संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के बाद शुक्रवार को पहला जुमा था। 1600 से ज्यादा जवानों की सुरक्षा में नमाज अदा कराई गई। संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क जामा मस्जिद में नमाज अदा करने पहुंचे। आमतौर पर जुमे के दिन यहां पर 400-500 लोग नमाज अदा करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन 19 नवंबर को हुए सर्वे के बाद शुक्रवार को 3000 से ज्यादा लोग नमाज अदा करने पहुंचे। भारी भीड़ के चलते मस्जिद का गेट बंद कर करना पड़ा। ऐलान किया गया कि दूसरी मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ें। दरअसल, काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्री हरिहर मंदिर हुआ करती थी। जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे
संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। शुक्रवार को क्या-क्या हुआ … यह अल्लाह का घर है, मस्जिद है: जियाउर्रहमान बर्क
19 नवंबर को हुए सर्वे के बाद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा था कि यह अल्लाह का घर है। मस्जिद है। इसमें सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। ये देश संविधान से चलेगा, कानून से चलेगा, किसी की मनमर्जी से देश नहीं चलने वाला। हम उम्मीद करते हैं कि जो उन्होंने सर्वे किया है, उनको सुई बराबर एक इंच भी जगह ऐसी नहीं मिल सकती, जिस पर आपत्ति हो सके। यह मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी। मायावती ने कहा- सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर संज्ञान लेना चाहिए
जामा मस्जिद को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष के विवाद पर मायावती ने X पर लिखा- संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में है, किन्तु इस प्रकार से सदभाव व माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए। अब जानिए क्या है पूरा मामला… संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला कोर्ट में पहुंच गया था। कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट 7 दिन में दाखिल करें। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे आदेश आने के महज 2 घंटे के भीतर शाम सवा छह बजे सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी साथ रहे। 2 घंटे के सर्वे के बाद टीम रात करीब पौने 8 बजे बाहर आई थी। महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। अदालत ने रमेश सिंह राघव को बनाया था एडवोकेट कमिश्नर
कोर्ट की तरफ से रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर बनाया गया। वहीं, प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो सर्वे टीम के साथ थी। सर्वे टीम ने मस्जिद के भीतर वीडियो और फोटो लिए हैं। हरिशंकर जैन के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर भी मस्जिद के भीतर थे। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरि को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली। वे सर्वे होने तक बाहर खड़े रहे। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मस्जिद में कोई साक्ष्य नहीं मिले
शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली एडवोकेट ने सर्वे के बाद बताया था, ‘टीम ने जामा मस्जिद के हर हिस्से का सर्वे किया है। हम भी टीम के साथ थे। हमने उनका सहयोग किया। हमें नोटिस तामील कराया गया। सर्वे में अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। अब यही माना जाएगा कि यह जामा मस्जिद ही है। दो घंटे सर्वे चला है। कोर्ट ने सात दिन के भीतर सर्वे का आदेश दिया था। लेकिन, एडवोकेट कमिश्ननर ने अपनी मजबूरी बताई कि उनकी बेटी की शादी है। इसलिए वो नहीं आ सकेंगे। कोर्ट में वादी, कमिश्नर, एसडीएम, एसपी और हम कमेटी के चार-पांच लोग थे।’ एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने बताया था- अभी केवल वीडियो-फोटो ग्राफी हुई है, अभी हमारा सर्वे बाकी है कोई मेजरमेंट नहीं हुआ कुछ नहीं हुआ। सर्वे के बाद भास्कर की टीम भी संभल की मस्जिद पहुंचीं, वहां से ग्राउंड रिपोर्ट की…
उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद विवादों में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने एक हफ्ते में कोर्ट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट मांगी है। इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे विवाद को बारीकी से समझा। दोनों पक्षों से बातचीत की। ये भी जाना कि किस आधार पर कोर्ट ने याचिका स्वीकारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जामा मस्जिद में जुमे की नमाज से जुड़ी अपडेट्स के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए… संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के बाद शुक्रवार को पहला जुमा था। 1600 से ज्यादा जवानों की सुरक्षा में नमाज अदा कराई गई। संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क जामा मस्जिद में नमाज अदा करने पहुंचे। आमतौर पर जुमे के दिन यहां पर 400-500 लोग नमाज अदा करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन 19 नवंबर को हुए सर्वे के बाद शुक्रवार को 3000 से ज्यादा लोग नमाज अदा करने पहुंचे। भारी भीड़ के चलते मस्जिद का गेट बंद कर करना पड़ा। ऐलान किया गया कि दूसरी मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ें। दरअसल, काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद चर्चा में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्री हरिहर मंदिर हुआ करती थी। जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे
संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। शुक्रवार को क्या-क्या हुआ … यह अल्लाह का घर है, मस्जिद है: जियाउर्रहमान बर्क
19 नवंबर को हुए सर्वे के बाद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा था कि यह अल्लाह का घर है। मस्जिद है। इसमें सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। ये देश संविधान से चलेगा, कानून से चलेगा, किसी की मनमर्जी से देश नहीं चलने वाला। हम उम्मीद करते हैं कि जो उन्होंने सर्वे किया है, उनको सुई बराबर एक इंच भी जगह ऐसी नहीं मिल सकती, जिस पर आपत्ति हो सके। यह मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी। मायावती ने कहा- सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर संज्ञान लेना चाहिए
जामा मस्जिद को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष के विवाद पर मायावती ने X पर लिखा- संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में है, किन्तु इस प्रकार से सदभाव व माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए। अब जानिए क्या है पूरा मामला… संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला कोर्ट में पहुंच गया था। कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट 7 दिन में दाखिल करें। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे आदेश आने के महज 2 घंटे के भीतर शाम सवा छह बजे सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी साथ रहे। 2 घंटे के सर्वे के बाद टीम रात करीब पौने 8 बजे बाहर आई थी। महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। अदालत ने रमेश सिंह राघव को बनाया था एडवोकेट कमिश्नर
कोर्ट की तरफ से रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर बनाया गया। वहीं, प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो सर्वे टीम के साथ थी। सर्वे टीम ने मस्जिद के भीतर वीडियो और फोटो लिए हैं। हरिशंकर जैन के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर भी मस्जिद के भीतर थे। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरि को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली। वे सर्वे होने तक बाहर खड़े रहे। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मस्जिद में कोई साक्ष्य नहीं मिले
शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली एडवोकेट ने सर्वे के बाद बताया था, ‘टीम ने जामा मस्जिद के हर हिस्से का सर्वे किया है। हम भी टीम के साथ थे। हमने उनका सहयोग किया। हमें नोटिस तामील कराया गया। सर्वे में अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। अब यही माना जाएगा कि यह जामा मस्जिद ही है। दो घंटे सर्वे चला है। कोर्ट ने सात दिन के भीतर सर्वे का आदेश दिया था। लेकिन, एडवोकेट कमिश्ननर ने अपनी मजबूरी बताई कि उनकी बेटी की शादी है। इसलिए वो नहीं आ सकेंगे। कोर्ट में वादी, कमिश्नर, एसडीएम, एसपी और हम कमेटी के चार-पांच लोग थे।’ एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने बताया था- अभी केवल वीडियो-फोटो ग्राफी हुई है, अभी हमारा सर्वे बाकी है कोई मेजरमेंट नहीं हुआ कुछ नहीं हुआ। सर्वे के बाद भास्कर की टीम भी संभल की मस्जिद पहुंचीं, वहां से ग्राउंड रिपोर्ट की…
उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद विवादों में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने एक हफ्ते में कोर्ट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट मांगी है। इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। ‘दैनिक भास्कर’ ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे विवाद को बारीकी से समझा। दोनों पक्षों से बातचीत की। ये भी जाना कि किस आधार पर कोर्ट ने याचिका स्वीकारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… जामा मस्जिद में जुमे की नमाज से जुड़ी अपडेट्स के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर