<p style=”text-align: justify;”><strong>High Court News:</strong> बंबई हाईकोर्ट से छत्तीसगढ़ की छात्रा को बड़ी राहत मिली है. अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय को छात्रा को जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए आरक्षित अतिरिक्त कोटे के तहत प्रवेश देने का आदेश दिया. छात्रा दुर्घटना के कारण प्रवेश पाने में असफल रही थी. सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंस (सीईबीएस) की ‘काउंसलिंग’ में शामिल नहीं हो पाने पर छात्रा को दाखिला नहीं मिल सका था. याचिका में कहा गया था कि छात्रा दुर्घटना के कारण चलने में असमर्थ थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 12 सितंबर को आदेश पारित किया. उन्होंने आदेश में कहा कि लाम्या खुर्शीद सिद्दीकी का शैक्षणिक इतिहास उत्कृष्ट है. उसने पाठ्यक्रम के लिए आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में 98 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. अदालत ने कहा, ‘‘हम नहीं मानते कि किसी असाधारण स्थिति में ऐसी सत्यापन प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थता के कारण किसी प्रतिभाशाली छात्र की शैक्षणिक संभावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचने दिया जाना चाहिए.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>छत्तीसगढ़ की छात्रा को हाईकोर्ट से राहत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 12वीं कक्षा की परीक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर (एनआईएसईआर) और सीईबीएस संचालित पांच वर्षीय एकीकृत मास्टर ऑफ साइंस पाठ्यक्रम में प्रवेश को राष्ट्रीय प्रवेश स्क्रीनिंग परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था. उसने राष्ट्रीय स्तर पर 491वीं रैंक हासिल की, जिससे वह पाठ्यक्रम के लिए योग्य हो गई. याचिकाकर्ता को एनआईएसईआर में प्रवेश नहीं मिल सका. अगस्त में, उसे सीईबीएस से एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें उसे ‘काउंसलिंग’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसे याचिकाकर्ता ने स्वीकार कर लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुंबई विश्वविद्यालय में मिलेगा एडमिशन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, निर्धारित ‘काउंसलिंग’ से दो दिन पहले याचिकाकर्ता एक दुर्घटना का शिकार होकर चलने में असमर्थ हो गई. छात्रा ने एक सप्ताह बाद जब प्रवेश प्रक्रिया जारी थी, तब सीईबीएस को पत्र लिखकर वैकल्पिक ‘काउंसलिंग’ सत्र की मांग की. लेकिन सीईबीएस ने अनुरोध अस्वीकार कर दिया. याचिका में छात्रा ने सीईबीएस को उसके प्रवेश आवेदन पर पुनर्विचार करने के निर्देश देने की अपील की, खासकर इसलिए क्यूंकि उनसे कम रैंक वाले छात्रों को भी प्रवेश दे दिया गया है. सीईबीएस ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए निर्धारित अतिरिक्त कोटे के तहत केवल दो सीटें रिक्त रह गई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संस्थान ने कहा कि याचिकाकर्ता को इन दो सीटों में से किसी एक पर स्थान देने से उन अन्य छात्रों के प्रति पूर्वाग्रह पैदा होगा, जिन्होंने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है. पीठ ने कहा कि कानून आलसी लोगों की रक्षा नहीं करता, बल्कि सतर्क लोगों की रक्षा करता है. कहा गया कि याचिकाकर्ता मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के अपने अधिकार के प्रति सचेत है. अदालत ने सीईबीएस को याचिकाकर्ता को प्रवेश देने और सभी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं शीघ्रता से पूरी करने का निर्देश दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”कवर्धा में बड़ा बवाल, पत्थरबाजी के बाद आगजनी में एक मौत, 40 लोग पुलिस हिरासत में” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/kawardha-murder-by-stone-pelting-and-arson-loharidih-village-many-accused-in-police-custody-2784318″ target=”_self”>कवर्धा में बड़ा बवाल, पत्थरबाजी के बाद आगजनी में एक मौत, 40 लोग पुलिस हिरासत में</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 12 सितंबर को आदेश पारित किया. उन्होंने आदेश में कहा कि लाम्या खुर्शीद सिद्दीकी का शैक्षणिक इतिहास उत्कृष्ट है. उसने पाठ्यक्रम के लिए आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा में 98 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे. अदालत ने कहा, ‘‘हम नहीं मानते कि किसी असाधारण स्थिति में ऐसी सत्यापन प्रक्रिया में भाग लेने में असमर्थता के कारण किसी प्रतिभाशाली छात्र की शैक्षणिक संभावनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचने दिया जाना चाहिए.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>छत्तीसगढ़ की छात्रा को हाईकोर्ट से राहत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 12वीं कक्षा की परीक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, भुवनेश्वर (एनआईएसईआर) और सीईबीएस संचालित पांच वर्षीय एकीकृत मास्टर ऑफ साइंस पाठ्यक्रम में प्रवेश को राष्ट्रीय प्रवेश स्क्रीनिंग परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था. उसने राष्ट्रीय स्तर पर 491वीं रैंक हासिल की, जिससे वह पाठ्यक्रम के लिए योग्य हो गई. याचिकाकर्ता को एनआईएसईआर में प्रवेश नहीं मिल सका. अगस्त में, उसे सीईबीएस से एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें उसे ‘काउंसलिंग’ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसे याचिकाकर्ता ने स्वीकार कर लिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुंबई विश्वविद्यालय में मिलेगा एडमिशन</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, निर्धारित ‘काउंसलिंग’ से दो दिन पहले याचिकाकर्ता एक दुर्घटना का शिकार होकर चलने में असमर्थ हो गई. छात्रा ने एक सप्ताह बाद जब प्रवेश प्रक्रिया जारी थी, तब सीईबीएस को पत्र लिखकर वैकल्पिक ‘काउंसलिंग’ सत्र की मांग की. लेकिन सीईबीएस ने अनुरोध अस्वीकार कर दिया. याचिका में छात्रा ने सीईबीएस को उसके प्रवेश आवेदन पर पुनर्विचार करने के निर्देश देने की अपील की, खासकर इसलिए क्यूंकि उनसे कम रैंक वाले छात्रों को भी प्रवेश दे दिया गया है. सीईबीएस ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और जम्मू कश्मीर के छात्रों के लिए निर्धारित अतिरिक्त कोटे के तहत केवल दो सीटें रिक्त रह गई हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>संस्थान ने कहा कि याचिकाकर्ता को इन दो सीटों में से किसी एक पर स्थान देने से उन अन्य छात्रों के प्रति पूर्वाग्रह पैदा होगा, जिन्होंने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है. पीठ ने कहा कि कानून आलसी लोगों की रक्षा नहीं करता, बल्कि सतर्क लोगों की रक्षा करता है. कहा गया कि याचिकाकर्ता मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के अपने अधिकार के प्रति सचेत है. अदालत ने सीईबीएस को याचिकाकर्ता को प्रवेश देने और सभी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं शीघ्रता से पूरी करने का निर्देश दिया. </p>
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