<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> विश्व भर में पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है. यहां हर इमारत खुद में एक समृद्ध इतिहास समेटे खड़ी हुई है. इतिहास की एक और खास बात यह होती है कि वक्त बीतने के साथ इसकी अहमियत और भी ज़्यादा बढ़ती चली जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला के रिज मैदान पर जहां पर्यटन विकास निगम का ख़ूबसूरत आशियाना और गुफ़ा रेस्टोरेंट नज़र आता है, वहां कभी बैंडस्टैंड हुआ करता था. इसे जबलपुर के कंवर जीवन दास ने शिमला की जनता को भेंट स्वरूप दिया था. इसके साथ ही ऐतिहासिक गेयटी थियेटर भी है. इस गेयटी थियेटर का निर्माण भी साल 1887 में हुआ था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कंवर जीवनदास ने दिया था शिमला की जनता को तोहफा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के रेस्टोरेंट आशियाना के ठीक बाहर नगर निगम शिमला की ओर से इसके इतिहास के बारे में एक जानकारी दी गई है. नगर निगम शिमला के मुताबिक, ‘बैंड स्टैंड- अब एक रेस्टोरेंट है. यहां लकड़ी के खंभों पर स्लेट की छत वाला यह शंक्वाकार ढांचा (Conical Slate Roofed Structure) साल 1907 में जबलपुर के कंवर जीवन दास ने शिमला के लोगों को बैंड स्टैंड के रूप में भेंट किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस उपहार का स्वागत किया गया. शहर का सबसे बड़ा खुला स्थान रिज भी यहीं है. यही वह स्थान भी था, जहां औपनिवेशिक शासन के दौरान हर प्रमुख कार्यक्रम होते थे. यहां विशेष रूप से राजा का जन्मदिन भी परेड और बैंड के साथ मनाया जाता था’. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साथ ही है गेयटी थिएटर की भी ऐतिहासिक इमारत </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां कभी बैंडस्टैंड हुआ करता था, उसके साथ ही गेयटी थिएटर की भी ऐतिहासिक इमारत मौजूद है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1884 में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद यहां कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ. गेयटी थिएटर की इमारत भी इन्हीं ऐतिहासिक इमारतों में से एक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गेयटी थिएटर का निर्माण साल 1887 में नियो विक्टोरियन गोथिक शैली में हेनरी इरविन (Henry Irwin) ने किया था. खास बात है कि विश्व भर में केवल छह ही गेयटी थिएटर हैं, जिनमें एक राजधानी शिमला में है.<br /><br /><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”‘नशा तस्करों को पकड़वाओ, 11 हजार रुपये का इनाम पाओ’, शिमला व्यापार मंडल की खास मुहिम” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-drug-smugglers-caught-get-a-reward-of-rs-11-000-special-campaign-shimla-trade-board-ann-2873863″ target=”_self”>’नशा तस्करों को पकड़वाओ, 11 हजार रुपये का इनाम पाओ’, शिमला व्यापार मंडल की खास मुहिम</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Pradesh News:</strong> विश्व भर में पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है. यहां हर इमारत खुद में एक समृद्ध इतिहास समेटे खड़ी हुई है. इतिहास की एक और खास बात यह होती है कि वक्त बीतने के साथ इसकी अहमियत और भी ज़्यादा बढ़ती चली जाती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला के रिज मैदान पर जहां पर्यटन विकास निगम का ख़ूबसूरत आशियाना और गुफ़ा रेस्टोरेंट नज़र आता है, वहां कभी बैंडस्टैंड हुआ करता था. इसे जबलपुर के कंवर जीवन दास ने शिमला की जनता को भेंट स्वरूप दिया था. इसके साथ ही ऐतिहासिक गेयटी थियेटर भी है. इस गेयटी थियेटर का निर्माण भी साल 1887 में हुआ था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कंवर जीवनदास ने दिया था शिमला की जनता को तोहफा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के रेस्टोरेंट आशियाना के ठीक बाहर नगर निगम शिमला की ओर से इसके इतिहास के बारे में एक जानकारी दी गई है. नगर निगम शिमला के मुताबिक, ‘बैंड स्टैंड- अब एक रेस्टोरेंट है. यहां लकड़ी के खंभों पर स्लेट की छत वाला यह शंक्वाकार ढांचा (Conical Slate Roofed Structure) साल 1907 में जबलपुर के कंवर जीवन दास ने शिमला के लोगों को बैंड स्टैंड के रूप में भेंट किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस उपहार का स्वागत किया गया. शहर का सबसे बड़ा खुला स्थान रिज भी यहीं है. यही वह स्थान भी था, जहां औपनिवेशिक शासन के दौरान हर प्रमुख कार्यक्रम होते थे. यहां विशेष रूप से राजा का जन्मदिन भी परेड और बैंड के साथ मनाया जाता था’. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साथ ही है गेयटी थिएटर की भी ऐतिहासिक इमारत </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां कभी बैंडस्टैंड हुआ करता था, उसके साथ ही गेयटी थिएटर की भी ऐतिहासिक इमारत मौजूद है. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1884 में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद यहां कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ. गेयटी थिएटर की इमारत भी इन्हीं ऐतिहासिक इमारतों में से एक है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>गेयटी थिएटर का निर्माण साल 1887 में नियो विक्टोरियन गोथिक शैली में हेनरी इरविन (Henry Irwin) ने किया था. खास बात है कि विश्व भर में केवल छह ही गेयटी थिएटर हैं, जिनमें एक राजधानी शिमला में है.<br /><br /><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”‘नशा तस्करों को पकड़वाओ, 11 हजार रुपये का इनाम पाओ’, शिमला व्यापार मंडल की खास मुहिम” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-drug-smugglers-caught-get-a-reward-of-rs-11-000-special-campaign-shimla-trade-board-ann-2873863″ target=”_self”>’नशा तस्करों को पकड़वाओ, 11 हजार रुपये का इनाम पाओ’, शिमला व्यापार मंडल की खास मुहिम</a></strong></p> हिमाचल प्रदेश महाकुंभ हादसा: भगदड़ में पत्नी-सास का हाथ छूटा, शवों के साथ वापस लौटे बृजमोहन, गांव में मातम