<p style=”text-align: justify;”><strong>Mahashivratri 2025: </strong>कानपुर देहात के डेरापुर तहसील में बीहड़ में प्रकृति के सुरम्य वातावरण में एक 100 फीट के टीले पर सिंगुर नदी के उत्तर -पूर्व पर स्थापित है. यहीं पर शिव का अनोखा मंदिर मौजूद है. इस शिव मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के फर्श के मध्य में उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर लगभग 1.30 मीटर लंबाई की एक समाधि है और इस समाधि के ऊपर उत्तरी सिरे पर शिव लिंग स्थापित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिव लिंग के उत्तर में 0.40 मीटर दूरी पर नंदी विराजमान है. जिसे कपालेश्वर महादेव व पीर पहलवान के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर वर्षों से हिंदू मुसलमान दोनों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. जहां आज भी महाशिवरात्रि पर यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अपनी मन्नत को लेकर मंदिर परिसर में ही विराजमान शिवलिंग से जुड़ी हुई दरगाह पर चादर चढ़ाई जाती है तो सनातन से जुड़े श्रद्धालु इस मंदिर में आकर इस दुर्लभ और अनोखे मंदिर में दर्शन करने आते हैं. यहां दरगाह और शिवलिंग के एक साथ जुड़े होने से ये मंदिर चर्चाओं में रहता है. रोजाना यहां मुस्लिम और हिन्दू दोनों ही वर्ग के श्रद्धालु अपनी अपनी आस्था में सराबोर होते हैं.</p>
<p><br /><img style=”display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;” src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/02/25/1563abffa8e9fcd289cb498ffb8f515c1740488880255257_original.png” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किसने करवाया था मंदिर निर्माण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कानपुर देहात के डेरापुर में स्थित कपालेश्वर महादेव के इस अद्भुत मंदिर के निर्माण की कहानी भी रोचक है. मंदिर के महंत जगदेव ओर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि सन 1894 में उस वक्त के असिस्टेंट कमिश्नर कन्नौजी लाल मिश्र को एक सपना आया. सपने में बाबा भोलेनाथ ने कन्नौजी लाल को सपना दिया था कि वो इस स्थान और एक मंदिर बनवाएं और इस मंदिर के निर्माण के लिए जगह भी सपने में ही चिन्हित की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जब उन्होंने जंगल में जाकर देखा तो उस स्थान पर उन्होंने पाया कि घने जंगलों में एक शिवलिंग है. कुछ चरवाहे खुरपी से शिवलिंग में रेतने का काम कर रहे हैं दअरसल चोरों को शिवलिंग के नीचे खजाने की जानकारी थी, जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा दिया. खुदाई के वक्त शिवलिंग के साथ एक मजार भी थी. मजार की सूचना पर मुस्लिम भी वहां इबादत के लिए पहुंचने लगे और तब से हिंदू और मुस्लिम दोनों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कोई मुराद या मन्नत मांगता है तो उसे पूरा करने में शिव और सैयद की दरगाह दोनों का आशीर्वाद मिलता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं. यहां कभी अव्यवस्था या द्वेष पैदा नहीं हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां एक तरफ देश भर में अलग अलग धर्म और सम्प्रदाय या देवी देवताओं को लेकर उन्माद फैलता दिखाई देता है, लेकिन इस मंदिर में दोनों ही धर्म के लोग अपनी अपनी आस्था के साथ दर्शन करते हैं, कोई दरगाह पर चादर चढ़ाता है तो कोई शिवलिंग पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है. <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> के दिन इस मंदिर में अनोखा और मनोरम दृश्य दिखाई देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/lifestyle/religion/agra-kailash-shiv-mandir-grand-event-is-organized-on-mahashivratri-here-two-shivling-ann-2891895″>आगरा का प्राचीन कैलाश शिव मंदिर में विराजमान हैं दो शिवलिंग, महाशिव रात्रि पर होता है भव्य आयोजन</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mahashivratri 2025: </strong>कानपुर देहात के डेरापुर तहसील में बीहड़ में प्रकृति के सुरम्य वातावरण में एक 100 फीट के टीले पर सिंगुर नदी के उत्तर -पूर्व पर स्थापित है. यहीं पर शिव का अनोखा मंदिर मौजूद है. इस शिव मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के फर्श के मध्य में उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर लगभग 1.30 मीटर लंबाई की एक समाधि है और इस समाधि के ऊपर उत्तरी सिरे पर शिव लिंग स्थापित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिव लिंग के उत्तर में 0.40 मीटर दूरी पर नंदी विराजमान है. जिसे कपालेश्वर महादेव व पीर पहलवान के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर वर्षों से हिंदू मुसलमान दोनों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. जहां आज भी महाशिवरात्रि पर यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अपनी मन्नत को लेकर मंदिर परिसर में ही विराजमान शिवलिंग से जुड़ी हुई दरगाह पर चादर चढ़ाई जाती है तो सनातन से जुड़े श्रद्धालु इस मंदिर में आकर इस दुर्लभ और अनोखे मंदिर में दर्शन करने आते हैं. यहां दरगाह और शिवलिंग के एक साथ जुड़े होने से ये मंदिर चर्चाओं में रहता है. रोजाना यहां मुस्लिम और हिन्दू दोनों ही वर्ग के श्रद्धालु अपनी अपनी आस्था में सराबोर होते हैं.</p>
<p><br /><img style=”display: block; margin-left: auto; margin-right: auto;” src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2025/02/25/1563abffa8e9fcd289cb498ffb8f515c1740488880255257_original.png” /></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>किसने करवाया था मंदिर निर्माण</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कानपुर देहात के डेरापुर में स्थित कपालेश्वर महादेव के इस अद्भुत मंदिर के निर्माण की कहानी भी रोचक है. मंदिर के महंत जगदेव ओर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि सन 1894 में उस वक्त के असिस्टेंट कमिश्नर कन्नौजी लाल मिश्र को एक सपना आया. सपने में बाबा भोलेनाथ ने कन्नौजी लाल को सपना दिया था कि वो इस स्थान और एक मंदिर बनवाएं और इस मंदिर के निर्माण के लिए जगह भी सपने में ही चिन्हित की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जब उन्होंने जंगल में जाकर देखा तो उस स्थान पर उन्होंने पाया कि घने जंगलों में एक शिवलिंग है. कुछ चरवाहे खुरपी से शिवलिंग में रेतने का काम कर रहे हैं दअरसल चोरों को शिवलिंग के नीचे खजाने की जानकारी थी, जिसके बाद उन्होंने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा दिया. खुदाई के वक्त शिवलिंग के साथ एक मजार भी थी. मजार की सूचना पर मुस्लिम भी वहां इबादत के लिए पहुंचने लगे और तब से हिंदू और मुस्लिम दोनों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कोई मुराद या मन्नत मांगता है तो उसे पूरा करने में शिव और सैयद की दरगाह दोनों का आशीर्वाद मिलता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं. यहां कभी अव्यवस्था या द्वेष पैदा नहीं हुआ.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां एक तरफ देश भर में अलग अलग धर्म और सम्प्रदाय या देवी देवताओं को लेकर उन्माद फैलता दिखाई देता है, लेकिन इस मंदिर में दोनों ही धर्म के लोग अपनी अपनी आस्था के साथ दर्शन करते हैं, कोई दरगाह पर चादर चढ़ाता है तो कोई शिवलिंग पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता है. <a title=”महाशिवरात्रि” href=”https://www.abplive.com/topic/mahashivratri-2023″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाशिवरात्रि</a> के दिन इस मंदिर में अनोखा और मनोरम दृश्य दिखाई देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/lifestyle/religion/agra-kailash-shiv-mandir-grand-event-is-organized-on-mahashivratri-here-two-shivling-ann-2891895″>आगरा का प्राचीन कैलाश शिव मंदिर में विराजमान हैं दो शिवलिंग, महाशिव रात्रि पर होता है भव्य आयोजन</a></strong></p> धर्म Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेंगे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, कैसी है व्यवस्था?
कानपुर देहात में शिव का अनोखा मंदिर, दो धर्मों के लोगों से जुड़ी है आस्था
