हरियाणा में करनाल के अमृतपुर खुर्द गांव में एक विवाहिता ने ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना और जान से मारने की धमकी का गंभीर आरोप लगाया है। आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करते आ रहे है। शादी में उसके परिवार ने 35 लाख रुपए का दहेज दिया था, लेकिन ससुराल पक्ष क्रेटा गाड़ी और 20 लाख रुपये एक्स्ट्रा मांगने लगा। मांग पूरी न होने पर ससुराल वालों ने गहने छीन लिए और जलाने की कोशिश भी की। कई पंचायतों और समझौतों के बावजूद उत्पीड़न जारी रहा। महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर ससुराल वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दहेज की मांग ने बढ़ाई मुश्किलें बीजना गांव की पीड़िता की शादी 23 नवंबर 2023 को अमृतपुर खुर्द गांव में सुमित के साथ हुई थी। शादी में उनके परिवार ने सामर्थ्य से बढ़कर करीब 35 लाख रुपए का दहेज दिया था, जिसमें 11 लाख रुपए नकद भी शामिल थे। शादी के बाद से ही पति, सास, ससुर और ननदें उनसे नाखुश थे। ससुराल पक्ष ने शादी के कुछ ही दिनों बाद क्रेटा गाड़ी और 20 लाख रुपए की मांग करनी शुरू कर दी। रेणु के अनुसार, जब उनके परिवार ने असमर्थता जताई, तो सास, ननद और पति ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। गाड़ी न लाने पर गहने छीनने और जलाने की कोशिश पीड़िता ने बताया कि उनके गहने छीनकर उनके सास और ननद ने अपने पास रख लिए। जब उन्होंने अपने गहने मांगे, तो उन्हें धमकी दी गई। एक बार उनकी ननदों ने पेट्रोल की बोतल लेकर उन्हें जलाने की कोशिश की। शोर मचाने पर पड़ोसी इकट्ठा हो गए, जिससे उनकी जान बच पाई। पीड़िता के परिवार ने विवाद को सुलझाने के लिए कई बार पंचायतें बुलाईं। बीती 20 मई को रेणु के भाई ने 4 लाख रुपए देकर ससुराल पक्ष को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उनकी मांगें खत्म नहीं हुईं। पति और ससुराल वालों ने कहा कि चार लाख से हमें लालीपॉप दिया गया है, हमें पूरी गाड़ी चाहिए। विदेश भागने की योजना और केमिकल से नुकसान पीड़िता ने आरोप लगाया कि उनकी ननदें शिवानी और पायल विदेश जाने की तैयारी में हैं और इसके लिए दहेज के पैसों का इस्तेमाल करना चाहती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी क्रीम और शैंपू में केमिकल मिलाकर उनके चेहरे को खराब कर दिया गया। करवा चौथ से पहले पीड़िता को मायके भेजते हुए कहा गया कि अब गाड़ी लेकर ही वापस आना। मायके पहुंचकर पीड़िता ने अपने परिवार को पूरी आपबीती सुनाई। इसके बाद कई रिश्तेदारों और पंचायतों ने घर बसाने की कोशिश की, लेकिन ससुराल पक्ष ने कोई बात नहीं मानी। पुलिस ने दर्ज किया मामला पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। जांच अधिकारी नरेश ने बताया कि मधुबन पुलिस ने आरोपी सुमित व उसके माता-पिता और ननदों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट, और जान से मारने की धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। हरियाणा में करनाल के अमृतपुर खुर्द गांव में एक विवाहिता ने ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना और जान से मारने की धमकी का गंभीर आरोप लगाया है। आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करते आ रहे है। शादी में उसके परिवार ने 35 लाख रुपए का दहेज दिया था, लेकिन ससुराल पक्ष क्रेटा गाड़ी और 20 लाख रुपये एक्स्ट्रा मांगने लगा। मांग पूरी न होने पर ससुराल वालों ने गहने छीन लिए और जलाने की कोशिश भी की। कई पंचायतों और समझौतों के बावजूद उत्पीड़न जारी रहा। महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर ससुराल वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दहेज की मांग ने बढ़ाई मुश्किलें बीजना गांव की पीड़िता की शादी 23 नवंबर 2023 को अमृतपुर खुर्द गांव में सुमित के साथ हुई थी। शादी में उनके परिवार ने सामर्थ्य से बढ़कर करीब 35 लाख रुपए का दहेज दिया था, जिसमें 11 लाख रुपए नकद भी शामिल थे। शादी के बाद से ही पति, सास, ससुर और ननदें उनसे नाखुश थे। ससुराल पक्ष ने शादी के कुछ ही दिनों बाद क्रेटा गाड़ी और 20 लाख रुपए की मांग करनी शुरू कर दी। रेणु के अनुसार, जब उनके परिवार ने असमर्थता जताई, तो सास, ननद और पति ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। गाड़ी न लाने पर गहने छीनने और जलाने की कोशिश पीड़िता ने बताया कि उनके गहने छीनकर उनके सास और ननद ने अपने पास रख लिए। जब उन्होंने अपने गहने मांगे, तो उन्हें धमकी दी गई। एक बार उनकी ननदों ने पेट्रोल की बोतल लेकर उन्हें जलाने की कोशिश की। शोर मचाने पर पड़ोसी इकट्ठा हो गए, जिससे उनकी जान बच पाई। पीड़िता के परिवार ने विवाद को सुलझाने के लिए कई बार पंचायतें बुलाईं। बीती 20 मई को रेणु के भाई ने 4 लाख रुपए देकर ससुराल पक्ष को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उनकी मांगें खत्म नहीं हुईं। पति और ससुराल वालों ने कहा कि चार लाख से हमें लालीपॉप दिया गया है, हमें पूरी गाड़ी चाहिए। विदेश भागने की योजना और केमिकल से नुकसान पीड़िता ने आरोप लगाया कि उनकी ननदें शिवानी और पायल विदेश जाने की तैयारी में हैं और इसके लिए दहेज के पैसों का इस्तेमाल करना चाहती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी क्रीम और शैंपू में केमिकल मिलाकर उनके चेहरे को खराब कर दिया गया। करवा चौथ से पहले पीड़िता को मायके भेजते हुए कहा गया कि अब गाड़ी लेकर ही वापस आना। मायके पहुंचकर पीड़िता ने अपने परिवार को पूरी आपबीती सुनाई। इसके बाद कई रिश्तेदारों और पंचायतों ने घर बसाने की कोशिश की, लेकिन ससुराल पक्ष ने कोई बात नहीं मानी। पुलिस ने दर्ज किया मामला पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। जांच अधिकारी नरेश ने बताया कि मधुबन पुलिस ने आरोपी सुमित व उसके माता-पिता और ननदों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों पर दहेज प्रताड़ना, मारपीट, और जान से मारने की धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हिमांशु भाऊ और नीरज बवाना गैंग ने पिछले डेढ़ साल के भीतर साथ मिलकर दिल्ली और हरियाणा में ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिया है। मर्डर, फिरौती और अन्य संगीन वारदातों में हिमांशु भाऊ का नाम सामने आता रहा है। कुछ दिन पहले हरियाणा के अलग-अलग शहरों में फायरिंग कर मांगी गई करोड़ों रुपए की फिरौती में भी हिमांशु भाऊ का ही नाम सामने आया था। हिमांशु भाऊ के खिलाफ इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस जारी है। दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, एनआईए को हिमांशु भाऊ की तलाश है। हालांकि, दिल्ली एनसीआर हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को अच्छी तरह पता है कि नीरज बवाना और हिमांशु भाऊ गैंग मिलकर काम करते हैं। जिस तरह से हिमांशु भाऊ खुद विदेश में बैठकर अपनी गैंग के गुर्गे को जरिए दिल्ली एनसीआर हरियाणा में ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दिलवा रहा है, उसमें उसे किसी स्थानीय गैंग का सपोर्ट जरूर है। अमन जून के मर्डर के बाद शुरू हुई लड़ाई
18 जून को हरियाणा के झज्जर जिले में रहने वाले अमन जून नाम के शख्स की दिल्ली के राजौरी स्थित बर्गर किंग रेस्टोरेंट में ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की जिम्मेदारी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए गैंगस्टर हिमांशु भाऊ ने ली थी। हिमांशु भाऊ रिठोलिया नाम से बने एक इंस्टाग्राम अकाउंट से हत्या के तुरंत बाद पोस्ट किया गया। जिसमें लिखा ‘आज राजौरी गार्डन में जो हत्या हुई है, उसकी जिम्मेवारी मैं हिमांशु भाऊ और मेरा भाई नवीन बाली लेते हैं। हमारे भाई शक्ति दादा के मर्डर में इसका हाथ था और उसी का बदला आज हुआ है और जो भी बाकी हैं, सबका नंबर आने वाला है। इसमें नीरज बवाना गैंग, काला खरमपुर गैंग, नीरज फरीदपुर गैंग का टैग किया गया। पोस्ट में जिस शक्ति दादा का जिक्र किया गया, वो शख्स नीरज बवाना की सगी मौसी का लड़का और नजफगढ़ के पूर्व विधायक रामबीर शौकिन का भांजा था। जिससे हिमांशु भाऊ और नीरज बवाना के गठजोड़ का पता चला था। इससे पहले भी हिमांशु भाऊ ने हरियाणा के अलग-अलग शहरों में जितनी भी वारदात की, उसके तुरंत बाद की गई पोस्ट में नीरज बवाना गैंग को जरूर टैग किया था। इससे दोनों गैंग के साथ होने की जानकारी पता चली थी। अब दोनों गैंगस्टरों के बारे में पढ़िए… 4 साल में बन गया क्राइम की दुनिया का बादशाह
रोहतक शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर गांव रिटौली का रहने वाला हिमांशु भाऊ स्कूली की पढ़ाई के दौरान ही क्राइम की दुनिया में उतर गया। 12वीं कक्षा की पढ़ाई करते समय उस पर एक युवक पर फायरिंग करने का आरोप लगा। ये घटना वर्ष 2020 की है। उसने अपने ही गांव रिटौली के युवक पर फायरिंग की थी। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर हिसार बाल सुधार गृह में भेजा। उस वक्त हिमांशु नाबालिग था। हिमांशु इतना शातिर था कि वह बाल सुधार गृह को तोड़कर ही फरार हो गया। जिसके बाद वह दोबारा कभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। उसने कई संगीन वारदातों को अंजाम दिया। गैंगस्टर नीरज बवाना और नवीन बाली गैंग के संपर्क में आने के बाद तो उसने हरियाणा के अलावा दिल्ली में भी कई वारदातें की और फिर वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश के पते पर फर्जी पासपोर्ट बनवाकर विदेश भाग गया। जहां से हिमांशु ने अपनी गैंग को ना केवल ऑपरेट किया, बल्कि पिछले कुछ दिनों में तो उसने हरियाणा और दिल्ली में कई ऐसी बड़ी वारदातें की जिससे पुलिस की भी नींद उड़ गई। तिहाड़ जेल में बंद नीरज बवाना
नीरज बवाना ने 2004 में 18 साल से कम उम्र में एक शख्स का कत्ल कर क्राइम की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दिल्ली-NCR में बड़े बिजनेसमैनों से फिरौती मांगने पर उसका नाम फिरौती किंग पड़ा। उसने कई महंगी जमीनों पर कब्जा किया। उसके ऊपर हत्या, मर्डर प्रयास और फिरौती वसूली के 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं। नीरज बवाना लंबे समय से दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही बंद हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीरज बवाना का नाम अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की D कंपनी से भी जुड़ चुका है। दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के कत्ल के लिए D कंपनी ने नीरज बवाना से ही संपर्क कर सुपारी दी थी। जेल अधिकारियों ने इसकी भनक लगने के बाद तिहाड़ जेल में सुरक्षा बढ़ा दी और छोटा राजन को जेल के दूसरे एरिया में शिफ्ट कर दिया था। नीरज बवाना के गैंग में 300 से ज्यादा शूटर हैं।
सिरसा में गोबिंद कांडा का जबरदस्त विरोध:MLA गोपाल कांडा के हलके में ग्रामीणों ने पूछे सवाल; बोले- चुनाव के समय ही क्यों आए
सिरसा में गोबिंद कांडा का जबरदस्त विरोध:MLA गोपाल कांडा के हलके में ग्रामीणों ने पूछे सवाल; बोले- चुनाव के समय ही क्यों आए हरियाणा के सिरसा में विधायक गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा को गांव नारायण खेड़ा में जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। वे चुनाव को देखते हुए जनसंपर्क करने पहुंचे थे। ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते उनको बैरंग लौटना पड़ा। बता दें ककि गोविंद कांडा ने ऐलनाबाद उप चुनाव भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। गोपाल कांडा की हरियाणा लोक हित पार्टी (हलोपा) भी भाजपा को समर्थन देती रही है। गोबिंद कांडा के विरोध का वीडियो भी वायरल हुआ है। जानकारी अनुसार सिरसा सीट से हलोपा के गोपाल कांडा विधायक हैं। विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू होने के बाद गोबिंद कांडा शनिवार शाम को गांव नारायण खेड़ा में जनसंपर्क के लिए पहुंचे थे। ग्रामीणों वहां उनके विरोध में उतर आए। ग्रामीणों ने गांव की समस्याओं और विकास कार्य के बारे में उनसे सवाल किए। गोबिंद कांडा के साथ पुलिस और उनके खुद के सुरक्षा कर्मी भी थे। गोबिंद कांडा वोट मांगने के उद्देश्य से गांव पहुंचे थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने अपनी बात शुरू की तो ग्रामीणों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का आरोप था कि गांव में कई गंभीर समस्याएं हैं, जिनमें फसलों की बर्बादी, बढ़ती लड़ाइयां, नशे से होने वाली मौतें और पानी की किल्लत शामिल हैं। इन समस्याओं को लेकर ग्रामीण कई बार प्रदर्शन और धरना दे चुके हैं, लेकिन न तो सरकार और न ही नेताओं ने इन मुद्दों पर कोई ध्यान दिया। ग्रामीणों ने कांडा के सामने सवाल उठाया कि चुनाव के समय ही नेता गांव का दौरा क्यों करते हैं। जबकि गांव की समस्याओं का समाधान करने में उनकी कोई रुचि नहीं होती। बढ़ते विरोध और नाराजगी को देखते हुए गोबिंद कांडा को बिना जनसंपर्क किए ही गांव से वापस लौटना पड़ा।