पंजाब की जालंधर कोर्ट में फर्जी जमानत देने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस के थाना नवी बारादरी की पुलिस ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। केस में पुलिस ने दो भाइयों और उनकी मां का नाम शामिल किया है। सभी आरोपियों ने मिलकर जालंधर कोर्ट में फर्जी जमानत देने की कोशिश की थी। जब इस बारे में कोर्ट दस्तावेज चेक किए गए तो आरोपियों का खुलासा हुआ। पुलिस ने जज के रीडर की शिकायत पर तीनों आरोपियों के खिलाफ 3 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की की हैं। फिलहाल मामले में किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मां को दो केसों में किया गया नामजद, बेटों पर 1-1 केस दर्ज पहला केस दीपक हांडा पुत्र श्याम लाल हांडा, दूसरे केस में चंदन हांडा पुत्र श्याम लाल हांडा और मां हीना हांडा पत्नी श्याम लाल हांडा और तीसरी एफआईआर में वीना हांडा को नामजद किया गया है। सभी आरोपी इंडस्ट्री एरिया, फोकल पॉइंट, जालंधर के रहने वाले हैं। तीनों केसों में पुलिस ने बीएनएस की धारा 319, 318(4), 336, 336(2), 338, 340 और 61(2) जोड़ी गई हैं। मां को दो केसों में नामजद किया गया है। वहीं, दोनों पुत्रों के खिलाफ अलग-अलग एक-एक केस दर्ज हुआ है। आरोपियों की गिरफ्तार करने के लिए टीमें प्रयास कर रही है। तीनों FIR’s में फेक दस्तावेज लगाने का है आरोप तीनों एफआईआर में जालंधर कोर्ट में तैनात जज की रीडर द्वारा कहा गया है कि आरोपियों ने उनकी अदालत में अलग-अलग केसों में फर्जी दस्तावेज सहित अन्य कई फर्जी प्रूफ लगाकर जमानत दिलवाने की कोशिश की है। आरोपी ने फर्जी दस्तावेज पेशकर आरोपियों की जमानत भरी। ऐसा करने के चलते आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। थाना बारादरी को जब जानकारी मिली तो तुरंत केस दर्ज किया गया। पंजाब की जालंधर कोर्ट में फर्जी जमानत देने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस के थाना नवी बारादरी की पुलिस ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। केस में पुलिस ने दो भाइयों और उनकी मां का नाम शामिल किया है। सभी आरोपियों ने मिलकर जालंधर कोर्ट में फर्जी जमानत देने की कोशिश की थी। जब इस बारे में कोर्ट दस्तावेज चेक किए गए तो आरोपियों का खुलासा हुआ। पुलिस ने जज के रीडर की शिकायत पर तीनों आरोपियों के खिलाफ 3 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की की हैं। फिलहाल मामले में किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मां को दो केसों में किया गया नामजद, बेटों पर 1-1 केस दर्ज पहला केस दीपक हांडा पुत्र श्याम लाल हांडा, दूसरे केस में चंदन हांडा पुत्र श्याम लाल हांडा और मां हीना हांडा पत्नी श्याम लाल हांडा और तीसरी एफआईआर में वीना हांडा को नामजद किया गया है। सभी आरोपी इंडस्ट्री एरिया, फोकल पॉइंट, जालंधर के रहने वाले हैं। तीनों केसों में पुलिस ने बीएनएस की धारा 319, 318(4), 336, 336(2), 338, 340 और 61(2) जोड़ी गई हैं। मां को दो केसों में नामजद किया गया है। वहीं, दोनों पुत्रों के खिलाफ अलग-अलग एक-एक केस दर्ज हुआ है। आरोपियों की गिरफ्तार करने के लिए टीमें प्रयास कर रही है। तीनों FIR’s में फेक दस्तावेज लगाने का है आरोप तीनों एफआईआर में जालंधर कोर्ट में तैनात जज की रीडर द्वारा कहा गया है कि आरोपियों ने उनकी अदालत में अलग-अलग केसों में फर्जी दस्तावेज सहित अन्य कई फर्जी प्रूफ लगाकर जमानत दिलवाने की कोशिश की है। आरोपी ने फर्जी दस्तावेज पेशकर आरोपियों की जमानत भरी। ऐसा करने के चलते आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। थाना बारादरी को जब जानकारी मिली तो तुरंत केस दर्ज किया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब सरकार पर राम रहीम का आरोप:SC में पूरे तथ्य नहीं रखे; कहा-HC में हम इनको रख चुके, सुप्रीम कोर्ट जारी कर चुका नोटिस पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी नोटिस पर डेरा प्रमुख राम रहीम की और प्रतिक्रिया आई है। डेरा प्रवक्ता की ओर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में डेरा अपना पक्ष रखेगा। पंजाब सरकार की याचिका पर सवाल उठाते हुए डेरा प्रवक्ता ने कहा कि इस याचिका में अधूरे तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है। इसका हम कानूनी जवाब सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही पूरे तथ्यों के साथ दायर करेंगे। हमने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष जब सभी तथ्यों को रखा था तो हाईकोर्ट ने इन केसों पर रोक लगा दी थीI सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18 अक्टूबर) को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें गुरमीत राम रहीम के खिलाफ 2015 में पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में ट्रायल पर रोक लगाई गई थी। इसलिए हाईकोर्ट गया था राम रहीम जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा राम रहीम के ट्रायल पर रोक को चुनौती दी गई थी।दरअसल, 2021 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने जून और अक्टूबर 2015 के बीच श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की तीन अलग-अलग घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने राम रहीम को आरोपी बनाया था। डेरा प्रमुख ने की थी सीबीआई जांच जारी रखने की मांग हाईकोर्ट में डेरा प्रमुख ने पंजाब सरकार की 6 सितंबर, 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें सरकार ने जांच को सीबीआई को सौंपने की अपनी सहमति वापस ले ली थी। अपनी याचिका में डेरा प्रमुख ने मांग की थी कि सीबीआई को बेअदबी के मामलों की जांच जारी रखने का निर्देश दिया जाए। इस साल मार्च में हाईकोर्ट ने इस याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति को बाद में वापस लिया जा सकता है या नहीं। इसके बाद कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जिस पर पंजाब सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कल की सुनवाई में दी गईं ये दलीलें वहीं कल यानी 18 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि 6 सितंबर की अधिसूचना कानून की नजर में सही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया है। दूसरी ओर, प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने बस वही किया है जो पंजाब सरकार ने वैकल्पिक रूप से अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा दो तरह के मामलों से संबंधित है – पहला- पुलिस गोलीबारी की घटनाओं से संबंधित है, और दूसरा- बेअदबी से संबंधित है। इसके अलावा, इस मुद्दे पर अलग-अलग विचार लिए गए हैं, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा बड़ी बेंच को रेफर किया गया। सीनियर वकील ने यह भी कहा कि मामला आज डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध है और अगर राज्य स्थगन नहीं ले रहा होता, तो अब तक इस पर फैसला हो चुका होता। माथुर की बात सुनते हुए जस्टिस गवई ने पूछा, “कैसे… समन्वय पीठ के आदेश की अनदेखी कर सकते हैं? “पंजाब के एजी ने भी माथुर की दलील का विरोध करते हुए कहा कि सभी मामले अधिसूचना का हिस्सा थे। आखिरकार, पीठ ने नोटिस जारी किया और विवादित आदेश पर रोक लगा दी। यहां जानिए पूरा विवाद… इस विवाद के केंद्र में पंजाब में अपवित्रीकरण की कई घटनाएं हैं, जो जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले। बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। जून 2019 में, सीबीआई ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला, लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल दोनों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कुछ ही महीनों के भीतर, पंजाब सरकार ने सीबीआई को जांच करने की अनुमति देने वाली सहमति वापस ले ली और मामलों को राज्य पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दिया गया। तीनों मामलों में आरोप तय करने पर बहस के दौरान फरीदकोट अदालत में मुकदमा लंबित था। सीबीआई जांच के नतीजे से पूरी तरह अलग हटकर, एसआईटी ने कई डेरा अनुयायियों, तीन राष्ट्रीय समिति के सदस्यों और डेरा प्रमुख राम रहीम को बेअदबी के मामलों में आरोपी बनाया। पंजाब पुलिस ने विवादास्पद, गुरमीत राम रहीम सिंह को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया। 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी के मामलों में राम रहीम और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजाब के फरीदकोट से चंडीगढ़ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था।
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अमृतसर में जमीन कब्जाने का वीडियो वायरल:हथियार लेकर खड़े युवकों का वीडियो हुआ वायरल; पुलिस ने प्रिवेंटिव एक्शन लिया, जांच जारी पंजाब में जमीन कब्जाने को लेकर दो पक्ष एक दूसरे के आमने सामने हो गए। हथियार लेकर दोनों ही पक्ष एक दूसरे के सामने खड़े हुए और जमीन पर दावेदारी पेश की। हथियार लेकर खेतों में खड़े युवकों का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पुलिस को इसमें दखलअंदाजी करनी पड़ी। पुलिस ने प्रिवेंटिव एक्शन लेते हुए दोनों पक्षों को किसी भी तरह का कदम ना उठाने का आदेश दिया है। डीएसपी जंडियाला धर्मेंद्र कल्याण ने जानकारी दी कि ये घटना बंडाला के गांव सुक्खेवाल की है। जिस जमीन को लेकर झगड़ा शुरू हुआ, वे एक सांझी जमीन है। इस जमीन को गुरप्रीत सिंह ने रणजीत सिंह नाम के व्यक्ति को ठेके पर दे रखा था। लेकिन ये जमीन अब हाईवे के करीब आ चुकी है। जिसके बाद गुरप्रीत सिंह अब ये जमीन वापस चाहता है और रणजीत सिंह इसे वापस नहीं देना चाहता। पुलिस ने कब्जा करने की घटना से किया इनकार डीएसपी धर्मेंद्र कल्याण ने बताया कि ये घटना जमीन कब्जाने को लेकर नहीं है। दोनों ही पार्टियां इसे लेकर अपना-अपना दावा ठोक रहीं हैं। घटना का पता लगते ही पुलिस मौके पर पहुंची और प्रिवेंटिव एक्शन लिया गया। हिदायत दी गई कि झगड़े जैसा कोई कदम ना उठाया जाए। पुलिस ने जांच की शुरू पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। डीएसपी जंडियाला ने जानकारी दी कि दोनों पक्षों को अपने अपने दावे पेश करने के लिए कहा गया है और जमीन संबंधी डॉक्यूमेंट भी देने के लिए कहा गया है। ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बना:जत्थेदार ने जताया विरोध, कहा- इतना नीचे तो समुद्र में टाइटैनिक भी नहीं गिरा
ज्ञानी हरप्रीत सिंह का फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बना:जत्थेदार ने जताया विरोध, कहा- इतना नीचे तो समुद्र में टाइटैनिक भी नहीं गिरा सिखों के पांच तख्तों में से एक श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नाम से फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाया गया है। इस बारे में खुद ज्ञानी हरप्रीत सिंह की टीम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दी है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस पेज को बनाने वाले को नसीहत भी दी है। एसजीपीसी सदस्यों ने इस कृत्य का विरोध किया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह की टीम ने फर्जी फेसबुक पेज की जानकारी शेयर करते हुए लिखा- ऐसी घटिया और घिनौनी हरकतें कभी किसी सिख के दिमाग में भी नहीं आ सकती। हम मानते हैं कि आपके पास पैसा है, पूरा नेटवर्क सिस्टम है और कुछ चाटुकार भी हैं। लेकिन इस हद तक गिरना नैतिक रूप से हीन होने का सबूत है। माननीय सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नाम से फर्जी पेज बनाकर उससे अलग-अलग पोस्ट पर निम्न स्तर की टिप्पणियां की जा रही हैं। टाइटैनिक भी समुद्र में इतना नीचे नहीं गिरा था जितना आप गिरे हैं। बस इतना ही कहूंगा, गुरु आपको आशीर्वाद दें। गुरु की प्यारी संगत से निवेदन है कि ऐसे नकली पेजों से सावधान रहें। SGPC सदस्यों ने जताई चिंता एसजीपीसी सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के नाम से पेज बनाकर गलत टिप्पणी करना निंदनीय है। सिख धर्म में तख्त श्री दमदमा साहिब का विशेष महत्व है। इस तरह की हरकत से सिख समुदाय को ठेस पहुंची है। यह ज्ञानी हरप्रीत सिंह की गरिमा है कि इस हरकत के बावजूद वे इस हरकत को करने वाले की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कुछ दिन पहले दिया था इस्तीफा ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कुछ दिन पहले अकाली दल के पूर्व नेता विरसा सिंह वल्टोहा पर उन्हें धमकाने का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। दरअसल, ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर आरएसएस और भाजपा से संबंध रखने का आरोप था। विरसा सिंह वल्टोहा की इस हरकत के बाद उन्हें अकाली दल से निकाल दिया गया था। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा था कि विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ कुछ दिन पहले श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से आदेश दिए गए थे। लेकिन उसके बाद भी उन्हें हर घंटे धमकियां दी जा रही हैं और उनके परिवार को बेनकाब करने की बात कही जा रही है और उनकी बेटियों के बारे में भी बोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे विरसा सिंह वल्टोहा से नहीं डरते हैं, बल्कि शिरोमणि अकाली दल का सोशल मीडिया विंग विरसा सिंह वल्टोहा का समर्थन कर रहा है और अकाली दल के नए नेता, जिनका पंथक परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है, उनका समर्थन कर रहे हैं।