हरियाणा के करनाल में इंद्री क्षेत्र के एक पुराने भूमि विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। करनाल के शिकायतकर्ता अशोक ने आरोप लगाया है कि गांव काछवा के तिलक राज व उसके बेटे अंकुश शर्मा ने साजिश रचते हुए न सिर्फ फर्जी दस्तावेज तैयार किए, बल्कि उन्हें अदालत में असली बताकर पेश भी किया।आरोपियों ने खुद को उस राम दिव्या का वारिस बताया जिसकी जमीन का सौदा अशोक कुमार के पक्ष में तीन दशक पहले हो चुका है। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर इंद्री थाना में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पावर ऑफ अटॉर्नी पर उठाए सवाल शिकायतकर्ता अशोक का कहना है कि उन्हें राम दिव्या समेत अन्य लोगों से 1992 में पावर ऑफ अटॉर्नी मिली थी और 1993 में उन्होंने बिक्री वासिका के तहत जमीन का सौदा कर लिया था। आरोपियों ने दावा किया कि उनके दादा राम दिव्या की मौत 1975 में हो गई थी, इसलिए यह पावर ऑफ अटॉर्नी फर्जी है। लेकिन वर्ष 2018 में कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया था और फैसला अशोक कुमार के पक्ष में दिया था। जाति बदलकर बदर एंट्री कराने का आरोप अशोक कुमार के अनुसार उन्होंने तहसीलदार को आवेदन देकर राम दिव्या की जाति व वारिसों की जानकारी मांगी थी, जिस पर हलका पटवारी ने स्पष्ट किया कि वे ‘भाटिया’ जाति से हैं। जबकि आरोपी खुद ‘ब्राह्मण पुष्करण’ जाति से हैं, जिससे साफ है कि उनका कोई संबंध राम दिव्या से नहीं है। शिकायत में बताया गया है कि आरोपी पहले भी वर्ष 2005-06 में बदर नंबर 3 और म्यूटेशन नंबर 637 के जरिए जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश कर चुके हैं, जिसे 2010 में तहसीलदार द्वारा खारिज कर दिया गया था। कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ केस, पुलिस जांच में जुटी इस बार जब आरोपी बदर नंबर 4 के जरिए फिर से फर्जी एंट्री करवाने में सफल हो गए तो अशोक कुमार ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने 175(3) BNSS 2023 के तहत आदेश जारी कर थाना इन्द्री को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद थाना इन्द्री में मुकदमा आज मुकद्दमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। हरियाणा के करनाल में इंद्री क्षेत्र के एक पुराने भूमि विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। करनाल के शिकायतकर्ता अशोक ने आरोप लगाया है कि गांव काछवा के तिलक राज व उसके बेटे अंकुश शर्मा ने साजिश रचते हुए न सिर्फ फर्जी दस्तावेज तैयार किए, बल्कि उन्हें अदालत में असली बताकर पेश भी किया।आरोपियों ने खुद को उस राम दिव्या का वारिस बताया जिसकी जमीन का सौदा अशोक कुमार के पक्ष में तीन दशक पहले हो चुका है। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर इंद्री थाना में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पावर ऑफ अटॉर्नी पर उठाए सवाल शिकायतकर्ता अशोक का कहना है कि उन्हें राम दिव्या समेत अन्य लोगों से 1992 में पावर ऑफ अटॉर्नी मिली थी और 1993 में उन्होंने बिक्री वासिका के तहत जमीन का सौदा कर लिया था। आरोपियों ने दावा किया कि उनके दादा राम दिव्या की मौत 1975 में हो गई थी, इसलिए यह पावर ऑफ अटॉर्नी फर्जी है। लेकिन वर्ष 2018 में कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया था और फैसला अशोक कुमार के पक्ष में दिया था। जाति बदलकर बदर एंट्री कराने का आरोप अशोक कुमार के अनुसार उन्होंने तहसीलदार को आवेदन देकर राम दिव्या की जाति व वारिसों की जानकारी मांगी थी, जिस पर हलका पटवारी ने स्पष्ट किया कि वे ‘भाटिया’ जाति से हैं। जबकि आरोपी खुद ‘ब्राह्मण पुष्करण’ जाति से हैं, जिससे साफ है कि उनका कोई संबंध राम दिव्या से नहीं है। शिकायत में बताया गया है कि आरोपी पहले भी वर्ष 2005-06 में बदर नंबर 3 और म्यूटेशन नंबर 637 के जरिए जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश कर चुके हैं, जिसे 2010 में तहसीलदार द्वारा खारिज कर दिया गया था। कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ केस, पुलिस जांच में जुटी इस बार जब आरोपी बदर नंबर 4 के जरिए फिर से फर्जी एंट्री करवाने में सफल हो गए तो अशोक कुमार ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने 175(3) BNSS 2023 के तहत आदेश जारी कर थाना इन्द्री को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद थाना इन्द्री में मुकदमा आज मुकद्दमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
