<p style=”text-align: justify;”><strong>Prashant Kishor Unconditional Bail:</strong> पटना में सोमवार को सुबह चार बजे गांधी मैदान से शुरू हुई पुलिस की कार्रवाई आखिरकार शाम 7 बजे तक कोर्ट से प्रशांत किशोर को बेल दिए जाने के बाद खत्म हुई. सोमवार की शाम को पुलिस ने पीके को जमानत मिलने के बाद छोड़ दिया. इसके बाद प्रशांत किशोर के वकील कुमार अमित ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि बिना शर्त बेल उन्हें कैसे मिली. वकील ने बताया कि प्रशांत किशोर को जेल नहीं जाना पड़ा. वह रास्ते में ही थे, जिसके बाद उन्हें बेल ग्रैंड कर दिया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील कुमार अमित ने कहा कि जब प्रशांत किशोर को पहली दफा बेल मिली तो उसमें कंडीशन डाला गया, लेकिन उस समय प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं किसी भी कंडीशन को नहीं मानूंगा. वकील ने कहा कि अगर कंडीशन नहीं मानते हैं तो इसका मतलब है कि आपको जेल जाना पड़ेगा. वकील ने कहा कि कोई सीनियर एडवोकेट बहस कर रहे थे और बहुत ज्यादा हंगामा कोर्ट में हो रहा था और मैं वहां मौजूद नहीं था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जब बेल बांड साइन करने से प्रशांत किशोर ने मना किया तो मैं वहां गया कि आखिर क्या बात हो गई जो आप साइन क्यों नहीं कर रहे हैं. मेरी समझ में आया कि यह तो बेल एबल ऑफेंसेस हैं तो मैं जज साहिब से रिक्वेस्ट किया आप इसको फिर से सुने और समझें. कोई भी बेलेबल सेक्शंस में जिसमें सजा 7 साल से कम ऑफेंस है उसमें पुलिस को ही बेल दे देना है. कोर्ट में जाने की जरूरत नहीं है. पहली गलती पुलिस की यही है कि उन्हें बिल नहीं दिया गया, सात आठ घटें घुमाया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उसके बाद उन्हें कोर्ट ले गए और कोर्ट में भीड़ भी ज्यादा थी और यही कारण है कि उसे दौरान सुनने में कुछ कमी रह गई थी. कोर्ट का प्रोसिडिंग अलग होता है. जब हमने अपनी बातों को जज के सामने रखा तो उन्होंने रीकंसीडर किया. रिकंसीडरेशन के बाद बेल दिया गया. हमने जज को कहा कि शर्त तब रखी जाती है, जब मामला 7 साल से ऊपर का हो. हमने जज साहिबा को कहा कि इनको तो बेल थाने से ही मिल जाना चाहिए था, क्योंकि इनका ऐसा पहला मामला है. जज साहिबा से हमने कहा अब जब मामला आपके पास है तो कंडीशन क्यों रखा जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं जब वकील से जब पूछा गया कि ऐसा क्यों हुआ क्या प्रशासन की चूक रही या राजनीतिक मामला था. इस पर उन्होंने कहा कि प्रशासन की चूक थी यह हम नहीं कह सकते, लेकिन प्रशासन ने ईमानदारी से वही आरोप लगाया जो बनता हो. वकील ने कहा राजनीति हुई है और यही कारण है कि प्रशांत किशोर को सात आठ घंटे तक घुमाया गया.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prashant Kishor Unconditional Bail:</strong> पटना में सोमवार को सुबह चार बजे गांधी मैदान से शुरू हुई पुलिस की कार्रवाई आखिरकार शाम 7 बजे तक कोर्ट से प्रशांत किशोर को बेल दिए जाने के बाद खत्म हुई. सोमवार की शाम को पुलिस ने पीके को जमानत मिलने के बाद छोड़ दिया. इसके बाद प्रशांत किशोर के वकील कुमार अमित ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि बिना शर्त बेल उन्हें कैसे मिली. वकील ने बताया कि प्रशांत किशोर को जेल नहीं जाना पड़ा. वह रास्ते में ही थे, जिसके बाद उन्हें बेल ग्रैंड कर दिया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वकील कुमार अमित ने कहा कि जब प्रशांत किशोर को पहली दफा बेल मिली तो उसमें कंडीशन डाला गया, लेकिन उस समय प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं किसी भी कंडीशन को नहीं मानूंगा. वकील ने कहा कि अगर कंडीशन नहीं मानते हैं तो इसका मतलब है कि आपको जेल जाना पड़ेगा. वकील ने कहा कि कोई सीनियर एडवोकेट बहस कर रहे थे और बहुत ज्यादा हंगामा कोर्ट में हो रहा था और मैं वहां मौजूद नहीं था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जब बेल बांड साइन करने से प्रशांत किशोर ने मना किया तो मैं वहां गया कि आखिर क्या बात हो गई जो आप साइन क्यों नहीं कर रहे हैं. मेरी समझ में आया कि यह तो बेल एबल ऑफेंसेस हैं तो मैं जज साहिब से रिक्वेस्ट किया आप इसको फिर से सुने और समझें. कोई भी बेलेबल सेक्शंस में जिसमें सजा 7 साल से कम ऑफेंस है उसमें पुलिस को ही बेल दे देना है. कोर्ट में जाने की जरूरत नहीं है. पहली गलती पुलिस की यही है कि उन्हें बिल नहीं दिया गया, सात आठ घटें घुमाया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उसके बाद उन्हें कोर्ट ले गए और कोर्ट में भीड़ भी ज्यादा थी और यही कारण है कि उसे दौरान सुनने में कुछ कमी रह गई थी. कोर्ट का प्रोसिडिंग अलग होता है. जब हमने अपनी बातों को जज के सामने रखा तो उन्होंने रीकंसीडर किया. रिकंसीडरेशन के बाद बेल दिया गया. हमने जज को कहा कि शर्त तब रखी जाती है, जब मामला 7 साल से ऊपर का हो. हमने जज साहिबा को कहा कि इनको तो बेल थाने से ही मिल जाना चाहिए था, क्योंकि इनका ऐसा पहला मामला है. जज साहिबा से हमने कहा अब जब मामला आपके पास है तो कंडीशन क्यों रखा जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं जब वकील से जब पूछा गया कि ऐसा क्यों हुआ क्या प्रशासन की चूक रही या राजनीतिक मामला था. इस पर उन्होंने कहा कि प्रशासन की चूक थी यह हम नहीं कह सकते, लेकिन प्रशासन ने ईमानदारी से वही आरोप लगाया जो बनता हो. वकील ने कहा राजनीति हुई है और यही कारण है कि प्रशांत किशोर को सात आठ घंटे तक घुमाया गया.</p> बिहार Maharashtra: विरोध के बीच क्या मंत्री धनंजय मुंडे का इस्तीफा लेंगे अजित पवार? साफ हुई तस्वीर