जम्मू-कश्मीर से लौटे यात्रियों का दर्द:महिला बोली- मैं बच्चों के साथ बेड के नीचे छिपी रही, हर तरफ बम के धमाके थे

जम्मू-कश्मीर से लौटे यात्रियों का दर्द:महिला बोली- मैं बच्चों के साथ बेड के नीचे छिपी रही, हर तरफ बम के धमाके थे

मैं 8-9 मई की रात अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकती। घर के ऊपर से लगातार मिसाइल, राकेट और ड्रोन उड़ रहे थे। बम धमाकों की आवाज इतनी भयानक थी कि मत पूछिए। मैं सारी रात बच्चों को लेकर बेड के नीचे छिपी रही। हमने खाना भी नहीं खाया। प्रार्थना कर रही थी कि मेरे पति और बच्चों को कुछ न हो। ये कहना है शिप्रा चौधरी का, जो 11 मई की रात बच्चों के साथ बेगमपुरा एक्सप्रेस से जम्मू से वाराणसी पहुंचीं। यहां उनका मायका है। स्टेशन पर पिता को देखते ही खुशी के आंसू छलक पड़े। शिप्रा ने बताया- वह जम्मू के सतवारी में रहती हैं। सुरक्षा कारणों से पति के बारे में जानकारी नहीं दी। बस, इतना बताया कि जम्मू के हालात बहुत भयावह है। भारत के अटैक के बाद से पाकिस्तान लगातार जम्मू कश्मीर में अटैक करता रहा। अंधेरा होते ही ड्रोन आसमान में दिखने लगते। हालात बदतर होते देख हम लोगों ने माहौल सामान्य होने तक वाराणसी में रहने का फैसला लिया है। अब पढ़िए जम्मू-कश्मीर और उधमपुर से लौटे यात्रियों का दर्द… ब्लैक आउट के चलते ट्रेनों के रात में चलने पर रोक लगा दी गई
नेपाल के लाल कुसमुंडा ने बताया- हम लोगों का 7 लोगों का ग्रुप था। सभी 7 मई को जम्मू पहुंचे थे। दर्शन पूजन करके जब कटरा उतरे तो अचानक धमाकों की आवाजें आने लगीं। लगातार फायरिंग, विस्फोट के चलते आवाजाही बंद हो गई थी। सीजफायर की घोषणा पर 7 घंटे देरी से ट्रेन जम्मू से रवाना हुई। स्टेशन पर स्थिति भयावह थी। काफी संख्या में लोगों की भीड़ लग गई थी। वहां खाना खाने की भी स्थिति नहीं थी। हम लोग के दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी। यहां से निकला जाए। वैष्णो देवी के दर्शन को गए थे, रात भर फायरिंग की आवाजें
चंदौली के राजेश यादव ने बताया- हम लोग 6 मई को वैष्णो देवी की यात्रा पर गए थे। 8 मई रात में जब हम लोग सो रहे थे। तभी फायरिंग की आवाज आने लगी थीं। अन्य जगहों पर घूमने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। स्टेशन के पास ही रूक गए। पूरी रात हम लोग सहमे रहे, लोग बोले- तुम निकल जाए
मऊ के रहने वाले पिंटू साहनी ने बताया- हम लोग उधमपुर शहर में पिछले 3 से 4 महीने से रह रहे हैं। वहां टाइल्स का काम करते हैं। बताया कि बम के धमाके सुनाई दे रहे हैं। पूरी रात धमाकों की आवाजें आ रही थीं। जहां मैं रहता हूं वहां से कुछ दूरी पर ही बम धमाके हुए। पूरी रात हम लोग सहमे रहे। स्टेशन पर भारी भीड़, दिन रात धमाकों की आवाज
टाइल्स लगाने का काम करने वाले दुर्गेश साहनी ने भी बताया कि उधमपुर के हालात बहुत खराब है। भारत ने जब से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है, वह लगातार उधमपुर और आसपास के अन्य जिलों में लगातार बम, मिसाइल छोड़ रहा है। दिन रात धमाकों की आवाज से दिल दहल गया था। उधमपुर से जब वह लोग स्टेशन आ रहे थे, तब भी लगातार धमाकों की आवाज आ रही थी। जिंदगी का कोई भरोसा नहीं था। मेरा भाई संदीप नरगोटा में रहता है, वह भी सहमा हुआ था, वहां भी हालात खराब थे। स्टेशन पर लोगों की इतनी भीड़ है जितनी महाकुंभ में भी नहीं रही होगी। ————————- ये खबर भी पढ़ें- ऑपरेशन सिंदूर- कर्नल सोफिया का कानपुर में ननिहाल;मामी बोलीं- बचपन में बंदूकों से खेलती थीं, बुआ ने कहा- कौम का नाम रोशन किया भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद दो नाम पूरे देश की जुबान पर है। वह हैं- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। 7 मई को यूपी से जुड़ी ये दो महिला अफसर ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग के लिए देश के सामने आईं। कर्नल सोफिया कुछ समय तक झांसी में मेजर पद पर तैनात रहीं। उनका बचपन कानपुर के घाटमपुर और मुरादाबाद में ही बीता है। कानपुर में सोफिया का ननिहाल है। यही वजह है कि बचपन में छुट्टियां बिताने यहां आती थीं। पढ़िए पूरी खबर मैं 8-9 मई की रात अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकती। घर के ऊपर से लगातार मिसाइल, राकेट और ड्रोन उड़ रहे थे। बम धमाकों की आवाज इतनी भयानक थी कि मत पूछिए। मैं सारी रात बच्चों को लेकर बेड के नीचे छिपी रही। हमने खाना भी नहीं खाया। प्रार्थना कर रही थी कि मेरे पति और बच्चों को कुछ न हो। ये कहना है शिप्रा चौधरी का, जो 11 मई की रात बच्चों के साथ बेगमपुरा एक्सप्रेस से जम्मू से वाराणसी पहुंचीं। यहां उनका मायका है। स्टेशन पर पिता को देखते ही खुशी के आंसू छलक पड़े। शिप्रा ने बताया- वह जम्मू के सतवारी में रहती हैं। सुरक्षा कारणों से पति के बारे में जानकारी नहीं दी। बस, इतना बताया कि जम्मू के हालात बहुत भयावह है। भारत के अटैक के बाद से पाकिस्तान लगातार जम्मू कश्मीर में अटैक करता रहा। अंधेरा होते ही ड्रोन आसमान में दिखने लगते। हालात बदतर होते देख हम लोगों ने माहौल सामान्य होने तक वाराणसी में रहने का फैसला लिया है। अब पढ़िए जम्मू-कश्मीर और उधमपुर से लौटे यात्रियों का दर्द… ब्लैक आउट के चलते ट्रेनों के रात में चलने पर रोक लगा दी गई
नेपाल के लाल कुसमुंडा ने बताया- हम लोगों का 7 लोगों का ग्रुप था। सभी 7 मई को जम्मू पहुंचे थे। दर्शन पूजन करके जब कटरा उतरे तो अचानक धमाकों की आवाजें आने लगीं। लगातार फायरिंग, विस्फोट के चलते आवाजाही बंद हो गई थी। सीजफायर की घोषणा पर 7 घंटे देरी से ट्रेन जम्मू से रवाना हुई। स्टेशन पर स्थिति भयावह थी। काफी संख्या में लोगों की भीड़ लग गई थी। वहां खाना खाने की भी स्थिति नहीं थी। हम लोग के दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी। यहां से निकला जाए। वैष्णो देवी के दर्शन को गए थे, रात भर फायरिंग की आवाजें
चंदौली के राजेश यादव ने बताया- हम लोग 6 मई को वैष्णो देवी की यात्रा पर गए थे। 8 मई रात में जब हम लोग सो रहे थे। तभी फायरिंग की आवाज आने लगी थीं। अन्य जगहों पर घूमने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। स्टेशन के पास ही रूक गए। पूरी रात हम लोग सहमे रहे, लोग बोले- तुम निकल जाए
मऊ के रहने वाले पिंटू साहनी ने बताया- हम लोग उधमपुर शहर में पिछले 3 से 4 महीने से रह रहे हैं। वहां टाइल्स का काम करते हैं। बताया कि बम के धमाके सुनाई दे रहे हैं। पूरी रात धमाकों की आवाजें आ रही थीं। जहां मैं रहता हूं वहां से कुछ दूरी पर ही बम धमाके हुए। पूरी रात हम लोग सहमे रहे। स्टेशन पर भारी भीड़, दिन रात धमाकों की आवाज
टाइल्स लगाने का काम करने वाले दुर्गेश साहनी ने भी बताया कि उधमपुर के हालात बहुत खराब है। भारत ने जब से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है, वह लगातार उधमपुर और आसपास के अन्य जिलों में लगातार बम, मिसाइल छोड़ रहा है। दिन रात धमाकों की आवाज से दिल दहल गया था। उधमपुर से जब वह लोग स्टेशन आ रहे थे, तब भी लगातार धमाकों की आवाज आ रही थी। जिंदगी का कोई भरोसा नहीं था। मेरा भाई संदीप नरगोटा में रहता है, वह भी सहमा हुआ था, वहां भी हालात खराब थे। स्टेशन पर लोगों की इतनी भीड़ है जितनी महाकुंभ में भी नहीं रही होगी। ————————- ये खबर भी पढ़ें- ऑपरेशन सिंदूर- कर्नल सोफिया का कानपुर में ननिहाल;मामी बोलीं- बचपन में बंदूकों से खेलती थीं, बुआ ने कहा- कौम का नाम रोशन किया भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद दो नाम पूरे देश की जुबान पर है। वह हैं- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। 7 मई को यूपी से जुड़ी ये दो महिला अफसर ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग के लिए देश के सामने आईं। कर्नल सोफिया कुछ समय तक झांसी में मेजर पद पर तैनात रहीं। उनका बचपन कानपुर के घाटमपुर और मुरादाबाद में ही बीता है। कानपुर में सोफिया का ननिहाल है। यही वजह है कि बचपन में छुट्टियां बिताने यहां आती थीं। पढ़िए पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर