पंजाब का जालंधर वेस्ट हलका, यहां 10 जुलाई को उपचुनाव को लेकर वोटिंग होनी है। सभी पार्टियों के लिए जालंधर वेस्ट हलका राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम बनता जा रहा है। हर पार्टी अपना अपना जोर लगा रही है। मगर सबसे अहम लड़ाई इस बार बीजेपी पार्टी के साथ दशकों तक रहे दो धुरंधरों के बीच है। जिसमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत और बीजेपी उम्मीदवार शीतल अंगुराल हैं। मोहिंदर भगत बीजेपी छोड़ आप में शामिल हुए थे। वहीं, शीतल अंगुराल पहले बीजेपी में थे, फिर आदमी पार्टी में गए। आप ने शीतल को वेस्ट हलके से उम्मीदवार घोषित किया और उन्होंने जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव के दौरान शीतल ने दोबारा बीजेपी जॉइंन कर ली। दोनों नेताओं की वेस्ट हलके में अच्छी पकड़ है। 2022 विधानसभा चुनवा में भी दोनों नेता आमने सामने थे, मगर दोनों की पार्टी एक दूसरे की थी। तब शीतल आप के साथ थे और भगत बीजेपी के साथ। उप चुनाव में राजनीतिक समीकरण ऐसे बन गए हैं कि दोनों फिर आमने सामने हैं। दोनों दलबदलू नेताओं को टिकट दिया गया है। 2022 विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थे भगत साल 2022 विधानसभा चुनाव भी मोहिंदर भगत ने लड़ा था। तब भगत ने उक्त चुनाव भारतीय जनता पार्टी की ओर से लड़ा था। इससे पहले भी वह बीजेपी की टिकट पर ही वेस्ट हलके से चुनाव लड़े थे। मगर दोनों बार उन्हें हार का सामान करना था। भगत 2022 विधानसभा चुनवा में तीसरे नंबर पर थे, जिन्हें 33 हजार 486 वोट मिले थे। भगत अपनी पार्टी के लिए सिर्फ 28.81% वोट ही जुटा पाए थे। वहीं, दूसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुशील कुमार रिंकू (अब बीजेपी में) थे, जिन्हें 34 हजार 960 वोट मिले थे। आप के उम्मीदवार रहे शीतल अंगुराल ने 39 हजार 213 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। जिन्होंने कुल 33.73 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इस बार लोकसभा चुनाव में भी भगत कुछ खास नहीं कर पाए। भगत आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को सिर्फ 15 हजार 629 वोट ही दिलवा पाए थे। भगत को पिता की विरासत का फायदा मिला भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए मोहिंदर भगत को पिता की विरासती वाली वोट बैंक के सहारे आप ने उन पर यकीन जताई है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोहिंदर भगत को पिता की विरासत का फायदा हो रहा है। जालंधर वेस्ट हलके से आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत, अकाली बीजेपी-सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नी लाल के बेटे हैं। चुन्नी का वेस्ट हलके में अपना ही एक बड़ा वोट बैंक है, जोकि हमेशा भगत परिवार के साथ रहता है। जब भगत परिवार बीजेपी में था, तो उनके समर्थक बीजेपी को वोट देते थे। आज वह आम आदमी पार्टी में है, तो उनके समर्थक आप को वोट दे रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भगत परिवार के पक्के वोट बैंक पर भरोसा जताया है। अंगुराल की युवाओं में पकड़, वेस्ट हलके में BJP आगे से मजबूत बता दें कि आम आदमी पार्टी छोड़कर दोबारा बीजेपी में शामिल हुए शीतल अंगुराल वेस्ट हलके में युवाओं के बीच अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं। क्योंकि अक्सर शीतल अपने दोस्तों और मददगारों के लिए अपनी ही पार्टी नेताओं के सामने भी खड़े हो जाते थे। इसलिए शीतल की युवाओं में काफी पकड़ है। इस बार शीतल अंगुराल को बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित किया है। शीतल के उम्मीदवार घोषित किए जाने से वेस्ट हलके में बीजेपी इस वक्त ज्यादा बेहतर स्थिति में है। भगत जब विधानसभा चुनाव लड़े थे, जब बीजेपी तीसरे नंबर पर थी। मगर लोकसभा चुनावों में बीजेपी दूसरे नंबर पर थी और पहले पर कांग्रेस थी। भगत की अध्यक्षता में आप खिसक कर तीसरे नंबर पर आ गई थी। बीजेपी कांग्रेस से सिर्फ 1557 वोट पीछे थी। जिससे बीजेपी की स्थिति शीतल की देखरेख में काफी पुख्ता मानी जा रही है। शीतल अंगुराल के इस्तीफे के बाद हो रहा उपचुनाव लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 27 मार्च को शीतल अंगुराल भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन 29 मई को अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने का मन बनाया था। 30 मई को अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा था। 3 जून को स्पीकर ने अंगुराल को इस्तीफे पर बातचीत को लेकर बुलाया था। मगर 30 मई को अंगुराल का इस्तीफा मंजूर कर दिया गया। इस पर अंगुराल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही थी। दिलचस्प बात यह है कि भगत और अंगुराल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मैदान में थे। तब मोहिंदर भगत बीजेपी के उम्मीदवार थे और अंगुराल AAP की तरफ से कैंडिडेट थे। इस बार उलट हो गया है। भगत AAP के तो अंगुराल भाजपा के कैंडिडेट हैं। पंजाब का जालंधर वेस्ट हलका, यहां 10 जुलाई को उपचुनाव को लेकर वोटिंग होनी है। सभी पार्टियों के लिए जालंधर वेस्ट हलका राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम बनता जा रहा है। हर पार्टी अपना अपना जोर लगा रही है। मगर सबसे अहम लड़ाई इस बार बीजेपी पार्टी के साथ दशकों तक रहे दो धुरंधरों के बीच है। जिसमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत और बीजेपी उम्मीदवार शीतल अंगुराल हैं। मोहिंदर भगत बीजेपी छोड़ आप में शामिल हुए थे। वहीं, शीतल अंगुराल पहले बीजेपी में थे, फिर आदमी पार्टी में गए। आप ने शीतल को वेस्ट हलके से उम्मीदवार घोषित किया और उन्होंने जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव के दौरान शीतल ने दोबारा बीजेपी जॉइंन कर ली। दोनों नेताओं की वेस्ट हलके में अच्छी पकड़ है। 2022 विधानसभा चुनवा में भी दोनों नेता आमने सामने थे, मगर दोनों की पार्टी एक दूसरे की थी। तब शीतल आप के साथ थे और भगत बीजेपी के साथ। उप चुनाव में राजनीतिक समीकरण ऐसे बन गए हैं कि दोनों फिर आमने सामने हैं। दोनों दलबदलू नेताओं को टिकट दिया गया है। 2022 विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर थे भगत साल 2022 विधानसभा चुनाव भी मोहिंदर भगत ने लड़ा था। तब भगत ने उक्त चुनाव भारतीय जनता पार्टी की ओर से लड़ा था। इससे पहले भी वह बीजेपी की टिकट पर ही वेस्ट हलके से चुनाव लड़े थे। मगर दोनों बार उन्हें हार का सामान करना था। भगत 2022 विधानसभा चुनवा में तीसरे नंबर पर थे, जिन्हें 33 हजार 486 वोट मिले थे। भगत अपनी पार्टी के लिए सिर्फ 28.81% वोट ही जुटा पाए थे। वहीं, दूसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुशील कुमार रिंकू (अब बीजेपी में) थे, जिन्हें 34 हजार 960 वोट मिले थे। आप के उम्मीदवार रहे शीतल अंगुराल ने 39 हजार 213 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। जिन्होंने कुल 33.73 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इस बार लोकसभा चुनाव में भी भगत कुछ खास नहीं कर पाए। भगत आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को सिर्फ 15 हजार 629 वोट ही दिलवा पाए थे। भगत को पिता की विरासत का फायदा मिला भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए मोहिंदर भगत को पिता की विरासती वाली वोट बैंक के सहारे आप ने उन पर यकीन जताई है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोहिंदर भगत को पिता की विरासत का फायदा हो रहा है। जालंधर वेस्ट हलके से आप उम्मीदवार मोहिंदर भगत, अकाली बीजेपी-सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नी लाल के बेटे हैं। चुन्नी का वेस्ट हलके में अपना ही एक बड़ा वोट बैंक है, जोकि हमेशा भगत परिवार के साथ रहता है। जब भगत परिवार बीजेपी में था, तो उनके समर्थक बीजेपी को वोट देते थे। आज वह आम आदमी पार्टी में है, तो उनके समर्थक आप को वोट दे रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भगत परिवार के पक्के वोट बैंक पर भरोसा जताया है। अंगुराल की युवाओं में पकड़, वेस्ट हलके में BJP आगे से मजबूत बता दें कि आम आदमी पार्टी छोड़कर दोबारा बीजेपी में शामिल हुए शीतल अंगुराल वेस्ट हलके में युवाओं के बीच अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं। क्योंकि अक्सर शीतल अपने दोस्तों और मददगारों के लिए अपनी ही पार्टी नेताओं के सामने भी खड़े हो जाते थे। इसलिए शीतल की युवाओं में काफी पकड़ है। इस बार शीतल अंगुराल को बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित किया है। शीतल के उम्मीदवार घोषित किए जाने से वेस्ट हलके में बीजेपी इस वक्त ज्यादा बेहतर स्थिति में है। भगत जब विधानसभा चुनाव लड़े थे, जब बीजेपी तीसरे नंबर पर थी। मगर लोकसभा चुनावों में बीजेपी दूसरे नंबर पर थी और पहले पर कांग्रेस थी। भगत की अध्यक्षता में आप खिसक कर तीसरे नंबर पर आ गई थी। बीजेपी कांग्रेस से सिर्फ 1557 वोट पीछे थी। जिससे बीजेपी की स्थिति शीतल की देखरेख में काफी पुख्ता मानी जा रही है। शीतल अंगुराल के इस्तीफे के बाद हो रहा उपचुनाव लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 27 मार्च को शीतल अंगुराल भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन 29 मई को अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने का मन बनाया था। 30 मई को अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा था। 3 जून को स्पीकर ने अंगुराल को इस्तीफे पर बातचीत को लेकर बुलाया था। मगर 30 मई को अंगुराल का इस्तीफा मंजूर कर दिया गया। इस पर अंगुराल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही थी। दिलचस्प बात यह है कि भगत और अंगुराल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मैदान में थे। तब मोहिंदर भगत बीजेपी के उम्मीदवार थे और अंगुराल AAP की तरफ से कैंडिडेट थे। इस बार उलट हो गया है। भगत AAP के तो अंगुराल भाजपा के कैंडिडेट हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
सीयूईटी यूजी : 12वीं में पढ़े गए विषयों की परवाह किए बिना किसी भी विषय में दे सकते हैं परीक्षा
सीयूईटी यूजी : 12वीं में पढ़े गए विषयों की परवाह किए बिना किसी भी विषय में दे सकते हैं परीक्षा भास्कर न्यूज | जालंधर/फाजिल्का कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यूजी यूजी 2025 परीक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। अब छात्र अधिकतम पांच विषयों की परीक्षा दे सकेंगे। सभी विषयों के लिए परीक्षाओं की अवधि 60 मिनट होगी। इसके साथ ही वैकल्पिक प्रश्नों को भी समाप्त कर दिया गया है। सीयूईटी-यूजी 63 के बजाय 37 विषयों में आयोजित की जाएगी। मालूम हो कि यूजीसी ने सीयूईटी-यूजी और पीजी के संचालन की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति के सुझाव पर कई फैसले लिए गए हैं। प्रो. कुमार ने कहा कि इस बार स्टूडेंट्स के कई परेशानियों को समाप्त कर दिया गया है। सीयूईटी देने वाले स्टूडेंट्स के लिए बेहतर, अधिक कुशल और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में निरंतर सुधार किया जा रहा है। पिछले साल सीयूईटी यूजी और पीजी परीक्षा का आयोजन हाइब्रिड बोर्ड में किया गया था। मतलब सीबीटी और ऑनलाइन दोनों मोड में एग्जाम आयोजित किए गए थे। कई तकनीकी समस्याएं भी देखने को मिली थी। लेकिन इस बार हाइब्रिड मोड को हटाने का फैसला यूजीसी ने लिया है। अब केवल कंप्यूटर आधारित टेस्ट फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित की जाएगी। पिछले साल की तरह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में नहीं होगी। इस बार परीक्षा के आयोजन के लिए पिछले तीन वर्षों के अनुभवों का भी विश्लेषण किया गया। इसके आधार पर स्टूडेंट्स जिन पेपरों को सबसे कम अटेंप्ट करते हैं उन्हें हटाया गया है। इससे छात्रों को काफी फायदा मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी कहती है कि छात्रों को किसी एक डिसिप्लिन की बाउंड्री में नहीं बांधा जाना चाहिए। यूनिवर्सिटीज को अपने नियमों में बदलाव करना होगा। परीक्षार्थियों ने अपने बोर्ड में जो पढ़ा है, उसके अनुसार उन्हें प्रश्नों का चयन करने की सुविधा हटा लेने से वे कुछ प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकेंगे जो उनके ओवरऑल अंकों पर असर डालेंगे। इसमें नॉर्मलाइजेशन की क्या भूमिका होगी यह जानना अहम होगा। सीयूईटी यूजी के क्वेश्चन पेपर में मिलने वाली चॉइस खत्म कर दी गई है, अब सभी स्टूडेंट्स के लिए एक जैसा प्रश्नपत्र ही होगा। सभी सवाल अनिवार्य होंगे। पेपरों की टाइमिंग एक जैसी होगी। 2024 में 283 यूनिवर्सिटीज ने सीयूईटी यूजी को अपनाया, इस बार 300 से ज्यादा 2024 में 283 यूनिवर्सिटीज ने सीयूईटी यूजी को अपनाया था। इस बार यह संख्या 300 से ज्यादा होगी। इस बार जो 23 सब्जेक्ट रखे गए हैं, उनमें- अकाउंट बुक कीपिंग, बिजनेस स्टडीज, एग्रीकल्चर, फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स अप्लाइड मैथमेटिक्स, बायोलोजी-बायोलोजिकल साइंस-बायोकेमिस्ट्री -बायोटेक्नॉलजी, परफॉर्मिंग आर्ट्स (डांस, ड्रामा, म्यूजिक), फाइन आर्ट-विजुअल आर्ट- कॉमर्शियल आर्ट, ज्योग्राफी- जियोलोजी, हिस्ट्री, होम साइंस, मास मीडिया- मास कम्यूनिकेशन, पॉलिटिकल साइंस, साइकॉलजी, सोशियॉलजी, संस्कृत, एन्वायरमेंटल साइंस, नॉलेज ट्रेडिशन- प्रैक्टिस इन इंडिया, फिजिकल एजुकेशन (योगा- स्पोर्ट्स), एंथ्रोपोलोजी, इकनॉमिक्स- बिजनेस इकनॉमिक्स, कंप्यूटर साइंस-इंफर्मेटिक्स प्रैक्टिस शामिल हैं। 13 लैंग्वेज में असमिया, बांग्ला, इंग्लिश, गुजराती, हिंदी, कन्नड, मलयालम, मराठी, पंजाबी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और उर्दू में लैंग्वेज के पेपर होंगे। बाकी जो 20 लैंग्वेज के पेपर (विदेशी भाषाओं सहित) हटाए गए हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू दिल्ली में बरसे:बोले-केजरीवाल है देशद्रोही,हर बात के लिए मोदी से झगड़ते, राजधानी को किया तबाह
केन्द्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू दिल्ली में बरसे:बोले-केजरीवाल है देशद्रोही,हर बात के लिए मोदी से झगड़ते, राजधानी को किया तबाह केन्द्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने दिल्ली में डेरा जमा लिया है। बिट्टू एक जनसभा दौरान आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग अरविंद केजरीवाल से पीड़ित है। केजरीवाल ने पंजाब को बरबाद कर दिया है। आज पंजाब पर 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। नशे के हालात पर पंजाब में सरकार काबू पाने में विफल रही है। पंजाब के लोगों से लूटा पैसा दिल्ली चुनाव में आप सरकार लगा रही है। पंजाब में महिलाओं से केजरीवाल ने बोला झूठ बिट्टू ने कहा कि केजरीवाल ने पंजाब में महिलाओं को झूठा वादा किया था महिलाओं को 1 हजार रुपए देंगे। आज 3 साल का समय हो गया है। प्रत्येक महिला का अब तक 36 हजार रुपए बन चुका है। बुढ़ापा पेंशन जो कही थी एक हजार अभी तक वह किसी बुजुर्ग को नहीं मिली। विधवा पेंशन या शगुन योजना तक लागू सही से नहीं की गई। यही कारण है कि आज हमें दिल्ली आकर लोगों को जगाना पड़ रहा है। डबल इंजन की सरकार बनने से होता विकास बिट्टू ने कहा कि डबल इंजन की सरकार लोगों को बनानी चाहिए ताकि विकास हो सके। जम्मू-कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्लदुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अच्छे संबंध रखे है जिस कारण आज कश्मीर में भी विकास के काम चल रहे है लेकिन केजरीवाल देश की राजधानी में रहकर देशद्रोह कर रहे है। दिल्ली को तबाह करने में केजरीवाल जुटे है। प्रधानमंत्री की हार बात का वह विरोध करके विकास कार्यों में अड़चन डाल रहे है।
हरियाणा से रवनीत बिट्टू को राज्यसभा भेजने की तैयारी:केंद्रीय राज्यमंत्री के जरिए सिख वोटरों को लुभाने की कोशिश, पंजाब उपचुनाव पर भी BJP की नजर
हरियाणा से रवनीत बिट्टू को राज्यसभा भेजने की तैयारी:केंद्रीय राज्यमंत्री के जरिए सिख वोटरों को लुभाने की कोशिश, पंजाब उपचुनाव पर भी BJP की नजर पंजाब के लुधियाना से हार के बावजूद केंद्रीय राज्य मंत्री बने रवनीत सिंह बिट्टू को राज्यसभा भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि हरियाणा से एकमात्र राज्यसभा सीट से रवनीत बिट्टू को मैदान में उतारा जा सकता है। हरियाणा से उनकी एंट्री गेमचेंजर साबित हो सकती है। ऐसा करके बीजेपी हरियाणा विधानसभा के साथ-साथ पंजाब की 4 उपचुनाव वाली सीटों पर भी नजर रख रही है। हरियाणा की बात करें तो इस साल कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। पंजाब की सीमा से सटे हरियाणा के जिलों में सिख वोटों का खासा प्रभाव है। पहले विधायक संदीप सिंह हरियाणा में सिखों की कमान संभालते थे। लेकिन सत्ता परिवर्तन के समय उन्हें कोई मंत्री पद नहीं दिया गया। हरियाणा की खाली हुई राज्यसभा सीट पर रवनीत बिट्टू को उतारकर बीजेपी सिख वोटों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है। इसके अलावा पंजाब में गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक, बरनाला और चब्बेवाल में उपचुनाव होने हैं। बिट्टू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाने के बाद भाजपा उन्हें राज्यसभा भेजकर इन चारों सीटों पर अपने वोट बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। हरियाणा से भी कई चेहरे दौड़ में रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। रवनीत बिट्टू के अलावा रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनखड़, संजय भाटिया, मनीष ग्रोवर, कुलदीप बिश्नोई और सुनीता दुग्गल समेत कई वरिष्ठ नेता भी दावेदार हैं। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं किरण चौधरी भी दौड़ में हैं। जानें कौन हैं रवनीत बिट्टू रवनीत सिंह बिट्टू इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। बीजेपी ने उन्हें लुधियाना सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें केंद्रीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री बनाया। रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं, जिनकी 1995 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।