काशी के चेतगंज की नक्कटैया:लक्ष्मण ने शूर्पणखा का काटा नाक, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़,1888 से हो रही यह लीला

काशी के चेतगंज की नक्कटैया:लक्ष्मण ने शूर्पणखा का काटा नाक, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़,1888 से हो रही यह लीला

करवाचौथ के दिन काशी में नक्कटैया मेले का आयोजन हुआ। जहां शूर्पणखा के नाक काटने की लीला हुई। इस दौरान काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने बताया- इस लीला को अंग्रेजी हुक्मरानों के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और अंग्रेज चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। तब से आज तक यह लीला चलती आ रही है। 1888 से होती आ रही लीला
श्री चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया- वाराणसी की नक्कटैया लाग वाहन का मेला है। इसमें लाग के माध्यम से समाज के प्रासंगिक प्रसंग को दिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मेले की शुरुआत सन 1888 में करवाचौथ के दिन बाबा फतेहराम ने की थी। बाबा फतेहराम ने अंग्रेजों से भगवान राम के माध्यम से लड़ने का मार्ग तलाशा। उन्होंने रामायण के शूर्पणखा की नक्कटैया के प्रसंग के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करना शुरू किया। इजराइल-हमास युद्ध पर बना लाग-विमान
अजय गुप्ता ने बताया कि इस समय सबसे ज्वलंत मुद्दा इजराइल-ईरान और हमास के युद्ध का है। इस पर कई लाग विमान मेले में शामिल हुए हैं।‌ नक्कटैया की शोभायात्रा में 50 से अधिक लाग विमान शामिल किए गए थे। इलाहाबाद की तीन चौकियां लंका दहन, श्रीराम-सीता स्वयंवर एवं श्रीकृष्ण-राधा के महारास पर आधारित थी इसके अलावा तमाम कलाकारों द्वारा भक्ति गीतों पर प्रस्तुति देख मेले में शामिल श्रद्धालु झूमते दिखाई दिए। साढ़े दस बजे हुई मुख्य लीला
नक्कटैया की मुख्य लीला रात्रि दस बजे चेतगंज में हुई। लक्ष्मण ने शूपर्णखा की नाक काटने के उपरांतमलदहिया चौराहा के निकट बनाई गई लंका पहुंची। वहां से खर और दूषण के साथ पूरी सेना लेकर आक्रमण के लिए चली। इस दौरान विभिन्न झांकियां मेले में शामिल हुई। इस दौरान पुलिस फोर्स तैनात रही। करवाचौथ के दिन काशी में नक्कटैया मेले का आयोजन हुआ। जहां शूर्पणखा के नाक काटने की लीला हुई। इस दौरान काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। लोगों ने बताया- इस लीला को अंग्रेजी हुक्मरानों के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और अंग्रेज चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। तब से आज तक यह लीला चलती आ रही है। 1888 से होती आ रही लीला
श्री चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया- वाराणसी की नक्कटैया लाग वाहन का मेला है। इसमें लाग के माध्यम से समाज के प्रासंगिक प्रसंग को दिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मेले की शुरुआत सन 1888 में करवाचौथ के दिन बाबा फतेहराम ने की थी। बाबा फतेहराम ने अंग्रेजों से भगवान राम के माध्यम से लड़ने का मार्ग तलाशा। उन्होंने रामायण के शूर्पणखा की नक्कटैया के प्रसंग के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करना शुरू किया। इजराइल-हमास युद्ध पर बना लाग-विमान
अजय गुप्ता ने बताया कि इस समय सबसे ज्वलंत मुद्दा इजराइल-ईरान और हमास के युद्ध का है। इस पर कई लाग विमान मेले में शामिल हुए हैं।‌ नक्कटैया की शोभायात्रा में 50 से अधिक लाग विमान शामिल किए गए थे। इलाहाबाद की तीन चौकियां लंका दहन, श्रीराम-सीता स्वयंवर एवं श्रीकृष्ण-राधा के महारास पर आधारित थी इसके अलावा तमाम कलाकारों द्वारा भक्ति गीतों पर प्रस्तुति देख मेले में शामिल श्रद्धालु झूमते दिखाई दिए। साढ़े दस बजे हुई मुख्य लीला
नक्कटैया की मुख्य लीला रात्रि दस बजे चेतगंज में हुई। लक्ष्मण ने शूपर्णखा की नाक काटने के उपरांतमलदहिया चौराहा के निकट बनाई गई लंका पहुंची। वहां से खर और दूषण के साथ पूरी सेना लेकर आक्रमण के लिए चली। इस दौरान विभिन्न झांकियां मेले में शामिल हुई। इस दौरान पुलिस फोर्स तैनात रही।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर