हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पिछले 10 साल से भाजपा के लिए एक सुरक्षित गढ़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सीट पर साढ़े 9 साल तक काबिज रहकर भाजपा को मजबूती दी थी। उनके इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी ने उप चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन अब सैनी के करनाल से चुनाव न लड़ने की अटकलों के बीच अब शहर में चर्चाएं शुरू हो गई है, कि इस बार पार्टी इस विधानसभा सीट पर किसको मैदान में उतारेगी। इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस दौड़ में कुछ प्रमुख नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, जिनमें मेयर रेणु बाला गुप्ता, पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक सुखीजा, युवा नेता मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद का नाम शामिल है। रेणु बाला गुप्ता: बनिया समाज का मजबूत चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार, रेणु बाला गुप्ता भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं। रेणु बाला गुप्ता, जो बनिया समाज से आती हैं। करनाल में इस समाज के 22,000 से अधिक वोटर हैं, इसके साथ ही रेणु बाला गुप्ता सभी सामाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखती है। जो उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने लगातार 2 बार मेयर का चुनाव जीतकर अपनी पकड़ को साबित किया है। इसके अलावा जब पहली बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में चुनाव लड़ने के लिए आए थे। उस दौरान उनके कैंपेन में अहम भूमिका इन्होंने निभाई है। इसके अलावा एक मुख्य कारण यह भी है कि रेणु बाला गुप्ता पूर्व सीएम मनोहर लाल के सबसे करीबी नेताओं में आती है। मेयर के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्य और उनकी साफ छवि उन्हें भाजपा की पहली पसंद बना सकती है। साथ ही, पंजाबी वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ भी एक अहम कारण है, जिससे भाजपा उनके पक्ष में फैसला कर सकती है। अशोक सुखीजा: पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता सीनियर एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि अशोक सुखीजा इस बार भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार हो सकते हैं। अशोक सुखीजा, जो पूर्व में भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। अशोक पार्टी के सबसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने तब से पार्टी के लिए काम किया है, जब भाजपा हरियाणा में संघर्षरत थी। उनकी साफ छवि, संगठन को मजबूत बनाने में योगदान, और पंजाबी समुदाय में उनकी गहरी पैठ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा उनके अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को ध्यान में रखते हुए उन पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा युवा पंजाबी चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि अगर नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ते, तो भाजपा युवा पंजाबी चेहरे मुकेश अरोड़ा पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा की युवा शक्ति और पंजाबी समाज में उनकी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा अगर युवा मतदाताओं और पंजाबी वोटरों को ध्यान में रखते हुए टिकट देने का विचार करती है, तो मुकेश अरोड़ा इस सीट के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जगमोहन आनंद अनुभवी नेता राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की इस सूची में चौथा नाम जगमोहन आनंद का है। जगमोहन आनंद पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और उन्हें जिला अध्यक्ष, सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर, और कुरूक्षेत्र के प्रभारी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। पार्टी संगठन में उनकी भूमिका भी उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। भाजपा के लिए कौन होगा अगला चेहरा? करनाल विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए यह चुनावी दौड़ आसान नहीं होगी। अगर नायब सिंह सैनी किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा को करनाल में एक ऐसा उम्मीदवार चुनना होगा, जो सामाजिक समीकरणों और पार्टी की नीतियों के साथ तालमेल बैठा सके। मेयर रेणु बाला गुप्ता, अशोक सुखीजा, मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद, ये सभी नाम अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत दावेदार हैं, और भाजपा के लिए सही निर्णय लेना एक चुनौती होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस पर दांव लगाती है और करनाल की इस महत्वपूर्ण सीट पर कौन उम्मीदवार बनकर उभरता है। हरियाणा में करनाल विधानसभा सीट पिछले 10 साल से भाजपा के लिए एक सुरक्षित गढ़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस सीट पर साढ़े 9 साल तक काबिज रहकर भाजपा को मजबूती दी थी। उनके इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी ने उप चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन अब सैनी के करनाल से चुनाव न लड़ने की अटकलों के बीच अब शहर में चर्चाएं शुरू हो गई है, कि इस बार पार्टी इस विधानसभा सीट पर किसको मैदान में उतारेगी। इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस दौड़ में कुछ प्रमुख नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, जिनमें मेयर रेणु बाला गुप्ता, पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक सुखीजा, युवा नेता मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद का नाम शामिल है। रेणु बाला गुप्ता: बनिया समाज का मजबूत चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार, रेणु बाला गुप्ता भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं। रेणु बाला गुप्ता, जो बनिया समाज से आती हैं। करनाल में इस समाज के 22,000 से अधिक वोटर हैं, इसके साथ ही रेणु बाला गुप्ता सभी सामाज के वोटरों पर अच्छी पकड़ रखती है। जो उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने लगातार 2 बार मेयर का चुनाव जीतकर अपनी पकड़ को साबित किया है। इसके अलावा जब पहली बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल में चुनाव लड़ने के लिए आए थे। उस दौरान उनके कैंपेन में अहम भूमिका इन्होंने निभाई है। इसके अलावा एक मुख्य कारण यह भी है कि रेणु बाला गुप्ता पूर्व सीएम मनोहर लाल के सबसे करीबी नेताओं में आती है। मेयर के कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्य और उनकी साफ छवि उन्हें भाजपा की पहली पसंद बना सकती है। साथ ही, पंजाबी वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ भी एक अहम कारण है, जिससे भाजपा उनके पक्ष में फैसला कर सकती है। अशोक सुखीजा: पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता सीनियर एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि अशोक सुखीजा इस बार भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण उम्मीदवार हो सकते हैं। अशोक सुखीजा, जो पूर्व में भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। अशोक पार्टी के सबसे पुराने और वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने तब से पार्टी के लिए काम किया है, जब भाजपा हरियाणा में संघर्षरत थी। उनकी साफ छवि, संगठन को मजबूत बनाने में योगदान, और पंजाबी समुदाय में उनकी गहरी पैठ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा उनके अनुभव और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को ध्यान में रखते हुए उन पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा युवा पंजाबी चेहरा राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि अगर नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ते, तो भाजपा युवा पंजाबी चेहरे मुकेश अरोड़ा पर दांव खेल सकती है। मुकेश अरोड़ा की युवा शक्ति और पंजाबी समाज में उनकी पकड़ उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है। भाजपा अगर युवा मतदाताओं और पंजाबी वोटरों को ध्यान में रखते हुए टिकट देने का विचार करती है, तो मुकेश अरोड़ा इस सीट के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जगमोहन आनंद अनुभवी नेता राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा की इस सूची में चौथा नाम जगमोहन आनंद का है। जगमोहन आनंद पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं और उन्हें जिला अध्यक्ष, सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर, और कुरूक्षेत्र के प्रभारी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। पार्टी संगठन में उनकी भूमिका भी उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। भाजपा के लिए कौन होगा अगला चेहरा? करनाल विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए यह चुनावी दौड़ आसान नहीं होगी। अगर नायब सिंह सैनी किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा को करनाल में एक ऐसा उम्मीदवार चुनना होगा, जो सामाजिक समीकरणों और पार्टी की नीतियों के साथ तालमेल बैठा सके। मेयर रेणु बाला गुप्ता, अशोक सुखीजा, मुकेश अरोड़ा, और जगमोहन आनंद, ये सभी नाम अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत दावेदार हैं, और भाजपा के लिए सही निर्णय लेना एक चुनौती होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस पर दांव लगाती है और करनाल की इस महत्वपूर्ण सीट पर कौन उम्मीदवार बनकर उभरता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
हरियाणा में कांग्रेस सांसद ने व्यापारी को लात मारी:दीपेंद्र हुड्डा से बात कर रहा था बुजुर्ग; मंच पर भीड़ होने से जेपी को आया गुस्सा
हरियाणा में कांग्रेस सांसद ने व्यापारी को लात मारी:दीपेंद्र हुड्डा से बात कर रहा था बुजुर्ग; मंच पर भीड़ होने से जेपी को आया गुस्सा हरियाणा में कांग्रेस सांसद जयप्रकाश एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। कांग्रेस सांसद जयप्रकाश पर दीपेंद्र हुड्डा की रैली के दौरान मंच पर एक बुजुर्ग व्यापारी को लात मारी है। जिसका वीडियो भी सामने आया है। जयप्रकाश के खिलाफ इस घटना पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई है, शहर के कुछ लोगों ने मांग की है कि सांसद जयप्रकाश बुजुर्ग से माफी मांगें। वहीं बुजुर्ग का कहना है कि वे जयप्रकाश जेपी के बुलावे पर ही सभा में गए थे। इससे पहले भी कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने एक महिला नेता पर विवादित बयान दिया था। एक चुनावी रैली के दौरान जेपी ने कहा था कि ‘जे लिपस्टिक और पाउडर लगाकर लीडर बनते हों तो मैं भी लगा लूं, फिर दाढ़ी क्यों रखूं।’ सांसद जेपी का यह बयान काफी चर्चा में रहा था। जेपी के इस बयान के बाद माना जा रहा था कि उन्होंने यह बात कलायत विधानसभा सीट से टिकट मांग रहीं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला की करीबी श्वेता ढुल और अनीता ढुल बड़सीकरी को लेकर कही थी। क्या है लात मारने का पूरा विवाद?
शुक्रवार को चीका की नई अनाज मंडी में सत्ता परिवर्तन रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें सांसद दीपेंद्र हुड्डा गुहला से कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र हंस के पक्ष में वोट की अपील करने आए थे। इस रैली में सांसद जयप्रकाश भी मौजूद थे। जब वह लोगों को संबोधित कर रहे थे तो मंच पर भीड़ अधिक होने के कारण वह परेशान हो गए और जैसे ही उन्होंने अपना संबोधन समाप्त किया तो उन्होंने पास खड़े एक बुजुर्ग को लात मार दी। जानकारी के अनुसार, जिस बुजुर्ग को लात मारी गई वह शहर के व्यापारी व नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश गोयल बताए जा रहे हैं। इस मामले पर अभी तक जयप्रकाश की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आने वाले दिनों में यह घटना कांग्रेस पार्टी व सांसद जयप्रकाश के लिए बड़े विवाद का कारण बन सकती है। महिला आयोग ने जारी किया था नोटिस
महिला नेता पर विवादित बयान को लेकर महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने जयप्रकाश के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह जयप्रकाश को नोटिस भेजकर जवाब मांगेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि कैथल का कोई भी व्यक्ति उनके बेटे को वोट न दे। साथ ही उन्होंने कैथल एसपी से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट भी मांगी थी। जेपी किरण चौधरी पर भी बयान दे चुके
लोकसभा चुनाव के बीच जींद के उचाना में कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचे जयप्रकाश उर्फ जेपी ने कहा था कि किरण चौधरी बंसीलाल की विरासत नहीं हैं। विरासत हमेशा पुरुष के माध्यम से चलती है, महिला के माध्यम से नहीं। रणबीर महेंद्रा और अनिरुद्ध बंसीलाल के वारिस हैं, महिलाएं वारिस नहीं हैं। इस पर किरण ने पलटवार करते हुए कहा था कि इनके (JP) घर में बहू, बेटियां नहीं है, इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं। उनकी सोच बहुत ही घटिया और छोटी है। वह ऐसे बयान देकर अपनी ही पार्टी के नेताओं की तौहीन कर रहे हैं। ओमप्रकाश बोले- जेपी ने उनको बुलाया था चीका के व्यापारी ओमप्रकाश गोयल का कहना है कि लात मारने जैसी कोई बात नहीं थी। सांसद जयप्रकाश के बुलावे पर ही वे वहां गए थे। मंच पर एक दूसरे को धक्के लग रहे थे। ये भीड़ भड़ाका होने की वजह से हुआ है। इसमे कोई दूसरी बात नहीं थी और सांसद जेपी से उनके निजी संबंध हैं। उनके बुलावे पर वे वहां पहुंचे थे।
हरियाणा में बिजली मंत्री की हार के बाद पावर कट:हिसार में लोगों का फूटा गुस्सा, रोड जाम कर रणजीत चौटाला के खिलाफ नारेबाजी
हरियाणा में बिजली मंत्री की हार के बाद पावर कट:हिसार में लोगों का फूटा गुस्सा, रोड जाम कर रणजीत चौटाला के खिलाफ नारेबाजी हरियाणा में बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के लोकसभा चुनाव हारने के बाद लोगों को बिजली कटों का सामना करना पड़ रहा है। हिसार में आजाद नगर के लिए ने अघोषित कटौती से परेशान होकर देर रात को रोड जाम कर दिया और बिजली मंत्री पर हार का बदला लेने का आरोप लगाया। लोगों ने बिजली मंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। बता दें कि, सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत चौटाला विधायक बने थे और लोकसभा चुनाव के लिए विधायकी से इस्तीफा देकर हिसार लोकसभा चुनाव लड़े थे। मगर वह कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए थे। लोगों का आरोप है कि जब से बिजली मंत्री चुनाव हारे हैं, वह बदला ले रहे हैं और जहां-जहां से हारे हैं वहां-वहां लंबे कट लगवा रहे हैं। वार्ड 16 जिला परिषद प्रतिनिधि एवं युवा कांग्रेस महासचिव मनोज टाक माही ने बताया कि, बिजली मंत्री अपनी हार का बदला ले रहे हैं। यदि बिजली कट इसी तरह लगते रहे तो बिजली विभाग के कार्यालय का घेराव करेंगे। इतने कट लगते हैं कि रात को सो भी नहीं पाते। बाहर बैठकर रात गुजारनी पड़ती है। सभी लोग परेशान हैं। बिजली कट का कारण यह भी
हिसार में तापमान 39 तक पहुंच गया है। भयंकर गर्मी और उमस भी बढ़ गई है। दूसरे धान सिंचाई का सीजन है। इस बार 42 प्रतिशत वर्षा कम हुई तो धान के खेत सूख रहे हैं। धान की सिंचाई के लिए लगातार ट्यूबवेल चल रहे हैं। इसलिए एग्रीकल्चर पावर (AP) में बिजली की डिमांड 4 गुना तक बढ़ गई है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में भी डिमांड बढ़ी है, पर ज्यादा असर नहीं आया। ऐसे में कट लगना शुरू हो गए हैं। इस कारण 129 लाख यूनिट बिजली खपत अब तक की अधिकतम जा पहुंची है। वरना इस सीजन में 123 से 125 लाख यूनिट बिजली अधिकतम खपत रही है। मगर सवाल यह है कि बिजली निगम ने ऐसे समय के लिए पहले से प्लानिंग क्यों नहीं की। बिजली निगम के SE हिसार सर्कल ओमबीर ने बताया कि ” बिजली निगम ने प्रबंध कर लिया है। बिजली सुचारू चलेगी। कहीं कट नहीं है। अगर मैंटेनेंस या फाल्ट है तो सप्लाई बंद करनी पड़ती है। बिजली की कमी से कट नहीं है। हमारी व्यवस्था पूरी है”। हिसार के इन फीडरों से सबसे ज्यादा ओवरलोड
11केवी सेक्टर 15 फीडर अंडर ब्रेकडाउन, 11केवी डीसी कालोनी वीसीबी बंद, 11केवी सेक्टर 17 में दिक्कत, 33केवी सेक्टर एक-चार सप्लाई चेंज, बीबीएमबी साइड पांच मिनट के लिए बंद, 33केवी सब स्टेशन सेक्टर एक-चार जंपर डिस्कनेट, 11केवी सेक्टर 15 जंपर होल्ड, 33केवी मेन सप्लाई फेल सेक्टर 27-28 लाइन, 11केवी रामनगर और सेक्टर 3-5 ओवरलोड, 11केवी एमजीए सेक्टर 21पी, 11केवी शिव नगर फीडर ओवरलोड, 11केवी जिंदल अस्पताल फीडर बंद, 11केवी सेक्टर 15 हाट स्पाट लाइन में दिक्कत, 11केवी न्यू विनोद नगर फीडर वीसीबी होल्ड, 11केवी माडल टाउन व डीसी कालोनी फीडर बंद, 11केवी डाबड़ा रोड फीडर ब्रेक डाउन रहा। 63,381 वोटों से हार गए थे बिजली मंत्री बता दें कि हिसार लोकसभा में जयप्रकाश जेपी ने बिजली मंत्री रणजीत चौटाला को 63,381 वोटों से हराया था। जयप्रकाश को 48.58 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि रणजीत चौटाला को सिर्फ 43.19 प्रतिशत वोट मिले थे। पिछली बार के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत 7.81 प्रतिशत कम हुआ है। 2019 में भाजपा को 51.13 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को 2019 में 15.63 प्रतिशत वोट मिले थे जो बढ़कर 48.58 प्रतिशत हो गए हैं। हिसार लोकसभा की 9 में से 6 सीटों पर जयप्रकाश जेपी ने जीत दर्ज की है जबकि रणजीत चौटाला सिर्फ 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाए हैं। रणजीत और भाजपा के लिए हार की सबसे बड़ी वजह आदमपुर में हार और शहरों में वोटों का कम होता अंतर रहा।
हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष हरविंदर कल्याण:MLA बन पिता का सपना पूरा किया; कांग्रेस ने टिकट काटी, बसपा से हारे, BJP से हैट्रिक लगाई
हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष हरविंदर कल्याण:MLA बन पिता का सपना पूरा किया; कांग्रेस ने टिकट काटी, बसपा से हारे, BJP से हैट्रिक लगाई करनाल के घरौंडा से BJP विधायक हरविंदर कल्याण हरियाणा विधानसभा के नए अध्यक्ष बन गए हैं। शुक्रवार को CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। कल्याण विधानसभा के 18वें अध्यक्ष होंगे। कल्याण लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनकी जीत के बाद से ही उनके सरकार में शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन मंत्रिमंडल गठन में उनका नाम नहीं आया। जिसके बाद उन्हें अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज हो गई और आखिरकार पार्टी हाईकमान ने उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया। कल्याण के पिता ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं पाए। उनकी विधानसभा पहुंचने की इच्छा कल्याण ने ही पूरी की। कांग्रेस में रहते उनकी टिकट काट दी गई थी। बसपा से वह चुनाव हार गए लेकिन भाजपा में आते ही जीत की हैट्रिक लगा दी। पूर्व CM मनोहर लाल के करीबी हरविंदर कल्याण केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी माने जाते हैं। पूर्व सीएम के कार्यकाल में उन्होंने अपने क्षेत्र में अच्छे विकास कार्य कराए हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल जब भी करनाल आते हैं तो कल्याण से जरूर मिलते हैं। कई बार मनोहर लाल उनके आवास पर आते हैं। खट्टर के सीएम रहते कल्याण ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय बनवाया है। कल्याण को पार्टी ने कभी मंत्री नहीं बनाया, लेकिन उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया। अपनी ईमानदार छवि और अपने क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाने के कारण कल्याण पूर्व सीएम की गुड लिस्ट में रहे हैं। कल्याण के बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने के पीछे भी मनोहर लाल का ही हाथ है। हरियाणा गठन के एक साल बाद जन्म हुआ
हरविंदर कल्याण का जन्म हरियाणा गठन के एक साल बाद करनाल के मधुबन के कुटैल गांव के किसान परिवार में हुआ। किसान परिवार से आने वाले हरविंदर सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 18 साल की उम्र में कल्याण ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के पुसाद में स्थित बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई शुरू की। उनकी पत्नी, रेशमा कल्याण, गृहिणी और लेखिका हैं। रेशमा के पिता मनोहर नाइक महाराष्ट्र विधानसभा में पुसद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। 2004 में की थी गांव-गांव की पद यात्रा
वर्ष-2004 में हरविंदर कल्याण कांग्रेस में प्रदेश महासचिव के पद पर थे। 2005 में होने वाले विधानसभा चुनावों में कल्याण का नाम टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल था। इसी बीच लोगों से जुड़ने के लिए और गांवों के हालातों का जायजा लेने के लिए इन्होंने पदयात्रा शुरू की थी। हरविंदर कल्याण की यह पदयात्रा 18 दिन तक चली थी। 18 दिन तक वे घर से बाहर ही रहे थे। रात को ग्रामीणों के बीच ही रहा करते थे। उन्हीं के बीच खाते थे और उन्हीं के बीच सो जाते थे। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान गांव की प्रत्येक समस्या को जाना था और ग्रामीणों को भी आश्वस्त किया था कि अगर उन्हें विधानसभा का टिकट और जनता का आशीर्वाद मिलता है तो वे गांव की समस्याओं को जड़ से खत्म करने का काम करेंगे। मगर, 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने उनकी जगह विरेंद्र सिंह राठौर को टिकट दे दिया था। पिता के सपने को साकार करने वाले बेटे हरिवंदर कल्याण
हरविंदर कल्याण के नजदीकियों की मानें तो हरविंदर के पिता देवी सिंह कल्याण राजनीति में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने राजनीति में किस्मत अजमाई। सांसद और विधायक के चुनाव भी लड़े, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि उन्हें हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अध्यक्ष तो बनाया गया, लेकिन कहीं न कहीं विधानसभा या फिर संसद में पहुंचने का उनका सपना अधूरा रह गया। हरविंदर कल्याण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए राजनीति के मैदान में कूद गए और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाई। 2005 में विधानसभा के टिकट के दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन टिकट नहीं मिला। 2009 में कांग्रेस को छोड़ा और बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। 2014 में टर्निंग प्वाइंट आया और इन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार सफलता हासिल करते गए और आज स्पीकर के पद तक पहुंचे है। इन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया। हरविंदर कल्याण की एक बेटी, फाउंडेशन चलाती हैं
हरविंदर कल्याण और रेशमा कल्याण की एक बेटी है। जिसका नाम ऐषणा कल्याण है। ऐषणा की शादी मुंबई में हो चुकी है और उनके पति चंडीगढ़ में जॉब करते है। ऐषणा ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में डटकर मोर्चा संभाला और महिलाओं की एक बड़ी टीम खड़ी की। ऐषणा कल्याण अपना एक फाउंडेशन भी चलाती हैं, जिसका नाम वरित्रा फाउंडेशन है। जिसके माध्यम से वह समाज सेवा का कार्य करती हैं। यह खबर भी पढ़ें… कल्याण हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष, मिड्ढा उपाध्यक्ष बने:सर्वसम्मति से चुने गए; हुड्डा बोले- विज-ढांडा को कसके रखना, सदन अच्छा चलेगा हरियाणा विधानसभा का नया अध्यक्ष हरविंदर कल्याण को चुना गया है। शुक्रवार को विधानसभा सत्र में CM नायब सैनी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इसके बाद CM ने हरविंदर कल्याण को गले मिलकर बधाई दी। CM ने कल्याण को कुर्सी पर बैठाया। वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) डॉ. कृष्ण मिड्ढा को चुना गया। कैबिनेट मंत्री कृष्णलाल पंवार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा। (पूरे खबर पढ़ें)