पंजाब के जालंधर में कपूरथला हाईवे पर स्थित स्पोर्ट्स कॉलेज के सामने भीषण सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक युवक मृतक राज नगर का रहने वाला था। टिप्पर मृतक के सिर के ऊपर से गुजर गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उक्त टिप्पर नगर निगम का था, जो मौके पर ही खड़ा था। घटना के समय मृतक अपनी एक्टिवा पर सवार होकर कपूरथला चौक की तरफ जा रहा था। जब वह स्पोर्ट्स कॉलेज के सामने एनएचएस अस्पताल के बाहर पहुंचा तो उसे एक टिप्पर ने टक्कर मार दी। मौके पर बिखरा था खून प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक अपनी एक्टिवा (पीबी-08-सीआर-8269) पर सवार होकर जा रहा था। मृतक का खून मौके पर बिखरा हुआ था और आसपास लोग खड़े थे। हादसे के 40 मिनट बाद पुलिस पार्टी जांच के लिए मौके पर पहुंची। फिलहाल जांच में पता चला है कि मृतक राज नगर का रहने वाला है। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं। पंजाब के जालंधर में कपूरथला हाईवे पर स्थित स्पोर्ट्स कॉलेज के सामने भीषण सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक युवक मृतक राज नगर का रहने वाला था। टिप्पर मृतक के सिर के ऊपर से गुजर गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उक्त टिप्पर नगर निगम का था, जो मौके पर ही खड़ा था। घटना के समय मृतक अपनी एक्टिवा पर सवार होकर कपूरथला चौक की तरफ जा रहा था। जब वह स्पोर्ट्स कॉलेज के सामने एनएचएस अस्पताल के बाहर पहुंचा तो उसे एक टिप्पर ने टक्कर मार दी। मौके पर बिखरा था खून प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक अपनी एक्टिवा (पीबी-08-सीआर-8269) पर सवार होकर जा रहा था। मृतक का खून मौके पर बिखरा हुआ था और आसपास लोग खड़े थे। हादसे के 40 मिनट बाद पुलिस पार्टी जांच के लिए मौके पर पहुंची। फिलहाल जांच में पता चला है कि मृतक राज नगर का रहने वाला है। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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दसूहा में अज्ञात वाहन ने स्कूटी को टक्कर मारी:लड़की की मौत, महिला गंभीर घायल; शोरूम पर काम करने जा रहीं थी दोनों होशियारपुर जिले के दसूहा में जालंधर-पठानकोट नेशनल हाईवे पर अज्ञात वाहन ने स्कूटी को टक्कर मार दी। हादसे में लड़की की मौत गई, जबकि महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। दोनों रोजाना की तरह शोरूम पर काम करने के लिए जा रहीं थी। हादसा आज सुबह करीब 9 बजे शहीद उस्मान गांव में हुआ। मृतक लड़की की पहचान सोनिया (21) निवासी संग्याल के तौर पर हुई। जो घायल महिला अंजना निवासी संसारपुर गांव के साथ दसूहा स्थित हुंडई शोरूम में काम करने जा रही थी। इसी दौरान हादसा हो गया। घायल महिला अंजना के परिवार सदस्यों ने बताया कि अंजना और सोनिया एक साथ काम पर गई थीं। लेकिन किसी अज्ञात वाहन ने इनकी स्कूटी को पीछे से टक्कर मार दी। जिस कारण सोनिया की मौत हो गई और अंजना गंभीर जख़्मी है। जिसकी हालत नाजुक होने पर जालंधर रेफर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि हादसे के बाद वाहन चालक मौके से फरार हो गया। दसूहा पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच कर अज्ञात वाहन को ट्रेस करने की कोशिश कर रही है।
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बच्चे का उम्र मुताबिक बात न करना, सोशली एक्टिव न होना, पंजे के बल चलना जैसे लक्षण ऑटिज्म की निशानी ऑटिज्म एक ऐसा डिसऑर्डर है जो कि लगातार बढ़ रहा है। कोविड के बाद ऑटिज्म के अलावा वर्चुअल ऑटिज्म के मामले भी बढ़े हैं। हालांकि इसे जांच और इलाज की उपलब्धता और जागरुकता का बढ़ना भी माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑटिज्म के मामले 2-8 साल के बच्चों में रिपोर्ट हो रहे हैं। जिसमें 5-6 बच्चे रोजाना कंसलटेशन के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि जितनी जल्दी इलाज और ट्रेनिंग की शुरुआत होगी उतने अवसर बच्चों के ऑटिज्म स्पेक्ट्रम या रेंज से बाहर आने के हो सकते हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अतुल मदान ने बताया कि ऑटिज्म को समय पर पहचानने और बिना देरी किए ट्रेनिंग और इलाज की शुरुआत से काफी हद तक बदलाव संभव है। भास्कर एक्सप्लेनर : 3 साल की उम्र में पता चले तो हल संभव ऑटिज्म को कैसे पहचान सकते हैं? -ये न्यूरोलॉजिकल और डेवल्पमेंट डिसऑर्डर है। इसकी तीन श्रेणियां हैं जिसमें पहली बच्चे का उम्र के मुताबिक बात न करना, दूसरी अपने आप बात न कर पाना, आई कॉन्टेक्ट न बनाना व तीसरी श्रेणी में हाथ को बार-बार हिलाना, पंजे के बल चलना इत्यादि शामिल हैं। अगर बच्चे में ये आदतें हैं तो कंसलटेशन जरूरी है। ये किस उम्र में होता व दवा से इलाज होता है? -आमतौर पर डेढ़ साल की उम्र तक इसके लक्षण नहीं आते। लेकिन डेढ़ साल के बाद कई तरह के लक्षण दिखना शुरू होते हैं। हम अक्सर कहते हैं कि अगर 3 साल से पहले ही पता चल जाए तो इलाज और ट्रेनिंग से काफी हल हो सकता है। इसमें दवाइयां नहीं होती बल्कि ट्रेनिंग जैसे स्पीच, बिहेवियर की ट्रेनिंग होती हैं। इन बच्चों के लिए ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, स्पीच थैरेपिस्ट, स्पेशल एजुकेटर, बिहेवियर थैरेपिस्ट, पेरेंटल ट्रेनर की जरूरत होती है। समय पर इलाज न हो तो क्या समस्याएं आती हैं? -कई बार पेरेंट्स या घर के बड़े ही बच्चे के बोलने में देरी, लोगों से न मिलने की आदत या आंखें मिला कर बात न कर पाने की बातों को यह कह कर टालते हैं कि सीख जाएगा अभी छोटा है। लेकिन यह देरी बच्चे के लिए परेशानी वाली हो सकती है। इसमें अगर ये बच्चे सामाजिक तौर पर एक्टिव नहीं होंगे तो समाज और पढ़ाई में पिछड़ जाएंगे। फिर उनके व्यवहार में गुस्सा, चीजें फेंकना, खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाना जैसे व्यवहार में बदल सकता है।
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