गोरखपुर में एक होटल मैनेजर की सरेआम चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई। शनिवार शाम तुर्कमानपुर कब्रिस्तान वाली गली में एक हिस्ट्रीशीटर ने अपने साथी के साथ मैनेजर को दौड़ाया। फिर चाकू से सीने और गले पर कई वार किए। पुलिस को राहगीरों ने ही फोन करके जानकारी दी। हत्या के बाद जब पुलिस पहुंची, तब तक हिस्ट्रीशीटर और उसका साथी मौके पर रहे। पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। सामने आया कि होटल मैनेजर से रुपयों के लेनदेन का विवाद था। पुलिस ने क्राइम सीन को सील करके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। अब सिलसिलेवार पूरा घटनाक्रम पढ़िए… उस्मानपुर के राजघाट इलाके में रहने वाले अजीम (40) विजय चौक खोवा मंडी गली स्थित होटल सन प्लाजा में बतौर मैनेजर काम करता था। परिवार के लोगों के मुताबिक, अजीम का तुर्कमानपुर के कबाड़ी शमशेर उर्फ़ गुड्डू से पैसों के लेन-देन को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था। शनिवार की शाम करीब 5.30 बजे अजीम अपने घर से निकलकर होटल जा रहा था। तभी गुड्डू कबाड़ी और मोहम्मद तारिक ने उसे रोक लिया। दोनों में पहले कहा-सुनी हुई और फिर मारपीट होने लगी। आरोप है कि इतने में गुड्डू कबाड़ी और मोहम्मद तारिक ने अजीम पर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिया। गर्दन और सीने पर कई घाव होने से अजीम वहीं गिर पड़ा। इसके बाद भी दोनों हमलावर उसपर चाकुओं से वार करते रहे। जब तक कि वह मर नहीं गया। लहुलूहान हालत में होने के बाद गुड्डू कबाड़ी मौके से भागा नहीं। लोगों से इस दौरान तक पुलिस को फोन कर दिया था। गुड्डू कबाड़ी हिस्ट्रीशीटर, पुलिस के सामने किया सरेंडर पुलिस के पहुंचने पर उसने बेखौफ होकर सरेंडर कर दिया। बता दें कि हमलावर पहले से राजघाट थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। यही वजह है कि जब बाइक से दो पुलिस वाले वहां पहुंचे तो हमलावारों ने बड़े आराम से खुद को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। फिलहाल पुलिस दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। SP सिटी कृष्णा बिश्नोई ने बताया- दो आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। शुरूआती जांच में रुपयों के लेनदेन का विवाद सामने आया है। परिवार के लोग जो भी तहरीर देंगे, उसके आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। गोरखपुर में एक होटल मैनेजर की सरेआम चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई। शनिवार शाम तुर्कमानपुर कब्रिस्तान वाली गली में एक हिस्ट्रीशीटर ने अपने साथी के साथ मैनेजर को दौड़ाया। फिर चाकू से सीने और गले पर कई वार किए। पुलिस को राहगीरों ने ही फोन करके जानकारी दी। हत्या के बाद जब पुलिस पहुंची, तब तक हिस्ट्रीशीटर और उसका साथी मौके पर रहे। पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। सामने आया कि होटल मैनेजर से रुपयों के लेनदेन का विवाद था। पुलिस ने क्राइम सीन को सील करके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। अब सिलसिलेवार पूरा घटनाक्रम पढ़िए… उस्मानपुर के राजघाट इलाके में रहने वाले अजीम (40) विजय चौक खोवा मंडी गली स्थित होटल सन प्लाजा में बतौर मैनेजर काम करता था। परिवार के लोगों के मुताबिक, अजीम का तुर्कमानपुर के कबाड़ी शमशेर उर्फ़ गुड्डू से पैसों के लेन-देन को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा था। शनिवार की शाम करीब 5.30 बजे अजीम अपने घर से निकलकर होटल जा रहा था। तभी गुड्डू कबाड़ी और मोहम्मद तारिक ने उसे रोक लिया। दोनों में पहले कहा-सुनी हुई और फिर मारपीट होने लगी। आरोप है कि इतने में गुड्डू कबाड़ी और मोहम्मद तारिक ने अजीम पर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर दिया। गर्दन और सीने पर कई घाव होने से अजीम वहीं गिर पड़ा। इसके बाद भी दोनों हमलावर उसपर चाकुओं से वार करते रहे। जब तक कि वह मर नहीं गया। लहुलूहान हालत में होने के बाद गुड्डू कबाड़ी मौके से भागा नहीं। लोगों से इस दौरान तक पुलिस को फोन कर दिया था। गुड्डू कबाड़ी हिस्ट्रीशीटर, पुलिस के सामने किया सरेंडर पुलिस के पहुंचने पर उसने बेखौफ होकर सरेंडर कर दिया। बता दें कि हमलावर पहले से राजघाट थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। यही वजह है कि जब बाइक से दो पुलिस वाले वहां पहुंचे तो हमलावारों ने बड़े आराम से खुद को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। फिलहाल पुलिस दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। SP सिटी कृष्णा बिश्नोई ने बताया- दो आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। शुरूआती जांच में रुपयों के लेनदेन का विवाद सामने आया है। परिवार के लोग जो भी तहरीर देंगे, उसके आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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उत्तर प्रदेश की 13 नदियों का हाल:वाराणसी में गंगा का पानी आचमन लायक नहीं, गोमती का पशुओं के लिए भी जहरीला
उत्तर प्रदेश की 13 नदियों का हाल:वाराणसी में गंगा का पानी आचमन लायक नहीं, गोमती का पशुओं के लिए भी जहरीला उत्तर प्रदेश, जो 31 नदियों का घर है। या यूं कहें कि नदियां प्रदेश की जीवन रेखा हैं। इनके किनारों पर जन्म से मृत्यु तक के संस्कार होते हैं। रीति-रिवाजों से जुड़ी इन नदियों में ज्यादातर की हालत दयनीय है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट बताती है, ये नदियां अब जीवनदायिनी न होकर बीमारियां बांट रही हैं। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नदियों को स्वच्छता के आधार पर 5 कैटेगरी में बांटा है। इसमें कैटेगरी A, B, C, D और E हैं। किसी नदी का पानी अगर A कैटेगरी में है, तो इसका मतलब है कि बिना किसी तरह के प्यूरिफिकेशन के पिया जा सकता है। अगर B कैटेगरी है, तो सिर्फ नहाया जा सकता है। C में है तो प्यूरिफाई करके पिया जा सकता है। सबसे खराब कैटेगरी D और फिर E है। उत्तर प्रदेश की प्रमुख जीवनदायिनी नदियों का क्या हाल है? क्या पूरे प्रदेश में इन नदियों का पानी इस्तेमाल करने लायक बचा है? नदियों की स्वच्छता के लिए क्या किया जा रहा है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट कानपुर में गंगा का पानी न पीने लायक, न नहाने लायक
कानपुर, कन्नौज, मिर्जापुर, सोनभद्र, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया…ये वो शहर हैं, जहां गंगा का पानी इस्तेमाल करने लायक नहीं है। न तो पीने के लिहाज से सही है और न ही इससे नहाया जा सकता है। इस साल फरवरी में यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इसको लेकर रिपोर्ट दी है। इसमें प्रदेश की कुल 13 नदियों को शामिल किया गया। सबसे ज्यादा 40 नमूने गंगा नदी के हैं। कानपुर में नानामऊ गंगा ब्रिज, भैरव घाट, डी एस शुक्ला गंज, गोला घाट, जाजमऊ ब्रिज, जाना गांव और पुराना राजापुर जैसे स्पॉट हैं। यहां पानी इंसानों के पीने और नहाने लायक नहीं है। इसी तरह वाराणसी में गोमती नदी में मिलने से पहले भुसावल और जमनिया गंगा ब्रिज का पानी न आचमन करने लायक है, न ही नहाने लायक। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के प्रोफेसर डॉ. बीडी त्रिपाठी ने गंगा नदी पर रिसर्च किया है। वह कहते हैं, जिस पानी में मानक से ज्यादा डिजॉल्व ऑक्सीजन और बैक्टीरिया होंगे वो किसी इस्तेमाल के लायक नहीं रहेगा। अगर बैक्टीरिया रहित पानी शरीर में गया, तो बीमारी पैदा करेगा। प्रोफेसर त्रिपाठी सरकार की रिपोर्ट को लेकर कहते हैं- पूरी गंगा ही D या E कैटेगरी में है, ऐसा नहीं है। जिन जगहों से ये सैंपल लिए गए हैं, वहां गंदगी ज्यादा है। मथुरा के शाहपुरा में यमुना का पानी सबसे खराब
यमुना नदी का हाल भी गंगा की तरह बेहाल है। बोर्ड ने प्रदेश में कुल 14 जगहों से नमूने लिए। हाल ये है कि सभी जगहों पर पानी इस्तेमाल लायक नहीं बचा है। नदियों के पानी में फीकॉल कोलीफार्म नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है। सामान्य स्थिति में यह एक मिलीलीटर में 100 बैक्टीरिया होना चाहिए। लेकिन इन जगहों पर यह 6 हजार से शुरू होकर 49 हजार तक है। सबसे ज्यादा मथुरा के शाहपुरा में यह 49 हजार है। वहीं, वृंदावन के केसीघाट पर यह 27 हजार है। आगरा, इटावा, मथुरा, हमीरपुर इन सभी जगहों पर यमुना नदी का पानी D कैटेगरी में है। यानी इन सभी शहरों में यमुना का पानी इंसानों के इस्तेमाल लायक नहीं बचा है। हालांकि, प्रयागराज में नदी के हालात कुछ बेहतर हैं। यहां पानी निर्धारित मानक के मुताबिक C कैटेगरी में है। यानी इस पानी को इस्तेमाल तो किया जा सकता है लेकिन ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्ट करने के बाद। लखनऊ में गोमती नदी के पानी में बैक्टीरिया का मानक 100 की जगह 79 हजार
मोहन मीकिन और पिपराघाट ये लखनऊ में उन दो जगहों के नाम हैं, जो शहर में गोमती नदी के हाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करता है। इन दो जगहों से कलेक्ट सैंपल के जांच से पता चलता है, लखनऊ में गोमती नदी E कैटेगरी में है। यानी इंसान तो क्या जानवरों तक के लिए यह पानी जहर जैसा है। पिपराघाट में गोमती नदी के सैंपल में बैक्टीरिया का मानक 79 हजार है। जबकि यह एक मिलीलीटर में यह सिर्फ 100 होना चाहिए। प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी कहते हैं- अगर पानी में मानक से ऊपर बैक्टीरिया है और वो इंसानों के इस्तेमाल में है, तो यह त्वचा रोग की वजह बन सकता है। लखनऊ में सिर्फ गऊघाट ऐसा है, जहां पानी C कैटेगरी में है। यानी यहां के पानी का इस्तेमाल तो कर सकते हैं, लेकिन बिना ट्रीटमेंट के नहीं। इसमें भी गऊघाट डाउनस्ट्रीम यानी उल्टी धारा में कैटेगरी D है। बाराबंकी, सुल्तानपुर जौनपुर और वाराणसी तक के रास्ते में भी गोमती नदी का हाल लखनऊ जैसा ही है। वाराणसी में गंगा नदी में मिलने से पहले रजवारी तक नदी का पानी D कैटेगरी में है। काली नदी बन चुकी है कैंसर जैसी घातक बीमारी का घर
अगस्त, 2023 में भाजपा के राज्यसभा सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में काली नदी समेत हिंडन और यमुना नदी कई गांवों में कैंसर जैसी बीमारी की वजह बन रही है। उनका कहना था कि कोली नदी में जहां-जहां सैंपल लिया गया वहां के पानी में ऑक्सीजन लेवल जीरो पाया गया। यह पीने लायक तो छोड़िए, सिंचाई के लायक भी नहीं है। विजय पाल सिंह तोमर के इस बयान की पुष्टि खुद उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट ने की है। मेरठ से लेकर कन्नौज, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर में नदियों का यही हाल है। इन जगहों पर काली नदी D और E कैटेगरी में है। यानी ये पानी सिंचाई के काम भी नहीं आ सकता। वरुणा, घाघरा, सरयू, राप्ती नदियों की बात करें तो सैंपल कलेक्शन की जगहों पर पानी D कैटेगरी का है। जहां फीकॉल कोलीफार्म बैक्टीरिया एक मिलीलीटर में 100 बैक्टीरिया होना चाहिए, वहां संख्या हजारों में है। हिंडन नदी का पानी जानवरों के इस्तेमाल लायक भी नहीं
हिंडन नदी से कुल 13 सैंपल लिए गए। इसमें सहारनपुर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा जैसे जिले शामिल हैं। हिंडन नदी के ये सभी सबसे खराब कैटेगरी E में आते हैं। यानी यह पानी जानवरों के लिए इस्तेमाल लायक भी नहीं बचा है। इसमें घुले बैक्टीरिया और केमिकल्स की रिपोर्ट पर प्रोफेसर त्रिपाठी कहते हैं कि यह सीवर की कैटेगरी में आता है। सहारनपुर जिले सहित महेशपुर डाउनस्ट्रीम में हिंडन नदी का यही हाल है। कुछ ऐसा ही हाल मेरठ में बरनावा डाउनस्ट्रीम और अपस्ट्रीम में है। यहां फीकॉन कोलीफार्म बैक्टीरिया एक मिलीलीटर पानी में 1 लाख 30 हजार पाए गए। यानी बरनावा में नदी की धारा जिस तरफ बह रही है, वहां और उसके विपरीत दिशा दोनों ही ओर पानी सबसे दूषित है। हिंडन नदी का कुछ यही हाल दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी है। यहां करहेडा, रोडब्रिज, छिजारसी के पास से लिए गए सैंपल में पानी सबसे खराब हालत में है। गंगा और सहयोगी नदियों को साफ करने के लिए नमामि गंगे परियोजना 2026 तक बढ़ी
बात सबसे पहले नमामि गंगे योजना की। साल 2014 में जून महीने में इसे लॉन्च किया गया। इसमें गंगा और उसकी सहयोगी नदियों को साफ करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक का समय तय किया गया। उत्तर प्रदेश में गंगा की सहयोगी नदियों में यमुना, घाघरा, रामगंगा, काली, सोन, गंडक, केन, बेतवा जैसी नदियां शामिल हैं। साल 2023 में इस योजना की तिथि बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 कर दिया गया है। इसमें साल 2014 से 2024 तक यानी एक दशक में केंद्र सरकार इसके लिए 16,011 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है। इन सब प्रयासों के बावजूद हर महीने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट इसकी गवाह हैं कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। गंगा में प्रदूषण के लिए खुला सीवेज और इंडस्ट्रियल वेस्ट जिम्मेदार
कानपुर का चमड़ा उद्योग गंगा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बताया जाता है। चमड़ा बनाने वाली फैक्ट्रियों से केमिकल वेस्ट किसी न किसी रास्ते गंगा नदी में पहुंचता है। पिछले कुछ सालों में नमामि गंगे परियोजना के तहत फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को ट्रीटमेंट के बाद गंगा में गिराने की कवायदें की गई हैं। वासाणसी में गंगा आस्था का प्रतीक है। इसके बावजूद शहर का सीवेज, आसपास की फैक्ट्रियों का वेस्ट और पूजा-पाठ सामग्री सीधे गंगा में जाता रहा है। 2014 के बाद नमामि गंगे परियोजना के तहत यहां रामनगर, दीनापुर और भगवानपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का भी निर्माण किया गया है। इस साल तक गंगा में बाई तरफ से गिरने वाले 23 नालों में से 22 बंद किए जा चुके हैं। लेकिन शहर जितनी गंदगी पैदा करता है, उसकी तुलना में बचाव परियोजना नाकाफी साबित हो रही है। यहां नमामि गंगे के तहत 12 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। फिलहाल 5 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
होशियारपुर में कैबिनेट मंत्री ने लगाया जनता दरबार:ब्रह्म शंकर जिंपा ने सुनी जनसमस्याएं, आई 500 से शिकायत, सबसे ज्यादा बिजली-पानी को लेकर
होशियारपुर में कैबिनेट मंत्री ने लगाया जनता दरबार:ब्रह्म शंकर जिंपा ने सुनी जनसमस्याएं, आई 500 से शिकायत, सबसे ज्यादा बिजली-पानी को लेकर होशियारपुर में कैबिनेट मंत्री ब्रह्म शंकर जिंपा ने आज अपने कार्यालय जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं को सुना। इस दौरान उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को तत्काल समस्या के समाधान के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार लोगों के कल्याण के लिए कोई कमी नहीं छोड़ रही है और हर योग्य लाभार्थी तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री ब्रह्म शंकर जिंपा ने अपने कार्यालय में 500 से ज्यादा लोगों की समस्याओं को सुना। इस मौके पर पुलिस, राजस्व, स्वास्थ्य, शिक्षा, वाटर सप्लाई, सेनीटेशन, सामाजिक सुरक्षा, खाद्य और आपूर्ति, ड्रेनेज, माइनिंग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, कृषि, परिवहन, सहकारी, नगर निगम, डेयरी विकास, बिजली विभाग आदि से संबंधित शिकायतों का मौके पर ही हल किया गया। लोगों को बिना परेशानी मिल रही सेवाएं : जिंपा ब्रह्म शंकर जिंपा ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में अब लोगों को बिना किसी परेशानी के सेवाएं मिल रही है और लोगों का सरकार के प्रति विश्वास और ज्यादा मजबूत हुआ है। उन्होंने कह कि वे अपने कार्यालय में जहां लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों पर ही जिला प्रशासन की ओर से भी ’आप दी सरकार- आप दे दुआर’ अभियान के अंतर्गत गांवों में पहुंच कर लोगों की समस्याओं का निपटारा किया जा रहा है। इस दौरान उनके साथ डी.एस.पी. अमरनाथ, वरिंदर शर्मा बिंदू, वरिंदर वैद और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ फरवरी में रिलीज होगी:जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर अधारित, मानवाधिकार कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में हुई थी मौत
दिलजीत की फिल्म ‘पंजाब-95’ फरवरी में रिलीज होगी:जसवंत खालड़ा के संघर्ष पर अधारित, मानवाधिकार कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में हुई थी मौत पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ ने अपनी नई चर्चित फिल्म “पंजाब-95” की रिलीज का ऐलान कर दिया है। यह फिल्म फरवरी 2025 में रिलीज होगी। इस बात की जानकारी खुद दिलजीत दोसांझ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दी है। हालांकि यह फिल्म फरवरी में किस तारीख को रिलीज होगी, इसकी जानकारी अभी उनकी तरफ से नहीं दी गई है। फिल्म मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है और आतंकवाद के दौर को दर्शाती है। फैंस में फिल्म को लेकर काफी उत्साह दिलजीत दोसांझ इस फिल्म में जसवंत सिंह खालड़ा का किरदार निभा रहे हैं, जो उनके करियर की सबसे अहम भूमिकाओं में से एक मानी जा रही है। दिलजीत ने हाल ही में फिल्म से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं, जिसके साथ उन्होंने लिखा- मैं अंधेरे को चुनौती देता हूं। यह कैप्शन सरदार खालरा के जीवन और सच्चाई के लिए की गई उनकी लड़ाई को बखूबी दर्शाता है। फिल्म की रिलीज को प्राथमिकता देते हुए दिलजीत ने अपने अपकमिंग म्यूजिक एल्बम की रिलीज को फिलहाल टाल दिया है। इस घोषणा के बाद फैंस में फिल्म को लेकर काफी उत्साह है। आतंकवाद के दौर में सिखों पर हुए अत्याचार को उजागर किया जसवंत सिंह खालड़ा एक साहसी और समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक के दौरान पंजाब में सिखों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने खुलासा किया कि उस दौर में हजारों सिख युवाओं को अवैध हिरासत में लिया गया, फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया और उनके शवों का गुप्त अंतिम संस्कार कर दिया गया। श्मशान घाटों का दौरा कर जुटाई जानकारियां खालड़ा ने पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा की जा रही इन गुमशुदगी और हत्याओं को उजागर किया था। उन्होंने उस समय में अमृतसर के श्मशान घाटों का दौरा कर यह जानकारी जुटाई कि वहां 6,000 से अधिक शवों का गुप्त रूप से अंतिम संस्कार किया गया था। यह जानकारी उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी साझा की, जिससे भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल खड़े हुए। 1995 में हुई थी हत्या खालड़ा को सिखों के हकों के लिए लड़ने का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा था। परिवार का आरोप है कि 6 सितंबर 1995 को पुलिस ने खालड़ा का उनके घर से अपहरण कर लिया। इसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जिसके बाद, जसवंत की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दी और कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था।