अंदर आग लगाई गई थी। जो वृतांत दिखाया गया है वह एक सनसनीखेज मामला है। इस मूवी को लेकर चर्चा जरूरी होती होगी कि उस वक्त के समय में किस तरह से षड्यंत्र रचा गया था। इसके पीछे राजनीतिक लोगों का भी मानस रहा होगा। यह मूवी पत्रकारिता से जुड़ा हुआ विषय भी है, इसलिए पत्रकारों को भी यह मूवी देखनी चाहिए। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के पानीपत आगमन को लेकर कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए पीएम बीमा योजना की शुरुआत होगी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में टिकट दावेदार बढ़ाएंगे कांग्रेस हाईकमान का सिरदर्द:हर विधानसभा में 10-15 तक जता रहे उम्मीदवारी, अगले महीने से पार्टी मांगेगी आवेदन
हरियाणा में टिकट दावेदार बढ़ाएंगे कांग्रेस हाईकमान का सिरदर्द:हर विधानसभा में 10-15 तक जता रहे उम्मीदवारी, अगले महीने से पार्टी मांगेगी आवेदन हरियाणा में विधानसभा चुनाव को महज 3 महीने का ही समय बचा है। चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार खुलकर कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं और अपने आपको दावेदार बता रहे हैं। मगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह ही सर्वे के आधार पर टिकट इस बार देखा। ऐसे में नेताओं ने फिल्ड में रहना शुरू कर दिया है ताकि सर्वे में उनकी रिपोर्ट अच्छी आए। वहीं कुछ नेता ऑनलाइन सर्वे करवाकर खुद को बाकि की तुलना में अधिक असरदार व मजबूत कैंडिडेट बता रहे हैं। खास बात है कि इस बार कांग्रेस का टिकट लेने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी रहने के आसार हैं। कांग्रेस के हर विधानसभा में 10 से लेकर 15 दावेदार हैं। ऐसे में यह दावेदार कांग्रेस हाईकमान का सिर दर्द बढ़ाएंगे। कांग्रेस इन दावेदारों से अगले महीने आवेदन मांगना शुरू कर सकती है। कांग्रेस का पहला सर्वे अभी चल रहा है। दूसरा सर्वे शुरू होते ही कांग्रेस आवेदन मांगना शुरू करेगी। जल्द ही कांग्रेस आवेदन के लिए घोषणा करने वाली है। ऐसे में टिकट पाने वालों ने बायोडाटा बनवाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस न्यायपत्र बनाने की भी तैयारियों में लगी है। राहुल की मीटिंग के बाद बयानबाजी थमी हरियाणा कांग्रेस की हाईकमान के साथ बैठक के बाद बयानबाजी थम गई है। हुड्डा खेमे और SRK गुट की तरफ से कोई बयानबाजी राहुल गांधी की नसीहत के बाद सामने नहीं आई है। मगर वहीं जनता के सामने कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर है। ऊपर से चाहे कितना भी एक होने का संदेश देगी मगर धरातल पर दोनों गुटों के नेताओं के कार्यकर्ता एक दूसरे के आमने-सामने रहते हैं। कांग्रेस के सम्मेलनों में गुटबाजी देखने को मिल रही है। जींद में हुए सम्मेलन में चौधरी बीरेंद्र सिंह ग़ैरमौजूद रहे। वहीं उचाना में जयप्रकाश के कार्यक्रमों से बृजेंद्र सिंह गायब दिखे। विधानसभा में कांग्रेस के पास 3 बड़े ऐज 1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है। 2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। 3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं। कांग्रेस को इन चुनौतियों से पारा पाना होगा 1. गुटबाजी हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान कम से कम 2 सीटें गवांकर चुकाया। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई। इसी तरह हिसार सीट पर2 गुटबाजी देखने को मिली। सैजला समर्थकों ने जयप्रकाश के प्रचार से दूरी बनाए रखी। इससे हिसार में जीत का मार्जिन कम हो गया। अगर विधानसभा वाइस सीटें देखें तो कांग्रेस को हिसार, कैथल, जींद, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा लोकसभा जैसी विधानसभाओं में गुटबाजी से पार पाना होगा। 2. पार्टी के भीतर चौधर की लड़ाई लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेताओं के बीच चलने वाली चौधर की लड़ाई भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार के उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए। हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी लीड बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से ही मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा कैंप से जुड़े होने के कारण सैलजा रणदीप सुरजेवाला ने हिसार में एक सभा तक नहीं की। सैलजा सिरसा तक सिमटी रही तो रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र एरिया में एक्टिव रहे। 3. कुरुक्षेत्र में गठबंधन को सीट दी विधानसभा में पड़ेगा असर कांग्रेस ने I.N.D.I.A. अलायंस के तहत कुरूक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (AAP) को दी थी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गायब रहा। इसका असर विधानसभा में भी पड़ना तय है। अगर यहां कांग्रेस और आप के बीच वोट बंटे तो इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। आप यहां मजबूती से चुनाव लड़ने का विचार मन बना रही है। पंजाब के साथ लगती हरियाणा की बेल्ट में आप कांग्रेस को चुनौती देगी।
हांसी नप चेयरमैन प्रत्याशी मीनू सेठी बेटे समेत गिरफ्तार:बिलासपुर में धान खरीद को लेकर गए थे; एक करोड़ की बकाया रकम पर FIR
हांसी नप चेयरमैन प्रत्याशी मीनू सेठी बेटे समेत गिरफ्तार:बिलासपुर में धान खरीद को लेकर गए थे; एक करोड़ की बकाया रकम पर FIR हरियाणा के हिसार के हांसी में नगर परिषद की चेयरमैन प्रत्याशी रही मीनू सेठी को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे हांसी के समाजसेवी मदन मोहन सेठी की धर्मपत्नी हैं। मीनू सेठी के साथ उसके बेटे, गनमैन व एक अन्य को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं। लेन देन के विवाद में व्यापारियों ने धोखे से उनको बिलासपुर बुलाया था। जानकारी के अनुसार मदन मोहन सेठी जोकि एक व्यापारी हैं, उन्होंने यूपी के बिलासपुर से पौने 2 करोड़ की धान खरीदी थी। इसकी कुछ एक पेमेंट तो कर दी थी, लेकिन 1 करोड़ 7 लाख रुपए की रकम अभी भी बकाया थी। बिलासपुर के व्यापारियों द्वारा बार-बार उनसे पैसे मांगने पर उन्हें उनके पैसे दिए नहीं गए थे। इसके बाद यूपी बिलासपुर के व्यापारियों ने मीनू सेठी के लड़के को फ़ोन कर कहा कि यहां बिलासपुर में एक व्यापारी 3 से 4 करोड़ की धान बेचना चाहता है। धान लेनी हैं तो बिलासपुर आ जाओ। इसके बाद मीनू सेठी, उसका लड़का और उनका गनमैन और एक अन्य व्यक्ति व्यापारियों के बीच यूपी के बिलासपुर पहुंचे। सभी व्यापारियों ने पुलिस को मौके पर बुलाया और मीनू सेठी और उसके लड़के, गनमैन और एक अन्य को पुलिस के हवाले कर दिया। व्यापारियों की शिकायत पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। व्यापारियों ने बताया कि काफी समय से वह मदन सेठी से उनकी बकाया राशि 1 करोड़ 7 लाख रुपए मांग रहे थे, लेकिन वह उन्हें पैसे देने का नाम तक नहीं ले रहे थे। इसके बाद उन्होंने मीनू सेठी को धोखे से यूपी बिलासपुर बुलाया और साथ ही पुलिस की इसकी शिकायत दे दी। अभी पुलिस मामले की जांच कर रही है।
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईपावर कमेटी गठित कर रहे हैं, लेकिन कोई मुद्दे तय नहीं कर रहे हैं। यह अधिकार कमेटी को दे रहे हैं। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी शामिल हैं। हाईपावर कमेटी को आंदोलनकारी किसानों के बीच पहुंचकर अपने ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नसीहत दी कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए। मुद्दे बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलित रुख अपनाना चाहिए। पिछली 2 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक तौर पर यानी एक लेन खोलने को कहा था। इस मामले में किसानों की पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई यह बेनतीजा रहीं। हरियाणा पुलिस का कहना था कि किसान दिल्ली जाएं, लेकिन ट्रैक्टर लेकर न जाएं। किसान ट्रैक्टर समेत जाने पर अड़े रहे। कोर्ट रूम लाइव पढ़ें… एएजी पंजाब: हमने वह मुद्दा दे दिया है, जिस पर किसान फैसला चाहते हैं।
जस्टिस कांत: कृपया इन मुद्दों का राजनीतीकरण न करें, हमें आज इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। जस्टिस कांत: हम समिति का गठन कर रहे हैं, हम मुद्दे तैयार नहीं कर रहे हैं। हम समिति से ऐसा करने के लिए कह रहे हैं। जस्टिस कांत ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि समिति किसानों के मुद्दों को हल करने के तौर-तरीकों पर गौर करेगी। जस्टिस कांत: हम शुरू में कह सकते हैं कि पंजाब व हरियाणा राज्य द्वारा सुझाए गए नाम उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति हैं, जो कृषि में अनुभवी हैं। हम यह कहने में जल्दबाजी कर सकते हैं कि किसान वर्गों की एक बड़ी आबादी है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जस्टिस कांत: हमें लगता है कि मुद्दों को तैयार करने के लिए हाईकोर्ट समिति से अनुरोध करना अधिक उचित होगा। पीठ का कहना है कि सदस्य सचिव मुद्दों का सूत्रीकरण हाईपावर कमेटी को दे सकते हैं। जस्टिस कांत: हमें आशा और विश्वास है कि मुद्दों पर गौर करने के लिए एक तटस्थ समिति प्रदान करने की किसानों की आकांक्षा का गठन किया जाएगा। जस्टिस कांत: किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को ऐसे आवंटित स्थलों पर स्थनांतरित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। जस्टिस कांत: जो लोग दोनों राज्यों की जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं, हमने एक संतुलित संरचना बनाने की कोशिश की है, किसानों के मुद्दे वास्तविक हैं, उन्हें एक तटस्थ निकाय द्वारा निपटाया जाना चाहिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी और को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बेंच ने हाईकोर्ट कमेटी के सदस्य सचिव को अगली सुनवाई पर अग्रिम स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। एजी पंजाब: माय लॉर्ड्स ने बहुत अच्छी तरह से नोट किया कि इसका राजनीतीकरण नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस कांत: मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलन का रुख अपनाना चाहिए। शंभू बॉर्डर खोलने के लिए 2 मीटिंग विफल रहीं
शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को मनाने के लिए 25 अगस्त को रखी गई पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों की बैठक विफल रही। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 दिन में दूसरी बार पुलिस अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठक की थी, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं। किसान इस बात पर अड़े रहे कि वे अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को नहीं छोड़ेंगे और इन्हीं से दिल्ली कूच करेंगे। एक घंटे तक चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई। पुलिस लाइन में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) जसकरण सिंह और एआईजी संदीप गर्ग के अलावा पटियाला के डीसी व एसएसपी और हरियाणा के अंबाला जिले के एसपी और एसडीएम किसानों से बैठक करने के लिए पहुंचे थे। कोर्ट ने आंशिक तौर पर बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे
12 अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सह हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोली जाए। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से आंदोलन पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के अंबाला के पास शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने बॉर्डर पर पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इसके चलते अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। जानिए, किसान आंदोलन में अभी तक क्या हुआ