पंजाब में जालंधर के सबसे बड़े रिजॉर्ट्स में से एक “बाठ कैसल” (मैरिज पैलेस) को जालंधर नगर निगम ने नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर बाठ कैसल के मालिकों को तुरंत प्रभाव से 1.58 करोड़ रुपए की बकाया राशि जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। ये कार्रवाई जालंधर नगर निगम के बिल्डिंग विभाग द्वारा की गई है। आरोप है कि बाठ कैसल के मालिकों ने पहली किश्त देने के बाद बकाया राशि नहीं चुकाई। जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि जालंधर नगर निगम द्वारा साल 2017 में बाठ कैसल रेगुलर करने के संबंध में मंजूरी दे दी गई थी। इसकी कुल फीस करीब 1.04 करोड़ बनी थी। पैसा जमा करवाने के लिए 6 किश्त बनाई गई थी। जिसमें पहले किश्त साल 2018 के फरवरी माह में दी गई। जिसका अमाउंट करीब 15 लाख 26 हजार का था। बाकी के पैसे लिए गए समय के अनुसार दिए जाने चाहिए थे। बकाया करीब 89,25 लाख रुपए रह गया था। 2370 दिनों का बना 70 लाख ब्याज पैसा नहीं जमा हुआ तो सरकारी पॉलिसी के अनुसार बकाया अमाउंट पर ब्याज लगना शुरू हो गया था। एक के बाद एक किश्तें छूटती गईं और फाइन बढ़ता गया। ऐसे में बकाया राशि पर करीब 12 प्रतिशत के हिसाब से फाइन लगना शुरू हो गया। बकाया अमाउंट चुकाने से लेकर अब करीब 2370 दिनों का गैप बन चुका है। इसका ब्याज ही करीब 70 लाख रुपए हो गया है। अब नगर निगम की बकाया राशि करीब 1.58 लाख रुपए है। बता दें कि नगर निगम का खजाना भरने के लिए अब बिल्डिंग विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। शहर की अन्य डिफाल्टरों की भी नोटिस भेजा जा रहा है। पंजाब में जालंधर के सबसे बड़े रिजॉर्ट्स में से एक “बाठ कैसल” (मैरिज पैलेस) को जालंधर नगर निगम ने नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी कर बाठ कैसल के मालिकों को तुरंत प्रभाव से 1.58 करोड़ रुपए की बकाया राशि जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। ये कार्रवाई जालंधर नगर निगम के बिल्डिंग विभाग द्वारा की गई है। आरोप है कि बाठ कैसल के मालिकों ने पहली किश्त देने के बाद बकाया राशि नहीं चुकाई। जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि जालंधर नगर निगम द्वारा साल 2017 में बाठ कैसल रेगुलर करने के संबंध में मंजूरी दे दी गई थी। इसकी कुल फीस करीब 1.04 करोड़ बनी थी। पैसा जमा करवाने के लिए 6 किश्त बनाई गई थी। जिसमें पहले किश्त साल 2018 के फरवरी माह में दी गई। जिसका अमाउंट करीब 15 लाख 26 हजार का था। बाकी के पैसे लिए गए समय के अनुसार दिए जाने चाहिए थे। बकाया करीब 89,25 लाख रुपए रह गया था। 2370 दिनों का बना 70 लाख ब्याज पैसा नहीं जमा हुआ तो सरकारी पॉलिसी के अनुसार बकाया अमाउंट पर ब्याज लगना शुरू हो गया था। एक के बाद एक किश्तें छूटती गईं और फाइन बढ़ता गया। ऐसे में बकाया राशि पर करीब 12 प्रतिशत के हिसाब से फाइन लगना शुरू हो गया। बकाया अमाउंट चुकाने से लेकर अब करीब 2370 दिनों का गैप बन चुका है। इसका ब्याज ही करीब 70 लाख रुपए हो गया है। अब नगर निगम की बकाया राशि करीब 1.58 लाख रुपए है। बता दें कि नगर निगम का खजाना भरने के लिए अब बिल्डिंग विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। शहर की अन्य डिफाल्टरों की भी नोटिस भेजा जा रहा है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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