पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब के नव-नियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी पर पूर्व जत्थेदार और श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जब किसी जत्थेदार की ताजपोशी अनुशासन और मर्यादा के अनुसार नहीं होती, तो पंथ में रोष उठना स्वाभाविक है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में हुई ताजपोशी को लेकर देश-विदेश से लोग फोन करके सवाल पूछ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से कोई टिप्पणी करने से मना किया है, क्योंकि वह नहीं चाहते कि इस मामले पर कोई विवाद पैदा हो। ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि जब किसी जत्थेदार की नियुक्ति होती है, तो इस प्रक्रिया को बहुत सम्मान और मर्यादा के साथ किया जाता है। पहले मीडिया में इसकी सूचना दी जाती है और बाद में यह सूचना विभिन्न जत्थेबंदियों, टकसालों, संप्रदायों और संत महापुरुषों को भेजी जाती है। जानें क्या है ताजपोशी की मर्यादा ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि गुरु की हाजरी में गुरमत समागम होता है, फिर पहुंची प्रमुख शख्सियतें स्पीकर पर बोलती हैं और गुरु चरणों में अरदास की जाती है, हुकमनामा पढ़ा जाता है, कड़ा प्रसाद की देग की जाती है, फिर श्री अकाल तखत साहिब पर जत्थेदार की ताजपोशी का समागम होता है। ताजपोशी के समय श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी, श्री अकाल तखत साहिब की फसील से जत्थेदारी देने का माइक से ऐलान करते हैं और संगत की ओर से जैकारे लगाकर उसकी मंजूरी दी जाती है। फिर श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी पहले दस्तार पहनाते हैं, और इसके बाद वहां पहुंची हुई संगत भी दस्तार पहनाती हैं, फिर श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार की ताजपोशी होती है। श्री अकाल तखत साहिब से ही तखत श्री केसगढ़ साहिब और तखत श्री दमदमा साहिब के जत्थेदारों का ऐलान भी श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार द्वारा किया जाता है। उसका जो मता होता है, वह जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ही पढ़कर सुनाते हैं। जो पिछले दो दिनों में हुआ है, उससे संगत के मन को भी ठेस पहुंची है। पारंपरिक रूप से होती है ताजपोशी उन्होंने यह भी कहा कि ताजपोशी से पहले यह पूरी प्रक्रिया पारंपरिक रूप से होती है, लेकिन हाल में जो घटनाएं हुई हैं, उन पर पंथ के मन में आक्रोश है। ताजपोशी के समय गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश से पहले पालकी साहिब को मथा टेकने का कार्य किया गया और शस्त्र भी उचित तरीके से प्रस्तुत नहीं किए गए, जो कि मर्यादा का उल्लंघन है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख समुदाय से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर गहरे सोच-विचार करें और इस पर विचार करें कि सिख पंथ की मर्यादाओं का उल्लंघन होना पंथ के लिए ठीक नहीं है। क्या थी घटना पंजाब में बीते दिन सोमवार निहंगों के विरोध के बीच तख्त श्री केशगढ़ साहिब के नए जत्थेदार के तौर पर ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की दस्तारबंदी कर दी गई। इसके साथ ही उन्हें सिख धर्म के सर्वोच्च श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। दस्तारबंदी के लिए पहले सोमवार सुबह 11 बजे का समय रखा गया था, लेकिन ये ताजपोशी अलसुबह 2.50 बजे की गई। वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य रघुबीर सिंह विर्क ने तर्क दिया कि होला महल्ला के मेले के चलते रात में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया और भीड़ को देखते हुए रात के समय ही ताजपोशी भी कर दी गई। जाने ज्ञानी गड़गज की नियुक्ति पर किसने क्या कहा… निहंग बोले- यह मर्यादा के उलट, विरोध जताएंगे 96 करोड़ी बाबा बलबीर सिंह व अन्य निहंग संगठनों के मुखियों ने कहा कि हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी और अन्य सभी संगठनों की गैरहाजिरी में हुई इस दस्तारबंदी को नहीं माना जाएगा। जिस समय ये ताजपोशी हुई, श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी नहीं था। यह ताजपोशी मर्यादा के उलट की गई है। इससे तख्त की मर्यादा को ठेस पहुंची है। आज से होला महल्ला शुरू हो रहा है। इसे देखते हुए सभी निहंग संगठन विरोध भी जताएंगे। ज्ञानी हरप्रीत सिंह बोले- मर्यादा का पालन नहीं हुआ श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा- ज्ञानी रघबीर सिंह के बारे में आरोप लगाए गए कि इन्होंने मर्यादा के अनुसार कार्य नहीं किए। अब आज कौन सी मर्यादा का पालन हुआ है। ना सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब, श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी साहिब या ग्रंथी सिंह हाजिर, ना ही तख्त साहिब के हेड ग्रंथी साहिब हाजिर, ना गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान या सीनियर मीत प्रधान हाजिर, ना सदस्य हाजिर, ना दूसरे तख्त साहिबों के जत्थेदार या हेड ग्रंथी साहिब हाजिर। इनके बिना ही दस्तारबंदी हो गई। 7 मार्च को रघबीर सिंह और सुल्तान सिंह को हटाया अमृतसर में 7 मार्च को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की अंतरिम कमेटी की मीटिंग हुई थी। जिसमें अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और श्री केशगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को हटाने पर फैसला हुआ। श्री केसगढ़ साहिब की जिम्मेदारी ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज को दी गई। साथ ही वह श्री अकाल तख्त साहिब का एडिशनल चार्ज भी संभालेंगे। ज्ञानी बाबा टेक सिंह को श्री दमदमा साहिब की जिम्मेदारी दी गई। SGPC के सदस्य जसवंत सिंह पुड़ैण ने बताया कि 2 दिसंबर के फैसले के कारण ही दोनों तख्तों के जत्थेदारों को हटाया गया है। इसके पीछे 2 बड़े कारण रहे। पहला ज्ञानी रघबीर सिंह बिना बताए फैसले ले रहे थे। दूसरा, वे बिना बताए विदेश जा रहे थे। पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब के नव-नियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी पर पूर्व जत्थेदार और श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जब किसी जत्थेदार की ताजपोशी अनुशासन और मर्यादा के अनुसार नहीं होती, तो पंथ में रोष उठना स्वाभाविक है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि हाल ही में हुई ताजपोशी को लेकर देश-विदेश से लोग फोन करके सवाल पूछ रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से कोई टिप्पणी करने से मना किया है, क्योंकि वह नहीं चाहते कि इस मामले पर कोई विवाद पैदा हो। ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि जब किसी जत्थेदार की नियुक्ति होती है, तो इस प्रक्रिया को बहुत सम्मान और मर्यादा के साथ किया जाता है। पहले मीडिया में इसकी सूचना दी जाती है और बाद में यह सूचना विभिन्न जत्थेबंदियों, टकसालों, संप्रदायों और संत महापुरुषों को भेजी जाती है। जानें क्या है ताजपोशी की मर्यादा ज्ञानी रघबीर सिंह ने बताया कि गुरु की हाजरी में गुरमत समागम होता है, फिर पहुंची प्रमुख शख्सियतें स्पीकर पर बोलती हैं और गुरु चरणों में अरदास की जाती है, हुकमनामा पढ़ा जाता है, कड़ा प्रसाद की देग की जाती है, फिर श्री अकाल तखत साहिब पर जत्थेदार की ताजपोशी का समागम होता है। ताजपोशी के समय श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी, श्री अकाल तखत साहिब की फसील से जत्थेदारी देने का माइक से ऐलान करते हैं और संगत की ओर से जैकारे लगाकर उसकी मंजूरी दी जाती है। फिर श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी पहले दस्तार पहनाते हैं, और इसके बाद वहां पहुंची हुई संगत भी दस्तार पहनाती हैं, फिर श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार की ताजपोशी होती है। श्री अकाल तखत साहिब से ही तखत श्री केसगढ़ साहिब और तखत श्री दमदमा साहिब के जत्थेदारों का ऐलान भी श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार द्वारा किया जाता है। उसका जो मता होता है, वह जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ही पढ़कर सुनाते हैं। जो पिछले दो दिनों में हुआ है, उससे संगत के मन को भी ठेस पहुंची है। पारंपरिक रूप से होती है ताजपोशी उन्होंने यह भी कहा कि ताजपोशी से पहले यह पूरी प्रक्रिया पारंपरिक रूप से होती है, लेकिन हाल में जो घटनाएं हुई हैं, उन पर पंथ के मन में आक्रोश है। ताजपोशी के समय गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश से पहले पालकी साहिब को मथा टेकने का कार्य किया गया और शस्त्र भी उचित तरीके से प्रस्तुत नहीं किए गए, जो कि मर्यादा का उल्लंघन है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख समुदाय से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर गहरे सोच-विचार करें और इस पर विचार करें कि सिख पंथ की मर्यादाओं का उल्लंघन होना पंथ के लिए ठीक नहीं है। क्या थी घटना पंजाब में बीते दिन सोमवार निहंगों के विरोध के बीच तख्त श्री केशगढ़ साहिब के नए जत्थेदार के तौर पर ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की दस्तारबंदी कर दी गई। इसके साथ ही उन्हें सिख धर्म के सर्वोच्च श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। दस्तारबंदी के लिए पहले सोमवार सुबह 11 बजे का समय रखा गया था, लेकिन ये ताजपोशी अलसुबह 2.50 बजे की गई। वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के सदस्य रघुबीर सिंह विर्क ने तर्क दिया कि होला महल्ला के मेले के चलते रात में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया और भीड़ को देखते हुए रात के समय ही ताजपोशी भी कर दी गई। जाने ज्ञानी गड़गज की नियुक्ति पर किसने क्या कहा… निहंग बोले- यह मर्यादा के उलट, विरोध जताएंगे 96 करोड़ी बाबा बलबीर सिंह व अन्य निहंग संगठनों के मुखियों ने कहा कि हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी और अन्य सभी संगठनों की गैरहाजिरी में हुई इस दस्तारबंदी को नहीं माना जाएगा। जिस समय ये ताजपोशी हुई, श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी नहीं था। यह ताजपोशी मर्यादा के उलट की गई है। इससे तख्त की मर्यादा को ठेस पहुंची है। आज से होला महल्ला शुरू हो रहा है। इसे देखते हुए सभी निहंग संगठन विरोध भी जताएंगे। ज्ञानी हरप्रीत सिंह बोले- मर्यादा का पालन नहीं हुआ श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा- ज्ञानी रघबीर सिंह के बारे में आरोप लगाए गए कि इन्होंने मर्यादा के अनुसार कार्य नहीं किए। अब आज कौन सी मर्यादा का पालन हुआ है। ना सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब, श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी साहिब या ग्रंथी सिंह हाजिर, ना ही तख्त साहिब के हेड ग्रंथी साहिब हाजिर, ना गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान या सीनियर मीत प्रधान हाजिर, ना सदस्य हाजिर, ना दूसरे तख्त साहिबों के जत्थेदार या हेड ग्रंथी साहिब हाजिर। इनके बिना ही दस्तारबंदी हो गई। 7 मार्च को रघबीर सिंह और सुल्तान सिंह को हटाया अमृतसर में 7 मार्च को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की अंतरिम कमेटी की मीटिंग हुई थी। जिसमें अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और श्री केशगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को हटाने पर फैसला हुआ। श्री केसगढ़ साहिब की जिम्मेदारी ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज को दी गई। साथ ही वह श्री अकाल तख्त साहिब का एडिशनल चार्ज भी संभालेंगे। ज्ञानी बाबा टेक सिंह को श्री दमदमा साहिब की जिम्मेदारी दी गई। SGPC के सदस्य जसवंत सिंह पुड़ैण ने बताया कि 2 दिसंबर के फैसले के कारण ही दोनों तख्तों के जत्थेदारों को हटाया गया है। इसके पीछे 2 बड़े कारण रहे। पहला ज्ञानी रघबीर सिंह बिना बताए फैसले ले रहे थे। दूसरा, वे बिना बताए विदेश जा रहे थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
