हरियाणा में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृषि विभाग किसानों पर धड़ाधड़ मुकद्मे करवा रहा है, दूसरी ओर बिना किसी लाइसेंस करनाल में गोगड़ीपुर रोड पर स्थित फैक्ट्री, दशहरा ग्राउंड सेक्टर 4, सेक्टर 12, सेक्टर 16 सहित शहर के मुख्य बाजारों में पटाखे बेचे जा रहे है, हालांकि अबकी बार प्रशासन की तरफ से स्टॉल लगाने के लिए भी कोई लाइसेंस इशू नहीं किया गया है और न ही कोई आधिकारिक अनुमति दी गई है। बता दें कि इससे पहले यानी 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित इस पटाखा फैक्ट्री हादसा हो चुका है। जिसमें तीन कर्मचारियों की मौके पर मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन आंखे मूंद करके बैठा है। आज भी इस फैक्ट्री संचालक द्वारा यहीं पर पटाखे बेचे जा रहे है। दोनों तरह से पटाखों से फैलता है प्रदूषण पटाखे चाहे रेड हो या फिर ग्रीन, उनके जलाने से प्रदूषण फिर भी होता है। करनाल जिले की अगर हम बात करे तो शहर में सभी जगह पर पटाखों के स्टॉल लगे हुए है और जहां पर स्टॉल लगे हुए है वहां पर किसी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अगर अब प्रशासन की प्रशासन की इस लापरवाही के कारण कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा? प्रशासन ने चलाया था चेकिंग अभियान आश फाउंडेशन के अध्यक्ष अनुज सैनी ने कहा कि प्रशासन की तरफ से पिछले सप्ताह कुछ गोदामों और दुकानों पर चेकिंग अभियान चलाया गया था। जहां पर चेकिंग की गई थी कि क्या कोई दुकानदार रेड पटाखे रख रहा है या फिर ग्रीन पटाखे रख रहा है। हालांकि इस दौरान किसी तरह के पटाखे तो पकड़ में नहीं आए, लेकिन एक सवाल यहां पर खड़ा जरूर हो गया कि दीवाली से तीन-चार दिन पहले ही प्रशासन को पटाखों के गोदामों की चेकिंग की याद आती है। लोग बोले-पटाखे ग्रीन हो या फिर रेड, प्रदूषण तो करते ही है सेक्टर 12, सेक्टर 4, सेक्टर 16 व घोघड़ीपुर रोड पर स्थित पटाखा फैक्ट्री में पटाखे खरीदने के लिए आए लोगों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बैगर ना तो ग्रीन पटाखे बिक सकते है और न ही दूसरे पटाखे। अधिकारियों की शह के कारण ही शहर में धड़ले से ये पटाखे बिक रहे है। उन्होंने कहा कि पटाखे चाहे ग्रीन हो या फिर रेड, इनके चलाने से प्रदूषण होता ही है। आंखों में जलन होती है, सांस लेने में दिक्कत होती है, ध्वनि प्रदूषण होता है, लेकिन दूसरी बात यह भी है कि पटाखों के बिना दीवाली अधूरी होती है। ऐसा नहीं है कि सभी पटाखे फोड़कर ही दीवाली मनाते हो, समाज में ऐसे भी लोग है जो किसी तरह का शोर किए बिना दीवाली मनाते है। प्रशासन भी कहता है कि ग्रीन पटाखे जलाने चाहिए, लेकिन ग्रीन पटाखे मिलते ही कहां है? यह तो सिर्फ बोलने में आता है कि ग्रीन पटाखे है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। सुरक्षा के लिए रखे है रेत और पानी से भरे टब स्टॉल लगाने वाले दुकानदारों की माने तो उन्होंने यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है। यहां पर रेत और पानी के टब रखे हुए है, अगर कोई आगजनी होती है तो उस पर काबू पाया जा सके। पानी और रेत के टब तो नजर आ रहे है लेकिन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर नजर नहीं आ रही। ऐसे में आगजनी की घटना होती है तो कितनी देर में गाड़ियां पहुंचेगी, उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ये कहा SDM ने इस बारे में जब करनाल के SDM अनुभव महता से दैनिक भास्कर द्वारा बात की गई तो उनका जवाब था कि प्रशासन की तरफ से किसी को भी पटाखे बेचने की न तो लाइसेंस दिया गया है और न ही स्टॉल लगाने के लिए कोई प्रमीशन दी गई। अगर स्टॉल लगाए गए है तो संबधित थाना के SHO को जानकारी देकर कार्रवाई की जाएगी। फैक्ट्री मालिक के खिलाफ आज तक नहीं तीन लोगों की जा चुकी जान बात दें कि इससे पहले साल 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में जबरदस्त धमाके के बाद आग लग गई थी। जिसके बाद पूरी फैक्ट्री में तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा, आज इसी फैक्ट्री में फिर से बिना सुरक्षा के इंतजाम के धडले से पटाखे बेचे जा रहे है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जरूर सवाल उठ रहे है। हरियाणा में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृषि विभाग किसानों पर धड़ाधड़ मुकद्मे करवा रहा है, दूसरी ओर बिना किसी लाइसेंस करनाल में गोगड़ीपुर रोड पर स्थित फैक्ट्री, दशहरा ग्राउंड सेक्टर 4, सेक्टर 12, सेक्टर 16 सहित शहर के मुख्य बाजारों में पटाखे बेचे जा रहे है, हालांकि अबकी बार प्रशासन की तरफ से स्टॉल लगाने के लिए भी कोई लाइसेंस इशू नहीं किया गया है और न ही कोई आधिकारिक अनुमति दी गई है। बता दें कि इससे पहले यानी 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित इस पटाखा फैक्ट्री हादसा हो चुका है। जिसमें तीन कर्मचारियों की मौके पर मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन आंखे मूंद करके बैठा है। आज भी इस फैक्ट्री संचालक द्वारा यहीं पर पटाखे बेचे जा रहे है। दोनों तरह से पटाखों से फैलता है प्रदूषण पटाखे चाहे रेड हो या फिर ग्रीन, उनके जलाने से प्रदूषण फिर भी होता है। करनाल जिले की अगर हम बात करे तो शहर में सभी जगह पर पटाखों के स्टॉल लगे हुए है और जहां पर स्टॉल लगे हुए है वहां पर किसी तरह के सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अगर अब प्रशासन की प्रशासन की इस लापरवाही के कारण कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा? प्रशासन ने चलाया था चेकिंग अभियान आश फाउंडेशन के अध्यक्ष अनुज सैनी ने कहा कि प्रशासन की तरफ से पिछले सप्ताह कुछ गोदामों और दुकानों पर चेकिंग अभियान चलाया गया था। जहां पर चेकिंग की गई थी कि क्या कोई दुकानदार रेड पटाखे रख रहा है या फिर ग्रीन पटाखे रख रहा है। हालांकि इस दौरान किसी तरह के पटाखे तो पकड़ में नहीं आए, लेकिन एक सवाल यहां पर खड़ा जरूर हो गया कि दीवाली से तीन-चार दिन पहले ही प्रशासन को पटाखों के गोदामों की चेकिंग की याद आती है। लोग बोले-पटाखे ग्रीन हो या फिर रेड, प्रदूषण तो करते ही है सेक्टर 12, सेक्टर 4, सेक्टर 16 व घोघड़ीपुर रोड पर स्थित पटाखा फैक्ट्री में पटाखे खरीदने के लिए आए लोगों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बैगर ना तो ग्रीन पटाखे बिक सकते है और न ही दूसरे पटाखे। अधिकारियों की शह के कारण ही शहर में धड़ले से ये पटाखे बिक रहे है। उन्होंने कहा कि पटाखे चाहे ग्रीन हो या फिर रेड, इनके चलाने से प्रदूषण होता ही है। आंखों में जलन होती है, सांस लेने में दिक्कत होती है, ध्वनि प्रदूषण होता है, लेकिन दूसरी बात यह भी है कि पटाखों के बिना दीवाली अधूरी होती है। ऐसा नहीं है कि सभी पटाखे फोड़कर ही दीवाली मनाते हो, समाज में ऐसे भी लोग है जो किसी तरह का शोर किए बिना दीवाली मनाते है। प्रशासन भी कहता है कि ग्रीन पटाखे जलाने चाहिए, लेकिन ग्रीन पटाखे मिलते ही कहां है? यह तो सिर्फ बोलने में आता है कि ग्रीन पटाखे है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। सुरक्षा के लिए रखे है रेत और पानी से भरे टब स्टॉल लगाने वाले दुकानदारों की माने तो उन्होंने यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है। यहां पर रेत और पानी के टब रखे हुए है, अगर कोई आगजनी होती है तो उस पर काबू पाया जा सके। पानी और रेत के टब तो नजर आ रहे है लेकिन फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर नजर नहीं आ रही। ऐसे में आगजनी की घटना होती है तो कितनी देर में गाड़ियां पहुंचेगी, उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ये कहा SDM ने इस बारे में जब करनाल के SDM अनुभव महता से दैनिक भास्कर द्वारा बात की गई तो उनका जवाब था कि प्रशासन की तरफ से किसी को भी पटाखे बेचने की न तो लाइसेंस दिया गया है और न ही स्टॉल लगाने के लिए कोई प्रमीशन दी गई। अगर स्टॉल लगाए गए है तो संबधित थाना के SHO को जानकारी देकर कार्रवाई की जाएगी। फैक्ट्री मालिक के खिलाफ आज तक नहीं तीन लोगों की जा चुकी जान बात दें कि इससे पहले साल 2021 में घोघड़ीपुर फाटक के पास स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में जबरदस्त धमाके के बाद आग लग गई थी। जिसके बाद पूरी फैक्ट्री में तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी और कई कर्मचारी आग में झुलस गए थे। उसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा, आज इसी फैक्ट्री में फिर से बिना सुरक्षा के इंतजाम के धडले से पटाखे बेचे जा रहे है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर जरूर सवाल उठ रहे है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
करनाल में नाबालिग लड़की से गाड़ी में रेप:बहला फुसलाकर ले गया था युवक, बेटी ने घर आकर बताई आपबीती
करनाल में नाबालिग लड़की से गाड़ी में रेप:बहला फुसलाकर ले गया था युवक, बेटी ने घर आकर बताई आपबीती हरियाणा के करनाल जिले में एक कालोनी की नाबालिग लड़की के साथ रेप का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि आरोपी युवक नाबालिग को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया और गाड़ी में उसके साथ गलत काम किया। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। पीड़िता ने अपने परिवार को अपनी आप बीती सुनाई। जिसके बाद परिजनों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। मामले की शिकायत पुलिस को दी। परिजनों ने पुलिस पर भी ठोस कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत दी। जिसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शाम को गायब हुई थी नाबालिग करनाल निवासी शिकायतकर्ता पिता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि घटना बीती 27 अक्टूबर की शाम करीब 5.30 बजे की है। आरोपी उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और उसके साथ गलत काम किया। उसी दिन रात 11.15 बजे पिता ने सैक्टर 32-33 पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। अगले दिन 28 अक्टूबर को उनकी बेटी घर वापस आई। उसने बताया कि आरोपी युवक ने उसे गाड़ी में रखा और गलत कार्य किए। लड़की ने बताया कि अगर उसने किसी को इसके बारे में बताया, तो आरोपी उसे जान से मार देगा। दो माह से बेटी को परेशान कर रहा था आरोपी पीड़ित पिता का कहना है कि आरोपी पिछले दो महीनों से उनकी बेटी को परेशान कर रहा था। इस बारे में पहले भी पुलिस थाने में शिकायत दी गई थी, जिसके बाद आरोपी ने माफी मांगी थी और भविष्य में लड़की को परेशान न करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बावजूद उसने अपनी हरकतें जारी रखीं। पुलिस पर आरोप-शिकायत की अनदेखी पिता ने बताया कि वह बार-बार थाना सैक्टर 32-33 में जाकर इंसाफ की गुहार लगा रहा हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पीड़ित के अनुसार, पुलिस ने जांच के दौरान उन्हें और उनके किरायेदार से कोरे कागजों पर हस्ताक्षर भी करवाए और आश्वासन दिया कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आरोप है कि आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहा है। पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज पीड़ित ने मामले की शिकायत एसपी करनाल को की। जिसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत आरोपी पर केस दर्ज कर लिया। मामले की जांच सब इंस्पेक्टर पूनम को सौंपी गई है। पुलिस के मुताबिक, लड़की को बहला फुसलाकर ले जाने, गलत काम करने व जान से मारने की धमकी देने की शिकायत मिली है। शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
रेवाड़ी में गलियों-मकानों के नंबर होंगे आवंटित:वित्त समिति की मीटिंग के बाद होगा सर्वे, सदन की बैठक में उठा था मुद्दा
रेवाड़ी में गलियों-मकानों के नंबर होंगे आवंटित:वित्त समिति की मीटिंग के बाद होगा सर्वे, सदन की बैठक में उठा था मुद्दा हरियाणा के रेवाड़ी शहर की कॉलोनियों में स्थित गलियों और मकानों को जल्द ही पहचान मिलेगी। नगर परिषद ने गलियों और मकानों को नंबर आवंटित करने की योजना बनाई है। इसके लिए जल्द ही वित्त समिति की बैठक होगी और उसके बाद सर्वे का काम होगा। 20 से ज्यादा ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनमें गलियों और मकानों की पहचान नहीं हो पाई है। जिसके कारण पूरा पता निर्धारित नहीं हो पाया है। नगर परिषद ने अब इन्हें पहचान दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पिछले दिनों हुई हाउस मीटिंग में यह प्रस्ताव पास हो चुका है। अब वित्त समिति की बैठक का इंतजार है। नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि मीटिंग के बाद गायब गलियों और मकानों का सर्वे करवाया जाएगा। शहर की यह अहम जरूरत बड़ी समस्या बनी हुई है। गलियों और मकानों पर नंबर न होने के कारण कई बार पुलिस भी पता नहीं ढूंढ पाती है। कई कॉलोनियों की हालत तो ऐसी है कि लोगों के नौकरी से जुड़े कॉल लेटर जैसे जरूरी दस्तावेज भी समय पर नहीं पहुंच पाते या बड़ी मुश्किल से पहुंचते हैं। कई वर्षों बाद गंभीरता से हो रहा विचार वर्षों बाद नगर परिषद हाउस ने इस पर गंभीरता से विचार किया है। कभी भी पार्षदों द्वारा पूरे शहर के लिए यह प्रस्ताव भी नहीं लाया गया। हाल ही में हुई सदन की बैठक में पहली बार पूरे शहर की कॉलोनियों के इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई थी। शहर में 31 वार्ड हैं। इन वार्डों में दर्जन भर से अधिक ऐसी कॉलोनियां हैं जो 20 वर्ष या फिर इसे भी अधिक समय से वैध हो चुकी हैं। सरकार इनमें सुविधाएं मुहैया करा चुकी है। इनमें सीवरेज और पानी जैसी सहूलियत शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि इन पूरी तरह से विकसित हो चुकी कॉलोनियों में गलियों की भी कोई पहचान नहीं है। हाउस नंबर तो दूर की बात है। इन कॉलोनी में कुतुबपुर, उत्तम नगर, हंस नगर, विजय नगर, आजाद नगर, मधु विहार और शिव नगर जैसे बड़े एरिया भी शामिल हैं। पुलिस और डाकिये भी आसानी से नहीं ढूंढ पाते पते गलियों के नंबर नहीं होने से पुलिस और डाकियों को संबंधित व्यक्ति का घर तलाशने में परेशानी होती है। पुलिसकर्मी मोहल्ले में घुसकर घरों के दरवाजे खटखटा कर संबंधित व्यक्ति के नाम से ही मकान ढूंढते रहते हैं। बाहरी कॉलोनी में दस्तावेज आने पर डाकिये भी बहुत बार समय से तथा सही पते पर डाक नहीं पहुंच पाते। बहुत बार डाक को वापस भी भेज दिया जाता है। हाउस की बैठक में उठा था मुद्दा कुछ दिन पूर्व पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हुई नगर परिषद हाउस की बैठक में पहली बार पूरे शहर की कॉलोनी की गलियों के नंबर देने का मुद्दा उठा। वार्ड 5 के पार्षद एडवोकेट लोकेश यादव ने यह समस्या उठाते हुए कहा कि वर्षों से बसी हुई कॉलोनी में भी लोगों को मकान ढूंढ़ने में समस्या झेलनी पड़ती है। इसलिए नंबर दिए जाने चाहिए। विधायक लक्ष्मण यादव और चेयरपर्सन पूनम यादव की मौजूदगी में हाउस ने इसका समर्थन किया और प्रस्ताव पास किया। अंतिम रूपरेखा फाइनेंस कमेटी की बैठक में होगी: ईओ नगर परिषद के ईओ संदीप मलिक ने बताया कि शहर में कॉलोनियों की गलियों व घरों को नंबर देने को लेकर हाउस की बैठक में प्रस्ताव लाया गया था। पार्षदों की सहमति के बाद उसे पास भी किया जा चुका है। अब इसकी अंतिम रूपरेखा फाइनेंस कमेटी की बैठक में पास होगी। इसके बाद सर्वे कराकर इस दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे।
हिसार में भाजपा की हार पर रणजीत चौटाला की प्रतिक्रिया:बोले- जीता हुआ चुनाव हम हार गए; कार्यकर्ताओं से की खास अपील
हिसार में भाजपा की हार पर रणजीत चौटाला की प्रतिक्रिया:बोले- जीता हुआ चुनाव हम हार गए; कार्यकर्ताओं से की खास अपील हिसार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के जयप्रकाश से करीबी मुकाबले में हारने के बाद रणजीत चौटाला ने पहली बार हिसार की जनता को संदेश दिया। रणजीत चौटाला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी किया। 49 सेकंड के इस वीडियो में रणजीत चौटाला ने हिसार के कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा, “मैं हिसार लोकसभा क्षेत्र के परिवारों से कहना चाहूंगा कि चुनाव के बाद आपको थोड़ा सा ऐसा लगा होगा कि जो चुनाव हमने जीता था, वो हम हार गए। इसके लिए मैं आपकी भावनाओं को समझता हूं। मैं सभी लोगों से एक बात कहना चाहूंगा कि हम सब मिलजुल कर बैठेंगे और इस मामले पर चर्चा करेंगे। इसके लिए मैं आपको इस महीने की 10 तारीख को शाम 4 बजे अग्रसेन भवन हिसार में आमंत्रित करता हूं। इस दिन हम सब मिलजुल कर बैठेंगे और चर्चा करेंगे, ताकि हमारी थकान दूर हो और हम अगला चुनाव हिम्मत के साथ लड़ने के लिए तैयार हों।” रणजीत चौटाला बोले- 16 साल की सेवा जारी रखूंगा रणजीत चौटाला ने कार्यकर्ताओं से कहा कि हम सभी अपने चुनावी अनुभव साझा कर मन को हल्का करने का प्रयास करेंगे। हिसार परिवार के लिए मैं हमेशा आपके बीच रहूंगा। रणजीत ने कहा कि पिछले 16 सालों से मैं आपकी समस्याओं के समाधान के लिए हर महीने की 5 तारीख को हिसार आता रहा हूं और भविष्य में भी ऐसे ही आता रहूंगा और आपके बीच रहकर अपने हिसार परिवार की समस्याएं सुनूंगा। मेरा यह जीवन हिसार परिवार को समर्पित रहेगा। 63,381 वोटों से हारे रणजीत बता दें कि हिसार लोकसभा में जयप्रकाश जेपी ने रणजीत चौटाला को 63,381 वोटों से हराया था। जयप्रकाश को 48.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि रणजीत चौटाला को सिर्फ 43.19 प्रतिशत वोट मिले थे। पिछली बार के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 7.81 प्रतिशत कम हुआ है। 2019 में भाजपा को 51.13 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 2019 में 15.63 प्रतिशत वोट मिले थे जो बढ़कर 48.58 प्रतिशत हो गए हैं। हिसार लोकसभा की 9 में से 6 सीटों पर जयप्रकाश जेपी ने जीत दर्ज की है जबकि रणजीत चौटाला सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाए हैं। रणजीत और भाजपा के लिए हार की सबसे बड़ी वजह आदमपुर में हार और शहरों में वोटों का कम होता अंतर रहा। ये हैं हार के बड़े कारण
1. जाट वोक बैंक का ना बटना : भाजपा के रणजीत के जीतने का कारण जाट वोट बैंक का नहीं बटना है। इस बार सभी प्रमुख पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो ने जाट चेहरों को मैदान में उतारा था। भाजपा को उम्मीद थी कि इससे जाट वोट बैंक बटेगा। हिसार में करीब 33 प्रतिशत जाट आबादी है। ऐसे में जाट वोट सीधा कांग्रेस को गया। जाट बाहुल्य हलके उचाना और नारनौंद में जयप्रकाश को बंपर वोट मिले। वहीं जजपा की नैना चौटाला को 22032 और इनेलो की सुनैना चौटाला को 22303 वोट मिले। दोनों को मिलाकर 44335 वोट मिले। इससे अधिक 44794 वोटों की लीड तो जयप्रकाश को नारनौंद हलके से ही मिल गई। 2. शहरों में कम मार्जिन : रणजीत की हार का कारण शहरों में कम मार्जिन से जीतना रहा। शहरों में भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला को करीब 1 लाख वोटों से लीड मिलने की उम्मीद थी। मगर हिसार में रणजीत चौटाला को 36605 और हांसी में 6670 वोटों की लीड मिली। दोनों को यदि मिला दिया जाए तो आंकड़ा 43275 वोट का बनता है। इससे लीड जयप्रकाश ने एक ही हलके नारनौंद से लेकर पूरी कर ली। इसके बाद उकलाना और उचाना ने बची कसर पूरी कर दी।
3. आदमपुर और नलवा से हार : भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि आदमपुर और नलवा से जीत मिलेगी। मगर आदमपुर में भाजपा 6384 वोटों से हार गई। इसके अलावा नलवा हलके में भाजपा 2439 वोटों से हार गए। आदमपुर में भाजपा को 15000 वोटों की लीड मिलने का अनुमान था। दो साल पहले हुए आदमपुर उपचुनाव में भव्य बिश्नोई करीब 15 हजार से अधिक वोटों से जीते थे मगर इस चुनाव में दो साल पहले हुए चुनाव का मार्जिन तो घटाया ही साथ ही 6384 वोट लेकर जयप्रकाश ने बढ़त भी बनाई। 4. बड़े नेताओं की नाराजगी: रणजीत की हार का मुख्य कारण बड़े नेताओं की नाराजगी रहा। रणजीत को टिकट मिलने से टिकट के दावेदार कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अभिमन्यु नाराज हो गए। इनकी टीम ने रणजीत चौटाला की ग्राउंड पर उतर कर मदद नहीं की। कुलदीप खुद आदमपुर में घूमने के बजाय अपने बेटे को भेजते रहे।