यूपी के कांवड़ रूट पर दुकानों का पहचान लिखने का विवाद काशी तक पहुंच गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर पुलिस ने दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का फरमान दे दिया है। इससे मुस्लिम समुदाय खफा है। वह इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है। ज्ञानवापी केस के पक्षकार मुख्तार अहमद अंसारी का कहना है- हम कांवड़ियों को रोककर उनकी सेवा करते हैं, यही बनारस का इतिहास रहा है। उनके पांव के छालों पर गर्म पानी से धुलकर मलहम लगाते हैं। हम धार्मिक अच्छे काम कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के प्रति हमारा सेवा भाव है। यहां धर्म के नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। यूपी सरकार का यह आदेश महज पब्लिसिटी स्टंट है। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में दैनिक भास्कर की टीम ने जब स्थानीय दुकानदारों से बात की। केवल दुकानदार ही नहीं ज्ञानवापी के पक्षकार, मुतवल्ली और उनसे जुड़े तमाम लोग इस आदेश से असहमत हैं। मुस्लिम समुदाय ने कांवड़ रूट पर दुकान और दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश पर विचार करने और वापस लेने की अपील की। उनका कहना है- सरकार की ओर से ऐसा आदेश पहली बार जारी किया गया। इससे पहले नॉनवेज की दुकानों और उसे परोसने वाले ढाबा-होटल को बंद करने का आदेश दिया जाता था। बाबा विश्वनाथ को शहनाई बजाकर जगाते थे बिस्मिल्लाह खान ‘सोएंगे तेरी गोद में एक दिन मरके, हम दम भी जो तोड़ेंगे तेरा दम भर के, हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू करके…।’ नजीर बनारसी का यह शेर काशी की रूह की झलक है। काशी के घाटों-मंदिरों के बीच मस्जिदों की अजान मुस्तकबिल का हिस्सा है। हिंदू-मुसलमान में फर्क को तार-तार करना काशी की इबादत है, हम गंगा जमुनी तहजीब को जीने वाले हैं। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में यह बात विकास यादव ने कही। वो कहते हैं- काशी में दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश हमारी गंगा-जमुनी तहजीब के खिलाफ है। काशी में जो रामलीलाएं जो होती हैं, उसमें जो रावण बनते हैं उसे मुस्लिम समाज ही बनाता है। विकास यादव ने कहा- हमारी संस्कृति काशी विश्वनाथ धाम के आंगन में झलकता है। यह वही काशी है, जहां शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शहनाई बजाकर काशी पुराधिपति को हर सुबह जगाते थे। इसके साथ ही सुबह बनारस का आगाज होता था। योगी के नेमप्लेट का फरमान सोची समझी राजनीति का हिस्सा है। इससे समाज में जहर फैलेगा। मूर्ति से लेकर मुकुट तक मुस्लिम समाज ही बनाता है, यह नैरेटिव भी समाज में जहर फैलाएंगा। अगर ऐसा होगा तो ब्लड बैंक जाने वाले भी हिन्दू-मुस्लिम का नाम देखकर रक्त लेंगे। आदेश को राजनीति से प्रेरित बताते हुए सरकार को इसे रद करने की अपील की। उनका कहना है कि इससे दुकानदारों का कम और समाज का नुकसान ज्यादा होगा। ज्ञानवापी केस पक्षकार मुख्तार बोले, एकता-अखंडता पर चोट ज्ञानवापी से जुड़े एक केस के पैरोकार मुख्तार अहमद अंसारी इस आदेश से खफा हैं। उनका कहना है- सरकार ने जो नियमावली बनाई है वो गलत है। सारे दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने की अनिवार्यता धर्मवाद नजरिए से किया जा रहा है। आज पूजा करने की सभी को इजाजत है, हमारी गंगा जमुनी तहजीब भारत की पहचान रही है। यह महज पब्लिसिटी स्टंट है और इससे अधिक कोई महत्व नहीं है। कांवड़ यात्रा धार्मिक परंपरा है, सावधानी होनी चाहिए, सुरक्षा होनी चाहिए। नाम प्लेट के चलते कारोबार पर ज्यादा असर नहीं होगा लेकिन केवल प्रताड़ना का डर है। बनारस का इतिहास रहा है हम कांवड़ियों को रोककर उनकी सेवा करते हैं, उनके पांव के छालों पर गर्म पानी से धुलकर मरहम लगाते हैं। हम धार्मिक अच्छे काम कर रहे हैं, सेवाभाव करते हैं। यहां धर्म के नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। देश की एकता और अखंडता को बिखंडित नहीं करना चाहिए। हर आदमी मिलकर हर काम को करता है। हर पूजा शुद्ध और अच्छे तरीके से होनी चाहिए। यह राजनीति की भाषा है इससे अधिक कुछ नहीं। अब जानते हैं काशी विश्वनाथ धाम का माहौल पहले सोमवार यानी आज मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना शुरू हो गई है। काशी में काशी-पुराधिपति के भव्य अभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी है। सावन का आज से आगाज है और मंदिर के बाहर की दुकानों पर जगमग रोशनी छाई है। कांवड़ियों की भीड़ शहर में है, तो प्रशासन की सख्ती के बाद काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र की दुकानों पर नेम प्लेट भी लगने लगी है। कुछ दुकानदारों ने अपनी फूल-माला की दुकान पर अपने नाम का पोस्टर, स्टिकर या बैनर लगा लिया है। पुलिस दुकानदारों से उनके नाम और पोस्टर लगाने के लिए पूछ रही है। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में पुलिस के नोटिस के बाद दुकानदारों में खलबली है तो अभी कई दुकानों पर नाम नहीं लिखे जा सके हैं। पुलिस के दबाव में कुछ जगह अनुपालन तो शुरू हो गया, लेकिन अभी 90 फीसदी काशी अछूती है। दुकानदारों ने लगाया पोस्टर और बैनर काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र की दुकानों पर रविवार शाम दुकानदारों ने अपने नाम के पोस्टर और स्टिकर लगा लिए। इन दुकानों का संचालन करने वालों ने उस पर दुकान के नाम और प्रोपराइटर का नाम भी लिखा। सबसे पहले ललित माला फूल वाले ने अपनी दुकान के बाहर बैनर लगाया फिर राजू फूल वाले ने होर्डिंग का बोर्ड लगाया। हालांकि गेट नंबर 4 की कुछ दुकानों पर पहले से ही नाम लिखा है। इसके अलावा कई दुकानदारों ने बोर्ड बनने का आर्डर दिया है जिसे सोमवार शाम तक पूरा कर लिया जाएगा। पुलिस ने भी सभी को जल्द नाम लिखने की चेतावनी दी है। दुकानों सीपी समेत अधिकारियों की निगाहें काशी विश्वनाथ मंदिर और क्षेत्र में चक्रमण करने निकले अधिकारियों की नजर फूल-माला और प्रसाद की दुकानों पर लगी रही। पुलिस कमिश्नर समेत सभी अधिकारी दुकानों पर लगे नाम और बैनर को पढ़ते नजर आए। हालांकि, किसी ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। लेकिन उनका आशय दुकान पर सही नाम पता से था। नाम पढ़कर खरीदारी का हिन्दू और मुस्लिम-अलीमुद्दीन अलीमुद्दीन अख्तर ने कहा कि दुकानदार का नाम तो प्रशासन के पास है लेकिन खुलेआम इसे दिखाने का मतलब है कि यहां से माल लें और वहां से ना लें। जातिवाद-धर्मवाद फैलाकर एक दूसरे से अलग करना चाहते हैं। इस आदेश से देश बटेगा और इस आदेश का असर खराब पड़ेगा। मुस्लिम समाज इस फैसले को गलत नजरिए से ले रहा है, इससे लोग अब नाम पढ़कर सामग्री खरीदेंगे। हिन्दू अब मुस्लिम के यहां नहीं जाएगा और मुस्लिम ग्राहक हिन्दू से दूर भागेंगे। वहीं जातिगत आधार पर भी खरीदारी करेंगे जिससे बेरोजगारी के अलावा असंतुलन भी बनेगा। इराम खान बोले-हम लगाते हैं हर हर महादेव का जयघोष दुकानदार इराम खान ने बताया कि सरकार का यह आदेश ठीक नहीं है, यह एक दूसरे को बांटने का फैसला है। इससे दूरियां बन जा रही है, अब लोग नाम पूछकर सामान खरीदेंगे। हमारी काशी और धर्म किसी को आपस में बैर रखना नहीं सिखाते हैं। हमने बचपन से देखते आ रहे हैं कि सब साथ रहते हैं, आदेश से मैसेज गलत गया है कि यह फैसला अच्छा नहीं है। हम हमेशा हर हर महादेव कहते थे और आज भी हर हर महादेव कहते हैं। भगवान तो भगवान हैं हमें उनका जयघोष करने में कोई दिक्कत नहीं है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। यह खबर भी पढ़ें मुजफ्फरनगर में मुस्लिम कारीगरों को छुट्टी पर भेजा:पुलिस वालों ने कहा कि बड़े अक्षरों में नाम लिखो, ठेलों पर लिखा-शहजाद, आरिफ फल वाले योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर दुकान और दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश जारी किया। सरकार की ओर से ऐसा आदेश पहली बार जारी किया गया। इससे पहले नॉनवेज की दुकानों और उसे परोसने वाले ढाबा-होटल को बंद करने का आदेश दिया जाता था। इस बार आदेश को अमल में लाने की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई। ऐसा क्यों? इसकी पड़ताल करने हम ग्राउंड पर पहुंचे। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट यूपी के कांवड़ रूट पर दुकानों का पहचान लिखने का विवाद काशी तक पहुंच गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर पुलिस ने दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का फरमान दे दिया है। इससे मुस्लिम समुदाय खफा है। वह इसे राजनीतिक साजिश बता रहा है। ज्ञानवापी केस के पक्षकार मुख्तार अहमद अंसारी का कहना है- हम कांवड़ियों को रोककर उनकी सेवा करते हैं, यही बनारस का इतिहास रहा है। उनके पांव के छालों पर गर्म पानी से धुलकर मलहम लगाते हैं। हम धार्मिक अच्छे काम कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के प्रति हमारा सेवा भाव है। यहां धर्म के नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। यूपी सरकार का यह आदेश महज पब्लिसिटी स्टंट है। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में दैनिक भास्कर की टीम ने जब स्थानीय दुकानदारों से बात की। केवल दुकानदार ही नहीं ज्ञानवापी के पक्षकार, मुतवल्ली और उनसे जुड़े तमाम लोग इस आदेश से असहमत हैं। मुस्लिम समुदाय ने कांवड़ रूट पर दुकान और दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश पर विचार करने और वापस लेने की अपील की। उनका कहना है- सरकार की ओर से ऐसा आदेश पहली बार जारी किया गया। इससे पहले नॉनवेज की दुकानों और उसे परोसने वाले ढाबा-होटल को बंद करने का आदेश दिया जाता था। बाबा विश्वनाथ को शहनाई बजाकर जगाते थे बिस्मिल्लाह खान ‘सोएंगे तेरी गोद में एक दिन मरके, हम दम भी जो तोड़ेंगे तेरा दम भर के, हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू करके…।’ नजीर बनारसी का यह शेर काशी की रूह की झलक है। काशी के घाटों-मंदिरों के बीच मस्जिदों की अजान मुस्तकबिल का हिस्सा है। हिंदू-मुसलमान में फर्क को तार-तार करना काशी की इबादत है, हम गंगा जमुनी तहजीब को जीने वाले हैं। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में यह बात विकास यादव ने कही। वो कहते हैं- काशी में दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश हमारी गंगा-जमुनी तहजीब के खिलाफ है। काशी में जो रामलीलाएं जो होती हैं, उसमें जो रावण बनते हैं उसे मुस्लिम समाज ही बनाता है। विकास यादव ने कहा- हमारी संस्कृति काशी विश्वनाथ धाम के आंगन में झलकता है। यह वही काशी है, जहां शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शहनाई बजाकर काशी पुराधिपति को हर सुबह जगाते थे। इसके साथ ही सुबह बनारस का आगाज होता था। योगी के नेमप्लेट का फरमान सोची समझी राजनीति का हिस्सा है। इससे समाज में जहर फैलेगा। मूर्ति से लेकर मुकुट तक मुस्लिम समाज ही बनाता है, यह नैरेटिव भी समाज में जहर फैलाएंगा। अगर ऐसा होगा तो ब्लड बैंक जाने वाले भी हिन्दू-मुस्लिम का नाम देखकर रक्त लेंगे। आदेश को राजनीति से प्रेरित बताते हुए सरकार को इसे रद करने की अपील की। उनका कहना है कि इससे दुकानदारों का कम और समाज का नुकसान ज्यादा होगा। ज्ञानवापी केस पक्षकार मुख्तार बोले, एकता-अखंडता पर चोट ज्ञानवापी से जुड़े एक केस के पैरोकार मुख्तार अहमद अंसारी इस आदेश से खफा हैं। उनका कहना है- सरकार ने जो नियमावली बनाई है वो गलत है। सारे दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने की अनिवार्यता धर्मवाद नजरिए से किया जा रहा है। आज पूजा करने की सभी को इजाजत है, हमारी गंगा जमुनी तहजीब भारत की पहचान रही है। यह महज पब्लिसिटी स्टंट है और इससे अधिक कोई महत्व नहीं है। कांवड़ यात्रा धार्मिक परंपरा है, सावधानी होनी चाहिए, सुरक्षा होनी चाहिए। नाम प्लेट के चलते कारोबार पर ज्यादा असर नहीं होगा लेकिन केवल प्रताड़ना का डर है। बनारस का इतिहास रहा है हम कांवड़ियों को रोककर उनकी सेवा करते हैं, उनके पांव के छालों पर गर्म पानी से धुलकर मरहम लगाते हैं। हम धार्मिक अच्छे काम कर रहे हैं, सेवाभाव करते हैं। यहां धर्म के नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। देश की एकता और अखंडता को बिखंडित नहीं करना चाहिए। हर आदमी मिलकर हर काम को करता है। हर पूजा शुद्ध और अच्छे तरीके से होनी चाहिए। यह राजनीति की भाषा है इससे अधिक कुछ नहीं। अब जानते हैं काशी विश्वनाथ धाम का माहौल पहले सोमवार यानी आज मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना शुरू हो गई है। काशी में काशी-पुराधिपति के भव्य अभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी है। सावन का आज से आगाज है और मंदिर के बाहर की दुकानों पर जगमग रोशनी छाई है। कांवड़ियों की भीड़ शहर में है, तो प्रशासन की सख्ती के बाद काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र की दुकानों पर नेम प्लेट भी लगने लगी है। कुछ दुकानदारों ने अपनी फूल-माला की दुकान पर अपने नाम का पोस्टर, स्टिकर या बैनर लगा लिया है। पुलिस दुकानदारों से उनके नाम और पोस्टर लगाने के लिए पूछ रही है। काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में पुलिस के नोटिस के बाद दुकानदारों में खलबली है तो अभी कई दुकानों पर नाम नहीं लिखे जा सके हैं। पुलिस के दबाव में कुछ जगह अनुपालन तो शुरू हो गया, लेकिन अभी 90 फीसदी काशी अछूती है। दुकानदारों ने लगाया पोस्टर और बैनर काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र की दुकानों पर रविवार शाम दुकानदारों ने अपने नाम के पोस्टर और स्टिकर लगा लिए। इन दुकानों का संचालन करने वालों ने उस पर दुकान के नाम और प्रोपराइटर का नाम भी लिखा। सबसे पहले ललित माला फूल वाले ने अपनी दुकान के बाहर बैनर लगाया फिर राजू फूल वाले ने होर्डिंग का बोर्ड लगाया। हालांकि गेट नंबर 4 की कुछ दुकानों पर पहले से ही नाम लिखा है। इसके अलावा कई दुकानदारों ने बोर्ड बनने का आर्डर दिया है जिसे सोमवार शाम तक पूरा कर लिया जाएगा। पुलिस ने भी सभी को जल्द नाम लिखने की चेतावनी दी है। दुकानों सीपी समेत अधिकारियों की निगाहें काशी विश्वनाथ मंदिर और क्षेत्र में चक्रमण करने निकले अधिकारियों की नजर फूल-माला और प्रसाद की दुकानों पर लगी रही। पुलिस कमिश्नर समेत सभी अधिकारी दुकानों पर लगे नाम और बैनर को पढ़ते नजर आए। हालांकि, किसी ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। लेकिन उनका आशय दुकान पर सही नाम पता से था। नाम पढ़कर खरीदारी का हिन्दू और मुस्लिम-अलीमुद्दीन अलीमुद्दीन अख्तर ने कहा कि दुकानदार का नाम तो प्रशासन के पास है लेकिन खुलेआम इसे दिखाने का मतलब है कि यहां से माल लें और वहां से ना लें। जातिवाद-धर्मवाद फैलाकर एक दूसरे से अलग करना चाहते हैं। इस आदेश से देश बटेगा और इस आदेश का असर खराब पड़ेगा। मुस्लिम समाज इस फैसले को गलत नजरिए से ले रहा है, इससे लोग अब नाम पढ़कर सामग्री खरीदेंगे। हिन्दू अब मुस्लिम के यहां नहीं जाएगा और मुस्लिम ग्राहक हिन्दू से दूर भागेंगे। वहीं जातिगत आधार पर भी खरीदारी करेंगे जिससे बेरोजगारी के अलावा असंतुलन भी बनेगा। इराम खान बोले-हम लगाते हैं हर हर महादेव का जयघोष दुकानदार इराम खान ने बताया कि सरकार का यह आदेश ठीक नहीं है, यह एक दूसरे को बांटने का फैसला है। इससे दूरियां बन जा रही है, अब लोग नाम पूछकर सामान खरीदेंगे। हमारी काशी और धर्म किसी को आपस में बैर रखना नहीं सिखाते हैं। हमने बचपन से देखते आ रहे हैं कि सब साथ रहते हैं, आदेश से मैसेज गलत गया है कि यह फैसला अच्छा नहीं है। हम हमेशा हर हर महादेव कहते थे और आज भी हर हर महादेव कहते हैं। भगवान तो भगवान हैं हमें उनका जयघोष करने में कोई दिक्कत नहीं है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। यह खबर भी पढ़ें मुजफ्फरनगर में मुस्लिम कारीगरों को छुट्टी पर भेजा:पुलिस वालों ने कहा कि बड़े अक्षरों में नाम लिखो, ठेलों पर लिखा-शहजाद, आरिफ फल वाले योगी सरकार ने कांवड़ रूट पर दुकान और दुकानदारों का नाम लिखने का आदेश जारी किया। सरकार की ओर से ऐसा आदेश पहली बार जारी किया गया। इससे पहले नॉनवेज की दुकानों और उसे परोसने वाले ढाबा-होटल को बंद करने का आदेश दिया जाता था। इस बार आदेश को अमल में लाने की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई। ऐसा क्यों? इसकी पड़ताल करने हम ग्राउंड पर पहुंचे। पढ़ें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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डीजे पर महिला डांसर के साथ नाचने को लेकर हुआ हंगामा, पुलिसकर्मी ने चलाई गोली <p style=”text-align: justify;”><strong>Ghazipur Firing News:</strong> गाजीपुर में डीजे पर महिला डांसर के साथ डांस करने को लेकर पुलिसकर्मियों का फायरिंग करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमें 6 लोग घायल हैं. जिनका मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है. मामला बीती रात का है.बीती रात सदर कोतवाली क्षेत्र के रजदेपुर के आर पी पैलेस में एक बारात आयी हुई थी. बारात में डीजे पर नर्तक के साथ कुछ लोग डांस कर रहे थे जिसमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल थे. डांस के दौरान विवाद हुआ और पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी.जिसमें वर और वधु दोनों पक्ष के 6 लोग घायल हो गये.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल यह पूरा मामला बिरनो थाना क्षेत्र के पृथ्वीपुर निवासी अनिल कुशवाहा की बारात शहर के आरपी पैलेस में आयी हुई थी. बारात में डीजे पर नर्तक का डांस चल रहा था.इसी दौरान कुछ लोग आये और नर्तकी के साथ अभद्रता करने लगे.जब लोगों ने इसका विरोध किया तब इन लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें 6 लोग घायल हो गये.फायरिंग के बाद वहां अफरा-तफरी मच गयी और घायलों को अस्पताल ले जाया गया.फिलहाल सभी घायलों की हालत सामान्य बताई जा रही है.</p>
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