‘जो बांग्लादेश में हो रहा है… वहां 90 फीसदी जो हिंदू बचा है, वह दलित समुदाय से है। इस मामले में जिनके मुंह सिले हुए हैं, इसलिए सिले हुए हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि बांग्लादेश का हिंदू उनके लिए वोटर नहीं होगा। उनकी (बांग्लादेशी हिंदुओं) रक्षा करना हम सभी का दायित्व है।’ सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10 अगस्त को यह बात कही थी। उन्होंने जता दिया था, भाजपा अग्रेसिव हिंदुत्व पर ही चलेगी। भाजपा के सदस्यता अभियान की कार्यशाला में भी उन्होंने कहा- भाजपा जाति आधारित राजनीति नहीं कर सकती। राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर ही आगे बढ़ना है। सपा-बसपा की तरह जातिगत राजनीति पर नहीं उतरना है। आगे बढ़ने से पहले जानिए भाजपा को कब-कब हिंदुत्व मुद्दे का फायदा हुआ? अब फिर क्यों मजबूर हुई? लोकसभा चुनाव 2014, विधानसभा चुनाव 2017, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रवाद के जरिए ही भाजपा ने जातियों का बिखराव रोका। इसी मुद्दे के कारण ओबीसी में यादवों को छोड़कर ज्यादातर पिछड़ी जातियां भाजपा के पक्ष में लामबंद हो गईं। दलितों में भी भाजपा ने बसपा के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल की। वहीं, 2024 से पहले तक सपा को M-Y (मुस्लिम-यादव) से ही जोड़ा जाता था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में सपा ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा देकर मुस्लिम-यादव के साथ पिछड़े और दलित वर्ग में भी बड़ी सेंध लगाई। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद अखिलेश ने PDA पर ही फोकस करने की रणनीति बनाई है। जाति की राजनीति से होगा नुकसान
भाजपा की उच्चस्तरीय बैठक में आगामी उपचुनाव के साथ विधानसभा चुनाव- 2027 के लिए यूपी में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही आगे बढ़ने की रणनीति बनी है। बुधवार रात (21 अगस्त) मुख्यमंत्री आवास पर हुई भाजपा, संघ और सरकार की समन्वय बैठक में PDA के खिलाफ राष्ट्रवाद के मुद्दे को आगे बढ़ाने की रणनीति है। भाजपा नेताओं का मानना है कि विपक्ष की तरह जाति की राजनीति करने से उनकी पार्टी को नुकसान होगा। ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार भाजपा का वोट बैंक है। अगर पार्टी ने जाति की राजनीति शुरू की, तो अपने परंपरागत वोट में झटका लगेगा। राष्ट्रवाद का मुद्दा भी कमजोर पड़ जाएगा। पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे के जरिए तो सभी जातियों में सेंध लगा सकती है। लेकिन, जाति की राजनीति से सभी जातियों को साधना मुश्किल होगा। सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट आनंद राय कहते हैं- 2024 के लोकसभा चुनाव की PDA की वजह से भाजपा को जो झटका लगा है, उससे उबरने के लिए सभी नेता राष्ट्रवाद पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए भाजपा क्या-क्या करेगी? 1- भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया- सीएम योगी अपनी सभाओं में लखनऊ, मथुरा, कन्नौज जैसी घटनाओं का जिक्र कर मुस्लिम और यादव तुष्टिकरण के नाम पर सपा को कटघरे में खड़ा करेंगे। अयोध्या के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे से भी माहौल बनाएंगे। 2- राष्ट्रवाद के मुद्दे को फिर जन-जन तक पहुंचाने के लिए संपर्क, संवाद और सोशल मीडिया को सहारा बनाया जाएगा। 3- भाजपा जन्माष्टमी, शिक्षक दिवस, पीएम मोदी के जन्मदिन, गणेश महोत्सव और सदस्यता अभियान सहित अन्य पर्व और त्योहार के जरिए लगातार जनता के बीच पहुंचेगी। इस बार जनता से संवाद पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा। जनता से संवाद में जो मुद्दे और समस्याएं निकलकर आएंगी, उनका समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा। 4- सोशल मीडिया पर भी भाजपा आक्रामक रुख अपना कर विपक्ष के दुष्प्रचार का जवाब देगी। आरक्षण समाप्त करने, संविधान बदलने जैसे नरेटिव को तोड़ने के साथ सरकार की उपलब्धियां बताई जाएंगी। विपक्ष पर मुस्लिम तुष्टीकरण, हिंदू विरोधी होने से आरोपों को साबित करने के लिए अभियान चलेगा। संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का नरेटिव आरएसएस तोड़ेगा
संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के विपक्ष के नरेटिव को तोड़ने के लिए आरएसएस दलित और पिछड़े वर्ग के गांवों और बस्तियों में संपर्क और संवाद करेगा। संघ के स्वयंसेवक बस्तियों में सामाजिक समरसता, भोज, बैठकों और मिलन कार्यक्रम के जरिए बताएंगे कि संविधान बदलने के काम कांग्रेस ने ही किया है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के लिए भी संविधान बदला। साथ ही यह भी बताएंगे कि उनके आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। भाजपा ने तो पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता तक दी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट कहते हैं- भाजपा को यह देखना होगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 में सपा और बसपा के जिस कास्ट कार्ड को भाजपा ने निष्प्रभावी कर दिया था, वह 2024 में फिर कैसे पनप गया? यूपी के पिछड़ों और दलितों को राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ उनका हित भी चाहिए। भाजपा को पिछड़ों और दलितों के बीच यह संदेश देना होगा कि वह उनके लिए क्या कर रही है? इन मुद्दों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता यह भी पढ़ें: योगी बोले- बेशर्मी से दुष्कर्मियों के साथ दिखते हैं अखिलेश:’नवाब ब्रांड’ ही सपा का मॉडल सपा का मॉडल वही है, जो कन्नौज में ‘नवाब ब्रांड’ के रूप में देखा गया है। जब कार्रवाई होती है तो सपा मुखिया बेशर्मी से दुष्कर्मियों के साथ खड़े होते हुए दिखाई देते हैं। ये वही लोग हैं, जो आपको अराजकता की भट्ठी में फिर से झोंकने के लिए आए हैं। इन लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। ये वही लोग हैं, जो प्रदेश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात मुजफ्फरनगर में गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कही। यहां पढ़ें पूरी खबर ‘जो बांग्लादेश में हो रहा है… वहां 90 फीसदी जो हिंदू बचा है, वह दलित समुदाय से है। इस मामले में जिनके मुंह सिले हुए हैं, इसलिए सिले हुए हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि बांग्लादेश का हिंदू उनके लिए वोटर नहीं होगा। उनकी (बांग्लादेशी हिंदुओं) रक्षा करना हम सभी का दायित्व है।’ सीएम योगी आदित्यनाथ ने 10 अगस्त को यह बात कही थी। उन्होंने जता दिया था, भाजपा अग्रेसिव हिंदुत्व पर ही चलेगी। भाजपा के सदस्यता अभियान की कार्यशाला में भी उन्होंने कहा- भाजपा जाति आधारित राजनीति नहीं कर सकती। राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर ही आगे बढ़ना है। सपा-बसपा की तरह जातिगत राजनीति पर नहीं उतरना है। आगे बढ़ने से पहले जानिए भाजपा को कब-कब हिंदुत्व मुद्दे का फायदा हुआ? अब फिर क्यों मजबूर हुई? लोकसभा चुनाव 2014, विधानसभा चुनाव 2017, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रवाद के जरिए ही भाजपा ने जातियों का बिखराव रोका। इसी मुद्दे के कारण ओबीसी में यादवों को छोड़कर ज्यादातर पिछड़ी जातियां भाजपा के पक्ष में लामबंद हो गईं। दलितों में भी भाजपा ने बसपा के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने में सफलता हासिल की। वहीं, 2024 से पहले तक सपा को M-Y (मुस्लिम-यादव) से ही जोड़ा जाता था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में सपा ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा देकर मुस्लिम-यादव के साथ पिछड़े और दलित वर्ग में भी बड़ी सेंध लगाई। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद अखिलेश ने PDA पर ही फोकस करने की रणनीति बनाई है। जाति की राजनीति से होगा नुकसान
भाजपा की उच्चस्तरीय बैठक में आगामी उपचुनाव के साथ विधानसभा चुनाव- 2027 के लिए यूपी में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही आगे बढ़ने की रणनीति बनी है। बुधवार रात (21 अगस्त) मुख्यमंत्री आवास पर हुई भाजपा, संघ और सरकार की समन्वय बैठक में PDA के खिलाफ राष्ट्रवाद के मुद्दे को आगे बढ़ाने की रणनीति है। भाजपा नेताओं का मानना है कि विपक्ष की तरह जाति की राजनीति करने से उनकी पार्टी को नुकसान होगा। ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, कायस्थ और भूमिहार भाजपा का वोट बैंक है। अगर पार्टी ने जाति की राजनीति शुरू की, तो अपने परंपरागत वोट में झटका लगेगा। राष्ट्रवाद का मुद्दा भी कमजोर पड़ जाएगा। पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे के जरिए तो सभी जातियों में सेंध लगा सकती है। लेकिन, जाति की राजनीति से सभी जातियों को साधना मुश्किल होगा। सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट आनंद राय कहते हैं- 2024 के लोकसभा चुनाव की PDA की वजह से भाजपा को जो झटका लगा है, उससे उबरने के लिए सभी नेता राष्ट्रवाद पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए भाजपा क्या-क्या करेगी? 1- भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया- सीएम योगी अपनी सभाओं में लखनऊ, मथुरा, कन्नौज जैसी घटनाओं का जिक्र कर मुस्लिम और यादव तुष्टिकरण के नाम पर सपा को कटघरे में खड़ा करेंगे। अयोध्या के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे से भी माहौल बनाएंगे। 2- राष्ट्रवाद के मुद्दे को फिर जन-जन तक पहुंचाने के लिए संपर्क, संवाद और सोशल मीडिया को सहारा बनाया जाएगा। 3- भाजपा जन्माष्टमी, शिक्षक दिवस, पीएम मोदी के जन्मदिन, गणेश महोत्सव और सदस्यता अभियान सहित अन्य पर्व और त्योहार के जरिए लगातार जनता के बीच पहुंचेगी। इस बार जनता से संवाद पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा। जनता से संवाद में जो मुद्दे और समस्याएं निकलकर आएंगी, उनका समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा। 4- सोशल मीडिया पर भी भाजपा आक्रामक रुख अपना कर विपक्ष के दुष्प्रचार का जवाब देगी। आरक्षण समाप्त करने, संविधान बदलने जैसे नरेटिव को तोड़ने के साथ सरकार की उपलब्धियां बताई जाएंगी। विपक्ष पर मुस्लिम तुष्टीकरण, हिंदू विरोधी होने से आरोपों को साबित करने के लिए अभियान चलेगा। संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का नरेटिव आरएसएस तोड़ेगा
संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के विपक्ष के नरेटिव को तोड़ने के लिए आरएसएस दलित और पिछड़े वर्ग के गांवों और बस्तियों में संपर्क और संवाद करेगा। संघ के स्वयंसेवक बस्तियों में सामाजिक समरसता, भोज, बैठकों और मिलन कार्यक्रम के जरिए बताएंगे कि संविधान बदलने के काम कांग्रेस ने ही किया है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के लिए भी संविधान बदला। साथ ही यह भी बताएंगे कि उनके आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। भाजपा ने तो पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता तक दी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट कहते हैं- भाजपा को यह देखना होगा कि 2014, 2017, 2019 और 2022 में सपा और बसपा के जिस कास्ट कार्ड को भाजपा ने निष्प्रभावी कर दिया था, वह 2024 में फिर कैसे पनप गया? यूपी के पिछड़ों और दलितों को राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ उनका हित भी चाहिए। भाजपा को पिछड़ों और दलितों के बीच यह संदेश देना होगा कि वह उनके लिए क्या कर रही है? इन मुद्दों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता यह भी पढ़ें: योगी बोले- बेशर्मी से दुष्कर्मियों के साथ दिखते हैं अखिलेश:’नवाब ब्रांड’ ही सपा का मॉडल सपा का मॉडल वही है, जो कन्नौज में ‘नवाब ब्रांड’ के रूप में देखा गया है। जब कार्रवाई होती है तो सपा मुखिया बेशर्मी से दुष्कर्मियों के साथ खड़े होते हुए दिखाई देते हैं। ये वही लोग हैं, जो आपको अराजकता की भट्ठी में फिर से झोंकने के लिए आए हैं। इन लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। ये वही लोग हैं, जो प्रदेश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात मुजफ्फरनगर में गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कही। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर