मथुरा के बांके बिहारी मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है। मंदिर के पीछे परिक्रमा मार्ग में पत्थर के हाथियों के मुख से पानी निकल रहा है, जिसे श्रद्धालु पी रहे हैं। कोई इसे ठाकुर जी का चरणामृत कह रहा तो कोई AC से डिस्चार्ज पानी बता रहा है। इस वीडियो की हकीकत क्या है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम मंदिर पहुंची। पहले जानिए सोशल मीडिया पर वीडियो में क्या दिख रहा
वीडियो में कुछ श्रद्धालु हाथियों के मुंह से आ रहे पानी को माथे से लगा रहे हैं। चरणामृत समझकर आचमन कर रहे हैं। कोई पानी को सिर पर छिड़क रहा तो कोई आंखों और गले पर लगाकर शीश नवा रहा है। कुछ श्रद्धालु इस पानी को प्लास्टिक के गिलास में भरकर पी रहें तो कुछ भरकर घर ले जा रहे हैं। इसी दौरान एक आवाज आती है… दीदी ये जिस पानी को आप चरणामृत समझकर पी रहीं न… ये AC का पानी है। दैनिक भास्कर के रियलिटी चेक में क्या निकला
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर पवन गौतम मंदिर पहुंचे। जानकारी करने पर पता चला कि ये जो पत्थर के हाथी के मुंह बने हैं, यह तभी से हैं, जब से मंदिर बना। इनमें से भगवान के गर्भ गृह की सफाई और भोग के बर्तन धोने का जल आता है। गोस्वामी बोले- कभी नहीं कहा कि चरणामृत है
मंदिर के पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया- गोस्वामियों ने कभी किसी से नहीं कहा कि वह जल चरणामृत है। उन्होंने बताया कि मंदिर के गर्भ गृह की साफ सफाई का वह पानी बाहर जाता है। इसे श्रद्धालु और मंदिर के गोस्वामी भी श्रद्धा भाव से अपने शरीर पर डालते हैं। पुजारी बोले- सोशल मीडिया पर दावा गलत
पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया- भगवान का चरणामृत तो अमृत समान है। उसे इस तरह से बहाकर पैरों में नहीं डाला जा सकता। चरणामृत को शुद्ध पात्र में रखते हैं और फिर उसे श्रद्धालुओं को दिया जाता है। वहीं एक और पुजारी मनोज गोस्वामी ने दावा किया कि जो सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है वह बिल्कुल गलत है। गोस्वामियों के दावे में नजर आई सच्चाई
मंदिर के गोस्वामियों द्वारा किए गए दावे की हकीकत उस समय सामने आ गई, जब अचानक भगवान का भोग हटने के कुछ देर बाद हाथी जैसे मुंह से पानी की धार तेज हो गई। इससे साफ हुआ कि इतना तेज पानी AC का नहीं हो सकता। इसके बाद रिपोर्टर मंदिर की उस रसोई में भी गया, जहां भगवान का प्रसाद बनाया जाता है। वहां देखा तो मंदिर के कर्मचारी भोग के बर्तन साफ करते हुए दिखे। इसी रसोई से गर्भ गृह में जाने का रास्ता है, लेकिन वहां पुजारियों के अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु बोले- जो भी है, वह प्रसाद ही है
बांके बिहारी के गर्भ गृह से निकलने वाले जल को लेने के लिए श्रद्धालु आतुर नजर आ रहे थे। दिल्ली के एक भक्त ने कहा कि यह जल जो भी है, गर्भ गृह से ही रहा है। यह प्रसाद समान ही है। मंदिर के एक पुजारी ने नाम न बताते हुए कहा कि गर्भ गृह में जब बिजली ही नहीं है तो AC का सवाल कहां से उठ गया। सोशल मीडिया पर क्या चल रहा, आगे देखिए 1. भक्ति के नाम पर कुछ भी संभव 2. गंभीर शिक्षा की 100% जरूरत है 3. मथुरा में आस्था का साइड इफेक्ट देखें 4. अंधभक्ति की प्रकाष्ठा ! मथुरा के बांके बिहारी मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है। मंदिर के पीछे परिक्रमा मार्ग में पत्थर के हाथियों के मुख से पानी निकल रहा है, जिसे श्रद्धालु पी रहे हैं। कोई इसे ठाकुर जी का चरणामृत कह रहा तो कोई AC से डिस्चार्ज पानी बता रहा है। इस वीडियो की हकीकत क्या है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम मंदिर पहुंची। पहले जानिए सोशल मीडिया पर वीडियो में क्या दिख रहा
वीडियो में कुछ श्रद्धालु हाथियों के मुंह से आ रहे पानी को माथे से लगा रहे हैं। चरणामृत समझकर आचमन कर रहे हैं। कोई पानी को सिर पर छिड़क रहा तो कोई आंखों और गले पर लगाकर शीश नवा रहा है। कुछ श्रद्धालु इस पानी को प्लास्टिक के गिलास में भरकर पी रहें तो कुछ भरकर घर ले जा रहे हैं। इसी दौरान एक आवाज आती है… दीदी ये जिस पानी को आप चरणामृत समझकर पी रहीं न… ये AC का पानी है। दैनिक भास्कर के रियलिटी चेक में क्या निकला
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर पवन गौतम मंदिर पहुंचे। जानकारी करने पर पता चला कि ये जो पत्थर के हाथी के मुंह बने हैं, यह तभी से हैं, जब से मंदिर बना। इनमें से भगवान के गर्भ गृह की सफाई और भोग के बर्तन धोने का जल आता है। गोस्वामी बोले- कभी नहीं कहा कि चरणामृत है
मंदिर के पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया- गोस्वामियों ने कभी किसी से नहीं कहा कि वह जल चरणामृत है। उन्होंने बताया कि मंदिर के गर्भ गृह की साफ सफाई का वह पानी बाहर जाता है। इसे श्रद्धालु और मंदिर के गोस्वामी भी श्रद्धा भाव से अपने शरीर पर डालते हैं। पुजारी बोले- सोशल मीडिया पर दावा गलत
पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया- भगवान का चरणामृत तो अमृत समान है। उसे इस तरह से बहाकर पैरों में नहीं डाला जा सकता। चरणामृत को शुद्ध पात्र में रखते हैं और फिर उसे श्रद्धालुओं को दिया जाता है। वहीं एक और पुजारी मनोज गोस्वामी ने दावा किया कि जो सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है वह बिल्कुल गलत है। गोस्वामियों के दावे में नजर आई सच्चाई
मंदिर के गोस्वामियों द्वारा किए गए दावे की हकीकत उस समय सामने आ गई, जब अचानक भगवान का भोग हटने के कुछ देर बाद हाथी जैसे मुंह से पानी की धार तेज हो गई। इससे साफ हुआ कि इतना तेज पानी AC का नहीं हो सकता। इसके बाद रिपोर्टर मंदिर की उस रसोई में भी गया, जहां भगवान का प्रसाद बनाया जाता है। वहां देखा तो मंदिर के कर्मचारी भोग के बर्तन साफ करते हुए दिखे। इसी रसोई से गर्भ गृह में जाने का रास्ता है, लेकिन वहां पुजारियों के अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं है। श्रद्धालु बोले- जो भी है, वह प्रसाद ही है
बांके बिहारी के गर्भ गृह से निकलने वाले जल को लेने के लिए श्रद्धालु आतुर नजर आ रहे थे। दिल्ली के एक भक्त ने कहा कि यह जल जो भी है, गर्भ गृह से ही रहा है। यह प्रसाद समान ही है। मंदिर के एक पुजारी ने नाम न बताते हुए कहा कि गर्भ गृह में जब बिजली ही नहीं है तो AC का सवाल कहां से उठ गया। सोशल मीडिया पर क्या चल रहा, आगे देखिए 1. भक्ति के नाम पर कुछ भी संभव 2. गंभीर शिक्षा की 100% जरूरत है 3. मथुरा में आस्था का साइड इफेक्ट देखें 4. अंधभक्ति की प्रकाष्ठा ! उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर