<p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab Farmer News:</strong> पंजाब में सरकार दावा कर रही है कि धान की पराली को आग लगाने की घटनाओं में इस बार काफी कमी आई है. आग लगाने की घटनाएं जो सैटेलाइट के जरिए कैप्चर की गई हैं इसके मुताबिक पंजाब में इस बार 17 नवंबर तक 8404 पराली को आग लगाने की घटनाएं सामने आई हैं. पिछले साल पराली को आग लगाने की कुल 36663 घटनाएं सामने आई थीं. इस हिसाब से पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी दिख रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इस बार यह भी दावा किया जा रहा है कि किसान रात के वक्त धान की पराली को आग लगा रहे हैं ताकि आग लगाने की घटनाएं सैटेलाइट न पकड़ पाए . पर क्या रात के समय पराली को आग लगाने से इन घटनाओं को सैटेलाइट नोटिस नहीं कर पाता है ? क्या किसान सच में ही सैटेलाइट को धोखा देने में कामयाब हो रहे हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>चंडीगढ़ में पीजीआई स्थित स्कूल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल इस बात से सहमति नहीं रखते. उनके मुताबिक जिन सैटेलाइट से पराली को आग लगाने की घटनाएं मॉनिटर की जा रही हैं वो आग लगाने के कुछ घंटे बाद भी उसे डिटेक्ट कर सकता है क्योंकि आग लगाने वाली जगह से गर्मी निकलती रहती है जिसे सैटेलाइट डिटेक्ट करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”पंजाब में इस बार पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है. हालांकि खैवाल के मुताबिक जिन सेटेलाइट्स का डाटा पंजाब सरकार और पीजीआई पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखने के लिए कर रहे हैं वे Geostationary नहीं हैं और वे दोपहर के वक्त पंजाब और हरियाणा के क्षेत्र से गुजरते हैं. इसलिए इन सेटेलाइट्स से जो डाटा मिलता है वो संकेतात्मक होता है और सही जानकारी के लिए Geostationary सैटेलाइट के डाटा से compare करना पड़ेगा.” उन्होंने कहा, “मगर फिर भी किसान बड़े स्तर पर सैटेलाइट को धोखा नहीं दे सकते.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”लुधियाना में स्कूल के बाहर बच्चों और पेरेंट्स का हंगामा, बिना नोटिस 11 टीचरों को हटाने का मामला” href=”https://www.abplive.com/states/punjab/ludhiana-protest-in-mgm-school-punjab-to-firing-11-teachers-without-notice-ann-2825753″ target=”_self”>लुधियाना में स्कूल के बाहर बच्चों और पेरेंट्स का हंगामा, बिना नोटिस 11 टीचरों को हटाने का मामला</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Punjab Farmer News:</strong> पंजाब में सरकार दावा कर रही है कि धान की पराली को आग लगाने की घटनाओं में इस बार काफी कमी आई है. आग लगाने की घटनाएं जो सैटेलाइट के जरिए कैप्चर की गई हैं इसके मुताबिक पंजाब में इस बार 17 नवंबर तक 8404 पराली को आग लगाने की घटनाएं सामने आई हैं. पिछले साल पराली को आग लगाने की कुल 36663 घटनाएं सामने आई थीं. इस हिसाब से पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी दिख रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि इस बार यह भी दावा किया जा रहा है कि किसान रात के वक्त धान की पराली को आग लगा रहे हैं ताकि आग लगाने की घटनाएं सैटेलाइट न पकड़ पाए . पर क्या रात के समय पराली को आग लगाने से इन घटनाओं को सैटेलाइट नोटिस नहीं कर पाता है ? क्या किसान सच में ही सैटेलाइट को धोखा देने में कामयाब हो रहे हैं?</p>
<p style=”text-align: justify;”>चंडीगढ़ में पीजीआई स्थित स्कूल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल इस बात से सहमति नहीं रखते. उनके मुताबिक जिन सैटेलाइट से पराली को आग लगाने की घटनाएं मॉनिटर की जा रही हैं वो आग लगाने के कुछ घंटे बाद भी उसे डिटेक्ट कर सकता है क्योंकि आग लगाने वाली जगह से गर्मी निकलती रहती है जिसे सैटेलाइट डिटेक्ट करता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”पंजाब में इस बार पराली को आग लगाने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है. हालांकि खैवाल के मुताबिक जिन सेटेलाइट्स का डाटा पंजाब सरकार और पीजीआई पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखने के लिए कर रहे हैं वे Geostationary नहीं हैं और वे दोपहर के वक्त पंजाब और हरियाणा के क्षेत्र से गुजरते हैं. इसलिए इन सेटेलाइट्स से जो डाटा मिलता है वो संकेतात्मक होता है और सही जानकारी के लिए Geostationary सैटेलाइट के डाटा से compare करना पड़ेगा.” उन्होंने कहा, “मगर फिर भी किसान बड़े स्तर पर सैटेलाइट को धोखा नहीं दे सकते.” </p>
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