<p style=”text-align: justify;”><strong>Ghazipur News:</strong> गाजीपुर के महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज ने किडनी के रोग से पीड़ित मरीजों के लिए एक अनोखी और सराहनीय पहल की है. डायलिसिस कराने वाले मरीजों को हर हफ्ते कई बार 4 से 5 घंटे तक मशीन से जुड़कर ब्लड का डायलसिस कराना पड़ता है. यह समय उनके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इस दौरान उनके दिमाग में कई तरह की बातें आती हैं जिससे मरीज इस दौरान मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं और उन्हें चिंता, डर और अकेलापन घेर लेता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसी ही एक घटना ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को एक नई सोच अपनाने पर मजबूर कर दिया. कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आनंद मिश्राने बताया कि कुछ दिन पहले एक 18 साल का युवक डायलिसिस कराने आया था. इलाज के दौरान उसने कहा, “सर, हम नहीं जानते कि हम कब तक जिंदा रहेंगे. ये चार घंटे बहुत भारी लगते हैं. हम लोग बहुत निराश हो जाते हैं.” इस बात ने डॉक्टरों और कॉलेज प्रशासन को झकझोर दिया और इस वक्त प्रिंसिपल ने डायलिसिस यूनिट के मरीजों के लिए कुछ करने की सोची और करीब डेढ़ महीने के बाद उसे सोच को अमली रूप में लाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूनिट में लगाई गई दो बड़े टीवी</strong><br />अब डायलिसिस सेंटर म्यूजिक और कार्टून की आवाजों से हमेशा गुजता रहता है. इसके बाद मेडिकल कॉलेज ने तय किया कि डायलिसिस यूनिट में कुछ ऐसा किया जाए जिससे मरीजों का ध्यान उनके दर्द और तकलीफ से हट सके. इसके लिए यूनिट में दो बड़े टीवी लगाए गए हैं, जिनमें म्यूजिक, कार्टून और देश-दुनिया की खबरें दिखाई जाती हैं. अब मरीज इलाज के दौरान टीवी पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखते हैं, जिससे उनका ध्यान बंटता है और इलाज का समय कब निकल जाता है उन्हें पता भी नहीं चल रहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-agra-action-on-illegal-auto-and-e-rickshaw-and-941-vehicles-challaned-with-in-3-days-ann-2919329″><strong>यूपी के इस जिले में अवैध ऑटो और ई-रिक्शा पर एक्शन, 3 दिन के अंदर 941 वाहनों के हुए चालान</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पहल से मरीजों की मानसिक स्थिति में काफी सुधार देखने को मिल रहा है. पहले जहां मरीज चुपचाप लेटे रहते थे और मायूस रहते थे, अब वे मुस्कुराते हुए टीवी देखते हैं और डॉक्टरों से बातें भी करते हैं. यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि उनकी रिकवरी में भी मदद कर रहा है. मेडिकल कॉलेज की यह पहल न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि अन्य जिलों के अस्पतालों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है. इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि मानसिक सुख और सकारात्मक माहौल से भी होता है</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि गाजीपुर में मौजूदा समय में 30 मरीज का प्रतिदिन डायलिसिस की सुविधा है जो आगे बढ़कर 45 मरीजों की करने की क्षमता वाली मशीन लग चुके हैं. बस उसका संचालन बाकी है वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन का यह प्रयास है कि इसे बढ़ाकर आने वाले दिनों में 75 मरीज प्रतिदिन किया जाए.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ghazipur News:</strong> गाजीपुर के महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज ने किडनी के रोग से पीड़ित मरीजों के लिए एक अनोखी और सराहनीय पहल की है. डायलिसिस कराने वाले मरीजों को हर हफ्ते कई बार 4 से 5 घंटे तक मशीन से जुड़कर ब्लड का डायलसिस कराना पड़ता है. यह समय उनके लिए मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत ही कठिन होता है क्योंकि इस दौरान उनके दिमाग में कई तरह की बातें आती हैं जिससे मरीज इस दौरान मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं और उन्हें चिंता, डर और अकेलापन घेर लेता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐसी ही एक घटना ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को एक नई सोच अपनाने पर मजबूर कर दिया. कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आनंद मिश्राने बताया कि कुछ दिन पहले एक 18 साल का युवक डायलिसिस कराने आया था. इलाज के दौरान उसने कहा, “सर, हम नहीं जानते कि हम कब तक जिंदा रहेंगे. ये चार घंटे बहुत भारी लगते हैं. हम लोग बहुत निराश हो जाते हैं.” इस बात ने डॉक्टरों और कॉलेज प्रशासन को झकझोर दिया और इस वक्त प्रिंसिपल ने डायलिसिस यूनिट के मरीजों के लिए कुछ करने की सोची और करीब डेढ़ महीने के बाद उसे सोच को अमली रूप में लाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूनिट में लगाई गई दो बड़े टीवी</strong><br />अब डायलिसिस सेंटर म्यूजिक और कार्टून की आवाजों से हमेशा गुजता रहता है. इसके बाद मेडिकल कॉलेज ने तय किया कि डायलिसिस यूनिट में कुछ ऐसा किया जाए जिससे मरीजों का ध्यान उनके दर्द और तकलीफ से हट सके. इसके लिए यूनिट में दो बड़े टीवी लगाए गए हैं, जिनमें म्यूजिक, कार्टून और देश-दुनिया की खबरें दिखाई जाती हैं. अब मरीज इलाज के दौरान टीवी पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखते हैं, जिससे उनका ध्यान बंटता है और इलाज का समय कब निकल जाता है उन्हें पता भी नहीं चल रहा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-agra-action-on-illegal-auto-and-e-rickshaw-and-941-vehicles-challaned-with-in-3-days-ann-2919329″><strong>यूपी के इस जिले में अवैध ऑटो और ई-रिक्शा पर एक्शन, 3 दिन के अंदर 941 वाहनों के हुए चालान</strong></a></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पहल से मरीजों की मानसिक स्थिति में काफी सुधार देखने को मिल रहा है. पहले जहां मरीज चुपचाप लेटे रहते थे और मायूस रहते थे, अब वे मुस्कुराते हुए टीवी देखते हैं और डॉक्टरों से बातें भी करते हैं. यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि उनकी रिकवरी में भी मदद कर रहा है. मेडिकल कॉलेज की यह पहल न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि अन्य जिलों के अस्पतालों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है. इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि मानसिक सुख और सकारात्मक माहौल से भी होता है</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि गाजीपुर में मौजूदा समय में 30 मरीज का प्रतिदिन डायलिसिस की सुविधा है जो आगे बढ़कर 45 मरीजों की करने की क्षमता वाली मशीन लग चुके हैं. बस उसका संचालन बाकी है वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन का यह प्रयास है कि इसे बढ़ाकर आने वाले दिनों में 75 मरीज प्रतिदिन किया जाए.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड 26 साल पुराने मिलावटी दूध के मामले में कोर्ट ने दूधवाले को दी 3 साल की सजा, जानें पूरा मामला
गाजीपुर मेडिकल कॉलेज की पहल, डायलिसिस मरीजों की परेशानी कम करने के लिए लगा दी TV
