हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने आज करनाल के पंचायत भवन में कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 13 शिकायतें आईं, जिनमें से 9 का समाधान पहले ही किया जा चुका है। शेष 4 शिकायतों को लंबित रखते हुए अधिकारियों को उनके समाधान के लिए निर्देश दिए गए। इस दौरान मंत्री गंगवा ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि चौटाला जी पांच बार मुख्यमंत्री रहे और हरियाणा ने आज एक कुशल राजनीतिज्ञ खो दिया। उनके निधन से प्रदेश और देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। शम्भू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन पर बयान शम्भू बॉर्डर पर अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत और उनकी मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री गंगवा ने कहा कि हरियाणा में किसानों का कोई मुद्दा नहीं है। एमएसपी पर सबसे ज्यादा फसलें हरियाणा में खरीदी जाती हैं। अगर पंजाब के किसानों को समस्या है तो पंजाब सरकार समाधान करे। भाजपा किसानों के साथ खड़ी है और उनके हित में काम कर रही है। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों को रोके जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। किसी को दिल्ली जाने से नहीं रोका जा रहा, लेकिन पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए सतर्कता बरती जा रही है। सड़क गुणवत्ता और सफेद पट्टी लगाने पर जवाब सड़कें टूटने और सफेद पट्टी न होने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं होगा। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सफेद पट्टी लगाने का काम जारी है। हमारी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती है, और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। राहुल गांधी पर FIR और कांग्रेस की प्रतिक्रिया राहुल गांधी पर FIR को लेकर मंत्री गंगवा ने कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बौखलाई हुई पार्टी है। संसद सर्वोच्च है, और ऐसी घटनाएं कांग्रेस की हताशा को दर्शाती हैं। इसकी कड़ी निंदा करता हूं। रामचंद्र जांगड़ा के बयान का बचाव राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के किसानों को लेकर दिए गए बयान पर बचाव करते हुए मंत्री ने कहा कि जांगड़ा का बयान पंजाब में बढ़ते नशे की समस्या के संदर्भ में था। किसानों पर नशे का आरोप सही नहीं है। जांगड़ा जी खुद ही स्पष्ट कर सकते हैं कि उनका इरादा क्या था। वन नेशन, वन इलेक्शन पर टिप्पणी मंत्री गंगवा ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फैसले को साहसिक बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला समय की बचत करेगा और विकास कार्यों को गति देगा। इससे चुनावी खर्चों में कटौती होगी और जनता को अधिक लाभ मिलेगा। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने आज करनाल के पंचायत भवन में कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 13 शिकायतें आईं, जिनमें से 9 का समाधान पहले ही किया जा चुका है। शेष 4 शिकायतों को लंबित रखते हुए अधिकारियों को उनके समाधान के लिए निर्देश दिए गए। इस दौरान मंत्री गंगवा ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि चौटाला जी पांच बार मुख्यमंत्री रहे और हरियाणा ने आज एक कुशल राजनीतिज्ञ खो दिया। उनके निधन से प्रदेश और देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। शम्भू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन पर बयान शम्भू बॉर्डर पर अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत और उनकी मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री गंगवा ने कहा कि हरियाणा में किसानों का कोई मुद्दा नहीं है। एमएसपी पर सबसे ज्यादा फसलें हरियाणा में खरीदी जाती हैं। अगर पंजाब के किसानों को समस्या है तो पंजाब सरकार समाधान करे। भाजपा किसानों के साथ खड़ी है और उनके हित में काम कर रही है। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों को रोके जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। किसी को दिल्ली जाने से नहीं रोका जा रहा, लेकिन पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए सतर्कता बरती जा रही है। सड़क गुणवत्ता और सफेद पट्टी लगाने पर जवाब सड़कें टूटने और सफेद पट्टी न होने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं होगा। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। सफेद पट्टी लगाने का काम जारी है। हमारी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती है, और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। राहुल गांधी पर FIR और कांग्रेस की प्रतिक्रिया राहुल गांधी पर FIR को लेकर मंत्री गंगवा ने कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बौखलाई हुई पार्टी है। संसद सर्वोच्च है, और ऐसी घटनाएं कांग्रेस की हताशा को दर्शाती हैं। इसकी कड़ी निंदा करता हूं। रामचंद्र जांगड़ा के बयान का बचाव राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के किसानों को लेकर दिए गए बयान पर बचाव करते हुए मंत्री ने कहा कि जांगड़ा का बयान पंजाब में बढ़ते नशे की समस्या के संदर्भ में था। किसानों पर नशे का आरोप सही नहीं है। जांगड़ा जी खुद ही स्पष्ट कर सकते हैं कि उनका इरादा क्या था। वन नेशन, वन इलेक्शन पर टिप्पणी मंत्री गंगवा ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फैसले को साहसिक बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला समय की बचत करेगा और विकास कार्यों को गति देगा। इससे चुनावी खर्चों में कटौती होगी और जनता को अधिक लाभ मिलेगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा विधानसभा इलेक्शन से पहले कांग्रेस-BJP की टेंशन:25 MLA लीड नहीं दिला पाए; शहरों में भाजपा हावी, रिजर्व सीटों पर कांग्रेस फेवरेट हरियाणा लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों खासकर भाजपा और कांग्रेस की नजर विधानसभा के नतीजों पर है। प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में से 90 विधानसभा सीटों की समीक्षा की जा रही है। 10 लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाली 90 विधानसभाओं में भाजपा और कांग्रेस लगभग बराबर की स्थिति में नजर आईं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार भाजपा 46 विधानसभाओं में पिछड़ गई है। जबकि कांग्रेस को 44 विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा। अगर यही हाल रहा तो संकेत साफ है कि इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। जानिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी का हाल
बता दें कि राज्य में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी सिर्फ 4 सीटें ही जीत पाई है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं। आप ने 2 सीटों पर लीड ली है। ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं। आप ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि बीजेपी ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं। हरियाणा के शहरों में कांग्रेस की स्थिति नाजुक
हरियाणा में कुल 23 शहरी सीटें हैं, इन सीटों पर कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ गई है। यहां बीजेपी ने 19 और कांग्रेस ने सिर्फ 4 सीटें जीती हैं। वहीं, शहरी ग्रामीण मिश्रित (कस्बों) की 7 सीटों में से बीजेपी ने 3 और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के अलावा अन्य मंत्रियों और विधानसभा उपाध्यक्ष की 16 सीटों में से बीजेपी को 11 पर बढ़त मिली है, जबकि 5 पर वह पीछे रही है। भाजपा के 41 विधायकों में से 13 विधायक अपने क्षेत्र में पार्टी को बढ़त नहीं दिला पाए। वहीं, कांग्रेस के कुल 30 विधायकों में से 12 विधायकों के क्षेत्रों में कांग्रेस को बीजेपी से कम वोट मिले हैं। कुल 90 सीटों में से भाजपा ने 44, कांग्रेस ने 42 और आप ने चार विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है। अब पढ़िए उन विधानसभा सीटों के बारे में जहां से विरोधी दल के उम्मीदवार जीते… इन मंत्रियों-दिग्गजों के गढ़ में पिछड़ी भाजपा
भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल, जगाधरी से कंवर पाल, पिहोवा से संदीप सिंह, कलायत से कमलेश ढांडा, आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि, फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल, कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई। अनिल विज की कैंट सहित 44 पर भाजपा जीती
भाजपा के उम्मीदवार इन 44 विधानसभा सीटों में कालका, पंचकूला, अंबाला छावनी, यमुनानगर, रादौर, लाडवा, थानेसर, कैथल, पुंडरी, इंद्री, नीलोखेड़ी, करनाल, असंध, घरौंडा, समालखा, पानीपत ग्रामीण, पानीपत, इसराना, राई, सोनीपत, गन्नौर, सफीदों, जींद, बरवाला, हिसार, हांसी, भिवानी, तोराम, महेंद्रगढ़, नारनौल, नांगल चौधरी, अटेली, बावल, रेवाड़ी, पटौदी, बादशाहपुर, गुरुग्राम, सोहना, पलवल, तिगांव, बल्लभगढ़, फरीदाबाद, बड़खल, एनआईटी फरीदाबाद में विजयी रहे।