हरियाणा के करनाल में भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस से जुड़े कई सवालों का जवाब देते हुए अशोक खुराना ने कहा कि भाजपा सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है और किसी भी तरह की जात-पात की राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता इस तरह की बातें कर रहा है, तो वह पूरी तरह गलत है। खुराना ने अपने भाजपा में शामिल होने को लेकर उठे सवालों पर भी सफाई दी और कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजहों पर खुलकर बोले। मनोज वधवा द्वारा उनपर आरोप लगाया था कि अशोक खुराना ने उनकी पीट में छुरा घोंपा है, मनोज वधवा के नामांकन वाले दिन उनके साथ थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे उस दिन कहीं भी मौजूद नहीं थे। खुराना ने कहा कि जब मनोज वधवा के नाम का टिकट फाइनल हुआ, तब मैं दिव्यांशु बुद्धिराजा के घर पर था। खुराना बोले- मैंने अपनी मंशा पहले ही साफ कर दी थी वहीं मुझे पता चला कि टिकट मनोज वधवा को मिल गई है। उसी वक्त मैंने दिव्यांशु से हाथ जोड़कर कहा कि अब मेरा कांग्रेस में कोई काम नहीं है और मैं चला गया। उसके बाद न तो मैं किसी के साथ गया और न ही मैंने मनोज वधवा को कभी यह भरोसा दिया था कि तुम टिकट लो, मैं तुम्हारी मदद करूंगा। खुराना ने कहा कि उन्होंने पहले ही एक बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिली, तो वह कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि जब मैंने अपनी मंशा पहले ही साफ कर दी थी, तो इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। मनोज वधवा कितनी बार पार्टी बदल चुके हैं? भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसियों को ‘आर्टिफिशियल ज्वैलरी’ कहे जाने पर खुराना ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अगर हम नकली हैं, तो जो चुनाव लड़ रहे हैं, क्या वे असली हैं? पहले उनकी पृष्ठभूमि देखो। मनोज वधवा पहले इनेलो में थे, इनेलो ने उन्हें टिकट दी, नाम चमकाया और सम्मान दिया। फिर उन्होंने इनेलो छोड़ दी। इसके बाद कांग्रेस का समर्थन लेकर निर्दलीय मेयर का चुनाव लड़ा। जब हार गए, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की बुराई कर दी। फिर वे भाजपा में चले गए, वहां भी कुछ दिन रहकर कांग्रेस में आ गए। अब बताइए, कौन आर्टिफिशियल ज्वैलरी है? 34 सालों में कांग्रेस से मेहनत का कोई परिणाम नहीं मिला खुराना ने कांग्रेस छोड़ने के पीछे संगठन और अनुशासन की कमी को बड़ी वजह बताया। उन्होंने कहा कि मैंने 34 साल कांग्रेस को दिए और पूरा जीवन वहां बिताया, लेकिन मेहनत का कोई परिणाम नहीं मिला। कांग्रेस में न संगठन है, न अनुशासन और न कोई सिस्टम। जब भी कांग्रेस के नेता एकत्रित होते हैं, तो सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आते हैं। चुनाव प्रचार में तो वे कहीं नजर ही नहीं आते। हरियाणा के करनाल में भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस से जुड़े कई सवालों का जवाब देते हुए अशोक खुराना ने कहा कि भाजपा सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है और किसी भी तरह की जात-पात की राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता इस तरह की बातें कर रहा है, तो वह पूरी तरह गलत है। खुराना ने अपने भाजपा में शामिल होने को लेकर उठे सवालों पर भी सफाई दी और कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजहों पर खुलकर बोले। मनोज वधवा द्वारा उनपर आरोप लगाया था कि अशोक खुराना ने उनकी पीट में छुरा घोंपा है, मनोज वधवा के नामांकन वाले दिन उनके साथ थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे उस दिन कहीं भी मौजूद नहीं थे। खुराना ने कहा कि जब मनोज वधवा के नाम का टिकट फाइनल हुआ, तब मैं दिव्यांशु बुद्धिराजा के घर पर था। खुराना बोले- मैंने अपनी मंशा पहले ही साफ कर दी थी वहीं मुझे पता चला कि टिकट मनोज वधवा को मिल गई है। उसी वक्त मैंने दिव्यांशु से हाथ जोड़कर कहा कि अब मेरा कांग्रेस में कोई काम नहीं है और मैं चला गया। उसके बाद न तो मैं किसी के साथ गया और न ही मैंने मनोज वधवा को कभी यह भरोसा दिया था कि तुम टिकट लो, मैं तुम्हारी मदद करूंगा। खुराना ने कहा कि उन्होंने पहले ही एक बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिली, तो वह कांग्रेस का साथ छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि जब मैंने अपनी मंशा पहले ही साफ कर दी थी, तो इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। मनोज वधवा कितनी बार पार्टी बदल चुके हैं? भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेसियों को ‘आर्टिफिशियल ज्वैलरी’ कहे जाने पर खुराना ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अगर हम नकली हैं, तो जो चुनाव लड़ रहे हैं, क्या वे असली हैं? पहले उनकी पृष्ठभूमि देखो। मनोज वधवा पहले इनेलो में थे, इनेलो ने उन्हें टिकट दी, नाम चमकाया और सम्मान दिया। फिर उन्होंने इनेलो छोड़ दी। इसके बाद कांग्रेस का समर्थन लेकर निर्दलीय मेयर का चुनाव लड़ा। जब हार गए, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की बुराई कर दी। फिर वे भाजपा में चले गए, वहां भी कुछ दिन रहकर कांग्रेस में आ गए। अब बताइए, कौन आर्टिफिशियल ज्वैलरी है? 34 सालों में कांग्रेस से मेहनत का कोई परिणाम नहीं मिला खुराना ने कांग्रेस छोड़ने के पीछे संगठन और अनुशासन की कमी को बड़ी वजह बताया। उन्होंने कहा कि मैंने 34 साल कांग्रेस को दिए और पूरा जीवन वहां बिताया, लेकिन मेहनत का कोई परिणाम नहीं मिला। कांग्रेस में न संगठन है, न अनुशासन और न कोई सिस्टम। जब भी कांग्रेस के नेता एकत्रित होते हैं, तो सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए आते हैं। चुनाव प्रचार में तो वे कहीं नजर ही नहीं आते। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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